अब तक हमने पढ़ा की लूसी अपनी वेडिंग ड्रेस पसंद करने किशनगंज गई थी जहां पर आर्यन ने कियान को बहला फुसलाकर घर ले गया और लूसी रोवन के साथ उसके पुराने घर में गई।
उन दोनों ने घर के आलीशान दरवाज़े को खोलकर अंदर कदम रखा। बीच में से सुंदर मार्बल बिछाया हुआ रास्ता बना था जिसके दोनों तरफ पेड़ पौधे लगे थे। साथ में घास में उग आए थे। रोवन आगे चलकर गया और घर के अंदर जाने वाला दरवाज़ा खोलने लगा। उसमे भी ताला लगा हुआ था।
रोवन ने एक कदम अंदर रखा ही था के लूसी ने झट से कहा :" रुकिए सर!"
रोवन उसकी और मुड़ कर :"क्या हुआ?
लूसी :" आपको डर लग रहा होगा ना! आप मेरे पीछे रहिए मैं आगे चलती हूं!"
उसकी बातों से रोवन को हंसी तो आई लेकिन उसने रोक कर दबी दबी मुस्कान से कहा :" ये मेरा घर है! मुझे अंदर जाने से क्यों डर लगेगा और मैं कोई छोटा बच्चा नहीं हुं जो तुम्हारी पल्लू में छुप जाऊंगा!"
लूसी उसके आगे आते हुए बोली :" अरे आप ने नही सुना क्या! खाली घरों में भूत शैतान रहने आ जाते हैं! चलिए जल्दी से गन ले लेते हैं।"
" लूसी!...ये बताओ क्या कमेला अब भी हमारे साथ है?"
रोवन ने आगे कदम रखते हुए पूछा।
लूसी ने जोशीले अंदाज़ में कहा :" वो चुड़ैल मुझे देखते ही भाग गई थी! भले ही वो जताती नहीं है लेकिन उसे मुझसे डर लगता है क्यों के मैं उसे कई दिनों के लिए सुला जो सकती हूं और वो नहीं चाहेगी के शादी के दिन वो सोई रह जाए!"
सन्नाटे छाए बड़े से हॉल में लूसी के बात करने की आवाज़ गूंज उठी। वहां तक पहुंचते ही लूसी ने वोही देखा जिसका उसे अंदाज़ा था। ऊपर जाने के लिए एक तरफ सीढ़ियां बनी हुई थी। सीढ़ियों के रेलिंग पर पांच भूत खड़े नज़र आए जो इन दोनों को ही घूर रहे थे। उनके शक्ल गंदे थे। शरीर इंसान जैसा था लेकिन चहरा किसी जानवर की तरह जिनके पिचके हुए नाक, गोल छोटी आंखे जिनकी पुतलियां पीली रंग की थी। कान के जगह सिर्फ दो छेद थे जिनमे से भुट्टे के दाढ़ी जैसे बाल बाहर निकले हुए थे। सर में बालों की जगह दो पतले सूंड गर्दन तक लटक रहे थे।
लूसी को उस तरफ टकटकी लगा कर देखते हुए देखा तो रोवन को समझ आ गया के उसने वहां किसी को तो देखा है। रोवन उसका हाथ पकड़ खींच कर कमरे की ओर लेके जाने लगा तो लूसी ने कहा :" छी कितने गंदे शकल वाले भूत हैं यहां! ये शैतान है इस लिए इनके चहरे बदसूरत है। हमे इन शैतानों को भगाना चाहिए वरना कभी जब हम यहां आएंगे तो ये लोग परेशान करेंगे!"
एक कमरे में जा कर रोवन ने एक बड़े से अलमारी को खोला। उसमे से एक भारी भरकम तीन किलो का रायफल गन निकालते हुए कहा :" मैं किसी पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर को बुला लूंगा! ये सब तुम्हारा काम नहीं है।"
फिर उसने लूसी को गन पकड़ाते हुए कहा :" ये लो देखो इसे ठीक से!"
रोवन के गन छोड़ते ही लूसी से अपने हाथ में गन संभाला नहीं गया क्यों के उसे लग रहा था के कोई आधे किलो वज़न का होगा इस लिए उसके हाथ से गन धम से फर्श पर गिर पड़ा।
रोवन को कोई हैरानी नहीं हुई इस लिए वो लूसी को बस मुस्कुरा कर देख रहा था। लूसी ने फौरन फिर से गन उठाया और रोवन को मिन्नत के नज़र से देखते हुए बोली :" ये तो सच में भारी है!... मुझे तो एक छोटा सा प्यारा सा पिस्टल चाहिए था जिसे मैं हर जगह लेकर जा सकूं, इसका मैं क्या करूंगी!"
रोवन ने लंबी सांस लेते हुए कहा :" मैने तो पहले ही कहा था की तुमसे नही होगा! तुमने ही ज़िद मचाए रखा था!.... लाओ मुझे दो!"
रोवन ने उसके हाथ से गन ले ली और कहा :" चलो अब चलते हैं! मुझे पता था तुम इसे यूज नहीं कर सकती!...मैं इसे अपने कमरे में रख दूंगा। अगर ज़रूरत पड़ी तो मैं ही गोली चलाऊंगा!"
लूसी उसके साथ चलते हुए बोली :" लेकिन आप उसे देख नहीं सकते!... क्या आप इतने माहिर है की बिना देखे अंदाज़ा लगा कर गोली मार सकते हैं?....मुझे एक पिस्टल तो रखनी ही होगी! आप खरीद भी तो सकते हैं।"
लूसी ने अपने बातों को बीच में ही विराम लगा कर रोवन का हाथ पकड़ लिया और दोनों हाथों से उसके बाजू को धीरे से दबाते हुए उसके कान के पास मुंह लेजाकर बोली :" हमारे सामने वो पांच शैतान रास्ता रोक कर खड़े हैं! आप उन्हें भेद कर आगे नहीं जा सकते हैं वरना वे आपके कंधे पर सवार हो जायेंगे और फिर इतना बुरा हो जायेगा जो हम ने सपने में भी न सोचा होगा।"
उसके ऐसा करने से पहले तो रोवन का बदन सिहर उठा फिर उसने उसकी ओर सर घुमाते हुए धीरे से पूछा :"वे एक्सेक्टली कहां खड़े हैं और उनके आपस की दूरी कितनी है?"
लूसी ने उसे बताया :" मैं जहां खंजर चलाऊं वहां से लगभग तीन तीन इंच की दूरी पर वे सब खड़े हैं।"
उन दोनों को खुसुर फुसुर करते हुए वे लोग हैरानी से देख रहे थे। हैरत में उन सभी ने एक दूसरे की ओर देखा तभी लूसी ने पहले वाले पर सनसना कर खंजर फेंका। उसके खंजर फेंकते ही रोवन ने धड़ाधड़ पांच गोलियां चला दी जैसे वह कोई फौजी जवान हो। उस पर भी गोली चलाई जिसके सीने में खंजर लगा था।
लूसी रोवन को आंखे फाड़ फाड़ कर अचंभे में देखते हुए बोली :" निशाना एक दम सही है!"
गोली लगने पर भी उन शक्तिशाली शैतानों का ज़्यादा कुछ नहीं हुआ लेकिन थोड़े कमज़ोर ज़रूर हो गए थे। जब लूसी ने देखा के वे फिर से उसी लाइन में खड़े होने लगे तो उसने रोवन की कलाई पकड़ी और खींचते हुए बोली :" चलिए जल्दी भागते हैं यहां से!"
उनके क़रीब से भागते हुए वे बाहर निकल आए और लूसी ने झट से दरवाज़ा बंद कर दिया। बड़ी बड़ी सांसे लेते हुए उसने जब रोवन की ओर देखा तो उसके होश उड़ गए। उनमें से एक रोवन पर हावी हो चुका था। अब रोवन के हाथ से गन गिर गया और वो शैतानी मुस्कान के साथ लूसी को घूरते हुए एक एक कदम किसी सॉम्बी की तरह आगे बढ़ाने लगा।
लूसी ने डरे सहमे अटक अटक कर कहा :" र...रो...रोवन सर आप! आप इसके चपेट में नहीं आ सकते! आपको होश में आना होगा!"
लेकिन रोवन उसकी ओर ललचाई नज़रों से देखते हुए आगे बढ़ता जा रहा था और लूसी पिछे हटती जा रही थी।
उसे देख कर ऐसा लग रहा था के अब वो लूसी को दबोच कर उसका खून पी जायेगा।
लूसी परेशान हो कर तिलमिलाते हुए बड़बड़ाने लगी :" क्या करूं मैं! मैं तो उन्हें मार भी नहीं सकती! अगर कुछ किया तो रोवन सर को ही चोट लगेगी!...अब मैं क्या करूं?"
पिछे हटते हुए लूसी मेन गेट में जा कर टकरा गई। अब रोवन ने तेज़ी से उसकी ओर झपट कर उसके दोनों बाजुओं को जकड़ लिया और गला काटने के इरादे से गर्दन पर मुंह लगा दिया। लूसी कुछ करती इस से पहले रोवन को एक तेज़ झटका लगा और वो उस से अलग हो गया।
(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)