Modi Bhashan - Vijay Shankhnaad Rally Virendra Baghel द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • सनातन - 3

    ...मैं दिखने में प्रौढ़ और वेशभूषा से पंडित किस्म का आदमी हूँ...

  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

  • आखेट महल - 7

    छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक...

श्रेणी
शेयर करे

Modi Bhashan - Vijay Shankhnaad Rally

वाराणसी में विजय शंखनाद रैली

20 दिसम्बर, 2013


© COPYRIGHTS

This book is copyrighted content of the concerned author as well as MatruBharti.

MatruBharti has exclusive digital publishing rights of this book.

Any illegal copies in physical or digital format are strictly prohibited.

MatruBharti can challenge such illegal distribution / copies / usage in court.

भारत माता की जय ! भारत माता की जय !

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और इस धरती के सपूत आदरणीय

श्री राजनाथ सिंह जी, हम सबके मार्गदर्शक, हमारे वरिष्ठ नेता आदरणीय डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी, उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्रीमान लक्ष्मीकांत वाजपेयी जी, श्रीमान कलराज जी, आदरणीय श्री कल्याण सिंह जी, श्रीमान ओम प्रकाश सिंह जी, श्रीमान अमित भाई शाह, श्री रामेश्वर चौरसिया, श्री त्रिावेंद्र सिंह रावत, श्रीमान लाल जी टंडन जी, श्री केसरी नाथ त्रिापाठी जी, श्रीमान रमापति जी, श्रीमान सूर्यप्रताप जी, मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्ठ महानुभाव और काशी क्षेत्रा के कोने—कोने से आए हुए इस विशाल जनसागर को मैं नमन करता हूँ और आप सभी का अभिवादन करता हूँ !

मैं सोमनाथ की धरती से बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेने आया हूँ। भाइयो—बहनो, हमारे देश में चुनाव आने से पहले चुनाव का ऐसा माहौल बना हो, यह शायद हिंदुस्तान के लोकतांत्रिाक जीवन की पहली घटना है। राजनीतिक दल चुनाव आते समय सक्रिय हों, ज्यादा सक्रिय हों, आरोप—प्रत्यारोप हों, जनाधार बढ़ाने के प्रयास हों, ये तो होता ही है, लेकिन पहली बार हिंदुस्तान के कोने—कोने से जनता—जनार्दन दिल्ली की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उतावली हो रही है, एग्रेसिव हो रही है ! मैं देख रहा हूँ कि 2014 का चुनाव कोई दल लड़ने वाला नहीं है, 2014 के चुनाव का नेतृत्व कोई व्यक्ति करने वाला नहीं है, 2014 का चुनाव इस देश की जनता लड़ने वाली है, इस देश का हर एक मतदाता लड़ने वाला है !

भाइयो—बहनो, जब—जब हिंदुस्तान की चर्चा होगी या भूतकाल में हुई होगी, गंगा मईया की चर्चा के बिना हिंदुस्तान की चर्चा अधूरी है। औरों के लिए गंगा एक नदी हो सकती है, हमारे लिए गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, हमारी माँ है ! गंगा सिर्फ एक पानी की धारा नहीं है, ये हमारी संस्कृति की धारा है ! भाइयो—बहनो, इस गंगा की सफाई के लिए न जाने कितनी योजनाएँ बनीं, न जाने कितने बजट खर्च किए गए, न जाने कितनी कमेटियाँ बनाई गर्इं, लेकिन पता नहीं चल रहा है कि क्या गंगा के अंदर ये रुपए भी बह जा रहे हैं ? गंगा का शुद्धिकरण छोड़िए, कम—से—कम इस धन से, इन योजनाओं से, गंगा में निरंतर जो गिरावट आ रही है, उसको तो रोक पाते ! लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यूपीए सरकार ने बड़े उत्साह और उमंग के साथ गंगा शुद्धिकरण के लिए एक योजना बनाई, बहुत प्रचार किया, लोगों को भी लगने लगा कि अब कुछ होगा, भरोसा हुआ और उन लोगों को सत्ता पर भी बैठा दिया, लेकिन मेरे उत्तर प्रदेश के भाइयो—बहनो, इस गंगा मईया की पवित्रा धरती से मैं आप देशवासियों को भी कहना चाहता हूँ कि ये दिल्ली में बैठी सरकार ने पाँच साल में तीन मीटिंग करने के सिवाय कोई काम नहीं किया है ! मैं दिल्ली की सरकार से आग्रह करता हूँ, प्रधानमंत्राी जी से आग्रह करता हूँ कि जरा देश के सामने बारीकियों के साथ आप जनता को हिसाब दें, देश की जनता को जबाव दें कि गंगा शुद्धिकरण के लिए आपने क्या किया ? राजीव गांधी के ज़माने से गंगा के नाम पर वोट माँगे गए हैं, गंगा शुद्धिकरण के नाम पर देश के सामने आपने अपनी एक नई पहचान बनाने का प्रयास किया है, गंगा के नाम पर हजारों करोड़ रुपए देश की तिजोरी से निकाले गए हैं, देश की जनता हिसाब माँगती है, जबाव माँगती है कि गंगा शुद्धिकरण के लिए आपने क्या—क्या किया, कब किया, कैसे किया और देश यह भी जानना चाहता है कि किस—किस के लिए किया !

भाइयो—बहनो, मैं आप सभी लोगों, सारे देशवासियों, खासकर यूपी के भाइयों से जानना चाहता हूँ कि गंगा के नाम पर जिस प्रकार देश के नागरिकों को मूर्ख बनाया गया है, उन्हें अँधेरे में रखा गया है, उनके साथ चीटिंग हुई है, क्या ऐसे लोगों को फिर से सरकार बनाने देनी चाहिए या नहीं, जिन्होंने गंगा जैसे पवित्रा काम में भी इस प्रकार का पाप किया है ! मुझे पूरी ताकत से बताइए, जिन्होंने गंगा के साथ खिलवाड़ किया, क्या उन्हें सरकार देनी चाहिए ? जिन्हाेंने गंगा को अधिक बर्बाद किया, क्या उन्हें सरकार देनी चाहिए ? क्या ये देश उनको दे सकते हैं ? अरे जो गंगा नहीं संभाल सकते, वो देश क्या सँभाल सकेंगे ! भाइयो—बहनो, आप ये समझने की गलती मत करना कि उत्तर प्रदेश जहाँ से गंगा बह रही है उस इलाके के लोग गंगा की अशुद्धि का कारण हैं। मित्राो, गंगा के शुद्धिकरण के लिए पहले दिल्ली को शुद्ध करना पड़ेगा, लखनऊ को शुद्ध करना पड़ेगा, तब जाकर गंगा शुद्ध होगी ! इन लोगों के रहते हुए, बैठते हुए गंगा के शुद्धिकरण की कोई संभावना नहीं है !

आजकल लोग मुझसे सवाल पूछते हैं, विशेषकर वह लोग जो काँग्रेस को बचाने में लगे हुए हैं कि किसी भी हालत में काँग्रेस बची रहे, ताकि उनकी दुकान चलती रहे, ऐसे काँग्रेस के रक्षक सवाल करते हैं कि मोदी जी, ये तो बताओ, आप क्या करेंगे ? काँग्रेस ने तो तबाह कर दिया, बर्बाद कर दिया, लेकिन आप क्या करेंगे ? मैं सिर्फ कहता नहीं हूँ, करके दिखाता हूँ ! जिनके मन में यह सवाल है और जो मुझसे ऐसा पूछते हैं कि आप क्या कर सकते हैं, उन सभी से मेरी प्रार्थना है कि एक दिन निकालिए, सिर्फ एक दिन, गुजरात आइए, अहमदाबाद की धरती पर आइए, साबरमती के किनारे पर जाकर खड़े रहिए। आज से दस साल पहले साबरमती एक गंदी नाली का रूप बन गई थी, महात्मा गांधी जी के नाम के साथ जिस साबरमती नदी का नाम जुड़ा था, कि साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल, हर गली—मोहल्ले में साबरमती की बात होती थी, आजादी के आंदोलन के साथ साबरमती जुड़ी हुई थी, लेकिन वह साबरमती नदी, गंदी नाली के सिवाय कुछ नहीं बची थी ! आज जाकर देखिए, शहर के बीचों—बीच शुद्ध नर्मदा के जल से साबरमती लबालब़ भरी है और बह रही है। भाइयो—बहनो, क्या आपको भरोसा है कि अगर साबरमती शुद्ध हो सकती है तो गंगा भी शुद्ध हो सकती है ? साबरमती का कल्याण हो सकता है तो गंगा का भी कल्याण हो सकता है ? अगर साबरमती गुजरात का जीवन बदल सकती है तो क्या गंगा हिंदुस्तान का जीवन बदल सकती है ?

भाइयो—बहनो, हम खोखले वादे करने वालों में से नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के भाइयो—बहनो, मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूँ कि हम वादे नहीं इरादे लेकर आए हैं ! देश वादों से ऊब चुका है, देश ने बातें बहुत सुनी हैं, उपदेश भी बहुत सुने हैं, अब देश का धरती पर सच्चाई उतारने का इरादा है, इसलिए आज मैं कहता हूँ हम वादे नहीं इरादे लेकर आए हैं और इरादों को पूरा करने की क्षमता रखते हैं ! भाइयो—बहनो, कुछ लोग सोचते हैं कि हिंदुस्तान की राजनीति में उत्तर प्रदेश का महत्त्व इसलिए है क्योंकि उत्तर प्रदेश के बिना किसी दल की सरकार नहीं बन सकती। भाइयो—बहनो, ये सोच उत्तर प्रदेश का अपमान है ! क्या उत्तर प्रदेश का उपयोग सिर्फ सांसदों का नंबर बढ़ाने के लिए है ? क्या उत्तर प्रदेश का उपयोग सरकारें बनाने के लिए है ? भाइयो—बहनो, मेरी सोच इतनी सीमित नहीं है ! सवाल सरकार का नहीं है, अगर हिंदुस्तान को स्थिरता चाहिए तो उत्तर प्रदेश के बिना नहीं आ सकती है। अगर हिंदुस्तान का विकास करना है तो उत्तर प्रदेश का विकास किए बिना हिंदुस्तान का विकास असंभव है। अगर हिंदुस्तान से बेरोजगारी मिटानी है तो उत्तर प्रदेश की बेरोजगारी मिटाए बिना हिंदुस्तान की बेरोजगारी मिट नहीं सकती है। अगर हिंदुस्तान भूखा है और उत्तर प्रदेश के गंगा—यमुना के पट्‌ट जब तक पेट नहीं भरते, तब तक हिंदुस्तान की भूख मिट नहीं सकती ! उत्तर प्रदेश को सिर्फ सांसदों की संख्या के साथ न जोड़ा जाए। उत्तर प्रदेश भारत का भाग्य विधाता बन सकता है, समृद्ध भारत की धरोहर बन सकता है, देश को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए एक ताकतवर इंजन के रूप में उभर सकता है ! इसीलिए, भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश राजनीतिक खेल का मैदान नहीं है, हमारे लिए उत्तर प्रदेश हिंदुस्तान की भलाई के लिए सबसे बड़ी उर्वर भूमि है, ऐसी हमारी सोच है !

भाइयो—बहनो, मुझे यहाँ के नागरिकों की शक्ति पर भरोसा है। इसी उत्तर प्रदेश के लोग, आपके ही पूर्वज—पुरखों ने इसी भूमि पर रामराज्य बनाने का कार्य किया था ! अगर जनता ठीक न होती, लोग बराबर न होते, लोग सामर्थ्यवान न होते तो इस धरती पर कभी रामराज्य नहीं होता। भाइयो—बहनो, रामराज्य बनने के लिए जिस प्रकार की जनसामान्य की शक्ति चाहिए, जनसामान्य के संस्कार चाहिए, जनसामान्य की परंपरा चाहिए, ये सब कुछ उत्तर प्रदेश के जन—जन में है। आप उस विरासत के धनी हैं फिर भी मुसीबत क्यों है ? मुसीबत इसलिए है क्योंकि आपने सही सरकारें नहीं चुनीं, आपको सही नेता नहीं मिले, जिस दिन आप सही सरकार चुनेंगे, आप सही नेता चुनेंगे, तो जनता की ये शक्ति राष्ट्र को ऊपर ले जाने का बहुत बड़ा कारण बन सकती है और मुझे इस बात का पूरा भरोसा है !

भाइयो—बहनो, लालबहादुर शास्त्राी के नेतृत्व में इस देश के किसान ने ठान लिया था, जब लालबहादुर शास्त्राी जी ने मंत्रा दिया था‘जय जवान, जय किसान', तो इसी देश के किसान ने हिंदुस्तान के अन्न के भंडार भर दिए थे। यही धरती, यही किसान, यही परंपरा, लेकिन सही नेतृत्व के आह्‌वान में इन्हीं किसानों ने हिंदुस्तान के भंडार भर दिए थे। मित्राो, अकेला उत्तर प्रदेश पूरे यूरोप का पेट भर सकता है, इतनी ताकत है इसमें ! लेकिन सरकारें ऐसी बनी हैं, देश ऐसे चल रहा है कि आज यूरोप का पेट भरने का सामर्थ्य रखने वाला किसान, दुर्भाग्य से खुद का ही पेट नहीं भर पा रहा है, इससे बड़ी दुःखद बात क्या हो सकती है ! जब किसान धान की पैदावार करता है, खेती करता है, दिन—रात मेहनत करता है तो उसके मन में भाव होता है कि इस मेहनत से पका हुआ धान किसी गरीब के पेट में जाएगा, किसी गरीब की जिंदगी को बदलेगा, उसके आशीर्वाद मिलेंगे। सिर्फ पैसों की बात नहीं, उसके दिल में रहता है कि इंसान ही नहीं कोई पशु—पक्षी भी भूखा न रहे और इसीलिए किसान पसीना बहाता है, मेहनत करता है। लेकिन भाइयो—बहनो, इतनी मेहनत करके धान की खेती करने वाला किसान जब टीवी पर देखता है, अखबार में पढ़ता है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर पका—पकाया धान पानी में भीग रहा है, सड़ रहा है तो सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं होता बल्कि किसान के दिल को चोट पहुँचती है। भाइयो—बहनो, किसान जब धान पैदा करता है तो उसको संतोष सिर्फ जेब भरने से नहीं मिलता। उसकी जेब में कितने रुपए आएँगे, इससे भी किसान को संतोष नहीं होता है, उसको संतोष तब मिलता है जब उसे पता चलता है कि उसकी मेहनत से पैदा धान किसी गरीब के काम आया ! किसान के मन की ये भावना, ये किसान के दिल की बात दिल्ली में बैठी सरकार समझ नहीं पाती है, कागज पर हिसाब—किताब करने वाले लोग किसान के मन की भावना समझ नहीं पा रहे और इसी कारण, धान के भंडार पानी में भीग रहे हैं, सड़ रहे हैं। भारत की सुप्रीम कोर्ट हुकुम करती है कि ये धान गरीबों में बाँट दिया जाए। दिल्ली की सरकार धान को सड़ने देती है लेकिन गरीबों को बाँटने से इनकार कर देती है, सुप्रीम कोर्ट के कहने के बाद भी इनकार कर देती है और बाद में मेहनत से पैदा किए जाने वाले धान को 80 पैसे की दर से शराब बनाने वालों को बेच देती है ! क्या मेरे देश के किसान को ऐसे काम से पीड़ा होती होगी या नहीं, उसके दिल को चोट पहुँचती होगी या नहीं ? मैं हैरान हूँ कि क्या किसी देश के शासक ऐसे हो सकते हैं जो किसानों की मेहनत को शराब बनाने के लिए बेच दें ! ये किसानों का अपमान है, धरती पुत्राों का अपमान है और साथ—ही—साथ हमारे देश के गरीबों का मज़ाक है !

भाइयो—बहनो, चुनाव आते हैं तो ये लोग माला जपने लग जाते हैं। कुछ विद्यार्थी होते हैं जो एक्जाम आने पर चार बार भगवान को याद करते हैं, पूजा—पाठ करते हैं कि आज पेपर है तो भगवान का आशीर्वाद मिल जाए। एक्जामिनेशन हॉल में बैठते हैं तो वहाँ भी दस बार भगवान का स्मरण करते हैं और उसके बाद पेपर देखते हैं। इसी तरह, काँग्रेस पार्टी भी चुनाव आने पर माला फेरने लग जाती हैगरीब, गरीब, गरीब, गरीब और मन में सोचती है कि एक बार इन लोगों का आशीर्वाद मिल जाए तो नैय्या पार हो जाएगी ! भाइयो—बहनो, अगर इनके दिल में गरीबों के प्रति थोड़ा—सा भी प्रेम या आदर होता, सीने में थोड़ा दर्द होता, तो आजादी के इतने सालों बाद, एक ही परिवार के पास 45 साल सरकार रहने के बाद गरीबों की ये हालत न होती। अगर गरीबी के लिए कोई एक दोषी है तो सिर्फ यह एक परिवार दोषी है। एक परिवार ने देश के गरीबों को तबाह करके रखा हुआ है और ये उनकी मानसिकता में झलकता है !

भाइयो—बहनो, गरीबी क्या होती है ये देखने के लिए हमें कहीं जाना नहीं पड़ता है क्योंकि हमने बचपन गरीबी में बिताया है। मैं तो यह देखकर हैरान हूँ कि गरीबों के प्रति इनके दिल में कितनी नफरत है ! यूपीए के एक नेता कहते हैं, मैं तो चाय बेचने वाला हूँ! आप लोग ही बताइए, क्या चाय बेचकर, मेहनत करके गुजारा करना गुनाह है? पाप है ? क्या ईमानदारी से मेहनत करके खड़े होना कलंक है ? मुझे हैरानी होती है कि गरीबों की बात करने वाले ये लोग खुलेआम कह रहे हैं कि क्या चाय बेचने वाला प्रधानमंत्राी बन सकता है? अगर देश की जनता आशीर्वाद दे तो खेत में काम करने वाला मजदूर भी प्रधानमंत्राी बन सकता है, फुटपाथ पर बैठकर जूतों की पॉलिश करने वाला भी प्रधानमंत्राी बन सकता है। लेकिन मैं आपको अपने संस्कारों के आधार पर कहना चाहता हूँ कि हमें चाय बेचना मंजूर है, देश बेचना मंजूर नहीं है! वह लोग गरीबों का इस प्रकार मज़ाक उड़ाते हैं, और तो और उनके एक नेता बोलते हैं कि गरीबी कुछ नहीं होती, ये तो सिर्फ स्टेट ऑफ माइंड होता है, एक मन की अवस्था होती है! शाम को जब घर में चूल्हा न जले, बच्चे रात—रात—भर रोते रहें, तब पता चलता है कि गरीबी क्या होती है! उन्हें क्या मालूम गरीबी क्या होती है। छोटे—छोटे बच्चे माँ—बाप का पेट भरने के लिए मेहनत करते हैं, लेकिन ये गरीबों का मज़ाक उड़ा रहे हैं!

भाइयो—बहनो, ये जो अहंकार है और जो लोग गरीबों को अपनी जेब में मानते हैं, ऐसे लोगों से गरीबों का भला नहीं हो सकता है। इसलिए, मैं गरीबों से कहना चाहता हूँ कि जिन लोगों ने आज तक आपका शोषण किया है उन्हें उखाड़ फेंकने का काम सबसे पहले करना होगा ! अभी हमारे राजनाथ सिंह जी ने बड़ी पीड़ा व्यक्त की थी कि काँग्रेस के नेता ने कहा कि भाजपा वाले चोर हैं ! ये लोग पता नहीं क्या—क्या बोलते हैं, अगर इन लोगों के द्वारा बोले गए सभी शब्दों को एक जगह इकट्‌ठा करके कहीं छाप दिया जाए तो हम हैरान हो जाएँगे कि इन लोगों के ऐसे संस्कार हैं, इनकी ऐसी भाषा है ? काँग्रेस के नेताओं को मैं कहना चाहता हूँ कि आप लोग कहते हैं हम चोर हैं, आपका आरोप हमें मंजूर है। हाँ, हम चोर हैं, हाँ, हमने चोरी की है, हमने काँग्रेस की नींद चुराई है, हमने काँग्रेस का चैन चुरा लिया है ! अब हम लोग आजादी के बाद से देश को लूटने वाली काँग्रेस को चैन से बैठने नहीं देंगे, ऐसा फैसला करके हम मैदान में आए हैं !

भाइयो—बहनो, मैं यहाँ उपस्थित सभी बड़ी आयु के लोगों से पूछना चाहता हूँ कि आप जिन मुसीबतों से गुजारा करते रहे हैं, क्या आप अपने बच्चों को ऐसा हिंदुस्तान देना चाहते हैं ? क्या आप अपने बच्चों को गरीबी में जीने के लिए मजबूर करना चाहते हैं ? क्या आप अपने बच्चों को बेरोजगार रहने के लिए मजबूर करना चाहते हैं ? क्या आप अपने बच्चों को गाँव का घर छोड़कर शहरों की झुग्गी—झोंपड़ियों में रहने के लिए मजबूर करना चाहते हैं ? नहीं !

भाइयो—बहनो, यहाँ से दो दिन पहले मुझे किसी मुस्लिम सज्ज़न ने चिट्‌ठी भेजी है, उसमें उन्होंने लिखा है कि मोदी जी, आप बनारस आ रहे हैं, उसमें हमारी एक मुश्किल का जिक्र कर दीजिए कि हम लोग एक मुस्लिम बस्ती में रहते हैं, वहाँ छोटे—मोटे पावरलूम के साड़ी के कारखाने लगे हुए हैं जो रात—रात—भर चलते हैं, नींद नहीं आती है और परेशान हो जाते हैं, उसका कोई रास्ता निकालिए। उस व्यक्ति ने अपनी वेदना प्रकट की है ! मित्राो, बनारस की साड़ी सिर्फ महिलाओं की इज्ज़त नहीं बचाती बल्कि हिंदुस्तान की आर्थिक लाज बचाने की ताकत भी रखती है ! इतना बड़ा उद्योग, लाखों लोगों को रोजगार देने वाला उद्योग बर्बाद करके रख दिया गया। जिस मित्रा ने चिठ्‌ठी लिखकर यह परेशानी बताई है उन्हें मैं बताना चाहता हूँ कि इसका उपाय है। देखिए, हमारे सूरत और काशी का नाता बहुत जुड़ा हुआ है। एक कहावत है कि ‘काशी का मरण और सूरत का जमण', यानी काशी में मरना और सूरत के भोजन का अलग महत्त्व होता है। सूरत में भी पावरलूम का बहुत बड़ा काम है और काशी में भी पावरलूम का काम है। एक ज़माना था कि सूरत में आप सुबह जल्दी या शाम को निकलें तो पावरलूम की आवाज बहुत होती थी, आपके स्कूटर से भी ज्यादा तेज आवाज पावरलूम की सुनाई देती थी। लेकिन भाइयो—बहनो, दस साल के भीतर—भीतर हमने एक अभियान चलाया, सरकार और बैंकों की तरफ से आर्थिक मदद की व्यवस्था की और पूरे पावरलूम सेक्टर को टेक्नोलॉजिकली अपग्रेड किया, शहर के बाहर बहुत बड़े—बड़े इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स खड़े किए। भाइयो—बहनो, मार्केट में बिल्कुल आवाज न करने वाली मशीनें आ चुकी हैं जिसके लिए सरकार ने मदद की और बैंकों से सहायता दिलाई, आज टेक्नोलॉजी अपग्रेडशन के कारण कपड़े की क्वालिटी, क्वांटिटी और शांति का जीवन हम सूरत में मुहैया करवा पाए हैं और यह काम बनारस में भी हो सकता है। जो लोग मुझसे पूछते हैं कि मोदी, विजन क्या है ? ये है हक़ीकत, जाइए और देखकर आइए !

भाइयो—बहनो, अगर नेक इरादा होता और बनारस के साड़ियों के उद्योग को अपग्रेड किया गया होता, आधुनिक रूप से उसका महत्त्व बढ़ाया गया होता तो आज हिंदुस्तान में अकेले बनारस की साड़ी के उद्योग में लाखों नौजवानों को रोजगार मिलता, उनको कहीं बाहर जाने की नौबत नहीं आती ! लेकिन भारत सरकार की नीतियाँ ऐसी हैं कि वो चाइना से यान इम्पोर्ट कर लेते हैं लेकिन बनारस में साड़ी बनाने वाले की आजीविका की उन्हें परवाह नहीं होती है और ऐसी नीतियों के कारण ऐसी मुसीबत आती है !

भाइयो—बहनो, इस पूर्वांचल का कोई गाँव ऐसा नहीं होगा जिसका कोई—न—कोई नौजवान मेरे गुजरात में न रहता हो। आप ही बताइए, अपना गाँव छोड़कर, अपने बूढ़े मां—बाप छोड़कर उसको गुजरात जाने की नौबत क्यूँ आई ? अगर उत्तर प्रदेश का विकास हुआ होता, तो उसे अपना घर न छोड़ना पड़ता, अपना गाँव न छोड़ना पड़ता, खेत—खलिहान न छोड़ने पड़ते, यार—दोस्त न छोड़ने पड़ते, बूढ़े माँ—बाप न छोड़ने पड़ते ! भाइयो—बहनो, आज बेरोजगारी के कारण देश के नौजवानों को अपने जीवन में अंधकार— सा महसूस हो रहा है। वो परेशान हैं, जाएँ तो जाएँ कहाँ, किसका हाथ पकड़ें, कौन उन्हें बचाए ! मित्राो, आप लोग ही बताइए, जब भी किसी सरकारी नौकरी का विज्ञापन आता है तो सबसे पहले दिमाग में आता है कि किसी की सिफारिश की जरूरत पड़ेगी, ऐसा आपको लगता है ना ? नौकरी के लिए आप सबसे पहले सिफारिश खोजते हैं या नहीं ? क्या आपको लगता है कि बिना सिफारिश के नौकरी मिलने की कोई गारंटी है ? क्या बिना खर्चा किए नौकरी मिलने की गारंटी है ? क्या ये बेईमानी का धंधा चल रहा है कि नहीं ? क्या इसका कोई उपाय हो सकता है कि नहीं ? मेरे पास उपाय है। काँग्रेस के जो रक्षक मुझसे मेरा विजन पूछते हैं मैं उन्हें बताना चाहता हूँ कि मेरा विजन क्या है !

मित्राो, एक बार हमें गुजरात में 13,000 टीचरों को रिक्रूट करना था। अब टीचर्स के रिक्रूटमेंट में एक—दो लाख एप्लीकेशन आना सामान्य बात है, इसलिए हमने विज्ञापन दिया और सभी का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन करवा दिया। बाद में कंप्यूटर से टॉप 13,000 लोगों को सेलेक्ट कर लिया, जिनके मार्क्स सबसे ज्यादा थे। हमने उन लोगों का कोई इंटरव्यू नहीं लिया, बुलाया नहीं और सीधे ऑर्डर देकर रिक्रूट कर लिया ! गरीब विधवा माँ के घर बेटे का ऑर्डर आ गया कि नौकरी लग गई ! सिफारिश इंटरव्यू में होती है, अगर मेरिट के आधार पर निर्णय हो और इंटरव्यू का झमेला खत्म कर दिया जाए तो ये भ्रष्टाचार, ये सिफारिश का सारा खेल बंद हो जाएगा और जो नौकरी का वास्तविक हकदार होगा उसे नौकरी मिल जाएगी ! मैंने गुजरात में पॉयलट प्रोजेक्ट करके देखा है और हमें इसमें सफलता मिली है, किसी ने उस पर उँगली नहीं उठाई, सभी कहते हैं कि हाँ ये सही रास्ता है। मैं मानता हूँ कि कोई नौजवान कितना भी पढ़ा—लिखा हो, सर्टिफिकेट के भरोसे वह जी नहीं सकता और इसलिए वह सिफारिश खोजता रहता है !

भाइयो—बहनो, मेरे नौजवानों को डिग्निटी चाहिए, उनको हाथ फैलाकर जिंदगी जीने से मुक्ति चाहिए। मेरे देश का नौजवान हिंदुस्तान का भाग्य बदल सकता है, देश की सरकार को नौजवान में भरोसा चाहिए और इसी भरोसे को लेकर हम आए हैं। मैं देश के नौजवानों से कहना चाहता हूँ कि आज भी देश में अवसरों की कमी नहीं है, आज भी देश में मैन पॉवर की आवश्यकता है। कृषि का क्षेत्रा हो, सेवा का क्षेत्रा हो, मैनुफैक्चरिंग का क्षेत्रा हो, देश के नौजवानों की ताकत से आर्थिक महासत्ता बनने का सामर्थ्य ये देश रखता है। नौजवानों, इसलिए मैं आपके भविष्य की गारंटी लेकर आया हूँ ! अगर हिंदुस्तान के नौजवान के भविष्य की कोई गारंटी नहीं, तो हिंदुस्तान के भविष्य की भी कोई गारंटी नहीं है। भारत का भाग्य भारत के नौजवान के हाथ में है। आज नौजवान को अवसर चाहिए और भारतीय जनता पार्टी नौजवानों को अवसर देने का संकल्प लेकर आई है ।

भाइयो—बहनो, लोग काँग्रेस की सरकार को हटाने में लगे हैं और भाजपा की सरकार को दुबारा बिठाने में लगे हुए हैं, ये इस बात का सबूत है कि हम जनता की कसौटी पर खरे उतरे हैं। मित्राो, मैं उत्तर प्रदेश के भिन्न—भिन्न क्षेत्राों में जा रहा हूँ, हर जगह के जनसैलाब को देखकर मैं विश्वास से कहता हूँ कि देश की जनता दिल्ली की सरकार उखाड़ फेंकने के लिए बहुत उतावली है। देश की जनता अब एक पल के लिए भी दिल्ली की सरकार को सहने के लिए तैयार नहीं है। भाइयो—बहनो, भारत का भाग्य बदलने के लिए काँग्रेस मुक्त भारत का निर्माण करना होगा ! काँग्रेस मुक्त भारत का निर्माण ही गरीबी मुक्त भारत की गारंटी है, काँग्रेस मुक्त भारत का निर्माण ही बेरोजगारी मुक्त भारत के निर्माण की गारंटी है। गरीबी से मुक्ति के लिए, बेरोजगारी से मुक्ति के लिए, भुखमरी से मुक्ति के लिए, भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए काँग्रेस की मुट्‌ठी से भारत को मुक्त कराना होगा, इसी सपने को लेकर आगे बढ़ना होगा, इन सारी शुभकामनाओं के साथ आप सभी का बहुत—बहुत आभारी हूँ !

दोनों हाथों की मुट्‌ठी बंद करके मेरे साथ बोलिए, पूरी ताकत से बोलिए कि आवाज दिल्ली तक पहुँच जाए

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

वंदे मातरम्‌ !

वंदे मातरम्‌ !

वंदे मातरम्‌ !