सौंप दो इन्हे ! Jahnavi Suman द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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सौंप दो इन्हे !

सौंप दो इन्हें !

-------सुमन शर्मा

jahnavi.suman7@gmail.com

contact no. 9810485427

सौंप दो इन्हें !

कभी कभी सोच कर बहुत दुःख होता है,कि हमारे देश में लोगों के भीतर देश भक्ति का जज़्बा केवल दिखावा मात्र रह गया। स्वंत्रता दिवस हो, या गणतंत्र दिवस ,लोगों की देशभक्ति केवल फेसबुक ,वाहट्स ऍप व अन्य सोशल साइट्स पर मात्र तिरंगे झेंडे का फोटो लगाकर समाप्त हो जाता है। उसके बाद कुछ लेना - देना नहीं देश में क्या हो रहा है , हम कहाँ जा रहे हैं। हमारा क्या कर्त्तव्य है। नौकरी प्राप्त करने की भाग दौड़ के बाद ,परिश्रम का अध्याय समाप्त। हमसे अच्छे तो, किन्नर हैं। किन्नरों को देश के विभिन्न पदों पर आसीन करना चाहिए।

सोचिए यदि किन्नरों को देश के महत्वपूर्ण कार्यों में लगा दिया जाता तो, क्या होता? मेरे विचार से तो यह बहुत अच्छा रहता बहुत सी समस्याएँ बिना परिश्रम ही हल हो जाती।

देश की सुरक्षा में लगी सेना मे, यदि किन्नरों को भर्ती कर लिया जाता तथा हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी ऐसा होता, और होता क्यों न सबसे बड़ी स्पर्धा तो ,पड़ोसितों के साथ ही की जाती है। अगर ऐसा होता तो भारतीय सीमा पर क्या नज़ारा होता------

भारत के किन्नर ‘रानी’ और ‘बिमला’, हमारी सीमा पर सज्ज -धज्ज कर खड़ी हैं। बीच -बीच में तालियाँ बजा कर कह रही हैं , 'ऐ ! मेरे देश की तरफ कोई आँख न उठाना। आँख फोड़ दूंगी ,हाँ।

उधर ,पाकिस्तान की सीमा पर , पाकिस्तान की ‘सलमा’ और ‘शबनम’ को आवाज़ लगातीं, ‘‘अरी सलमा अरी शबनम! अपनी-अपनी बंदूकें रख कर इधर आओ! सलमा और शबनम बन्दूकें नीचे रखकर ताली बजातीं हुई, भारतीय सीमा में आ जातीं। फिर बिमला कहती, ‘‘डयूटी बाद में देंगें, आओ पहले थोड़ा नाच गा लें।’’ रानी ढोलक पर ताल देकर कहती है, ‘‘हाँ! थोड़ा नाच गाना कर लेते हैं। चारों कमर मटका कर तालियाँ बजा बजा कर नाचने लगतीं हैं। सेना मुख्यालय से अलर्ट होने का आदेश मिलता है। सभी अपने सीमा क्षेत्र में लौट जातें हैं। मुख्यालय से आदेश मिलता है, ‘दुश्मन पर आक्रमण करो।’ रानी बिमला से कहती है, ‘‘अरी गोली हवा में ही चलाना और तोप चीन की तरफ़ करके दागना। अगर शबनम और सलमा को कुछ हो गया तो कल नाच गाना किसके साथ करेंगें?’’ बिमला दोनों हाथों को नचाते हुए कहती है, ‘‘हाँ हम तो एक ही बिरादरी की हैं। हम क्यों लड़े। लड़ना ही है तो ,चीन से लड़ेंगे। चीन ने तो हमारे देश का धंधा चौपट कर रखा है। अब तो सब त्यौहारों पर चीन का बना माल बाज़ार में आता है। राखियाँ, जिनका महत्व भी चीन को नहीं पता ,चीन बनाकर भेजता है। इस पर रानी कहती है , "पिचकारी ,गुलाल ,बम ,पटाखे सब चीन से बनकर आने लगे। " गणेश- लक्ष्मी की मूर्तियां भी भेजते है। " बिमला कहती है ,"वैसे तो ये बड़े दिमाग वाले बनते हैं , लेकिन दिमाग देखो , चप्पल पर गणेश का चित्र बनाते हैं। " रानी ने इस पर कहा,"अब तो प्लास्टिक के चावल भी भारत में चीन से आ रहा है। " इस पर पाकिस्तान की सलमा कहती है ,"हाय अलहा ! मीठी ईद आ रही है ,कहीं हमारे देश में भी प्लास्टिक की सेवइयां न भेज दे , चीन। चलो इससे पहले कि , ये हमें फल और सब्ज़ियाँ भी प्लास्टिक की भेजने लग जाए ,हम मिलकर उस पर हल्ला बोल देते हैं।

देश के भीतर यदि किन्नरों को पुलिस में भर्ती कर लिया जाए. तो क्या होगा। जरा सोचिए! क्या होगा जब किन्नर किसी सेठ का चोरी हुआ माल, चोरों से ज़ब्त करके सेठ को लौटाने जाएँगे। किन्नर दरवाजे पर खड़े होकर तालियाँ बजा बजा कर कहेंगें, ‘‘बधाई हो सेठ तेरा चोरी का माल मिल गया। हाय हाय हमारी बकशीश ला। एक बनारसी साड़ी और हजा़र रुपए ला।’’ फिर ढोलक मंज़ीरे बजा कर, बधाई के गीत गाने लगते। सेठ से पैसे लेकर उसके परिवार को, लाखोँ दुआएं देकर किन्नेर लौट जाते। किन्नरों को यदि यातायात सर्विस में , भर्ती कर लिया जाता तो कैसा नज़ारा दिखाई देता -------------

यातायात को नियन्त्रित करते-करते यदि कोई नई गाड़ी दिखाई देती, तो किन्नर उसे एक ओर रुकने का ईशारा करते गाड़ी का मालिक डरता कि उसके ऊपर किसी नियम का उल्लघन करने का जुर्माना तो नहीं लग रहा है? किन्नर ताली बजा बजा कर कहते , "गाड़ी के सारे कागज़ दिखा ,हम नई गाडी की नज़र उतरेगें "। सड़क के किनारे नाच गाना किया जाता बधाई गीत गाए जाते। कार की बार बार बलईयाँ ली जातीं। किन्नर ताली पीटते और कहते, ‘‘ नई गाड़ी मुबारक हो। हाय! हााय! तेरे भाई भतीजे सलामत रहेें।। इक्कीस सो रुपये इनाम दे और पाँच किलो मिठाई दिलवा। कागज़ सही नहीं होते तो शोर मचा -मचा कर सब को कहते , ये चोरी की गाडी है। "

देश के सांसद यदि किन्नर होते और वह चुनाव लड़ते तो वोट कैसे माँगते? अपना चुनाव चिन्ह ‘ढोलक’ रखते। हमारे घर आकर तालियाँ बजा कर पहले तरह- तरह के आशीर्वाद देते और वोट माँगते जैसे, ‘‘अम्मा! तेरा मुन्ना जुग जुग जिए, अरी अम्मा!(ताली बजाते हुए) मेरे नाम का ही बटन दबाना। ‘‘ भगवान तेरे लाल को अफ़सर बनाए, (बल्लईयाँ लेते हुए) बस अपना एक वोट मुझे दे दे। यदि कोई उन्हें देखकर दरवाजा बन्द कर लेता तो वह कहते, ‘‘अरी भाग्यों वाली! आज मैं तूझ से बनारसी गोटे वाली साड़ी नहीं माँग रही हूँ, न ही नकद रुपया माँग रही हूँ। तेरा बस एक वोट माँग रही हूँ और उसके बदले तुझे लाखों दुआएँ दूँगी। आने वाली 26 तारिख को ढोलक के सामने वाला बटन दबाना’’

मुझे तो पूरा यकीन है , किन्नर जिस भी विभाग में जाते ,उसे आबाद कर देते। देश से मायूसी के बादल छंट जाते। जात -पात के नाम पर आरक्षण करके देश का सर्वनाश करने से बेहतर है ,समस्त देश किन्नरों को सौंप दो।

----------सुमन शर्मा

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