अब तक हम ने पढ़ा की कियान ने वोही अफवाएं सुनी जो रोवन के बारे में मशहूर थी। उसने सब को सच मान लिया और बेहद गुस्से में लूसी को घर से ले जाने लगा लेकिन लूसी ने जाने से इंकार कर दिया और उसे समझाने के लिए तेज़ आवाज़ में कुछ बाते कह दी जिस वजह से कियान को बुरा लगा और उसने कहा के चाहे किसी को आंखों पर ही क्यों न बैठा लो खून कभी नहीं मिलता।
उसकी ये बात लूसी और रोवन दोनों को चुभ गई। कियान तो गुस्से में चला गया लेकिन लूसी बड़ी बड़ी आंखों से आसूं टपकाते हुए रोवन को देखते हुए बोली :" भैया के कहने का क्या मतलब था?....हमारा खून अलग कैसे हुआ मैं तो उनकी सगी बहन हूं ना तो फिर उन्होंने ऐसा क्यों कहा?....रोवन सर! क्या मैने कुछ गलत सुना है?"
रोवन ने उसके बाजुओं को पकड़ कर तस्सली देते हुए कहा :" सुना तो मैने भी यही लेकिन शायद उनके कहने का कुछ और मतलब होगा! तुम ज़्यादा टेंशन मत लो!...मुझे पता था ये सब एक दिन होगा लेकिन इतनी जल्दी होगा इस बात का अंदाज़ा नही था। ये गलती हमारी है। तुम्हारे परिवार वालों को सच्चाई बता देना चाहिए था मैने कहा भी था दीदी से के उन्हें पता होना चाहिए तो उन्होंने बताने से मना कर दिया और कहा के बताया तो वे लोग बात को नहीं समझेंगे और रिश्ता करने से साफ मना कर देंगे! मैं तुम्हें चाहने लगा था इस लिए मैं भी यही सोचने लगा था के हमारी शादी हो जाए लेकिन झूट से बंधे रिश्ते में दरारें ज़रूर आयेंगी!"
लूसी ने अपने आंसू साफ करते हुए कहा :" हां ये बात सही है अगर सच पता चलता तो हमारी शादी नहीं होती!"
रोवन ने उसके चहरे को अपने हाथों में ले कर के पूछा :" लूसी एक बात सच बताना! तुम ने मुझसे शादी क्यों की? जब की तुम सब सच जानती थी!"
लूसी ने नज़रे झुका कर कहा :" मेरा भी खुद से यही सावल था के मैं आप से शादी क्यों कर रही हूं! मैने जवाब ढूंढा तो पता चला मैं तो आप से अपने लिए शादी करना चाहती हूं। मुझे हमेशा से एक हाई एजुकेटेड इंसान चाहिए था जो मेरे सपनों को पूरा करने में मेरा साथ दे और मुझे प्रोफ़ेसर बनाए! जब आपके बारे में सब कुछ पता चला तो आप मुझे अच्छे लगने लगे थे। मुझे भी पता नहीं था के मैं आपको पसंद करते हुए कब प्यार करने लगी। आपको देखते ही लगता था आप अधूरे हैं जिसे मैं पूरा कर सकती हूं।"
उसका जवाब सुन कर रोवन खुश हुआ और माथे को चूम कर गले लगा लिया।
लूसी फिर चिंता में डूब कर बोली :" लेकिन भैया के बातों का क्या मतलब हो सकता है? मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है। मन छटपटा रहा है।"
रोवन ने उसके रेशमी बालों पर हाथ फेरते हुए कहा :" फिक्र मत करो उनका जो भी मतलब हो फिलहाल हमे जो प्रोब्लम हुई है उसे ठीक करना होगा! कियान भाई घर जा कर सब को बता देंगे फिर शायद तुम्हारे बड़े भाई और भाभी यहां आकर तुम्हें ले जाएं!...मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता लूसी! उनके बताने से पहले तुम्हें घर में बात करनी होगी! और उन्हें सब समझाना होगा!...हम तीन बजे फुलवारी के लिए निकलेंगे!"
लुसी ने हां में सर हिलाया और अपने आसपास देखने लगी। उसे याद आया के झुमकी उसके साथ नहीं है।
घर में ढूंढते हुए बोली :" झुमकी कहां चली गई?"
रोवन उसके पीछे पीछे चलते हुए कमरे में आकर बोला :" क्या वो घर में नहीं है?
लूसी खिड़की से परदे हटा कर बाहर की ओर झांकते हुए बोली :" नहीं!.... ओह वो रही वहां दुलाल के साथ बैठी है।"
कैंपस के गार्डन में लगे बेंच पर वे दोनों बैठे हुए दिख रहे थे।
रोवन भी झांकते हुए बोला :" कहां ?
लूसी :" आप उन दोनो को नही देख सकते!"
रोवन :" हां मैं भूल जाता हूं! तुम घर में बात कर लो मैं बाकी बचा काम खत्म कर के आता हूं!"
रोवन फिर से ऑफिस चला गया।
लूसी के दिमाग में कियान के वो आखर के अल्फाज़ बार बार दोहरा दोहरा कर गूंज रहे थे। उसने किसी तरह उन बातों को नज़र अंदाज़ कर के घर में बात की। कियान अभी घर नहीं पहुंचा था। उसने मम्मी और भाभी के सामने सारी सच्चाई रख दी। उन्हें ये सब जान कर सदमा तो लगा लेकिन लूसी ने बहुत अच्छी तरह से अपनी बात रखी थी इस लिए वे लोग उस की बातों पर यकीन कर रहे थे।
बहुत देर बात करने और समझाने के बाद लूसी ने पूछा :" मम्मी! कियान भैया ने कहा के हमारा खून अलग है! इस बात से उनका क्या मतलब था क्या आप मेरे मन में चल रहे उलझन को सुलझा सकती हैं प्लीज़!"
लूसी के इस सवाल पर मम्मी और भाभी एक दम शांत हो गईं। बताने के लिए जैसे उनके पास शब्द ही खत्म हो गए हों। मम्मी ने इस बात को काटते हुए कहा :" सुन ये सब जो भी तुम ने कहा है ये बड़े चिंता की बात है! ये कोई छोटी मोटी बात नहीं है। मैं तुम्हारी सास और ननद से बात करूंगी अभी रखो तुम और अपना ध्यान रखो!"
उन्होंने लूसी के सवाल को हवा में गुम कर के उसे नसीहते देकर जल्दी से फोन रख दिया।
लूसी ने थकान भरी आवाज़ में अपने आप से कहा :" ये लोग मुझसे क्या छुपा रहे हैं?....मुझे कुछ ठीक क्यों नही लग रहा है। एक बेचैनी जैसे मेरे दिल में सुई की तरह गड़ गई है। क्या मेरे आम लोगों से अलग और कियान भैया के बातों का किसी तरह का कनेक्शन है? कौन मुझे इस सवाल का जवाब देगा? किस्से पूछूं मैं?"
अपने सवालों में उलझी हुई उसने अब क्लास न अटेंड करने का सोचा और किचेन जा कर खाना बनाने लगी।
तीसरे पहर का समय था। रोवन कॉलेज से आ गया था और वे लोग फुलवारी जाने की तैयारी कर रहे थे। लूसी का मन अब भी उदास और मायूस था। वो जानती थी के घर में अब तक कियान भैया ने बेखेड़ा खड़ा किया होगा और यही सब बातें चल रही होगी। उसे अपने पापा की चिंता भी हो रही थी के अगर उन्होंने ये सब सुना तो उनके सेहत पर बुरा असर पड़ेगा।
उदासी और उलझन में रोवन के पास आकर बोली :" हमे देर हो गई अब चलना चाहिए!...झुमकी हमारे साथ जायेगी।"
रोवन :" हां बस मैं दरवाज़ा बंद कर के आता हूं तुम आगे चलो!"
लूसी घर के बाहर आ रही थी के उसे रूमी आती हुई दिखी। रूमी को देखते ही उसने कहा :" ओह रूमी मैं क्लास नहीं आ पाई! तुम ने नोट्स बनाए होंगे न वो मुझे दे देना!"
रूमी सीढ़ियों से चल कर लूसी को मुस्कुरा कर देखते हुए उसके बिलकुल पास आ कर खड़ी ही हुई थी के रोवन बड़ी तेज़ी से उसके सामने आया और उसके दोनों हाथों को पकड़ कर दीवार से लगा दिया। उसके ऐसा करते ही रूमी की आंखों में अंगारे भड़क उठे, लूसी ये देख कर हक्का बक्का हो कर बोली :" क्या हो गया! ये आप क्या कर रहे हैं?"
रोवन ने बेहद गुस्से भरे लहज़े में कहा :" ये रूमी नहीं है।...कमेला तुम्हें अपने हाथों से नहीं मार सकती इस लिए इसने रूमी का सहारा लिया है।"
फिर उसने चिल्ला कर रूमी से कहा :" रूमी होश में आओ! इसके अंदर से निकलो कमेला!...बहुत हो गए तुम्हारे ड्रामे अब बस करो!"
रूमी अजीब अजीब आवाज़ें निकालते हुए ज़ोर ज़ोर से गुर्रा रही थी। उसका चहरा एक दम लाल हो गया था। रोवन की पकड़ से अपने आप को छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन रोवन ने उसके हाथों को सख्ती से पकड़े रखा। जब खुद को आज़ाद नहीं कर पाई तब कमेला उसके जिस्म से सन्सानाते हुए निकल गई। वो लूसी के क़रीब से तेज़ हवा का झोंका बन कर भाग निकली। फिर रूमी निढाल हो कर बेहोश हो गई।
लूसी ने जल्दी से उसका बैग चेक किया तो पाया वोही खंजर था जिस से कमेला ने पिछली दफा उस पर वार किया था।
(अगला भाग जल्द ही)