आई कैन सी यू - 27 Aisha Diwan द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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आई कैन सी यू - 27

अब तक हम ने पढ़ा के मां लूसी को एक रिश्ते के लिए राज़ी करने में लगी थी लेकिन उसे तो रोवन के रिश्ते का इंतज़ार था। जब सुबह लूसी के घर में रोवन का रिश्ता लेकर एक मेडिएटर आया तो उसने हां कर दिया लेकिन कियान भैया रोवन के बारे में जानकारी हासिल करने में जुट गए, वो अपनी किसी फ्रेंड को पुछ रहे थे। 
लूसी ये सोच कर घबराई हुई थी के जो बदनामी रोवन की हो रखी है कहीं उसके बारे में भैया को पता न चल जाए, उसने परेशान हो कर कहा :" भैया आपकी फ्रेंड का नाम क्या है? वो कहां रहती है?"

कियान भैया ने मैसेज कर के कह दिया के इस लड़के के बारे में सब कुछ जानना है। उन्होंने लूसी को शक के नज़रों से देखते हुए कहा :" क्यों तुझे उसका नाम पता जान कर क्या करना है?... मैं किसी से भी पता कराऊं!"

लूसी ने ज़िद कर के कहा :" भैया प्लीज़ बताइए ना उसका नाम क्या है! वरना मैं घर में बता दूंगी के वो आपकी गर्लफ्रेंड है!"

भैया बड़ी बड़ी आंखों :" एह चुप कर!... वो बस मेरी फ्रेंड है और कुछ नही!"

   " हां तो बताइए नाम क्या है?

लूसी ने आईब्रो मटकाते हुए कहा।

कियान भैया ने मजबूर हो कर बताया :" उसका नाम रौशनी है। वो किशनगंज के रहमानी कॉलोनी में रहती है।"

लूसी खुश हो कर कियान भैया को चिढ़ाने के लिए उनके बालों पर हाथ फेरते हुए चली गई। 
घर के छत पर जा कर दुलाल को आवाज़ देने लगी। कुछ देर में दुलाल वहां आ गया। 
उसने इधर उधर देखते हुए हैरत में कहा :" ये कौन सी जगह है पहली बार आया हूं यहां?"

लूसी ने जल्दी करते हुए कहा :"ये सब बाद में जान लेना। तुम पहले मेरी बात सुनो! अगर मेरे भैया को रोवन सर के  झूठी अफवाहों और बुरे अतीत के बारे में पता चल गया तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो जायेगी!... तुम एक काम करो जल्दी से जा कर भैया के दोस्त को पॉसेज कर लो और फिर भैया ने जो मैसेज किया है उसका अच्छा सा जवाब दे दो! लड़की का नाम रौशनी है और वो रहमानी कॉलोनी में रहती है। जाओ जल्दी जाओ!"

दुलाल ने बड़े आराम से कहा :" लेकिन मैं किसी स्त्री के शरीर में प्रवेश नहीं कर सकता!... क्यों के मैं पुरुष हूं तो सिर्फ पुरुष के ही शरीर में प्रवेश कर सकता हूं।"

लूसी ने सर पर हाथ पटकते हुए कहा :" अरे ये तुम क्या कह रहे हो यार!... अब मैं करूंगी!"

दुलाल :" तुम तो ज़िद्दी हो ना! ज़िद कर लेना मान जाएंगे!"

लूसी तिरछी नज़रों से उसे देखते हुए :" अब तुम भी मुझे ज़िद्दी का सर्टिफिकेट देने लगे!....अपनी शादी के लिए ज़िद कैसे करूं शर्म है की नही कुछ!...यार कुछ तो मदद करो!"

   " माफ करना पर मैं इसमें कोई मदद नहीं कर सकता!"

इतना कह कर दुलाल वहां से गायब हो गया। लूसी हाथ पैर पटकती रह गई। 
छत से नीचे आई तो देखा कियान भैया रौशनी से फोन पर बातें कर रहे थे। 
उन्हें बातें करते देखते ही लूसी उनके पास सट कर फोन में कान लगा कर सुनने की कोशिश करने लगी। 

रोशनी कह रही थी :" क्या तुम नेहरू कॉलेज के डायरेक्टर डॉक्टर रोवन पार्कर के बारे में ही पूछ रहे हो? और उनका रिश्ता तुम्हारी बहन के लिए आया है?.....तुम्हें पक्का यकीन है ना?"

  " अरे हां भाई हां उन्ही के बारे में पूछ रहा हूं! तुम तीन बार ये सवाल कर चुकी हो! तुम्हें उनके बारे में कुछ पता भी है या नही?

कियान ने उकताहट से कहा। 

रौशनी की आवाज़ में एक खुशी की लहर घुली हुई थी। उसने जोशीले अंदाज़ में कहा :" अरे वो तो हीरा है हीरा!... वो मेरे भैया हैं! मेरे बड़े पापा का बेटा!....वाह कितना अच्छा होगा अगर तुम्हारी बहन की शादी उनसे हो जाए तो! वो मेरी भाभी बन जायेगी!"

कियान का हैरत से मुंह खुला रह गया। उसने आंखे फाड़ फाड़ कर लूसी को देखते हुए कहा :" ये कह रही है वो लड़का इसका भाई है!... धत!... किशनगंज में एक ही पहचान की लड़की थी वो भी लड़के की बहन निकली!"

अब लूसी ने चैन की सांस ली जैसे बहुत बड़ी जंग होते होते रह गई हो। 

कुछ देर सलाह मशवरा करने के बाद घर वालों ने रोवन के परिवार को लूसी को देखने के लिए आने को कह दिया। लेकिन मिडिएटर ने कहा के पहले आप लोग आ कर लड़के और उसके परिवार वालों से मिल लीजिए क्यों के लड़के की तबीयत कुछ ठीक नहीं है और वैसे भी आप लोगों को अपनी लड़की देनी है तो आप लोगों को ही पहले जा कर देखना चाहिए। बड़े भैया इस बात पर भी राज़ी हो गए और कहा के हम कल जायेंगे। 
अब लूसी खुश थी। उसका खिला हुआ चहरा देख कर मां को शक हो रहा था। वो उसे देख देख कर अपने मन में यही सोच रही थी के " जब कोई रिश्ता आता था तब तो इसे मौत आने लगती थी पर इस बार तो उल्टा ही है। शायद ये उस लड़के को पसंद करती होगी!...पता नहीं कब कब इतनी बड़ी हो गई!"

मां अपने ख्यालों में खो कर कभी दुखी हो जाती के घर की एक चहचहाने वाली बुलबुल उड़ने वाली है तो कभी खुश होती के अब उनकी बेटी की नई ज़िंदगी शुरू होने वाली है। जिसकी बेटी को एक बड़ा रईस पढ़ा लिखा घराना मिल रहा है वो मां खुश तो होगी ही।

किशनगंज :__
रोवन हॉस्पिटल से अब घर जा चुका था। वो अपने कॉलेज के घर में आना चाहता था लेकिन सब ने ज़िद की के ऐसी हालत में परिवार के साथ रहना बेहतर है। 
बहन जीजू का घर भी बहुत शानदार था लेकिन जो रोवन का अपना घर है वो तो किसी हवेली की तरह दिखता है जिसे रोवन के दादा जी ने बनवाया था। पापा के गुज़र जाने के बाद अब वो घर बंद पड़ा है। रोवन के पापा तीन भाइयों में बड़े थे इस लिए उन्हें अपने बाप का घर विरासत में मिला। बाकी दो छोटे भाइयों को उसी के आसपास घर दिया गया। रोवन के दो चाचा भी बड़े बड़े ओहदे पर सरकारी ऑफिसर थे। जिनमे से मझले वाले की बेटी  रौशनी कियान की फ्रेंड थी।

रोवन और मम्मी को अपने घर की याद आती तो थी लेकिन अब न तो रोवन वहां रह सकता था ना मम्मी अकेली रह सकती थी लेकिन बीच बीच में दीदी जीजू और मां घर में जाते हैं और वहां की देखभाल कर के दो तीन दिन रह कर वापस आ जाते हैं। अभी सब लोगों के दिमाग में यही चल रहा था के शादी के बाद रोवन कहां रहना चाहेगा। कॉलेज में ही या अपने पापा के घर में, लेकिन दीदी चाहती थी के शादी के बाद वो यहीं रहे क्यों के उन्हें अपने भाई की बहुत ज़्यादा फिक्र रहती थी और वो यह नहीं चाहती के उसे अब लूसी से शादी के बाद किसी भी तरह की तकलीफ़ से गुजरना पड़े। 

इधर लूसी बहुत कुछ प्लान कर चुकी थी जिसकी खबर रोवन को भी नहीं थी। 
लूसी के घर के सारे लोग रोवन के यहां गए। दोनों परिवारों में बात चीत हुई और बहुत अच्छी तरह सभी घुल मिल गए। इन सब को रोवन बहुत पसंद आया। रूमी के खुशी का ठिकाना नहीं था। जब तक लूसी के परिवार वाले वहां रहें वो लूसी को वीडियो कॉल पर सब कुछ दिखाती रही। लूसी को बेहद गुस्सा तब आया जब उसने वहां कमेला को देखा जो रोवन के ठीक पिछे खड़ी थी जहां वो एक सिंगल सोफे पर मेहमानों के सामने बैठा था और वो उसी सोफे के पीछे खड़ी थी। 

(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)