चुनौतियों के पार
आशीष कुमार त्रिवेदी
जीवन में अनेक चुनौतियां आती हैं किंतु कुछ लोग इनसे घबरा जाते हैं तो कुछ ऐसे भी होते हैं जो इनसे घबराने के बजाय इनके पार चले जाते हैं. ऐसे लोग चुनौतियों को पूरे साहस के साथ स्वीकार करते हैं। कार्तिक चंद्रशेखर एक ऐसे ही व्यक्ति हैं. कार्तिक Cerebral Palsy से ग्रसित हैं. लेकिन फिर भी दूसरों के लिए एक उदाहरण हैं.
कार्तिक का जन्म 5 जून 1985 को हुआ था. वह समय से पूर्व ही पैदा हुए थे. डॉक्टर ने इनके माता पिता से पहले ही आशंका व्यक्त की थी कि वह एक सामान्य जीवन नहीं जी सकेंगे. दूसरे बच्चों की अपेक्षा उन्हें सीखने में अधिक समय लगेगा. जब कार्तिक दो वर्ष के हो गए तब भी वह अपने शरीर को हिला भी नहीं पाते थे. बाद में जांच से पता चला कि उन्हें Cerebral Palsy (Quadriplegia) है. जिसके कारण वह चल फिर तथा सही प्रकार से बोल नहीं सकेंगे.
यह सूचना इनके माता पिता के लिए बहुत कष्टदायक थी. दोनों कार्तिक के भविष्य को लेकर चिंतित हो गए. रिश्तेदारों द्वारा की जाने वाली तरह तरह की बातें उनकी फिक्र को और बढ़ा देती थीं. दोनों निराश होने लगे.
जिन डॉक्टर ने कार्तिक की बीमारी की सूचना दी थी उन्होंने ही सुझाया कि कार्तिक को विशेष बच्चों के स्कूल में भर्ती करवा दिया जाए. शिक्षा ही कार्तिक की शारीरिक कमी को पूरा कर सकती है. डॉक्टर की बात मानकर कार्तिक को विद्यासागर स्कूल में दाखिल करा दिया गया. यहाँ कार्तिक ने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की.
प्रारंभ में कार्तिक के माता पिता को डर था कि वह स्कूल के वातावरण में स्वयं को ढाल भी पाएंगे या नहीं. उनके इस डर को दूर करने में स्कूल की प्रधानाचार्या ने बहुत सहायता की. उन्होंने कार्तिक के भीतर छिपी सीखने की प्रतिभा को बाहर लाने के लिए उनके भीतर आत्मविश्वास पैदा किया. स्कूल में जब कार्तिक ने अपने जैसे अन्य विद्यार्थियों को देखा तो उनके भीतर भी आगे बढ़ने की इच्छा जाग्रत हुई.
अपने स्कूल की प्रधानाचार्या के शब्द आज भी कार्तिक को प्रेरणा देते हैं.
"जो तुम्हारे पास नहीं है उसके लिए दुखी मत हो. जो तुम्हारे पास है उसका सदुपयोग करो."
कार्तिक ने अपनी दसवीं तक की पढ़ाई विद्यासागर से करने के बाद आगे Lady Andal School चेटपेट से आगे बारहवीं की पढ़ाई की. कार्तिक की रुचि साहित्य में थी. वह अंग्रेजी साहित्य में BA करना चाहते थे. लेकिन किसी भी कॉलेज में उन्हें प्रवेश नहीं मिल पाया. अंत में Loyola college में इन्हें दाखिला मिल गया. कॉलेज के प्रिंसिपल श्री अलबर्ट मुद्दूमलाई ने इनकी बहुत सहायता की. व्हीलचेयर से कॉलेज आने जाने के लिए सही व्यवस्था करवा दी. साथ ही साथ कॉलेज के सहपाठी भी सदैव इनकी सहायता के लिए तैयार रहते थे. इन्होंने कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में Degree ली. साथ ही साथ इन्होंने Media presentation में Ad-on course भी किया. अंग्रेजी तथा इतिहास विषय में MA किया. मेधावी कार्तिक ने M.Phil English किया जिसमें इनके शोध का विषय R K narayanan की प्रसिद्ध पुस्तक 'Swami and his friends थी.
आर के नारायणन कार्तिक के पसंदीदा लेखक हैं. 'Swami and his friends' स्वामी नाम के बच्चे के बचपन का चित्रण है. यह पुस्तक कार्तिक को बहुत पसंद है. आर के नारायणन के अतिरिक्त चेतन भगत तथा डैन ब्राउन को पढ़ना कार्तिक को बहुत अच्छा लगता है.
कार्तिक को बचपन से ही पुस्तकों से बहुत लगाव है. इनके पास विभिन्न विषयों जैसे साहित्य दर्शन आध्यात्म के अलावा बाल साहित्य तथा कई प्रतियोगिताओं से संबंधित 5000 के करीब पुस्तकों का संग्रह था. इन पुस्तकों के साथ इन्होंने घर से ही 'श्री चक्र' नाम से पुस्तकालय चलाना आरंभ किया. पढ़ने का शौक रखने वाले इनकी लाइब्रेरी से पुस्तक ले जाते थे. किंतु चेन्नई में आई बाढ़ के कारण कार्तिक को अपनी लाइब्रेरी बंद करनी पड़ी.पुस्तकालय के सही संचालन के लिए इन्होंने Madras university से Library and information science में Bachelor's degree प्राप्त की.
अपनी शारीरिक चुनौतियों के बावजूद कार्तिक ने शैक्षणिक स्तर पर इतनी उपलब्धियां प्राप्त कीं. वह शिक्षा का महत्व समझते हैं. शिक्षा के कारण ही वह समाज में अपना स्थान बना सके हैं. कार्तिक एक प्राईवेट बैंक में कार्य करते हैं. बैंक में भी इस प्रकार की सुविधाएं प्रदान की गई हैं कि इन्हें बैंक में आने जाने तथा काम करने में किसी तरह की असुविधा ना हो.
कार्तिक जहाँ भी जाते हैं लोग उनकी शैक्षणिक योग्यताओं से प्रभावित होते हैं. अपनी इस सफलता का श्रेय कार्तिक अपनी माँ को देते हैं. जीवन के सभी उतार चढ़ावों में उनकी माँ राजलक्ष्मी सदैव उनके साथ रही. अपनी माँ से मिले प्रोत्साहन के कारण ही वह आगे बढ़ सके. कार्तिक की इच्छा एक Cricket columnist बनने की है. इसके अलावा वह English में PhD करना चाहते हैं.
पढ़ने के अलावा कार्तिक को चेस तथा क्रिकेट में रुचि है. फिल्मों के वह दीवाने हैं. वह विश्वनाथन आनंद के साथ एक मैत्री मैच खेल चुके हैं. सचिन तेंदूलकर के साथ हुई भेंट को वह बहुत अच्छा अनुभव मानते हैं. जब दोनों Taj Coromandel में Dinner पर मिले थे सचिन ने इन्हें एक बैट तथा कैप उपहार स्वरूप दी. जिस समय इनकी सचिन से भेंट हुई वह बहुत परेशान थे. अपनी शैक्षणिक योग्यताओं के बावजूद इन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिल पा रही थी. उस वक्त सचिन ने इन्हें हिम्मत ना हारने की सलाह दी.
दक्षिण भारत के मशहूर अभिनेता अजित इन्हें बहुत पसंद हैं. अजित ने जिस तरह संघर्षों का सामना कर फिल्म जगत में अपनी पहचान बनाई वह उन्हें बहुत पसंद है. उनके व्यक्तित्व से कार्तिक को निडर बनने की प्रेरणा मिलती है.
कार्तिक को उनकी उपलब्धियों के लिए Rotary club chennai towers की तरफ से Young achievers award से सम्मानित किया गया है.
कार्तिक एक आशावान युवक हैं. एक मुस्कान सदैव उनके चेहरे पर खिली रहती है. यह मुस्कान उनके व्यक्तित्व के सकारात्मक पहलू को दर्शाती है. कार्तिक एक सामान्य व्यक्ति की भांति जीना पसंद करते हैं. दोस्तों के साथ बाहर घूमना उन्हें बहुत पसंद है. वह चाहते हैं कि हमारे देश में अधिक से अधिक Wheelchair friendly वातावरण बनाया जाए.
वह मानते हैं कि शारीरिक कमी को अपनी बाधा ना मानें. उस पर विजय पाने का प्रयास करें. हार कर रुके नहीं बल्कि आगे बढ़ने की कोशिश करें.