आई कैन सी यू - 38 Aisha Diwan द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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आई कैन सी यू - 38

दस बजते बजते कॉलेज में छात्र छात्राओं की भीड़ उमड़ने लगी। लड़के लड़कियों के चहल पहल से वातावरण गूंज रहा था। हर किसी के जिस्म से अलग अलग खुशबू आ रही थी। और किसी किसी के पास से गुजरने पर ऐसी बदबू आती के दो पल के लिए सांस ही अटक जाती। कुछ स्टूडेंट्स में इस बात की जोरों शोरों से चर्चा थी के डायरेक्टर सर की कल शादी हो गई है और उनकी पत्नी पीजी की स्टूडेंट है। उनके बीच से जब किसी ने लूसी को गुजरते हुए देखा तो उसी में से किसी ने कह दिया " अरे यही तो है डायरेक्टर सर की वाइफ" फिर क्या था लूसी को ऐसा लगने लगा जैसे वो कोई हीरोइन है और सभी उसके आसपास उसकी एक झलक को दौड़े दौड़े आ रहे हैं। उसके आसपास इतनी भीड़ हो गई के उसका आगे चलना मुश्किल हो गया। वो बार बार कहती के रास्ता दो, जाने दो लेकिन कोई उसकी बात सुन ही नहीं रहा था। कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा फिर एक ज़ोर दार आवाज़ आई " what's going on here?"

ये आवाज़ रोवन की थी जो ग्रे शेड के फॉर्मल शर्ट पैंट पहने जेब में एक हाथ डाले चीते की निगाह से सब को घूरते हुए खड़ा था। उसे देखते ही सभी सहम कर लाइन में खड़े हो गए। लूसी भीड़ में से बाहर निकल आई और जा कर रोवन के बगल में डरी हुई बच्ची की तरह खड़ी हो गई। 
रोवन ने सब से कड़क कर कहा :" she is my wife लेकिन यहां ये सिर्फ एक स्टूडेंट है। कोई भी इसे मेरी वाइफ कह कर किसी भी तरह से परेशान नहीं करेंगे और न ही हमारे पर्सनल लाइफ के बारे में कोई चर्चा करेंगे!...is that clear?"

सभी लड़के लड़कियों ने एक आवाज़ हो कर कहा :" yes sir!"

रोवन ने लूसी से धीमी आवाज़ में कहा :" क्लास रूम में जाओ!"

लूसी सर झुकाए तेज़ कदमों से चलते हुए क्लास में आ गई जहां रूमी उसके इंतज़ार में पहले से बैठी थी। वो सीधा जा कर रूमी के बगल में बैठी। रूमी ने उसे शरारती नज़रों से देखते हुए कंधे से कंधा टकरा कर बोली :" ओय होय मामी!...इस ब्राउन ड्रेस में तो बहुत प्यारी लग रही हो! कहीं किसी की नज़र ना लगे आओ तुम्हें मैं काला टीका लगा देती हुं!"

ये कह कर रूमी ने उसके गर्दन के बाल हटाए और फिर जासूसी नज़र दौड़ते हुए बोली :" वाह क्या बात है! मेरे मामा ने प्यार भरा निशान छोड़ा है यहां! टिके की ज़रूरत ही नहीं है।"

लूसी शर्मा कर जल्दी से उसका हाथ झटकते हुए बोली :" कितनी बे शर्म हो तुम! अपने मामा के बारे में ऐसे कैसे बोल सकती हो। ऐसा लग रहा है के तुम यही देखने के लिए उतावली हो कर बैठी थी यहां!"

रूमी हंसते हुए बोली :" अरे मैं और मामा बेस्ट फ्रेंडस की तरह हैं! और देखो अब मेरी फ्रेंड ही मेरी मामी बनी! कितनी अच्छी जोड़ी बनी है मेरे मामा और मामी की!"

लुसी :" वो तुम से पांच साल बड़े हैं! उमर का तो लिहाज़ करो!"

    " दोस्ती में कैसी उम्र! वैसे भी हम बचपन से क्लोज़ हैं। मामा भांजी की दोस्ती सब से निराली!"

रूमी ने जोशीले अंदाज़ में कहा।

    " मामा की चमची!"

लूसी ने बिदबिदा कर कहा फिर नोट बुक निकाल कर देखने लगी। 
कॉलेज में दिन भर इन दोनों के बारे में खूब चर्चे हुए, नए जोड़े को छुप छुप कर देखा भी गया और कई तरह की बातें भी हुई जो असल में कभी हुई ही नहीं थी जैसे के छात्र छात्राओं में एक बात ये भी मशहूर हो गई के लूसी तो डायरेक्टर सर से शादी करने ही आई थी। पढ़ाई करना तो बहाना था। 
कुछ लड़कियों ने वर्षा को भी परेशान कर रखा था उनके बारे में पूछ पूछ कर, वर्षा भी उकता गई थी। क्लास खत्म होने के बाद वो लूसी से मिली और पैर पटकते हुए बोली :" आज तो मेरा दिमाग खराब हो गया! तुम्हारी शादी हुई न के यूनिवर्सल कंट्रोवर्सी हो गया।"

लूसी समझ सकती थी। उसने उसके कंधे पर थपकी देकर कहा :" कोई बात नही सहेली के लिए इतना तो सह ही सकती हो!....शाम को सिंपल सी रिसेप्शन है। आ जाना टाइम से!"

उसी बीच यश आ गया और आते हुए उसने कहा :" मुझे नहीं बुलाओगी!....बड़ी जल्दी शादी कर ली यार! हमे तो मौका ही नहीं दिया!"

लूसी को उसकी बात बिलकुल पसंद नहीं आई लेकिन उसने हंस कर मज़ाक के लहज़े में कहा इस लिए वो खामोश रह गई। उसने बस इतना कहा :" वर्षा को साथ लेकर आ जाना!"

उनसे बात करने के बाद लूसी अपने घर चली गई यानी वोही कॉलेज कैंपस के दूसरे बिल्डिंग में जो उसका घर है वहां चली आई। अभी रोवन नही आया था। वो ऑफिस के कामों में व्यस्त था।
लूसी कमरे में आ कर मीना दीदी के घर जाने की तैयारी करने लगी। अपने और रोवन के कुछ कपड़े और ज़रूरी सामान एक बैग में डाल रही थी। बिस्तर पर से बैग टेबल पर रख रही थी तभी उसकी हल्की सी नज़र आईने में पड़ी। एक पल को उसे ऐसा लगा जैसे आइने में उसने किसी को देखा। वो यकीन करने के लिए आईने के सामने आई लेकिन अब वहां कोई नहीं दिख रहा था। अभी उसने चैन की सांस ली ही थी के अचानक कमेला उसके बिलकुल क़रीब आ गई और आते ही एक बड़ा सा खंजर उसके पेट के आरपार कर दिया। उसने इतनी तेज़ी में हमला किया की लूसी को कोई मौका ही नहीं दिया जिस में वो अपना बचाव करती। खंजर को वापस निकालते हुए कमेला ने दांत पीसते हुए शैतानी मुस्कान से कहा :" मैं जानती थी के तुम दोनों ने मेरे स्वागत के लिए बहुत सारी तैयारियां की है इस लिए मैं कल नहीं आई और न आकार मैने तुम दोनो को चकमा दे दिया!.... मुझे मेरा काम बखूबी पता है। अलविदा मिसेज पार्कर!"

ये कह कर वो खुशी खुशी गायब हो गई। लूसी की सांसे अटक रही थी। वो फर्श पर खून से लथपथ हो कर बैठ गई और रोवन को आवाज़ लगाने की कोशिश करने लगी। लेकिन ऐसा लग रहा था के किसी ने उसकी आवाज़ छीन ली हो। जैसे ये एक बुरा सपना हो और वो चाह कर भी आवाज़ नहीं दे पा रही हो। उसने पेट पकड़ रखा था जहां से खून पानी की तरह बह रहा था। उसकी फटी फटी आंखों से आंसु भी खून की तरह निकल आया था। उसने एक बार पूरी कोशिश कर के आवाज़ दी " रोवन!"

रोवन अभी आ ही रहा था की लूसी की ऐसी चीख सुन कर उसके होश उड़ गए, दहशत में बेतहासा भाग कर अपने कमरे में आया। आखिर उसकी आंखों ने वोही देखा जो वो सपने में भी देखना नहीं चाहती था। लूसी की सांसे टूटते हुए और फर्श पर खून बहता हुआ देख उसके होश गुम होने लगे। जैसे जिस्म से जान धीरे धीरे कोई खींच रहा हो। लड़खड़ाते हुए लूसी के पास बैठ गया और उसके चहरे को हाथ में लेकर घबराहट में बोला :" आंखें बंद मत करना हम हॉस्पिटल जायेंगे! लूसी प्लीज़ आंखे बंद मत करना!"

लूसी की आंखें अब मंद होने लगी थी। 

To be Continued........