आई कैन सी यू - 26 Aisha Diwan द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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आई कैन सी यू - 26

अब तक हम ने पढ़ा के मां के समझाने के बाद रोवन ने आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया जो असल में लूसी के साथ शादी का कबूल नामा था। लूसी अपने भाई को बुला कर घर चली गई। घर जाते ही अपनी लाडली भतीजी लायला से खेल कूद करने लगी जैसे उसके साथ वो भी दस साल की बच्ची हो। 
लिविंग रूम में कियान भैया टांग पर टांग चढ़ाए बैठे थे। उन्होंने आवाज़ लगाई :" लूसी इधर आ!"

लूसी लायला के साथ आई, दोनो हाथ पकड़ कर खड़ी थी। 
कियान भैया ने टेलीविजन का वॉल्यूम कम कर के पूछा :" तूने अचानक आने का कैसे सोचा? सब ठीक तो है ना वहां?

   " हां सब ठीक है! मैं बस आप सब से मिलने आई हूं! दो दिन में चली जाऊंगी!"

चेहरे पर खिली खिली मुस्कुराहट के साथ बोल कर फिर अपने कमरे में चली गई। अपने कमरे में आ कर उसे बहुत अच्छा लगा रहा था जैसे सारी बेचैनियाँ सिमट कर उसी लॉज के कमरे में रह गई हो और यहां सिर्फ सुकून ही सुकून हो। जब अपने बिस्तर पर लंबा लेट गई और आंखें बंद कर के सोचने लगी के शादी के बाद उसकी ज़िंदगी कैसी होगी। रोवन सर एक अच्छे पति बन पाएंगे या नहीं?
साथ ही उसे एक बात कुरेद उठी जब उसे याद आया के कमेला ने मरते समय रोवन को श्राप दिया था। ये बात उसके दिल में दर्द भरी चुभन पैदा कर रही थी के उसने श्राप क्यों दिया? क्या रोवन सर ने उसके साथ कुछ गलत किया था? आखिर वो है कौन?
साथ ही दिल ये मानने को तैयार नहीं था के रोवन जान बुझ कर कुछ गलत कर सकता है। अगर वो एक बुरा इंसान होता तो उसे बचाने के लिए अपनी जान खतरे में नही डालता। 
जब दिल को कोई अच्छा लगने लगता है तब दिमाग सोचता तो है लेकिन दिल उस इंसान को अच्छा साबित करने के रास्ते ढूंढ ही लेता है। ऐसा ही कुछ लूसी का दिल करने में लगा था। 
दिल और दिमाग के जंग में उसने दोनो को ये कह कर शांत कर दिया के " शादी से पहले उनसे कमेला के बारे में पूछ लूंगी अगर उन्होंने कुछ गलत भी किया होगा तो अब तक उन्हें उसकी सज़ा मिल चुकी है। अगर ईश्वर ने उन्हें मेरी किस्मत में लिख दिया है तो बस बात खत्म!"

सोने के समय जब वो आंखें बंद कर के बिस्तर में पड़ी थी तब फिर उसके दिमाग ने सवाल करना शुरू किया जिसका जवाब उसका दिल दे रहा था " मैं रोवन सर से शादी क्यों कर रही हूं? क्या मुझे उन पर तरस आता है इस लिए या मुझे वो अच्छे लगते हैं इस लिए, लेकिन वो मुझे अच्छे क्यों लगते हैं?....शायद इस लिए क्यों के उन्होंने मुझे बंद कमरे से निकाला और उस रात मेरा ख्याल रखा जब मैं बुखार से तप रही थी! मुझे चाकू लगने से बचाया! मेरे बॉडी में वाइट ब्लड सेल्स बहुत कम है जिस वजह से मेरा खून पतला है इस लिए कहीं ज़ख्म लगते ही खून तेज़ी से बहने लगता है। अगर मुझे चाकू लग जाता तो खून बहने की वजह से मैं मर जाती!"

और अंत में उसका दिल जीत जाता है। कुछ समय बाद मम्मी उसके कमरे में आई और बिस्तर पर बैठते हुए बोली :" सोई तो नहीं होगी! उठ कर बैठो कुछ बात करनी है!"

लूसी उठ कर बैठी और बोली :" क्या बात है मम्मी!"

मम्मी ने कहा :" एक बहुत अच्छा रिश्ता आया है। घर परिवार बहुत अच्छा है लड़का सॉफ्टवेयर इंजीनियर है जो बंगलोर में नौकरी करता है। अच्छी खासी कमाई है उसकी!..

लूसी बातों के बीच में ही चिढ़ कर बोल पड़ी :" मम्मी ये रिश्ते वाले जब देखो मुंह उठा कर क्यों आ जाते हैं! जैसे मैं ही एक लड़की बची हूं दुनियां में!"

मम्मी ने समझा कर कहा :" बेटा ऐसा क्यों कहती हो! जिस आंगन में फलदार पेड़ होगा तो लोग उस पर पत्थर तो मरेंगे ही न!"

लूसी झुंझला कर :" तो वोही पत्थर उठाओ और सर फोड़ दो उनका!...मैं कोई फलदार पेड़ दिखती हूं।"

उसकी बातो से मां हंस पड़ी और फिर बोली :" कैसी बातें करती हो तुम!... तुम्हारे पापा की तबीयत का तो तुम्हें पता ही है! अब शादी नही करोगी तो कब करोगी? शादी करोगी भी या नही? क्या ख्याल है तुम्हारा ये बताओ पहले!"

लूसी ने शांत हो कर जवाब दिया :" करनी है मम्मी पर ऐसे लड़के से जिसे मैं थोड़ी बहुत जान जाऊं!...ऐसे किसी भी अंजान लड़के से कैसे शादी कर लूं!... आपके ज़माने में होता होगा किस्मत के भरोसे, पर मैं नहीं कर सकती मम्मी प्लीज़! आज कल का ज़माना धोखे का है जिसमे संभल कर कदम बढ़ाना होता है। मुझे इमोशनल ब्लैकमेल मत कीजिए मैं कर लूंगी न जो मुझे पसंद आयेगा!"

मम्मी ये कह कर उठ गई के "ठीक है! जब पसंद आए तब बता देना!"

वो समझ रही थी के मम्मी का मन चिढ़ गया था उसकी बचकानी बातों से लेकिन अब वो मन ही मन ये सोच कर मुस्कुरा रही थी के " don't worry मम्मी कल ही आ जायेगा मेरे पसंद का रिश्ता!"

दूसरे दिन सुबह ही एक आदमी आया। वो रोवन के तरफ से मीडिएटर था। लूसी ने देखा के वो घर के बरामदे में पापा और बड़े भैया के साथ बैठा हुआ है। किचेन में भाभी और मम्मी खुसुर फुसुर कर रही हैं। मम्मी चिड़चिड़ी सी हो कर कह रही है " अरे ये लड़की तो शादी के लिए मानती ही नही! अब बताओ इतने अच्छे अच्छे रिश्ते आते हैं पर इसे है की जान पहचान वाले से करनी है। अब जान पहचान में कहां कोई इतने अच्छे लड़के हैं!"

भाभी ने कप में चाय डालते हुए कहा :" लेकिन आप ने सुना ये रिश्ता किशनगंज से आया है और जहां लूसी पढ़ती है लड़का उसी कॉलेज का डायरेक्टर है! इसका मतलब वे दोनों एक दूसरे को जानते होंगे! एक बार आप लूसी से पूछ लीजिए या फिर मैं बात करती हूं उससे!"

   " अच्छा!...हां तुम ही बात करो मुझे तो वो अपनी तीखी बातों से चुप करा देती है।"

मां ने ये कह कर चाय का ट्रे लिया और मेहमान के पास चली गई। 

लूसी किचेन से दूर हट कर कियान भैया के कमरे में चली गई ताकी भाभी और मम्मी उसे बातें सुनते हुए न देख ले। 

कुछ ही देर में भाभी वहां आई और फिर वोही सब बोलने लगी। लूसी तो पहले से जानती थी उसने फौरन हां कह दिया। जब भाभी ने उस से पूछा के तुम्हारा लड़के के साथ पहले से कुछ चल तो नहीं रहा था ना तो लूसी ने जवाब दिया के मैं उन्हें बस जानती हूं। क्यों के वो हमारे डायरेक्टर हैं। उनकी मां मुझसे मिली थी और शायद मैं उन्हें पसंद आ गई इस लिए उन्होंने रिश्ता भेजा है।"

लूसी ने बड़े सफाई से भाभी के सामने बात को संभाल लिया। लेकिन कियान भैया को थोड़ा शक हो गया। उन्होंने शक करते हुए कहा :" तू कल ही आई वहां से और आज तेरा रिश्ता आ गया!.... तू लड़के को ठीक से जानती है ना या फिर किसी बहकावे में आ गई?.... रुक अभी पता करता हूं।....किशनगंज में मेरी एक फ्रेंड है। लड़का कॉलेज का डायरेक्टर है तो उसके आसपास कोई तो उस कॉलेज में पढ़ा ही होगा! वैसे भी किशनगंज का सब से टॉप कॉलेज तो नेहरू कॉलेज ही है।"

लूसी घबरा कर :" क्या भैया! क्या पता करना है! मैं यहां ज़िंदा गवाह हूं! मुझसे ज़्यादा आपको आपकी फ्रेंड पर भरोसा है?

   " हां है क्यों के प्यार एक वायरस है जो दिमाग को हैंग (Hang) कर देता है। इस लिए तुझसे पूछने का कोई फायदा नहीं!... मुझे शक हो रहा है। वो यहां इतनी दूर क्यों शादी करने आया है। किशनगंज की सारी लड़कियां मर गईं है क्या!"

कियान भैया ने जेब से फोन निकाल कर अपनी फ्रेंड को मैसेज करते हुए कहा।

अब लूसी परेशान हो गई। उसे डर सताने लगा के रोवन तो वहां के लोगो के बीच बदनाम है। अगर भैया की दोस्त ने उन्हें वोही सब बता दिया जो वर्षा ने मुझे बताया था तब तो वो कभी शादी नही होने देंगे। 

(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)