एक कातिल और श्रापित तो दूसरी कुदरत के तोहफे से नवाज़ी गई! लेकिन असल श्रापित कौन?....वो जिसे श्राप मिला या फिर वो जिसे कुदरत ने तोहफा दिया? बदनामी में एक गुमनाम ज़िंदगी और मासूमियत में एक बागी। कैसी होगी इनकी जोड़ी जानते हैं इन्हीं की ज़ुबानी।

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आई कैन सी यू - 1

एक कातिल और श्रापित तो दूसरी कुदरत के तोहफे से नवाज़ी गई! लेकिन असल श्रापित कौन?....वो जिसे श्राप मिला फिर वो जिसे कुदरत ने तोहफा दिया?बदनामी में एक गुमनाम ज़िंदगी और मासूमियत में एक बागी।कैसी होगी इनकी जोड़ी जानते हैं इन्हीं की ज़ुबानी।मैं लूसी.....कभी कभी किसी की तुक्के में कही गई बात सच हो जाती है। जब मैं छोटी थी तब मेरे घर पर एक भीख मांगने वाली बूढ़ी औरत आई थी मैं उन्हे भीख देंगे दौड़ी क्यों के मैं और मेरा भाई खेल छोड़ कर भीख देने जाने के लिए तैयार नहीं थे इस लिए मेरी मां ने ...और पढ़े

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आई कैन सी यू - 2

मुझे लगता है आज तक मैं ने जितने भूतों को देखा है वे डरवाने नही है या फिर उन्हें की मुझे आदत हो गई है। हां हो सकता है किसी डरवाने भूत से मेरा सामना ही नही हुआ हो। ऐसा नहीं है की मुझे कभी भूतों से या अनदेखे साए से डर नहीं लगता था। मुझे बहुत डर लगता था जब तक मैं आठ साल की थी। मैं इतना डरती थी के रातों को मम्मी का कपड़ा मुट्ठी में कस कर पकड़ कर सोती थी। मुझे रात से डर लगता था। हर वक्त ऐसा लगता था के कोई मुझे ...और पढ़े

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आई कैन सी यू - 3

मैंने इस दौरान भूतों के बारे में बहुत कुछ समझा जैसे के उनमें दिमाग कम होता है और हर इंसान के पीछे नहीं पड़ा रहता उनकी भी एक लाइफ होती है। हां उन्हे इंसानों और जानवरों को परेशान करने में मज़ा आता है। यानी वो इसी तरह मस्ती करते हैं। जब हम उनसे डरते हैं तो वे खुश हो जाते हैं और अधिक डराने की कोशिश करने लगते है।कॉलेज शहर से अलग हो कर एकांत में था जहां से कुछ फासले पर शहर आता है। कॉलेज के पास ही मेरा लॉज था इस लिए वहां पैदल ही जा सकते ...और पढ़े

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आई कैन सी यू - 4

मेरा पहला दिन तब तक ही बहुत अच्छा था जब तक मैं ने उस सफेद साड़ी वाली भूतनी को देखा था। मैं तेज़ी से चल कर जा रही थी और यही सोच रही थी के हर जगह मुझे भूत क्यों मिल जाते हैं? मेरा मन झुंझला गया था। मैं ये भी समझने की कोशिश कर रही थी के वो हसीन नौजवान कौन था? क्या वो भूतनी उसकी खूबसूरती के वजह से उसके पिछे पड़ गई होगी?मेरे मन में कई सवाल उठने लगे थे। मैं ने दादी से सुना था के कभी कभी किसी खूबसूरत लड़का या लड़की के पीछे ...और पढ़े

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आई कैन सी यू - 5

डायरेक्टर सर के जाने के बाद मुझे एक और धक्का सा लगा जब मैं ने उसी औरत को आते इस समय वह औरत उनके दस कदम दूरी पर चल रही थी। उसे तो वर्षा देख नहीं सकती थी इस लिए वो डायरेक्टर सर के चले जाने के बाद चैन की सांस ले रही थी। लेकिन मैं सफेद साड़ी वाली औरत को देख सकती थी। उसी तरह नज़रे तीर की तरह डायरेक्टर सर पर गड़ाए हुए चल रही थी। जब वो मेरे करीब से गुजरी तो मुझे उसके गुजरने का आभास नहीं हुआ। मैं ऐसा जाता रही थी के मैं ...और पढ़े

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आई कैन सी यू - 6

अभी ग्यारह ही बजे थे। पूरे कॉलेज में छात्रों की चहल पहल थी। मौसम में थोड़ी सी गर्मी थी ठंडी हवाएं चलने से न ज़्यादा गर्मी का एहसास था ना ठंडी का। हमारा पहला लेक्चर खत्म हुआ और मैं जल्दी से उठकर क्लास से बाहर जाने लगी। मुझे जाते देख रूमी ने आवाज़ दी :" अरे अब तुम कहां चली ?मैंने जाते हुए मुड़कर उसे जवाब दिया :" तुम कुछ देर मेरा यहां इंतजार करो मैं बस थोड़ी देर में आती हूं! अगर सेकेंड लैक्चर के लिए सर आ जाए क्लास में तो मुझे कॉल कर देना मैं आ ...और पढ़े

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आई कैन सी यू - 7

मैं गुस्से में उस सफेद साड़ी वाली औरत को देख रही थी लेकिन डायरेक्टर सर को ऐसा लग रहा कि मैं उन्हें घूर रही हूं। वह हैरान थे और हैरानी से वह बस मुझे घूर रहे थे लेकिन उनसे ज़्यादा हैरान वह चुड़ैल थी जिससे नज़रे मिलाकर मैं खड़ी थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं उसी से बात कर रही हूं। उसने अचंभित हो कर कहा :" क्या तुम मुझे देख सकती हो?मुझे उस पर बेहद गुस्सा आ रहा था। जितना गुस्सा मुझे उस पर आ रहा था उससे ज़्यादा गुस्सा डायरेक्टर सर को मुझ पर ...और पढ़े

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आई कैन सी यू - 8

शाम की हल्की परछाई पढ़ने लगी थी। दुर दुर खेतों में ओस जैसी धुंध छाई हुई थी। अभी पूरी अंधेरा नहीं हुआ था। मैं अपने बिस्तर पर सर पकड़ कर लेटी हुई थी। मेरे सर में तेज़ दर्द था। वर्षा अपने घर के लोगों से फोन पर बातें करने में व्यस्त थी। वो अपनी बहन के साथ यही बातें कर रही थी के आज हमारे साथ कॉलेज में क्या हुआ। वह सब बताते हुए उसे तो बड़ी हंसी आ रही थी लेकिन मेरा मन बहुत बेचैन सा था। मन में एक खाली पन उतर रहा था जिसे मैं शब्दों ...और पढ़े

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आई कैन सी यू - 9

रात के दो बजे सफेद साड़ी वाली भूतनी से मेरा सामना हो तो गया लेकिन उसने मेरे दिमाग में के लिए एक और सवाल छोड़ दिया। वो तो चली गई लेकिन मैं वोही कमरे में टहलते हुए ये सोचने लगी के उसने ऐसा क्यों कहा के वो भूत नहीं है। कहीं वह मेरे जैसी तो नहीं?.... नही नही!... वो मेरे जैसी कैसे हो सकती है। वो तो गायब हो सकती है। किसी के अंदर घुस सकती है। मैं ये सब तो नहीं कर सकती। उसकी सारी क्वॉलिटी तो भूत वाली ही है फिर उसने ये क्यों कहा के वो ...और पढ़े

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आई कैन सी यू - 10

रोवन सर से मेरी नज़रे टकरा गई और मैं हक्का बक्का सी सिर्फ पलकों को बार बार झपकाते हुए की तरह उन्हें तकने लगी। कुछ देर तक हमारी नज़रे आपस में मामले का जायज़ा लेने लगी थी। शायद वो यहां से गुज़रे होंगे और उनकी भूतनी उनके पीछे पीछे जा रही होगी तभी उसने मुझे टोका होगा।कुछ देर मुझे हैरत से देखने के बाद वो वापस जाने लगे। जाते हुए उन्होंने एक दो बार मुझे मुड़ मुड़ कर देखा और फिर आंखों में कई सवाल लेकर चले गए शायद उनके मन में यही चल रहा होगा के मेरी दिमागी ...और पढ़े

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आई कैन सी यू - 11

अब सिर्फ बंद कमरे में लूसी चाकू लिए दहशत गर्द बन कर खड़ी थी। कुछ देर तक वो गुस्से फुफकार भरती रही फिर धीरे धीरे उसका गुस्सा कम हुआ। अब उसने फिर से दरवाज़ा पिटना शुरु किया लेकिन अब तो कॉलेज में सन्नाटा छाया हुआ था। तीसरे मंजिल के एक कोने में एक छोटे से कमरे में बंद लूसी के चिल्लाने का कोई फायदा नही हुआ। वो समझ गई के यहां अब कोई नही है। अंधेरा छा चुका था। कमरे में जो वेंडिलेटर से हल्की रौशनी आ रही थी अब वो भी खत्म हो गई थी और कमरा बिलकुल ...और पढ़े

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आई कैन सी यू - 12

लूसी और रोवन कुछ देर तक सन्नाटे में एक दूसरे को देखते रहे क्यों के रोवन सवालों में उलझ था इस लिए सब से पहले कौन सा सवाल करे समझ नही आ रहा था और लूसी के दिल में भूचाल आया हुआ था अपने आप को रोवन के कमरे में और उसके सामने पा कर, उसे डर सता रहा था के अब रोवन से उसका भयंकर झगड़ा होने वाला है।वो हड़बड़ा कर बिस्तर से उठ खड़ी हुई और हकलाते हुए बोलने लगी :" स सर!... म...मुझे कमरे में लॉक कर दिया गया था। अब मैं जाती हूं थैंक यू ...और पढ़े

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आई कैन सी यू - 13

बातों बातों में रात के तीन बज गए थे। घना अंधेरा छाया हुआ था। पास के जंगलों और खेतों कीड़े मकोड़ों की आवाज़ें गूंज रही थी। किर्रर किर्रर की आवाज़ों के अलावा सिर्फ लूसी और रोवन को आवाज़ थी।इस सुनसान काली अंधेरी रात में दो लोग कॉलेज में चहल कदमी कर रहे थे। रोवन और लूसी उस कमरे में वापस गए जहां वो बंद थी।रोवन ने टॉर्च से पूरे कमरे को अच्छी तरह देखा। दो बाल्टियां इधर उधर पढ़ी थी और वो चाकू भी वोही पड़ा था।लूसी चाकू उठा कर दिखाते हुए उतावली हो कर बोलने लगी :" देखा ...और पढ़े

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