फिर से Ambalika Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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फिर से

फिर से

रिया! रिया!”, माँ रसोई से आवाज़ दे रही थी|

"हां माँ बस अभी आई|"

"बेटा जल्दी करो फिर तुम कॉलेज के लिए बिना खाना खाए ही निकल जाओगी|"

"बस मान पाँच मिनिट| बुक्स पर्स मे डाल दूं|"

सीडीयों से उतरने की आवाज़ आती है|

माँ क्या बनाया है?”

तुम्हारे मन पसंद राजमाह चावल|”

थैंक यू माँ| लव यू|”

रिया जल्दी जल्दी खाना खाती है और घड़ी की ओर देखते हुए कहती है,

एम जी! आज पक्का लेट हो जाऊंगी| माँ मैं चलती हूँ वरना बस छूट जाएगी|”

रिया दरवाज़े की ओर जल्दी से बढ़ती है|

टिफिंन तो लेती जाओ”, माँ किचन से भागती हुई आई|

थैंक यू माँ| ओके बाइ|”

बाइ बेटा”, माँ ने मुस्कुराते हुए कहा पर उनकी मुस्कुराहट जल्दी ख़तम भी हो गयी|

पता नही इसकी मुस्कान को किसकी नज़र लग गयी| इतनी हँसमुख थी रिया पहले| खूब बातें करना, खूब शोर करना| चुप्पी तो जैसे घर से जाने कहाँ काफूर हो जाती थी उसके जाने से| मन में यही सोचती हुई रसोई मे फिर चली गयी|

उधर रिया ने बस ली और जैसे तैसे ड्राइवर के सामने वाली जगह पर बैठ गयी| रिया कॉलेज मे लेक्चरर की नौकरी कर रही थी| कॉलेज दूर था और लगभग एक घंटा लग जया करता था वहाँ तक पहुँचने मे| रिया हमेशा से ही टीचिंग करना चाहती थी और अब वही कर भी रही थी पर जाने क्यूँ इस काम मे भी अब मज़ा नहीं था उसके लिए| घर मे रहकर बीती बातें याद करने से तो खुद को व्यस्त रखना बेहतर है| यही सोचकर रिया ने नौकरी करने का फ़ैसला किया था|

दिन पूरा कॉलेज मे निकल जाता और वक़्त ही नही मिलता कुछ सोचने और याद करने के लिए| शाम को टियूशन ले लेती तो 8 बाज जाते| फिर रात का खाना और सोना| रिया ने खुद को इस तरह से बाँधे रखा था| कोई सहेली कोई दोस्त भी नही था शहर मे क्यूंकी उसके कुछ दोस्त नौकरी की वजह से शहर से बाहर रहते थे और ज़्यादातर लड़कियों की शादियाँ हो चुकी थी|

उस रोज़ सोमवार था और सुबह के आठ बाज रहे थे| जब पर्दे से झँकते सूरज की किरने रिया की आँखों पे पड़ी तो उसने घड़ी की ओर देखा|

नो! आठ बाज गये” ,रिया ने परेशन हो कर कहा|

फटाफट नहाई| और प्रेस करने के लिए कपड़े निकालने लगी|

आज का दिन ही खराब हैरिया खुद से गुस्से मे कह रही थी|

इतने मे माँ अंदर आई|

माँ आपने मुझे उठाया भी नही| मैं लेट हो गयी हूँ आज और कपड़े भी प्रेस्ड नहीं है| अब क्या करूँ?” रिया ने उदास हो कर कहा.

वो नीले रंग का सूट निकल के रखा था मैने परसों| सोचा था साक्षी को दे दूँगी| चाची कह रही थी तुम्हारी, उसे स्कूल फंक्षन मे पहनने को चाहिए| वो प्रेस करके रखा था| उसे पहन लो”, माँ ने कहा|

वो इतना पुराना सूट| उसे क्यूँ चाहिए? पर मैने भी तो 2 बार ही पहना है| अब वैसे फिटिंग वाले सूट नही पहनती मैं माँ”, रिया कहने लगी|

बेटा अब और फिर है नही ना कुछ तो पहन लो| अलमारी मे रखा है| और जल्दी ब्रेकफास्ट करने जाओ, नही तो फिर बिना खाए ही निकल जाओएगी”, माँ कहने लगी|

ह्म्म्म ठीक है

रिया जल्दी से रेडी हुई| भीगे बालों को झाड़ती हुई, पर्स उठा कर कमरे से बाहर निकल गयी| अचानक पीछे मूडी और खुद को शीशे मे देखा| आज वह अलग लग रही थी| वैसी ही जैसे वो 6 साल पहले लगती थी| खूबसूरत लगना तो जैसे अब भूल गयी थी| ढीले कपड़ों, बँधे बालों ने जैसे उसे उमर से बड़ा कर दिया था| आज बाल गीले थे तो बाँध नही पाई|

माँ मेरी डायरी नही मिल रही है| पर्स में ही रखी थी”, रिया ने सीढ़ियों से उतरते हुए माँ को आवाज़ लगाई.

अलमारी मे ही है| नीचे दराज़ मे रखी है पुरानी किताबों के साथ”, माँ ने रसोई से जवाब दिया|

रिया फटाफट कमरे की ओर भागी और घड़ी को देखते हुए जल्दी से दराज़ खोला| डायरी उठाई और एक पल के लिए जैसे वही थम गयी| ये वो दराज़ था जो खुलने के लिए कई सालों से तरस गया था| धूल लगी डायरियाँ, नोटबुक्स थी और उनमे से एक गुलाबी रंग मे पीले गुलाब से सजी थी| रिया ने डायरी बाहर निकाली और कुछ पल उसे देखती रही|

बेटा जल्दी करो”, माँ की आवाज़ ने उसे जगा दिया|

हाँ माँ आई”, उसने डेरी भी पार्स मे डाली और नीचे गयी|

माँ लंच रहने दो, मैं खाना आज कॅंटीन मे ही खाऊँगी|”

उसने लंच बॉक्स उठाया और आज टैक्सी करके ही कॉलेज चली गयी|

भैया ये लीजिए और चेंज रख लीजिए”, टैक्सी वाले को पैसे देते हुए रिया ने कहा|

फटाफट अपनी क्लास की तरफ भागी| जैसे ही उसने कमरे मे कदम रखा तो जिन बच्चों को चुप करने मे पहले वक़्त लगा करता था आज सभी की ज़ुबान को ताला लग गया था| सभी की नज़रें दरवाज़े पर| रिया थोड़ा सा नर्वस फील करने लगी|

गुड मॉर्निंग”, रिया ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा|

गुड मॉर्निंग मेडम”, बच्चों के स्वर मे आज संगीत गूँज रहा था|

क्लास लेने के बाद रिया को आज कॅंटीन जाना पड़ा| खाना खाया नही था और अब तो सिर भी दर्द कर रहा था| इन दो सालों मे पहली बार आज जब कॅंटीन मे कदम रखा तो हर किसी की निगाहें रिया को ताड़ने लगी| वह किसी की ओर देखे बिना खाली टेबल पर जा कर बैठ गयी|

हेलो मिस रिया”, पीछे से किसी लड़की की आवाज़ आई|

मूड के देखा तो दूसरी स्ट्रीम की लेक्चरर दीप्ति थी|

हेलो! हाउ आर यू?”,रिया ने मुस्कुराते हुए कहा|

कैन आइ जोइन यू”, दीप्ति ने बैठने का इशारा करते हुए कहा|

हाँ क्यूँ नही| प्लीज़”, रिया ने कहा|

दीप्ति बैठ गयी और दोनो बातें करने लगी|

मेने आपको पहले कभी कॅंटीन मे नही देखा”, दीप्ति ने कहा|

ह्म्म मुझे ज़्यादा भीड़ मे रहना पसंद नही| मैं कैबिन मे ही लंच कर लेती हूँ”,रिया ने मुस्कुराते हुए कहा|

हेलो दीप्ति!”

हेलो शेखर”, दीप्ति ने कहा|

ये रिया है| कंप्यूटर्स स्ट्रीम को पढ़ती है|”, दीप्ति ने रिया का इंट्रोडक्षन देते हुए कहा|

ह्म्म मैने देखा है इन्हे काई बार कंप्यूटर्स के स्टूडेंट्स के साथ,कभी बात करने का मौका नही मिला|”, शेखर कहने लगा|

हेलो रिया| नाइस टू मीट यू| एंड आइ मस्ट से यू आर लुकिंग वेरी नाइस टुडे|”, शेखर ने मस्कुराते हुए कहा|

थैंक यू”, रिया ने धीमे से मुस्कुराते हुए कहा|

उस दिन रिया ने पहली बार कॉलेज मे अपने अलावा किसी से बात की| दीप्ति के साथ बात करके काफ़ी खुश महसूस कर रही थी|

टाइम हो गया है”, दीप्ति ने घड़ी देखते हुए कहा|

आया करो| मुझे भी कंपनी हो जया करेगी रिया|”, दीप्ति मुस्कुराते हुए कहने लगी|

हाँ अब आया करूँगी|”, रिया ने पर्स उठाते हुए कहा|

लंच ऑफ होते ही दोनो फिर क्लासस की ओर बढ़ गये|

रिया ने खुद को काफ़ी दीनो बाद खुश महसूस किया| क्लास अभी आधी ही हुई थी की दरवाज़े पे पीयन ने नॉक किया|

मेडम आपको स्टाफ रूम मे बुलाया है

ओके”, रिया ने कहा|

क्लास तब तक आप अल्गोरिथ्म्स को रिवाइज़ करो| मैं अभी आती हूँ|”

रिया स्टाफ रूम की तरफ चली गयी| कंप्यूटर्स के और टीचर्स भी वहाँ थे| पर किसी को पता नही था के क्यूँ बुलाया है| सब आपस मे यही बातचीत कर रहे थे|

एक्सक्यूस मे एवेरी वन| गुड आफ्टर नून!", डिपार्टमेंट के हेड स्टाफ रूम मे अंदर आते हुए कहने लगे|

गुड आफ्टरनून सर”, सभी ने कहा|

प्लीज़ टेक यौर सीट| आप सभी को यह बताने के लिए बुलाया गया है के कल से आप सभी को एक नये सॉफ्टवेर की जानकारी दी जाएगी इसलिए कल से लंच के बाद आपको ट्रैनिंग क्लास दी जाएगी|” एच. . डी कहने लगे|

ओक सर”, सभी ने कहा|

सब फिर से क्लासस मे चले गये| छुट्टी होने के बाद रिया घर गयी| माँ ने दरवाज़ा खोला|

लव यू माँ”, रिया ने माँ को गले लगाते हुए कहा और कमरे मे चली गयी|

माँ ने बहुत दीनो बाद रिया को खुश पाया| रिया फ्रेश हो कर आज माँ के साथ ही बैठ गयी|

माँ बालों मे तेल लगा दोगे आपरिया ने पूछा|

हाँ बेटा क्यूँ नही|”, माँ ने प्यार से कहा|

माँ तेल लगा रही थी| उन्होने देखा रिया मुस्कुरा रही है|

आज बहुत दीनो बाद खुश लग रही हो बेटा?”

हाँ माँ आज का दिन अछा था|”, रिया ने आँखें बंद करते हुए कहा|

अगली सुबह रिया फिर तैयार हुई और इस बार तोड़ा सा काज़ल भी लगा दिया| माँ ने रिया को देखकर थोड़ा सा काज़ल उंगली मे निकल कर उसके कान के पीछे लगा दिया|

बस ऐसे ही मुस्कुराती रहो!”, माँ ने सर पे हाथ फेरते हुए कहा|

कॉलेज मे लंच टाइम तक क्लास ली और फिर ट्रैनिंग क्लास के लिए कंप्यूटर लैब मे चली गयी जहाँ बाकी टीचर्स भी पहले से बैठे हुए थे| सब वेट कर रहे थे ट्रेनर के आने का| इतने मे एक व्यक्ति हाथ मे लैपटॉप का बैग लिए अंदर आया| उसने बोर्ड पर लिखा शुरू किया| अभी चेहरा नज़र नही आया था उसका|

हेलो एवेरिवन| मैं चाहता हूँ के आप सभी लिखने के लिए कुछ निकल लें|”

सभी डाइयरीस निकालने लगे.

माइसेल्फ नवीन

इतने सुनते ही रिया के हाथ जैसे थम गये| धीरे से उपर देखा तो नवीन था.| अचानक से आँखों के सामने वो हर पल, वो दिन, वो साल छा गये जिन्हे दिल के संदूक मे ताला लगा कर जाने कब से बंद कर रखे थी वो|