आई कैन सी यू - 47 Aisha Diwan द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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आई कैन सी यू - 47

कहानी में अब तक हम ने पढ़ा कि बाबा ने रोवन को कुएं से पानी लाने के लिए भेजा जहां दुलाल रोवन को आगाह कर रहा था लेकिन उसे कुछ सुनाई नहीं दिया और फिर कमेला ने उसे कुएं में धकेल दिया। इधर जब लूसी को कुछ गलत होने का आभास हुआ तो उसने बाहर जाने की कोशिश की लेकिन जादुई ढंग से रस्सियां उसके हाथ पैर को जकड़ती हुई बाबा के सामने घसीट दिया। अब लूसी समझ चुकी थी के वे लोग बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं। और ये एक ढोंगी बाबा है।
रोवन की चिंता से लूसी की आंखें बरस पड़ी थीं साथ ही गुस्से से घायल शेरनी की तरह ढोंगी बाबा को घूरते हुए छटपटा रही थी।

बाबा उसके चारों ओर घूम घूम कर खुश हो रहा था। लूसी चीख चीख कर रोवन को आवाज़ लगाने लगी :" रोवन सर!....रोवन कहां हैं आप?..…रोवन!"

इतने में बाबा ने डांट कर कहा :" चुप करो बच्ची! कोई फायदा नहीं चिल्लाने का! तुम्हारा पति अब कुएं का मेहमान बन गया है। वो नहीं आ पाएगा और अब हमको तुम्हारा ये चमकदार दिल चाहिए जिसे हम तुम्हारा सीना चाक कर के तुम्हें ज़िंदा रखते हुए निकालने वाले हैं। बस भोर होने का इंतज़ार है जब सूरज की किरणे रौशनी बिखेरने लगेगी तब तुम्हारे ज़िन्दगी का दिया बुझ जाएगा।"

उसकी बातें सुन कर लूसी रोवन के लिए बदहवास होने लगी। उसके आंसुओं में गुस्से और पति के प्यार की तिलमिलाहट झलक रही थी। उसने आंखें लाल कर के बाबा को खा जाने वाली नज़रों से देखते हुए कहा :" मेरे पति के साथ तुम ने क्या किया है? और तुम्हें मेरा ही दिल क्यों चाहिए?

ढोंगी बाबा उसके सामने चाकू लेकर बैठ गया और खुश होते हुए बोला :" हम्म्म!...पूरी रात पड़ी है तो क्यों न तुमसे बात किया जाए!...चलो एक कहानी सुनाते हैं तुमको मज़ा आयेगा!.... एक पति पत्नी थे। उनको बच्चा नहीं हो रहा था तो उन दोनों ने हर जगह जा जा कर प्रार्थना की बहुत इलाज करवाया फिर जा कर उन्हें देवता का आशीर्वाद मिला और महिला ने राजस्थान के तपती रेत में एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया। लेकिन उस बच्ची का जन्म कोई साधारण जन्म नहीं था बल्कि एक रेतीले तूफान में फंसे पति ने अपनी गर्भवती पत्नी को बचाने के लिए एक ख़ुफ़िया तरीके से ज़मीन के नीचे बने शैतानों का शहंशाह शैतान टीमो के मंदिर में गलती से ले गया। उन्हें क्या पता था के ये किसी देवता का मंदिर नहीं बल्कि एक शैतान का मंदिर है। हम भी उसी शैतान के पुजारी हैं!....चलो कहानी में आगे बढ़ते हैं। रात के समय महिला को गर्भ का दर्द शुरू हो गया। पति बेचारा परेशान सा मंदिर के बाहर आया ताकी किसी से बदद मांगे लेकिन बाहर तो तूफान चल रहा था जिसमें एक जगह उसका पैर धंस जाता है और वो दब कर मर जाता है। वोही महिला दर्द से छटपटा रही थी के शैतान टीमो की उस पर कृपा हुई और वो वहां प्रकट हुए।उन्होंने महिला के पेट में अपनी करामती उंगली रखी और फिर एक किरण महिला के पेट में जा टकराई, महिला ने बहुत आसानी से बच्ची को जन्म दिया। गजब की बात ये थी के शैतान टीमो की कृपा से बच्ची को एक वरदान मिल गया। उसके पेट पर एक निशान बन गया जो उसके खास होने की निशानी है। अब तुमको लग रहा होगा के ये सब हमको कैसे पता तो सुनो हम किस्मत से तूफान थमने के तुरंत बाद वहां पूजा के लिए गए थे जहां हमको बच्ची और बच्ची की मां मिली जो मदद की गुहार लगा रही थी। हमको नज़र आया के बच्ची का पेट चमक रहा है। बच्ची की मां ने सारी कहानी बताई फिर हम मदद करने का लालच देकर मां और बच्ची को अपने ठिकाने पर ले आएं और मां को मार डाला क्यों के हमको तो बच्ची का दिल चाहिए था जिसको हम खा लें तो महा शक्तिशाली हो जाएंगे और फिर मेरा भी मंदिर बनेगा और हम भगवान बन जाएंगे! लेकिन बदकिस्मती से मेरे ठिकाने से बच्ची को एक कुत्ता उठा कर ले गया और रस्ते से गुज़र रहे एक परिवार के गाड़ी के सामने रख दिया। हम बाद में सुने कि परिवार ने बच्ची को उठा लिया था तब से आज तक हम हर कुत्ते को पीटते रहते हैं। बच्ची को बहुत ढूंढा पर उसका आता पता न मिला। सिर्फ बच्ची को पाने के खातिर हम ओझा और बाबा बन गए इस उम्मीद से के कभी तो वो अपने शैतानी ताकतों से परेशान हो कर हम से इलाज कराने ज़रूर आयेगी! फिर एक दिन हम से एक बद रूह मिलने आई! उसने हम को बताया के हम से मिलने एक खास लड़की आने वाली है जो मुझे कैद करवाने की बात कहेगी वो तुम्हारे काम आ सकती है। जब खास की बात की तो हम समझ गए के वो खास तुम ही हो लूसी पार्कर!...आखिर इतने दिनों के तपस्या के बाद वो खोई हुई बच्ची हमको मिल ही गई।"

ढोंगी बाबा ने ठहाका लगाया।

सारी बातें सुन कर लूसी के मन का समंदर उफान मारने लगा। जज़्बातों की तेज़ तेज़ लहरे दिल को चोट दे रही थी। कई सारे एहसासात और एक साथ लगे कई ताज़े ज़ख्मों में टीस महसूस होने लगी। उसकी आंखें और चहरा बिलकुल सुर्ख हो गया था। उसने बाघिन की तरह दहाड़ना शुरू किया और ऐसी चीख मारी के बाबा के कान का परदा फटने के कगार पर आ गया। 
जिस बेशर्मी से बाबा ने लूसी के मां को मारने की बात बताई उसका दिल कर रहा था के अगर बाबा के जिस्म के सौ टुकड़े भी कर दे तो उसके दिल को सुकून नहीं मिलेगा। 
रस्सियों से खुद को आज़ाद करने के लिए हाथ पैर मारने लगी तो बाबा ने उसका मुंह बंद करने की कोशिश की लेकिन लूसी बेतहाशा चिल्ला रही थी। बाबा ने गुस्से में आकर उसके ऊपर लाल रंग की धूल मंत्र पढ़कर झोंक दिया। उसे लग रहा था के ऐसा करने से वो बेहोश हो जायेगी लेकिन उस धूल का लूसी पर कोई असर नहीं हुआ और वो हाथ खोलने में कामयाब हो गई। 
उसने एक ज़ोर दार तमाचा ढोंगी बाबा के चहरे पर जड़ दिया जिस से उसके कान में सीटियां बजने लगी। लूसी जल्दी जल्दी अपने पैरों की रस्सी खोलने लगी के तभी बाबा ने एक डंडा उसके सर पर मार दिया। सर पर तेज़ चोट लगने से लूसी बेहोश हो कर गिर पड़ी। 

कुछ समय बाद रोवन की आंखें खुली तो उसने खुद को एक ऐसी जगह में पाया जो तहखाना जैसा लग रहा था। एक मशाल दीवार पर लगा हुआ जल रहा था। उसने धीरे धीरे दीवारों पर नज़र दौड़ाई तो अजीब अजीब नक्शे बने हुए देखा। आसपास के जगहों को टॉर्च की रौशनी में देखा तो इंसानी हड्डियों का अंबार लगा हुआ पाया जिसे देखने से मन विचलित होने लगा था। रोवन को मालूम नहीं था के उसके साथ झुमकी और दुलाल भी हैं जो उसकी मदद करना चाहते हैं। 

To be continued........