मैंने इस दौरान भूतों के बारे में बहुत कुछ समझा जैसे के उनमें दिमाग कम होता है और हर कोई इंसान के पीछे नहीं पड़ा रहता उनकी भी एक लाइफ होती है। हां उन्हे इंसानों और जानवरों को परेशान करने में मज़ा आता है। यानी वो इसी तरह मस्ती करते हैं। जब हम उनसे डरते हैं तो वे खुश हो जाते हैं और अधिक डराने की कोशिश करने लगते है।
कॉलेज शहर से अलग हो कर एकांत में था जहां से कुछ फासले पर शहर आता है। कॉलेज के पास ही मेरा लॉज था इस लिए वहां पैदल ही जा सकते थे। मैं पैदल चल रही थी। पतली सड़क और किनारों पर उगे घनी झाड़ियां मद्धम सी हवा में लहरा रहे थे। आसपास धान के बड़े बड़े खेत थे। जिन्हें अगर ऊपर ड्रोन से देखा जाए तो किसी हरे मैदान की तरह दिखेंगे। अभी धान के पौधों पर बीज नहीं आए थे। पौधों को हवा छू जाती तो वह किसी रेशमी परदे की तरह लहरा जाते। कभी कभी वह समंदर की लहरों की तरह दिखते जैसे हरे रंग के पानी में लहरें उठी हो। दुर दुर में दो आम के बागीचे भी नज़र आ रहे थे। मैं मौसम का और वहां के हरियाली का लुत्फ उठाते हुए चल रही थी। अभी मैं कॉलेज के दस कदम दूरी पर थी के मुझे मेरे पीछे से किसी के दौड़े चले आने की आहट हुई। मैं मुड़ कर देखना नहीं चाहती थी क्यों के मैं ने सोचा इस सुनसान इलाके में भूत भी हो सकते हैं और मैं नहीं चाहती के यहां के भूत भी मेरे बारे में जान जाए के मैं उन्हे देख और सुन सकती हूं। मैं बस किताबों का बैग पकड़े चल रही थी के वो सख्श जो दौड़े आ रहा था एक दम सन से मेरे पास से गुज़रा। उसके गुजरने की हवा मुझे महसूस हुई जिसमे परफ्यूम की खुशबू घुली हुई थी। जब वो आदमी आगे निकल गया तब मैं ने उसे ठीक से देखा। उसने जॉगिंग सूट पहना हुआ था। मैं ने एक चैन की सांस ली के ये एक इंसान ही है। भूत तो जॉगिंग नही करते होंगे।
लेकिन जब वो कॉलेज कैंपस में चला गया तो मैं ने अपने आप से कहा :" जॉगिंग करते हुए कॉलेज कौन आता है? क्या पागल इंसान है।"
मैं भी कॉलेज के अंदर चली गई। जब मैं ने पहला कदम कॉलेज की दहलीज पर रखा तो न जाने कितनी ही बातें एक साथ दिल पर चहल कदमी करने लगी थी। अंजान जगह, अंजान लोग। यहां मेरा कोई दोस्त बनेगा भी या नही ? न जाने कैसे लोग होंगे? न जाने मेरा पहला क्लास कैसा होगा? टीचर कैसे होंगे कहीं कोई सीनियर मेरी रैगिंग तो नही करेगा? वैसे रैगिंग तो कानूनन अपराध है इस लिए अब ये सब नहीं होता होगा।
खैर मैं बड़े से ग्राउंड में खड़ी थी। इतने बड़े कॉलेज में खुद को बहुत अकेला महसूस कर रही थी। कुछ लड़कियों को मैं ने जाते हुए देखा तो तेज़ी से उनके पास गई और उनसे मैं ने अपने क्लास के बारे में पूछा :" हेलो सिस्टर! मैं आज पहली बार आई हूं! क्या आप लोग मुझे बता सकती हैं की रूरल डेवलपमेंट वाला डिपार्टमेंट किस तरफ है? दरअसल कॉलेज इतना बड़ा है की अगर खुद से ढूंढने लगी तो इसी में पूरा दिन निकल सकता है।"
उन लड़कियों ने मुझे सर से पैर तक ऐसे देखा जैसे मैं कोई चूहा हूं और वे बिल्लियां जो झपटा मारने के लिए मेरे जिस्म का जायेज़ा ले रही हों। उनमें से एक ने कहा :" बैचलर या मास्टर ?
मैं ने झट से जवाब दिया :" मास्टर!"
एक लड़की ने मेरे कंधों पर हाथ रखते हुए हंस कर कहा :" अरे तुम तो हमारे ही क्लास की हो!.... चलो हमारे साथ।"
वो मुझे गर्दन पर हाथ डाले ऐसे ले जाने लगी जैसे हमारा पुराना याराना हो।
वो लड़की क्लास में मेरे बगल में ही बैठी और पूरा दिन बाते करती रही और मैं उसकी शक्ल देख कर यही सोचती रही के पहली मुलाकात में भी कुछ लोग इतने घुल मिल कैसे जाते हैं। मैं तो अपने परिवार वालों को भी अपनी सारी बातें नही बताती ना ही अब कोई ऐसा दोस्त रहा जिस से खुल कर बातें कर सकूं एक ही स्कूल की बेस्ट फ्रेंड थी जो अब शादी कर के कहीं दूर बस गई है। लेकिन इस लड़की को देख कर लग रहा था के बातें करने से ज़्यादा मुझे उसकी बातें सुननी पड़ेगी। उसके बातों के बीच मैं ने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम रूमी बताया। मुझे उस से मिल कर अच्छा लगा। मैने सोचा बातूनी ही सही पर कोई तो मिल गई जिस से मैं कुछ पूछ सकूंगी या साथ बैठ सकूंगी।
दिन भर हम ने कई लैक्चर अटेंड किए, पहला क्लास था लेकिन फिर भी बहुत कुछ पढ़ा और सिखा। चार बजे हमारी छुट्टी हो गई। मैं और रूमी थके हुए कदमों से चल कर मेन गेट की ओर जा रहे थे। मैं ने अपने सामने एक आदमी को तेज़ तेज़ कदमों से चल कर आते देखा। यही कोई तीस साल का लंबा चौड़ा लड़का था। उसकी नज़रे झुकी हुई थी। हवा में उसके घने काले बाल लहरा रहे थे। उसने फॉर्मल सूट पहना हुआ था जैसे कोई प्रोफेसर हो या किसी बड़े पोस्ट पर ऑफिसर हो। एक हाथ जेब में डाले हुए और एक हाथ में सैमसंग का छोटा सा मोबाइल लिए हुए था। उस मोबाइल में सिर्फ बातें कर सकते हैं या फिर मैसेज कर सकते हैं। लेकिन आज के ज़माने ऐसे छोटे मोबाइल सिर्फ बूढ़े बुजुर्गों के पास ही होते हैं। ये लड़का इतना हसीन था के दूर से ही सिर्फ वोही नज़र आ रहा था। जैसे मानो उसकी खूबसूरती हर चीज़ को आकर्षित कर रही हो। जैसे जैसे क़रीब आता गया वैसे वैसे मुझे एहसास हुआ के मैं ने आजतक जितने लड़को को देखा है उन में से शायद सब से खूबसूरत यही है। मेरी नज़र उस पर ही थी के मैं ने देखा के उसके ठीक पीछे पीछे कोई औरत चल कर आ रही थी जिसने सफेद साड़ी पहन रखी थी। खुले बाल थे जो कमर तक आ रहे थे। बिलकुल सादी सी थी। कोई सिंगार या कोई ज़ेवर नहीं थे। न ही एक भी कांच की चूड़ी हाथ में थी। उस औरत को देख कर ऐसा लग रहा था के जैसे उसने उस लड़के पर अपनी नज़रे गाड़ रखी हो। जब वो लड़का और वो औरत मेरे ठीक क़रीब से गुज़रे तब उसकी खुशबू से मुझे एहसास हुआ के ये लड़का वोही है जिसे मैंने सुबह जॉगिंग करते हुए देखा था। लेकिन वो औरत जब मेरे क़रीब से गुजरी तो अचानक मेरा बदन सिहर उठा। ऐसा लगा जैसे वो कोई साया हो। मैं अचानक रुक गई और उसे मुड़ कर देखने लगी। रूमी जो न जाने कितनी ही बातें कर चुकी थी लेकिन मेरा ध्यान उसकी बातों पर था ही नहीं। मैं जब रुक गई तो वो दो तीन कदम आगे बढ़ चुकी थी। मुझे पीछे मुड़ कर देखते हुए बोली :" ओह मैडम क्या देख रही हो?.... तुम्हें देख कर लगता नही है की तुम लड़को को इस तरह ताड़ती हो।"
मैं उसके क़रीब आई और उस से जल्दी में पूछने लगी :" तुम ने उस औरत को देखा? वो सफेद साड़ी वाली? वो तो कोई विधवा लग रही है। क्या वो स्टूडेंट है?
रूमी ने ठीक से उस तरफ देखते हुए कहा :" कहां कोई सफेद साड़ी वाली औरत है! ये तुम क्या कह रही हो मुझे डराओ मत!"
रूमी को वो नज़र नहीं आ रही थी लेकिन मैं उसे अब भी देख सकती थी। मैं समझ गई के ये औरत ज़िंदा नहीं है। क्या वो भूत है या किसी की रूह? मैं ने कई भूतों को तो देखा है लेकिन आजतक मैं किसी रूह से नहीं मिली। वो इस हैंडसम लड़के के पीछे उसे घूर कर देखते हुए क्यों जा रही थी?
मैं ने रूमी को बात बदलते हुए कहा :" ओह एक औरत गई थी यहां से तुम ने ध्यान नहीं दिया होगा!.... कोई बात नही चलो चलते हैं। वैसे तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं के मैं लड़को को नही ताड़ती!....मैं तो तोड़ती हूं।"
रूमी :" क्या तोड़ती हो?
मैं ने एक शब्द में जवाब दिया :" वहम!"
रूमी मेरी बातों से हंसी और फिर हम दोनों अपने अपने रास्ते चले गए।
(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)