नारी शक्ति' का जीवांत उदाहरण
आशीष कुमार त्रिवेदी
नारी को शक्ति का रूप माना जाता है. उसके भीतर वह शक्तियां निहित हैं जो एक आदर्श परिवार एवं समाज का निर्माण कर सकती हैं. वर्तमान समय में नारी का कार्यक्षेत्र केवल घर तक ही सीमित नही है बल्कि आज वह समाज के निर्माण में भी उतनी ही सक्रिय है. उसका व्यक्तित्व अब बहु आयामी है. वह समाज के विभिन्न क्षेत्रों में स्वयं को साबित कर रही है.
आधुनिक नारी के इसी बहु आयामी व्यक्तित्व का आदर्श रूप हैं श्रीमती सुमित्रा प्रसाद. सुमित्रा एक आदर्श गृहणी होने के साथ साथ एक जानी मानी समाजिक कार्यकर्ता, प्रेरक वक्ता, अच्छी परामर्शदाता तथा मीडिया कार्यकर्ता हैं. सुमित्रा ने इन सभी क्षेत्रों में सफलता के झंडे गाड़े हैं.
सुमित्रा एक बेहतरीन सामाजिक कार्यकर्ता हैं. इसका कारण उनका सकारात्मक दृष्टिकोंण है. यह उनके लिए कोई व्यवसाय नहीं है. बल्कि सामाजिक सुधार के कार्य उनके लिए वह ज़रिया है जिसके द्वारा वह लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाकर उनके जीवन को सही दिशा दे सकती हैं. उनका मानना है कि समाज के लिए कुछ करने की चाह दिल से निकलती है. इसे किसी रोज़गार की तरह नही देखा जाना चाहिए. जब कोई अपने हृदय की पुकार पर समाज के लिए कुछ करता है तो उसे अपार संतुष्टि मिलती है.
सुमित्रा बचपन से ही कामगार समाज तथा मध्यमवर्गीय समाज की समस्या से परिचित थीं. कॉलेज में उन्होंने Psychology तथा Sociology जैसे विषय अध्यन के लिए चुने जिन्होंने मानव समाज को समझने में उनकी मदद की. इसके साथ ही वह NSS की सक्रिय सदस्य रहीं. जिसने उन्हें हमारे समाज की एक विस्तृत झांकी देखने में मदद की और समाज विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया. अतः आज सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनका कार्यक्षेत्र बहुत वृहद है. जहाँ एक ओर वह शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के सुगम आवागमन हेतु कार्यरत हैं वहीं दूसरी तरफ वह समाज के उपेक्षित वर्ग के अधिकारों हेतु लड़ रही है. वह युवा वर्ग का मार्गदर्शन कर उन्हें समाज के निर्माण के लिए प्रेरित करती हैं. मानसिक रूप से मंद बच्चों के शिक्षण तथा उनके तथा उनके परिवार के उचित परामर्श की व्यवस्था करती हैं. आदिवासी तथा जनजाती क्षेत्रों में वह Camps का आयोजन करती हैं जिनके तहत वह उनके उत्थान का काम करती हैं. देह व्यापार में संलग्न लोगों के बीच जाकर वह उन्हें HIV AIDS के विषय में जानकारी देने के साथ ही उनके बच्चों की शिक्षा के लिए भी काम करती हैं. इस प्रकार सुमित्रा समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुँच कर उनके जीवन में एक सुखद बदलाव ला रही हैं. इस काम के लिए वह विभिन्न संस्थाओं से भी जुड़ी हैं. जिनमें प्रमुख हैं
Arunim ( New Delhi) Aruwe, ( Chennai) Banyan ( Chennai)
Believe India ( Delhi) CSIM Centre for Social Initiative and ManagementHelen Keller Institute for the Deaf, DeafBlind ( Mumbai) आदि.
सुमित्रा DORAI Foundation (Development Opportunities Resources Access Insight) की General Secretary हैं. यह संस्था The Charity Commissioner के तहत Registered है तथा समाज के विभिन्न वर्गों के उत्थान का कार्य करती है.
अब तक वह कई विषयों पर अपने शोध पत्र जमा कर चुकी हैं. जिनमें विभिन्न विषयों का समावेश है.
सुमित्रा विभिन्न विषयों पर 114 से अधिक Documentaries की पटकथा लिखने एवं निर्देशन का काम कर चुकी हैं.
अपने समस्त कार्यों के पीछे वह जिस व्यक्ति को प्रेरणा के रूप में देखती हैं वह है उनका पुत्र श्रीनिवास. श्रीनिवास Aspergers Syndrome जो कि Autism का एक रूप है से ग्रसित है. श्रीनिवास के एक विचार को मूर्त रूप देने में सुमित्रा जी ने अपना पूरा सहयोग दिया. जिसके फलस्वरूप जन्म हुआ एक अनोखी पहल का जिसका नाम है 'साई बेकरी'.
यह एक अनूठा प्रयास है जहाँ स्वाद के साथ साथ खुशियां भी पकती हैं. इस बेकरी का संचालन 20 से 30 वर्ष के ऐसे युवाओं द्वारा किया जाता है जो किसी भी प्रकार की Developmental Disabilities जैसे Cerebral Palsy, Mental Retardation, Autism आदि से ग्रसित हैं. यह बेकरी इन सभी युवाओं को उनके भीतर छिपी हुई प्रतिभा को उजागर करने का अवसर देती है. यहाँ वह आपस में घुलते मिलते हैं जिसके कारण वह समाज के साथ संवाद स्थापित करना भी सीखते हैं. इन सबके ऊपर यहाँ काम करते हुए उन्हें इस बात का एहसास होता है कि वह भी समाज के उपयोगी अंग हैं. यह एहसास उनके आत्मविश्वास को बढ़ा देता है. इस Bakery मे 25 से भी अधिक प्रकार की अंडे तथा मक्खन रहित Whole Wheat Multi grain Cookies का उत्पादन किया जाता है.
साईं Bakery को DORAI Foundation (Development opportunities Resources Access Insight) का सहयोग प्राप्त है. साई में सभी को उनकी योग्यता के हिसाब से काम दिया जाता है. श्रीमती सुमित्रा तथा उनके पुत्र श्रीनिवास का यह प्रयास उन विशेष बच्तों जिन्हें Developmental Disabilities हैं तधा उनके माता पिता के लिए उम्मीद लेकर आया है.
साईं बेकरी इन सभी लोगों को आत्मसम्मान पूर्वक जीने का मौका प्रदान करती है. उन्हें इस बात का अहसास कराती है कि वह भी समाज का कार्यशील अंग हैं. काम के साथ साथ यहाँ उन सभी लोगों को अनेक प्रकार के हुनर भी सिखाए जाते हैं.
अपनी सफलता का श्रेय वह अपने पति श्री राजेंद्र प्रसाद को देती हैं. उनका सहयोग एवं प्रोत्साहन उन्हें एक अनोखी ऊर्जा से भर देता है. उनकी पुत्री सौजन्या का उन पर विश्वास कि वह हर चुनौती का सामना कर सकती हैं उन्हें हर परिस्थिति के लिए तैयार रखता है.
अपनी समस्त व्यस्तताओं के बावजूद सुमित्रा अपने लिए वक्त निकाल लेती हैं. उन्हें पढ़ने, लिखने, चित्रकारी, बागबानी तथा भ्रमण का शौक है. वह मानती हैं कि हम सभी में अपार शक्ति है. अवश्यक्ता उसे पहचान कर बाहर लाने की है. स्त्रियों के लिए उनका संदेश है कि "स्वयं के अस्तित्व की पहचान बनाएं. प्रकृति ने आपको सृजन की शक्ति दी है. स्वयं को कम ना समझें. आप भी समाज का अहम् हिस्सा हैं. अतः समाज निर्माण में अपनी भागीदारी दिखाएं."
सुमित्रा प्रसाद को मिले सम्मानों की सूची
'Best Social Entrepreneur Award' - Chennai ( 2016 )
'Social Service Award for Welfare of Persons with Special Needs' - Chennai ( 2016 )
'International Award for Humanitarian Service' - Relentless Service during Natural Disasters - New Delhi (2015)
'Ambassador Evangelist _ Apeejay Karmayuga ( 2014-15 )
'Parenting Excellence Award' - More than Parents, Chennai (2014)
'Best Human Rights Activist' - Advocating for Rights of Persons with Special Needs - Mumbai (2014)
'Mother Teresa Award' – Best Social Service State Award - Chennai (2014)
'Wave -Wellness Army Volunteering Excellence Award for Significant Service in Mental Health' - Chennai ( 2013)
'Golden Candle Award' - upholding the spirit of dauntless and selfless spirit in social service - New Delhi (2012)
'Role Model’ - for life skill counseling in the Urban Mental Health Program by Banyan & Dept of Social Work – Loyola College_ Chennai, (2011).
‘Sewa Jyothi - Award of Honor’ for the extensive community work done in Punjab (2010),
‘Karmaveer Puraskar’ – Lifelong fight for social justice – New Delhi (2010);
‘Sadguru Gnananda Award’ for promotion of social service consciousness - Chennai (2009),
‘Selfless service Honor’ for rehabilitation of Tsunami affected in Tamilnadu _ Bhartiya Vidya Bhavan – Mumbai (2005)