फिर से - 5 Ambalika Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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फिर से - 5

5

आसुओं ने डायरी के पन्नो को भिगो दिया था| रिया ने डायरी बंद की और सिसक सिसक कर रोने लगी| मन का वो बाँध जैसे टूट गया हो| पूरी रात नही सोई| खुद को कोसती रही के क्यूँ प्यार किया था नवीन को| क्यूँ औरों की तरह जिंदगी मे आगे नही बढ़ गयी|

“रिया! रिया! बेटा उठो कितनी देर हो गयी| आज लेट हो गयी हो तुम| रिया?” माँ ने रिया के सिर पर से कंबल नीचे करते हुए कहा|

“बेटा” माँ ने सिर पर हाथ फेरा|

“अरे तुम्हे तो तेज़ बुखार है| उठो चलो डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा” माँ ने रिया को ज़बरदस्ती उठाया|

रिया अगले तीन दिन कॉलेज नही जा पाई| चौथे दिन कॉलेज चली तो गयी पर बिल्कुल भी ठीक महसूस नही कर रही थी| पूरा दिन ऐसे ही बीत गया| शाम को ट्रैनिंग क्लास लगाने का मन नही था पर चली गयी| लेट हो गयी थी थोड़ी| बाकी सभी टीचर्स पहुँच गये थे| नवीन क्लास ले रहा था|

“एक्सक्यूस मी सर?” रिया ने धीरे से कहा|

नवीन ने दरवाज़े पर खड़ी रिया को देखा| ये पहली बार उनकी नज़रें टकराई थी| कुछ पल के लिए वक़्त रुक सा गया था|

“सर मे आइ कम इन?”

नवीन ने कुछ कहा नही|

“सर?” रिया ने फिर कहा|

“ओह येस प्लीज़” नवीन ने कहा|

नवीन बेशक लेक्चर ले रहा था पर नज़रें बार बार रिया पर आकर रुक रही थी| रिया सिर झुकाए बस नोट्स बना रही थी| लेक्चर ख़तम हुआ और सब निकालने लगे|

“रिया प्लीज़ वेट| नीड तो टॉक टू यू फॉर अ मिनिट” नवीन ने कहा|

“आइ’एम सॉरी सर आइ हॅव नथिंग टू टॉक अबाउट” कहकर रिया बाहर चली गयी|

नवीन के चेहरे पर उदासी छा गयी| कितनी ही बार कोशिश की उसने के रिया से बात करे पर वह नवीन की तरफ देखना भी नही चाहती थी|

ट्रैनिंग ख़तम होने को कुछ ही दिन बाकी थे| अगले दिन फिर क्लास के बाद नवीन ने रिया को रोकना चाहा पर आवाज़ नही लगाई क्यूंकी वो जनता था रिया रुकेगी नही|

“नवीन!”

वो चौंक गया और देखने लगा रिया दरवाज़े पर खड़ी थी|

कुछ बोल नही पाया| जैसे धड़कन रुक गयी थी उसकी|

“ह्म्‍म्म्म बोलो क्या कहना चाहते हो” रिया ने कहा|

नवीन खामोश था.

“जल्दी कहो मेरी बस छूट जाएगी” रिया कहने लगी|

“ह्म.. म्‍म्म मैं कहना चाहता था की… मैं……” जैसे उसे शब्द नही मिल रहे थे अपनी बात कहने के लिए|

“मिलोगी मुझसे कल शाम को आफ्टर कॉलेज| इम गोयिंग बैक|”

“इसमे कोई नयी बात नही| बट ओके” रिया ने बिफक्र होकर कहा|

नवीन खुश था के रिया मान गयी| पर वो पहले वाली रिया नही थी अब जो बात बात पर मुस्कुराया करती थी| पर चलो उसने हाँ तो किया|

नवीन बेसब्री से अगली शाम की इंतज़ार करने लगा| जॅब ट्रैनिंग का टाइम हुआ तो देखा के रिया तो आई ही नही| उसे लगा जैसे जीती हुई बाज़ी हार गया था वो| जैसे तेसे लेक्चर ख़तम किया|

“ओके टीचर्स देयर आर टू मोर डेज़ लेफ्ट| आइ होप आप सब को लेक्चर्स बेनिफीशियल लगे होंगे| इफ़ कोई सवाल है कल पूछ सकते है आप|”

और सब बाहर चले गये| नवीन दुखी सा मान लेकर अपने पेपर्स फाइल मे पैक करने लगा| इतने मे फोन की रिंगटोन बजी| ये नंबर उसकी फोन लिस्ट मे नही था| उसने पिक किया|

“हेलो?”

“हेलो नवीन ई एम आउटसाइड कॉलेज गेट| वही मिलो आकर मुझे| आइ एम वेटिंग” रिया की आवाज़ थी|

नवीन खुश हो गया और जल्दी से बैग पैक कर बाहर निकल गया| तेज़ी से भागता हुआ गेट के पास पहुँचा| रिया वही खड़ी थी| पिंक सूट और वाइट सलवार| हल्की सी गुलाबी लिपस्टिक और तोड़ा सा पर्फुम| पर नवीन को ऐसा लग रहा था वो मदहोश हो जाएगा|

“हे रिया! मुझे लगा तुम नही आओगी”

“आज का दिन कैसे मिस कर सकती थी| बस जाने वाली है” रिया कहने लगी|

“मैं कार लाया हूँ| इस बार मेरी अपनी कार है|” नवीन ने मुस्कुराते हुए कहा|

दोनो कार मे बैठ कर निकल गये|

“हम कहाँ जा रहे है?” रिया ने पूछा|

“ज़्यादा दूर नही” नवीन ने मुस्कुराते हुए कहा|

एक केफे के सामने नवीन ने कार रोकी| दोनो अंदर चले गये| नवीन ने सब रिया के पसंद का ऑर्डर किया|

अब अंधेरा होना लगा था| इधर उधर की बातें करने के बाद नवीन चुप हो गया| थोड़ी देर रिया को देखता रहा|

“अब चलना चाहिए| देर हो गयी है काफ़ी|” रिया ने घड़ी की तरफ देखते हुए कहा|

“हाँ तुम चलो में बिल पे करके आता हूँ”

रिया बाहर चली गयी| नवीन बिल पे करके बाहर आया|

देखा रिया कार के बाजू मे खड़ी थी और सितारों को देख रही थी| उसे वो उस रात उस चाँद से भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी|

नवीन कार के पास पहुँचा|

“रिया चलो लेट्स गो” कहकर दरवाज़ा खोला|

नवीन ने रिया के घर की तरफ कार ड्राइव करनी शुरू की|

दोनो चुप थे कोई बात नही कर रहा था| नवीन को रिया की ये खामोशी सता रही थी| कितना कुछ कहना चाह रहा था पर कैसे कहे ये सोच कर चुप बैठा था| कुछ देर बाद उसने अचानक कार रोकी|

“क्या हुआ?” रिया ने पूछा|

“कुछ नही| मुझे कुछ कहना है|”

रिया कार से बाहर निकल गयी और सामने की ओर सड़क से नीचे देखने लगी| यहाँ से पहाड़ों का नज़र बेहद खूबसूरत दिख रहा था|

“रिया!”

नवीन ने फिर कहा| मुड़ना मत| नही तो मैं कह नही पाऊँगा|

रिया पलटी नही| बस खामोश खड़ी रही|

“मेने तुम्हे बहुत दुख दिया है रिया| मैं नही जानता कहाँ से शुरू करू और किस किस बात के लिए माफी माँगूँ| मैं ऐसा नही के तुम्हे प्यार नही करता था| बस उस वक़्त सब मस्ती मज़ाक समझने लगा था| सोचता था के बेटर ऑप्षन्स है दुनिया में| पर तुम्हे खो कर जाना के तुम्हारे बिना मैं कुछ नही|”

रिया ने कुछ नही कहा| नवीन ने हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ किया| रिया की आँखों से आँसू एक नदी के जैसे बह रहे थे| जो शांत तो थी पर तबाही मचा सकती थी|

“आई एम सॉरी”

“नवीन आइ डोंट केयर तुम क्या थे| क्या सोचते थे| मैं तो बस यही सोचती थी के प्यार हर रिश्ते से उपर है| हर रिश्ते से पवित्र| ये मेरी ग़लती थी| तुम्हारे मज़ाक को प्यार समझ लिया ये मेरी ग़लती थी|”

“तुम्हारी ग़लती नही थी.” नवीन ने उसके आँसू पोछने चाहे|

बट रिया ने हाथ से उसे दूर कर दिया|

“तुम नही जानते के मैने ये 6 साल कैसे गुज़ारे है| हर वक़्त एक बोझ सा रहा है मुझ पर| खुद से नफ़रत के अलावा और कोई फीलिंग बाकी नही रही मुझमे| सोचती रही के ऐसा क्या ग़लत हो गया मुझसे, क्या कर दिया मैने जो तुम्हारे काबिल नही बन पाई|”

“मैं तुम्हारे काबिल नही था रिया|”

“तुम्हारी होकर किसी और की हो नही पाई कभी और ना ही कभी हो पाऊँगी| हर कोई आगे नही बढ़ पता| मेरी तरह| मेरी जिंदगी आज भी उसी रात पर रुकी है जब तुमने मुझे छोड़ दिया था| इंतज़ार करती रही तुम्हारा हर दिन, हर रात| रोती रही के क्यूँ…. ?

नवीन रिया के करीब आना चाहता था पर किस मुँह से उसे छूता? क्या हक था उसका रिया पर? क्या रिश्ता था?

“आज तुम सामने खड़े हो मेरे और कह रहे हो जो मैं हमेशा से सुनना चाहती थी| पर दिल का दर्द और बढ़ गया है अब| मैं नही जी सकती अब| मेरा दिल चाहे तुम्हे अपना भी ले| पर मैं ऐसा होने नही दूँगी| तुम आओगे फिर चले जाओगे| भरोसा नही है तुम पर|”

कहते कहते रिया अचानक नीचे गिर गयी|

“रिया! रिया!” नवीन ने घबराई आवाज़ मे कहा|

“आई एम सॉरी!मैं जीना नही चाहती नवीन| ना तुम्हारे साथ ना तुम्हारे बिना| बस एक बार मिलना था|”

और इतना कहकर रिया बेहोश हो गयी| नवीन जल्दी से उसे उठा कर हॉस्पिटल ले गया|

डॉक्टर कुछ देर बाद जब बाहर निकला तो इतना ही कह पाया

“शी ईज़ नो मोर| पॉयिज़न काफ़ी देर पहले कन्स्यूम कर लिया था इन्होने| वी कुड नोट सेव हर|”

नवीन की आँखों के सामने अंधेरा छा गया| आँसुओं से भारी आँखों से इतना ही कह पाया|

“आई एम सॉरी रिया, आई एम सॉरी!”