आई कैन सी यू - 39 Aisha Diwan द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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आई कैन सी यू - 39

अब तक हम ने पढ़ा की सुहागरात को कमेला तो नही आई थी लेकिन जब सब ठीक चल रहा था और लूसी रिसेप्शन में जाने के लिए तैयार हो रही थी तभी अचानक कमेला आ गई और उसने लूसी को खंजर मार दिया। उसे इस हाल में देख कर रोवन के दिमाग में जैसे सीटियां बजने लगी थी।

वो जल्दी से उसे उठाने लगा ये सोच कर के हॉस्पिटल ले जायगा लेकिन जैसे ही उसे गोद में उठाने लगा लूसी का पेट चमकने लगा। उसके पेट पर जो एक गोल सा निशान है उसमे से रौशनी फूटने लगी। रौशनी ऐसी थी के जैसे सूरज ढलते समय मद्धम सी लाल रौशनी के साथ हम सूरज को देख सकते है। उसी तरह लूसी के पेट का सूरज भी जैसे चमक उठा हो। निशान भी सूरज के आकार का ही था। ये नज़ारा देख कर रोवन हैरान वा परेशान हो गया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे क्या नहीं, बस अचंभित हो कर बेचैन समंदर की लहरों की तरह लूसी को देख कर चोट खा रहा था। लूसी अब बेहोश हो चुकी थी लेकिन देखते ही देखते जितना खून उसके जिस्म से निकला था वो सब उस लाल सी रौशनी के साथ मिल कर वापस उसके शरीर में चला गया। जो सुराख खंजर मारने से हुआ था अब वो बिल्कुल पहले जैसा हो गया और फिर एक बार रौशनी तेज़ हो कर खत्म हो गई। जैसे चिराग़ की लॉ बुझने से पहले तेज़ होती है। उसका सर अपने गोद में लिए रोवन किसी छोटे बच्चे की तरह आंखों में आंसू लेकर उसे खौफजदा नज़रों से देख रहा था की लूसी एक तेज़ सांस लेती हुई उठी। उसने बड़ी बड़ी आंखों से रोवन को देखा जो अब भी किसी तय तक नहीं पहुंचा था और हैरत में बस उसे देख रहा था। लूसी उठ कर बैठी और अपने पेट को छू छू कर देखते हुए मोटी मोटी सांसे लेकर बोली :" रोवन सर मैं तो पहले जैसी हूं! मुझे तो कुछ नहीं हुआ! लेकिन मुझे दर्द तो हुआ था। मैं ज़िंदा तो हुं न? 

उसने अपने ज़िंदा होने पर शक जताया तो रोवन ने उसे कस कर गले लगा लिया। उसे अपनी बाहों में भर कर फूट फूट कर रो पड़ा। उसे हिचकियां लग गई। इतना तो वो अपने अरेस्ट होने पर भी नहीं रोया था जितना आज उसे रोना आ रहा था। लूसी ने उसके पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा :" आप इस तरह रोएंगे तो मुझे भी रोना आएगा!....आप क्यों रो रहे हैं मैं तो ज़िंदा हूं ना!"

लूसी भी उसके साथ रो पड़ी। इसी तरह कुछ पल तक दोनों रोते रहे।

रोवन ने खुद को जैसे तैसे संभाला और लूसी के दोनों आंखों को चूम कर कहा :" मैं बहुत डर गया था! ये डर मैं ने पहले कभी महसूस नहीं किया था! अब मुझे एहसास हो रहा है की कमेला को कैसा लगा होगा जब उसने अपने प्यार को मरते हुए देखा था!....i love you लूसी! I love you so much!"

लूसी ने रोते हुए जवाब दिया :" me too रोवन सर!"

रोवन ने उसे फिर से बाहों में समेटते हुए कहा :" सर बोलना नहीं छोड़ा तुम ने!"

रोवन के मन में कई सवाल उठे, उसने लूसी को बिस्तर पर बैठा कर खुद उसके पास बैठते हुए कहा :" लेकिन ये सब कैसे हुआ मतलब कमेला आई थी यहां? और तुम बिलकुल पहले जैसी कैसे हो गई?....ये चमत्कार है या कोई और बात है समझ नही आ रहा है मुझे!"

लूसी ने बताया :" हां कमेला आई थी और उसने इतनी जल्दी में अटैक किया के मुझे खुद को बचाने का मौका ही नहीं मिला!...वो जानती थी के हम शादी की रात को उसका इंतज़ार कर रहे थे इस लिए वो नही आई थी। 
इस हादसे से एक बात तो पक्की हो गई के जिस तरह मैं उसे नही मार सकती उसी तरह वो भी मुझे नहीं मार सकती! मेरे पास एक गॉड गिफ्ट है! मेरे पेट पर एक निशान है जिस वजह से मैं कमेला के हाथों नहीं मरी!"

रोवन गंभीरता से :" तो उसी निशान से वो रौशनी निकल रही थी!....मैंने देखा था वो निशान पर मुझे लगा बर्थ मार्क है।....तो क्या कमेला चली गई?

लूसी :" हां वो खुश हो कर गई! उसे लगा उसने अपना काम अंजाम दे दिया!"

फिर उसने रोवन के आंखों में देखते हुए कहा जिनमें अब भी डर देखा जा सकता था। :" आप अब भी खुद को  कमेला का गुनहगार समझ रहें हैं!...जो कुछ हुआ था उसमे सिर्फ आपके दोस्तों की गलती थी। ना वे लोग झूट बोल कर आपको ले जाते ना आपको शराब पिलाते न ये सब होता! उनकी गलती की वजह से आप ने जीना छोड़ दिया था! अब आप खुद को कमेला का गुनहगार नही समझेंगे!...उसने आपको उसके पति का कातिल समझा इसका मतलब ये नहीं के आप कातिल हो गए अगर आप ने फिर से गिल्टी फील की तो मैं गुस्सा हो जाऊंगी!"

रोवन के चहरे पर प्यार भरी मुस्कान आ गई जब के पलकें अब भी भीगे हुए थे। मोहब्बत खून में चिंगारियों सी रवां होने लगी। उसने लूसी के बालों को उसके कान के पीछे लगाया और उसके चहरे को हाथो में लेकर उसके चेरी जैसे होंठों पर किस्स करने लगा। लूसी भी इसमें उसका साथ देने लगी।

रूमी के घर में :__
सूरज ढलने के बाद सभी मेहमान घर पर आने लगे। लूसी और रोवन भी आए, उन्हें खुश देख कर मां और बहन उनकी बालाएं लेने लगी। मां ने उन दोनों को मेहमानों से खुश हो कर मिलते देख कर अपने आप से कहा :" मेरा बच्चा खुश है। अब मैं सुकून से मर सकती हूं! रोवन के पापा भी ऊपर से देख कर खुश होंगे!"

रूमी ने ये सब कहते हुए सुना तो नानी को डांटते हुए बोली :" क्या नानी मरने की बातें क्यों कर रही हो! सिर्फ मामा के लिए जी रही थी क्या? हमारी तो कोई परवाह ही नहीं है।"

नानी ने हंस कर कहा :" नही पगली पर तुम्हारे मामा की चिंता सताती थी ना और इसी चिंता में मर जाती तो रूह को सुकून नहीं मिलता! बस इस लिए कह रही हूं!...अभी तो तेरी शादी भी करवानी है मुझे!"

रूमी नानी के गले पढ़ते हुए :" लव यू नानी!"

एक साधारण सा रिसेप्शन हुआ लेकिन इस रिसेपशन में खुशियों की फुलझडियां थी। सब दिल से खुश थे। 
लूसी के घर वालों के साथ नए जोड़े भी गए। रोवन को कहीं रहने की आदत नहीं थी खास कर रिश्तेदार के यहां इस लिए उसे बहुत अजीब लग रहा था लेकिन लूसी की फैमिली को मना भी नहीं कर सकता था इस लिए चुप चाप चला गया। वो अपनी गाड़ी में गया था जिसमे भाभी, लायला और लूसी बैठी थी।
घर पहुंचते पहुंचते देर रात हो गई। भाभी ने रोवन को लूसी का कमरा दिखा दिया जहां वो जा कर उसकी सारी चीज़ें देखने लगा। उसकी किताबों और नोटबुक्स को उल्टा पलटा के देखा। 
कुछ देर बाद लूसी कमरे में आई, उसे खिड़की के पास खड़ा देख कर बोली :" क्या हुआ रूम पसंद नहीं आया क्या?

रोवन उसके क़रीब आ कर बोला :" अकेला छोड़ दिया है मुझे यहां कितनी देर से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूं!"

लूसी :" अपने घर में तो अकेले ही रहते थे वो भी भूत के साथ! यहां कुछ देर में ही बोर हो गए?"

रोवन ने उसके कमर पर हाथ रख कर उसे अपने क़रीब खींच कर कहा :" ये तुम्हारा रूम है और यहां तुम नहीं होगी तो बोर तो हो ही जाऊंगा!"

लूसी :" अभी छोड़िए मुझे क्यों के मुझे कैंडल्स जलाने हैं।"

रोवन असमंजस में :" कैंडल्स? यहां भी कमेला आ सकती है क्या?"

लूसी हंसते हुए :" वो भूत है कहीं भी जा सकती है।"

लूसी ने कैंडल जला कर स्टडी टेबल पर रखा ही था की वो बुझ गई। तभी उसे झुमकी की आवाज़ आई :" दीदी!"

(अगला भाग जल्द ही)