PHIR SE - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

फिर से - 4

नवीन इससे पहले कुछ और कहता रिया ने उसे सोने को कह दिया| वह शायद इन बातों को अभी एक साथ नही सुन सकती थी| उसे यकीन नही था नवीन पर क्यूकी लड़के कुछ पल के लिए आशिकी जताते है|

फोन पर तो बाइ कर दी पर नींद कहाँ थी अब आँखों मे| नवीन के उस मेसेज ने रिया की नींद ही उड़ा दी| बस अपने तकिये को बाहों मे लेकर जाने कैसे कैसे खाब बुनने लगी|

सुबह रिया उठी हाथ मूह धो कर ताईयार हुई| दिमाग़ लेकिन नवीन के ही बारे मे सोच रहा था| ये क्या हो गया था उसे| खुद पर गुस्सा भी आ रहा था के कुछ और क्यूँ नही सोच रही वो| उसकी भावनाएँ उसके बस मे नही थी|

रिया ने फ़ैसला किया के नवीन से दूरियाँ बनाने मे ही समझदारी है| कहीं ये सब आँसुओं मे ख़तम ना हो| क्या पता ये सब क्षणिक भावना हो| एक दो दिन नवीन से बात भी नही की और उससे मिली भी नही| घर भी दूसरी बस मे आई| नवीन ने काई बार फोन भी किया लेकिन रिया ने कोई जवाब नही दिया|

रिया की सहेली को किसी काम से घर जाना पड़ा| उस रोज़ सनडे था| बाहर खूब बरसात हो रही थी| रिया ने दिन भर का काम निपटाया, सफाई की, पढ़ाई की|

रिया फोन की तरफ देख रही थी| दो दिनों से नवीन ने कोई मेसेज नही किया था| मान बेचैन था, कहीं वह नाराज़ तो नही हो गया|

बस यही सोच रही थी के दरवाज़े पर दस्तक हुई| शाम के 4 बाज रहे थे| रिया दरवाज़ा खोलने उठी|

दरवाज़ा खोला तो हैरान रह गयी| नवीन था, पूरी तरह भीगा हुआ| कुछ देर रिया उसे देखती रही|

“अंदर नही बुलाओगी?" नवीन कहने लगा|

रिया चुप थी |

“बहुत ठंड लग रही है” नवीन ने ठिठुरते हुए कहा|

"ओह्ह हाँ! आओ ना” हैरान रिया हड़बड़ा कर कहने लगी|

“वाउ रिया रूम तो बहुत अच्छा सजाया है तुमने| वेरी नाइस”

“ये तुम्हारी स्कूल की तस्वीरें हैं?” नवीन अलमारी पर लगी तस्वीरों को देखकर पूछने लगा|

नवीन बोल रहा था लेकिन रिया चुप थी|

"चाए पी लो” रिया ने चाए का कप पकड़ाते हुए कहा|

“ये लो पहले सिर पोंछ लो” रिया ने तौलिया पकड़ाया|

“इस तरह से बारिश मे कोई भीगता है क्या?” रिया ने खुद ही तौलिए से नवीन का सिर पोंछ दिया|

“बीमार हो जाओगे तब पता चलेगा” रिया की नाराज़गी मे भी प्यार था|

नवीन उसको अपनी इतनी फिकर करता देख कर हंस दिया|

नवीन भीग गया था तो बैठा नही, वरना पूरा बिस्तर भीग जाना था|

“में चलता हूँ| बस ऐसे ही बाज़ार तक गया था| फिर बारिश शुरू हो गयी तो सोचा तुमसे भी मिलता चलूं|

“इतनी बारिश मे कहाँ जाओगे| वेट कर लो| थोड़ी देर मे रुक जाएगी तो चले जाना|”

“ये लो”, रिया ने अलमारी से एक ट्रॅक सूट निकाला|

“ये मेरी सहेली के भैया का है| पिछली बार आए थे तो यही भूल गये|” रिया ने कपड़े हाथ मे पकड़ाते हुए कहा|

नवीन बाथरूम मे कपड़े बदलने चला गया और रिया मेगी बनाने लग गयी|

“बड़ी अच्छी खुश्बू आ रही है” नवीन कहते हुए किचन मे चला आया|

काफ़ी देर से उसे दरवाज़े पर खड़ा देख रिया ने पूछ ही लिया “क्या है? क्या देख रहे हो?”

“कुछ नही| तुम्हे खाना बनाते नही देखा ना कभी” नवीन हंस कर कहने लगा|

रिया ने हीटर ऑन कर दिया| ठंड बहुत थी तो एक कंबल खुद ले ली और एक नवीन को दे दी| लॅपटॉप पर मूवी लगाई और दोनो मॅगी खाने लगे|

“म्म्म्ममम! वेरी टेस्टी.. मेने इतनी टेस्टी मॅगी पहले कभी नही खाई|” नवीन मॅगी की तारीफ करने लगा|

“खाई क्यूँ? ऐसा क्यूँ नही कहते पहले कभी मॅगी देखी ही नही” रिया ने ताना मरते हुए कहा|

और दोनो हँसने लगे| हीटर से कमरा गर्म हो गया था| मूवी देखते देखते कब दोनो की आँख लगी पता ही नही चला|

फोन पर आई कॉल ने रिया को नींद से जगा दिया| उसकी माँ का फोन था| उनसे बात कर फोन रख दिया| नवीन भी सुस्ता कर फोन की ओर देखने लगा|

“ओ एम जी 9:30 बज गये? आइ एम सो सॉरी यार| मुझे निकलना चाहिए| नही तो मेरी वजह से तुम्हे बड़ी परेशानी होगी|”

नवीन उठा और जूते पहनने लगा| दरवाज़ा खोला तो अभी भी बारिश हो रही थी|

“रिया मुझे छाता दे दो अपना| मैं कल लौटा दूँगा|”

“सुनो” रिया ने नवीन से कहा|

“रहने दो| अब इतनी रात को अंधेरे मे कहाँ जाओगे| फिर भीग जाओगे| यही रुक जाओ|” रिया ने कहा

“यार| ऐसे अछा नही लगता| तुम्हे कितना अनकंफर्टबल होगा..”

“ऐसी कोई बात नही है” रिया ने बीच मे ही नवीन को टोकते हुए कहा|

“सुबह जल्दी चले जाना| ओके”

“ओके” नवीन ने कहा|

“भूख लग रही है” नवीन पेट पर हाथ फेरते हुए कहने लगा|

“अच्छा| अभी बनाती हूँ कुछ” रिया मुस्कुराते हुए कहने लगी|

रिया ने खाना बनाया| खाना खा कर दोनो अपने अपने बिस्तर पर बैठ गये| दोनो लॅपटॉप पर मूवी देखने लगे| रिया उठी|

“कहाँ जा रही हो?” नवीन ने पूछा|

“बस एक मिनिट” रिया ने किचन की तरफ जाते हुए कहा और नवीन मूवी देखने मे बिज़ी हो गया|

“ये लो”, रिया ने कहा|

“क्या है? अरे वाह कॉफी| आइ लव कॉफी” नवीन कहने लगा|

“मी टू” रिया मुस्कुरा दी| दोनो कॉफी पी ही रहे थे के अचानक लाइट चली गयी|

“ओह्ह्ह” नवीन के मूह से निकला|

“रूको में मोमबत्ती ले कर आती हूँ” और वह लॅपटॉप की रोशनी मे किचन की ओर बढ़ गयी|

“आआआआआ” किचन से आवाज़ आई|

नवीन फटाफट उठा, "क्या हुआ?”

“कुछ नही” रिया ने हाथ को झटकते हुए कहा|

“मुझे दिखाओ” नवीन ने हाथ अपने हाथ मे लिया|

“ये कैसे जला दिया तुमने| इतनी बड़ी हो गयी हो मोमबत्ती जलानी नही आती? ईडियट” नवीन ने डाँटते हुए कहा|

“जानबूझ के थोड़े किया| हाथ से लग गयी मोमबत्ती पर तो हुआ” कहते हुए रिया की आखें भर आई और वह नाराज़ हो कर बिस्तर पर बैठ गयी|

नवीन उसके पास गया| रिया आँसू पोंछ रही थी|

“आई एम सॉरी” नवीन कहने लगा|

रिया अभी भी रो रही थी “बात तो करो”, नवीन झुक कर उसकी ओर देखने लगा

“मुझे नही करनी बात वात” रिया ने मूह फेरते हुए कहा|

“अच्छा बताओ कोई दवाई है यहाँ?बोलो ना|” नवीन पूछने लगा|

“ह्म! उधर है टेबल पर| फोन की टॉर्च से देखो” रिया ने कहा|

“ओककके जी” नवीन ने बॉक्स से दवाई निकली|

नवीन हाथ मे दवाई लगाने लगा| “नाराज़ होती हो तो और भी क्यूट लगती हो”

रिया हल्की सी मुस्कुरा दी| देखा जल्दी ही ठीक हो जाएगा| एक और दवाई भी है जिससे और जल्दी ठीक हो जाएगा|

“अच्छा! वो क्या?” रिया ने आँसू सॉफ करते हुए पूछा|

अचानक नवीन ने रिया का हाथ चूम लिया| रिया चौंक गयी| उसने हाथ छुड़ाना चाहा|

"आई आम सॉरी रिया| मैं ये तुमसे कब से कहना चाहता था के….के…” नवीन कहते हुए चुप हो गया|

“क्या” रिया ने धीरे से पूछा|

"म्म्म्म! डू यू लाइक मी?"

रिया मुस्कुरा दी, “नही” उसने कहा|

"मैने ऐसा कभी महसूस नही किया| तुम्हारे साथ होता हूँ तो बस पास रहा चाहता हूँ और दूर रहूं तो तुम्हारे ही बारे मे सोचता रहता हूँ" कहते हुए नवीन और करीब आ गया था|

रिया की साँसे चढ़ने लगी थी| नवीन उसे हाथों पर चूमने लगा| फिर गाल पर| रिया सिमट रही थी पर दूर नही जाना चाहती थी| उसकी धड़कनें तेज हो रही थी जैसे-जैसे नवीन करीब आ रहा था| नवीन ने रिया का चेहरा अपने हाथों मे ले लिया और अपने होंठ उसके नर्म होंठों पर टीका दिए| रिया भी खुद को रोक ना पाई| नवीन के साथ बहती चली गयी उस मोहब्बत के समंदर मे,जिसमे डूब कर आशिक दुनिया भूल जाया करते है| दोनो की दोस्ती कोई और ही मोड़ ले चुकी थी|

“रिया रिया! उठो” नवीन ने प्यार से कान के पीछे कहा|

“ह्म” रिया ने सुस्टाते हुए कहा|

"मैं निकलता हूँ| अभी सवेरा हुआ नही है| सब देख ले उससे पहले”

रिया उठी और दरवाज़ा खोला| नवीन ने जल्दी से कपड़े बदले| नवीन दरवाज़े पर खड़ा ही था के वापिस मूड कर रिया को गाल पर किस कर बाहर चला गया| रिया खुशी से झूम उठी| अब नींद पूरी हुई नही थी तो फिर से सो गयी| दिन के 2 बजे उसकी आँख खुली| सर दर्द से फट रहा था|

“उफफफ्फ़”कहते हुए रिया उठी| और एक कप चाए बनाई|

उसे यकीन नही हो रहा था जो भी हुआ| वो अभी भी नवीन को महसूस कर सकती थी| उसका वो उसे प्यार करना| सब कुछ| सोचा उसे फोन कर ले| पर फिर मेसेज ही किया के शायद वो भी लेट उठा हो| उधर से नवीन ने भी कोई बात नही की| रिया को चिंता होने लगी थी अब|

अगले दिन भी ट्राइ करती रही लेकिन नवीन ने ना तो फोन उठाया ना ही उसके मेसेजस का जवाब दिया| कॉलेज की छुट्टियाँ भी ख़तम हो गयी| उसे लगा शायद नवीन भी बाकियों की तरह बस एक ही मतलब से उसे दोस्ती रखना चाहता था और अब जब उसका मतलब निकल गया तो शायद उसे अवाय्ड कर रहा हो|

लंच ब्रेक मे रिया बेंच पर बैठी थी| बस यही बात सोच सोच कर उसका दिल टूट रहा था|

“रिया!” किसी ने आवाज़ लगाई|

नज़रें उठाई तो नवीन भगा आ रहा था| रिया उठी और बिना जवाब दिए जाने लगी|

“हे वेट! रिया!” नवीन पास आ गया था|

“क्या हुआ यार” कहते हुए रिया को अपनी तरफ किया|

रिया की आँखें भरी हुई थी|

“हे!क्या हुआ? प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ बताओ| ई एम गॉना डाई| मैं तुम्हे रोते नही देख सकता" नवीन ने बहुत ही एमोशनल होकर कहा|

“तुम बस वही सब चाहते थे ना मुझसे| तुम भी उन लड़कों जैसे ही हो| तभी अवाय्ड कर रहे थे मुझे”

"अच्छा| आई एम सो सॉरी| नवीन ने बेंच पर उसे बैठाते हुए कहा|

"जानू?” रिया हँसने लगी|

“ये हुई ना बात| मैं तुम्हे जानू ही बुलाऊँगा अब से| मेरे फ्रेंड का एक्सीडेंट हो गया था तभी नही कर पाया रिप्लाइ और मैं तुमसे प्यार करता हूँ| उटली बातें मत सोचा करो.”

रिया खुश हो गयी और दोनो कॉलेज के बाद साथ ही अपने रूम्स की ओर चल दिए| अब तो ढेरों बातें होती दोनो मे| मेसेजस पर, फोन कॉल पे| जैसे बिना एक दूसरे से बात किए जी नही पाएँगे| रिया का तो जैसे सपना पूरा हो गया था| वो नवीन के साथ अपनी पूरी जिंदगी भर के सपने सजाने लगी थी| नवीन कितनी फिकर करता था उसकी| कितना ध्यान रखता था| एक दिन दोनो कॉलेज बंक कर घूमने निकल गये| रास्ते एक मंदिर मे माथा टेकने के लिए रुक गये| पूजा कर थोड़ी देर के लिए सीडीयों पर बैठ गये|

“नवीन हम कॉलेज के बाद तो मिल भी नही पाएँगे| भूल जाओगे मुझे?” रिया ने बड़े ही मार्मिक ढंग से कहा|

“ह्म| भूलना क्यूँ| फ़ोन पर बात करेंगे ना” फोन पर कुछ काम करते हुए नवीन ने कहा|

"मेरे लिए रिश्ते आ रहे है| आई मीन घर पर” रिया ने कहा|

"अच्छा! गुड यार” नवीन ने हसते हुए कहा|

"आआ! नवीन चिल्लाया क्यूंकी रिया ने ज़ोर से हाथ पर मारा था|

“वॉट इस गुड अबाउट दैट?”रिया ने गुस्से मे कहा|

“मेरी शादी कही और हो जाएगी| तुम्हे कोई फरक नही पड़ता इस बात से”

“रिया मेरे घर वाले कभी नही मानेंगे| तुम जानती हो| हम प्यार करते है बट अब मैं उनको भी हर्ट नही कर सकता| बहुत वक़्त है इन बातों के लिए अभी| मत सोचो इतना” और दोनो घर के लिए वापिस चल पड़े|

रिया का दिल जैसे टूट कर बिखर गया| नवीन ने कितनी आसानी से कह दिया| पर उसका दिल नही मान रहा था| उसे उम्मीद थी के नवीन को इतना प्यार करती है| वह ज़रूर मज़ाक कर रहा होगा|

कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने को थी| फाइनल एग्ज़ॅम्स ख़तम हो चुके थे| इतने दिन दोनो की बात भी नही हुई थी| बस लास्ट एग्ज़ॅम देकर रिया और उसकी रूमेट रूम पहुँच गये थे| एग्ज़ॅम ख़तम होने की खुशी भी तो दूर होने का तोड़ा सा दर्द भी था| दोनो बातें कर रही थी| इतने मे नवीन का मेसेज आया|

“शाम को मुझे बस स्टॉप पर मिलना| आई नीड तो टॉक टू यू| इट्स वेरी अर्जेंट”

रिया खुशी से झूम उठी| वह जानती थी के आज नवीन उसे जिंदगी भर के लिए अपना बनाने की बात कहेगा| वह तैयार हुई| बस स्टॉप पर पहुँची| नवीन कार लेकर आया था|

“रिया!” नवीन ने कार से हाथ बाहर निकलते हुए कहा|

“हे| ये किसकी है?” रिया ने पूछा|

“फ्रेंड की| आज स्पेशल डे है तो सोचा इसे थोड़ा और स्पेशल बना दिया जाए” नवीन ने कहा|

नवीन ने एक पार्क के सामने कार रोकी| शाम हो रशी थी और बल्ब की रोशनी मे पार्क बहुत सुंदर लग रहा था|

“इट इस वेरी ब्यूटिफुल नवीन" रिया ने कहा|

काफ़ी देर घूमने और बातें करने के बाद दोनो एक बेंच पर बैठ गये|

“रिया” नवीन ने गुलाब का फूल निकालते हुए कहा|

“सो नाइस| थॅंक यू |" रिया बहुत खुश थी|

"मैं ये कहना चाहता हूँ के मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ"

"मैं जानती हूँ| मैं भी..” रिया कह ही रही थी|

“मुझे कह लेने दो” नवीन ने टोकते हुए कहा

“ऊप्स सॉरी” रिया ने मुसूरते हुए कहा|

“लेकिन में शादी नही कर सकता तुमसे”

"मैं नही कह रही तुमसे शादी के लिए |"

“मेरे घरवाले नही मानेगे” नवीन ने कहा|"

“हम कोशिश कर सकते है | वक़्त लगेगा हम रुक सकते है” रिया ने दुखी स्वर मे कहा|

“यार उन सब चीज़ों का क्या जो हमारे बीच है| ऐसा सब के लिए नही होता ना”रिया कहने लगी|

“मेने उस वक़्त कहा था तुमसे हाउ आई फील अबाउट मॅरेज| तुम्हारा फ़ैसला था मुझसे प्यार करना” नवीन कहने लगा|

“नवीन ये मज़ाक नही है” रिया की आँखों से आँसू बह निकले|

पर नवीन चुप था| वही नवीन जो कभी उसकी आँखों मे आँसू देखते ही मर जाने की बातें कहता था|

रिया उठी और बिना कुछ कहे वहाँ से चली गयी| नवीन पीछे पीछे भागा|

“रिया ! रिया!” वह आवाज़ दे रहा था| लेकिन रिया ने सुना नही|

रिया गेट के बाहर पहुँच कर रुक गयी| आँसू सॉफ कर मूडी| कार के पास नवीन खड़ा था|

“रिया चलो वापिस चलते है” नवीन ने कार का दरवाज़ा खोलते हुए कहा|

“नही| नवीन मेने जिंदगी के सबसे अच्छे पल तुम्हारे साथ बिताए है जिन्हें में कभी भूल नही सकती| मैं तो यही चाहती हूँ बस तुम खुश रहो| अगर इस फ़ैसले से तुम खुश हो तो ठीक है यही सही| बाइ” रिया ने मुड़ते हुए कहा|

“रूको साथ जाएँगे हम” नवीन ने रोकते हुए कहा|

“हम साथ अब है कहाँ” रिया ने मुस्कुराते हुए कहा पर आँखें भीगी थी जो बहुत कुछ कह रही थी| गुलाब का फूल कार पर रख दिया और आती हुई बस की ओर हाथ से इशारा किया|

“बस मे चढ़ गयी| दिल चाहता था के नवीन उसे रोके|

नवीन ने रोका नही| वह बिना पलटे अंदर चली गयी और सीट ले ली| दिल टूट चुका था और सपने भी| बस मे और लोग भी बैठे थे तो रो भी नही पाई| तकलीफ़ से गला रुंध गया था|

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