काफ़ी सारी गुजराती कहानियों के बाद ये मातृभारती पर मेरी पहली हिंदी कहानी है। उम्मीद हैं कि हमारे पाठकों को गुजराती कहानियों के जैसे मेरी ये हिंदी कहानी भी पसंद आएगी। तो मेरी कहानी 'एक बूंद इश्क' को पढ़कर अपने प्रतिभाव देना ना भूलें। यह कहानी एक ग़लतफहमी से शुरू प्यार पर खत्म होगी। जिसमें कहानी के नायक और नायिका को काफी सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। फिर भी इस का अंत काफ़ी दुखदाई रहेगा। जो आपको कहानी पढ़ने के बाद ही पता चलेगा। १.ग़लतफहमी बनारस शहर! जो महादेव की नगरी के नाम से जाना जाता है। जहां काशी विश्वनाथ का मंदिर और चोरासी घाट बने है। उसी चोरासी घाटों मे से अस्सी घाट नाम के घाट पर हमारी अपर्णा बैठी थी। अपर्णा माने देवी पार्वती का ही एक नाम! हमारी अपर्णा की भी इच्छा थी कि उसे महादेव जैसा पति मिले। मगर पार्वती जी जैसी देवी को महादेव को पाने के लिए तपस्या करनी पड़ी थी। तो अपर्णा को इतनी आसानी से महादेव जैसा पति कैसे मिलता?

Full Novel

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एक बूंद इश्क - 1

काफ़ी सारी गुजराती कहानियों के बाद ये मातृभारती पर मेरी पहली हिंदी कहानी है। उम्मीद हैं कि हमारे पाठकों गुजराती कहानियों के जैसे मेरी ये हिंदी कहानी भी पसंद आएगी। तो मेरी कहानी 'एक बूंद इश्क' को पढ़कर अपने प्रतिभाव देना ना भूलें। यह कहानी एक ग़लतफहमी से शुरू प्यार पर खत्म होगी। जिसमें कहानी के नायक और नायिका को काफी सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। फिर भी इस का अंत काफ़ी दुखदाई रहेगा। जो आपको कहानी पढ़ने के बाद ही पता चलेगा। १.ग़लतफहमी बनारस शहर! जो महादेव की नगरी के नाम से जाना जाता है। जहां काशी विश्वनाथ ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 2

२.मुंबई की सफ़र अपर्णा सुबह जल्दी उठकर अपना बैग लेकर नीचे आ गई। चाची ने उसे चाय-नाश्ता दिया। अपर्णा बहुत नाश्ता करके, चाय पीकर स्टेशन जाने के लिए निकल गई। उसकी दश बजें की ट्रेन थी। नौ तो बज चुके थे। वह जल्दी बैग उठाकर बाहर आई। आरुषि अपनी गाड़ी लेकर बाहर ही खड़ी थी। उसने अपर्णा को स्टेशन तक छोड़ा। फिर उसे दिल्ली वापस जाना था। तो जल्द ही निकल गई। अपर्णा स्टेशन पहुंची तब तक ट्रेन आ चुकी थी। वह जल्द ही ट्रेन में चढ़ी और जैसे ही अपना बैग ऊपर रखने लगी। उसी वक्त एक लड़के ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 3

३.इंटरव्यू एक दिन और एक घंटे के बाद सुबह के दश बजें ट्रेन मुंबई स्टेशन पर रुकी। अपर्णा शिवा घूरते हुए अपना बैग लेकर ट्रेन से नीचे उतरी। वह पहली बार मुंबई आई थी। लेकिन जब से मम्मी-पापा से अलग हुई थी। उसने अकेले ही सारी परेशानियों‌ से निपटना सीख लिया था। स्टेशन से बाहर निकलते ही उसने टेक्सी की और होटल आ गई। ग्यारह बजे उसे इंटरव्यू के लिए जाना था। स्टेशन से आते वक्त तो ट्राफिक नहीं मिला। लेकिन मुंबई का कोई ठीकाना नहीं होता था। कब ट्राफिक में फंस जाएं और ग्यारह बजे के बदले बारह ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 4

४.खुशखबरी अपर्णा होटल आकर सीधा ही अपनें रुम में आ गई। उसकी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि नौकरी मिलेगी या नहीं? यहां आने से पहले वो स्यॉर थी कि उसे नौकरी जरूर मिलेगी। लेकिन उसे तब ये कहा पता था कि उसका इंटरव्यू शिवा याने कि रूद्र लेनेवाला है। जिसके चलतें अपर्णा थोड़ी टेंशन में आ गई थी। दोपहर के एक बजे उसने खाना अपनें कमरें में ही मंगवा लिया। फिर खाकर वह थोड़ी देर के लिए सो गई। थकान की वज़ह से उसे नींद तो आ गई। लेकिन नौकरी का ख्याल अभी भी उसके मन से ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 5

५.मस्तीखोर दोस्त साक्षी के फ़ोन रखते ही रुद्र ने उससे पूछा, "क्या कहा उसने?" "वो दो दिन बाद ऑफिस करेगी। बोल रही थी कि वो सिर्फ इंटरव्यू के लिए आई थी तो जोइन करने से पहले बनारस जाना होगा।" साक्षी ने जवाब दिया। "तो उह बवाल दो दिन बाद ऑफिस में भूचाल मचाने आएंगी। ठीक है दो दिन इंतजार कर लेते है।" साक्षी की बात सुनकर रुद्र धीरे-से बड़बड़ाया और अपने केबिन की ओर बढ़ गया। उसी शाम को ऑफिस के बाद रुद्र अपनें दोस्त रितेश के घर पहुंचा। रुद्र ने देखा तो उसके सभी दोस्त वहां मौजूद थे ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 6

६.ऑफिस में पहला दिन रुद्र रात को अपनें दोस्तों के साथ मस्ती मज़ाक के बाद सुबह ऑफिस आया। उसकी से पहले ऑफिस आ जानें की आदत थी। लेकिन आज़ कोई उससे भी पहले यहां मोजूद था। मतलब की थी। क्यूंकि रूद्र से पहले आनेवाली अपर्णा थी। रुद्र उसे इस वक्त यहां देखकर चौंक गया। "तुम तो बनारस जानेवाली थी। फिर इतनी सुबह यहां?" रुद्र ने हैरान होकर पूछा। "जानेवाली थी लेकिन चाची ने कहा कि मुझे इतनी दूर जाने की जरूरत नहीं है। वो मेरा एक दोस्त मुंबई आ रहा है तो चाची उसके साथ ही मेरा बाकी का ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 7

७.परिवार अपर्णा का एक पूरा दिन काम में ही बीत गया। शाम को जब वह होटल लौटी। तब उसने कि उसका दोस्त उसका इंतज़ार कर रहा था। उसे देखते ही अपर्णा उसके पास आई और उसे डांटते हुए कहने लगी, "कबीर! तुम कब आएं और कब से इंतजार कर रहे हों? एक फोन करते तो मैं जल्दी आ जाती ना‌।" "बस अभी-अभी आया हूं। लेकिन वापस जल्दी जाना है। तू सारा सामान देख ले। फिर मैं चलता हूं।" कबीर ने कहा। "मुझे ये सब मेरे फ्लैट पर शिफ्ट करना है। तो अभी कुछ भी देखने का वक्त नहीं है। ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 8

८.पुरानी यादें रुद्र अपनें कमरें में आकर अपनें दादाजी की तस्वीर के सामने खड़ा हो गया। अचानक ही उसके पर मुस्कान तैर गई। वह अतीत की यादों में खो गया। जहां वो अपनें दादाजी की गोद में सिर रखकर सो रहा था। "दादू! क्या मैं आपके साथ आश्रम नहीं आ सकता?" रुद्र ने मासूमियत से पूछा। "आ सकते हों। मगर मेरी एक बात मानोगे?" दादाजी ने प्यार से रुद्र का सिर सहलाते हुए पूछा। "जरुर मानूंगा।" रुद्र ने कहा। "तुम मेरे साथ आश्रम आकर रहो। उसमें मुझे कोई एतराज़ नहीं है। लेकिन तुम्हारे पापा को लगेगा कि मैं इस ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 9

९.दादाजी विक्रम और स्नेहा ने सारे फोटोग्राफ्स देखें तब जाकर वो दोनों सोने के लिए गए। रुद्र उनके जानें बाद एक बार फिर से सारे फोटोग्राफ्स देखने लगा। जिनमें से एक फोटो पर उसकी नजरें जम सी गई। वो किसी और की नहीं बल्की अपर्णा की फोटो ही थी। जो चाट खाते हुए खींची गई थी। रुद्र को बहुत याद करनें पर भी याद नहीं आया कि उसने ये फोटो कब खींची थी? अपर्णा उस फोटो में बहुत प्यारी लग रही थी। चाट खाते वक्त उसके होंठों पर मुस्कान और चेहरे पर जो सुकून था। रुद्र उसका कायल हो ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 10

१०.बारिश अपर्णा अपना काम कर रही थी। उस वक्त विक्रम आया। जिस दिन अपर्णा का इंटरव्यू था उस दिन कल विक्रम ऑफिस में नहीं आया था। लेकिन उसे रितेश से पता चला था कि ऑफिस में एक नई लड़की आई है और उसे रुद्र ने काम पर रखा है। इसलिए वह अपर्णा को देखने चला आया। दरअसल रितेश का कुछ-कुछ लड़कियों जैसा था। उसके पेट में कोई बात टिकती नहीं थी। विक्रम ने आतें ही अपर्णा को स्कैन करना शुरू कर दिया। क्यूंकि उसे पता था कि रुद्र ऐसे ही किसी लड़की को काम पर नहीं रखेगा। जब कि उसने ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 11

११.शरारते रुद्र अपर्णा को बारिश में भीगती हुई देख रहा था। उसी वक्त उसके फ़ोन पर एक मैसेज आया। वह तुरंत घर जाने के लिए निकल गया। दरअसल आज़ भी सब घर पर उसका खाने के लिए इंतजार कर रहे थे। इसलिए विक्रम ने मैसेज भेजा था। क्यूंकि आज़ भी रुद्र लेट हो गया था। रुद्र ने गाड़ी को बहुत तेज़ भगाया। फिर भी घर आते हुए उसे साढ़े नौ बज गए। "आईए जनाब! आपको ना गिनिस बूक में लेट होने के लिए अपना नाम दर्ज करवा लेना चाहिए।" रुद्र का पैर घर में पड़ते ही रणजीत जी ने ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 12

१२.रक्षाबंधन कुछ दिन ऐसे ही बीत गए। इन दिनों में रुद्र और अपर्णा की किसी ना किसी बात पर हों ही जाती। इसी बीच रक्षाबंधन की छुट्टियां पड़ते ही अपर्णा बनारस जाने की तैयारी करने लगी। वह अपना बैग पैक कर रही थी। तब नियति उसकी मदद करने के लिए आई। "तुम ट्रेन से जा रही हों या प्लेन से?" नियति ने आतें ही पूछा। "मै अपनें दोस्त की गाड़ी में जा रही हूं। आज़ निकलेंगे तो कल तक आराम से पहुंच जाएंगे।" अपर्णा ने बैग पेक करते हुए कहा। "वहीं दोस्त ना जो तुम्हें उस दिन यहां छोड़ने ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 13

१३.अनोखा मिलन सात दिन बाद आखिर जन्माष्टमी का दिन आ ही गया। अपने कमरे में बैठा रुद्र अपनें हाथों फोन लिएं बैठा था। पीले कुर्ते और सफेद चुड़ीदार में रुद्र काफ़ी हेंडसम लग रहा था। लेकिन उसके चेहरे पर असमंजस नज़र आ रही थी। वह अपने फोन पर अपर्णा का नंबर निकालकर बैठा था और इसी दुविधा में था कि अपर्णा को फ़ोन करें या ना करे? पीछले सात दिन से वह यहीं दुविधा में चल रहा था। रुद्र फोन हाथों में थामें बैठा था उसी वक्त विक्रम ने आकर कहा, "तू यहां क्या कर रहा है? नीचे सब ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 14

१४.दही हांडी दही हांडी फोड़ कर जन्माष्टमी मनाने का वक्त हों गया था। सब लोग बाहर आ गए। रुद्र दोस्त, रुद्र और आसपास के लड़के मिलकर दही हांडी फोड़ने वाले थे। बाहर आते ही सब घेरा बनाकर दही हांडी फोड़ने की मेहनत करने लगे। घर के सभी लोग सब को चियर अप कर रहे थें। अपर्णा दादाजी के पास खड़ी मुस्कुराते हुए रुद्र को देखें जा रही थी। रुद्र का ध्यान भी उसी तरफ था। इस चक्कर में उसकी वज़ह से एक बार तो सब लोग गिर गए। "बरखुरदार! पहले दही हांडी फोड़ लिजिए। नैना बाद में लड़ा लेना।" ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 15

१५.अतीत दादाजी और रुद्र अपर्णा के बारे में बातें कर रहे थे। उसी वक्त घर के सभी लोग अपर्णा घेरे बैठे थे। रणजीत जी कुछ परेशान से दरवाज़े की ओर देखे खड़े थे। उसी वक्त वहां एक औरत आई और उसने कहा, "क्या हम अंदर आ जाएं?" औरत की आवाज़ सुनकर सब का ध्यान उस तरफ़ गया। कोई भी उन्हें नहीं जानता था। इसलिए सब हैरानी से उन्हें देख रहे थे। लेकिन जैसे ही अपर्णा और दादाजी का ध्यान उस औरत पर पड़ा। दोनों की सांसें ही रुक गई। उन्होंने एक-दूसरे को देखा। तभी रणजीत जी ने कहा, "आइए ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 16

१६.नजदिकीया अग्निहोत्री परिवार के सभी लोग वंदिता जी की खातिरदारी में लगे हुए थे। रणजीत जी और दादाजी के किसी को ये नहीं पता था कि वंदिता जी अपर्णा की मॉम है। लेकिन वंदिता जी को दादाजी के परिवार के बारे में सब पता था। ये बात दादाजी भी जानते थे। इसलिए आखिर में उन्होंने ही वंदिता जी से पूछा, "अब आप यहां क्यूं आई है? आपने तो हमारे परिवार से सारे रिश्ते तोड़ दिए थे।" "जो किया था, वो अखिल भारद्वाज ने किया था और मैं वंदिता शुक्ला हूं। आपको जो भी शिकायतें करनी हो अखिल भारद्वाज से ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 17

१७.जासूस जन्माष्टमी के बाद से ऑफिस फिर से चालू हो गया। जैसा कि रुद्र ने कहा था। ऑफिस में अपर्णा का वंदिता जी से सामना हो गया। लेकिन अपर्णा भी अपनी मम्मी जैसी ही थी। काम और रिश्तों के बीच में एक दीवार खड़ी रखती थी। जिससे उसे काम और रिश्ते दोनों ही अच्छे से संभालना आता था। वंदिता जी भी आखिर में तो एक माँ ही थी। अपनी बेटी को इतनी बड़ी कंपनी में इतनी शिद्दत से काम करता देख उन्हें भी बहुत अच्छा लगा। वो अपर्णा से बात करने के बहाने ढूंढती रहती। लेकिन रूद्र बीच में ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 18

१८.पुराने राज़ हाथ लगे रुद्र वंदिता जी से मिला। इसलिए अपर्णा को उस पर शंका हुई थी। जिससे रुद्र एक कदम संभलकर आगे बढ़ रहा था। अपर्णा हर वक़्त रुद्र पर नज़र रखें हुए थी। लेकिन आखिर वह रुद्र के घर में उस पर नज़र नहीं रख सकती थी। इसलिए रुद्र ने अपर्णा के पापा को ढूंढने का सारा काम घर से ही करना शुरू कर दिया। रूद्र के जासूस ने अखिल जी की इन्फॉर्मेशन निकालने के लिए रुद्र से दो दिन मांगे थे। जिसमें एक दिन बीत गया था। रात को ऑफिस से आने के बाद रुद्र हॉल ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 19

१९.पापा से सामना बनारस पहुंचते ही रूद्र अपर्णा को लेकर घाट पर आ गया। जहां पूजा हो रही थी। से अपर्णा फ़िर सवाल करने लगी, "तुम मुझे यहां क्यूं लाएं हो?" "कुछ देर और इंतजार कर लो। बहुत जल्द सब पता चल जाएगा।" रुद्र ने इधर उधर देखते हुए कहा। वह अखिल जी को ढूंढने में लगा हुआ था। लेकिन अपर्णा उसकी हरकतों से गुस्सा हो रही थी। कुछ देर ढूंढने के बाद रूद्र की नज़र पूजा में बैठे एक शख्स पर पड़ी। बढ़ी हुई दाढ़ी और लंबे बालों की वजह से रूद्र को उसका चेहरा ठीक से दिखाई ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 20

२०.मुश्किल वक्त रूद्र ने अपर्णा के पास आकर उसे संभाला और खड़ा किया। दोनों ने एक नज़र घुटनों के बैठकर रो रहे अखिल जी को देखा। एक तरह से उनकी गलति तो थी। लेकिन वो आखिर अपर्णा के पापा थे। रुद्र चाहता था कि अपर्णा अखिल जी से बात करें। क्यूंकि अब शायद उन्हें उनकी गलति का पछतावा हो गया था। लेकिन जो गलत हुआ वो सब अपर्णा के साथ हुआ था। इसलिए रुद्र ने बीच में ना बोलना ही सही समझा। अपर्णा ने रुद्र की ओर देखकर पूछा, "तो तुम मुझे यहां इनसे मिलवाने लाएं थे? लेकिन तुम्हें ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 21

२१.शुभ-अशुभ अपर्णा सुबह उठकर नीचे आई। तब सभी लोग हॉल में जमा थे। अपर्णा को उठने में देरी हो थी। देर रात तक सोचने की वजह से उसे नींद भी देरी से आई थी। उसने नीचे आकर देखा तो वंदिता जी सुबह-सुबह ही आ गई थी। लेकिन रुद्र कहीं नजर नहीं आ रहा था। जिससे अपर्णा को थोड़ा असहज महसूस हुआ। रुद्र के साथ अपर्णा ने भले ही थोड़ा वक्त बिताया था। लेकिन जब वो साथ होता तो उसे हिमत मिलती। फिर आज़ तो उसे जिंदगी का सब से बड़ा फैसला लेना था। बहुत सारे सवाल करने थे और ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 22

२२.चमत्कार वंदिता जी के जाने के बाद अपर्णा बहुत रोई। उसे अभी तक यकीन नहीं हो पा रहा था उसकी खुद की मम्मी ने उसके कदम अशुभ समझकर उसे ठुकरा दिया था। सावित्री जी ने उसे बहुत समझाया। मगर उसका रोना बंद ही नहीं हो रहा था। आखिर में उसने अपने आप को कमरे में बंद कर लिया। बाहर सभी लोग बहुत परेशान थे। लेकिन किसी की अपर्णा को समझाने की हिम्मत नहीं थी। दादाजी ने रुद्र के पास आकर कहा, "बेटा! तू जाकर अपर्णा को समझा कि इन सब में उसकी कोई गलति नहीं है। वो हमसे ज्यादा ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 23

२३.जुदाई रुद्र परेशान सा बैठा था। उस वक्त उसके फेसबुक पर किसी ने अपर्णा की फोटो पर कॉमेंट कि, लिखा था, "अपर्णा इस वक्त एस.के बोले मार्ग, प्रभादेवी, मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित सिद्धी विनायक मंदिर में है। मैं भी यहीं हूं आप प्लीज जल्दी यहां आ जाईए।" कॉमेंट पढ़ते ही रुद्र ने गाड़ी सिद्धी विनायक मंदिर की ओर मोड़ दी। आज़ उसने इतनी तेज गाड़ी चलाई। जितनी उसने अपनी पूरी लाइफ में कभी नहीं चलाई थी। कुछ ही देर में रुद्र सिद्धी विनायक मंदिर पहुंच गया। लेकिन अपर्णा कहा थी? ये उसे नहीं पता था। मंदिर काफी बड़ा था। ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 24

२४.अपर्णा का फैसला रूद्र अपने कमरे में आकर अपना गुस्सा पंचिंग बैग पर निकालने लगा। उसकी आंखों से आंसू रहे थे। साथ ही गुस्से से आंखें बिल्कुल लाल हो चुकी थी। वह जिस तरह पंच मार रहा था। उसी से उसका गुस्सा जाहिर हो रहा था। वह दादाजी से मिलना चाहता था। लेकिन अपर्णा को लिए बिना ही आया था। इसकी वजह से वह दादाजी के पास भी नहीं जा पाया। रुद्र जब पंच मारके थक गया तब सीधा ही बिस्तर पर जा गिरा। बंद आंखों के कोनों से अभी भी आंसू गिरकर उसकी कनपटी से होते हुए नीचे ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 25

२५.एक बूंद इश्क अपर्णा अपने कमरें में रो रही थी। उस वक्त वंदिता जी उसके कमरे में आई। सारे नीचे परेशान बैठे थे। रुद्र अपनें आप को अपने कमरे में बंद करके बैठा था। सब को उसकी बहुत चिंता हो रही थी। मगर किसी में उसके पास जाकर उसे मनाने की हिम्मत नहीं थी। उसका गुस्सा कैसा था? वो सब जानते थे। इसलिए अब सब की उम्मीद बस अपर्णा से जुड़ी थी। कुछ देर बाद रुद्र के कमरें से चीजें टूटने की आवाजें सुनाई देने लगी। रणजीत जी अपने आप को रोक नहीं पाएं तो वह खड़े होकर रुद्र ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 26

२६.सगाई रुद्र के फैसले से रणजीत जी बहुत खुश हुए थे। रूद्र ने आज़ तक जिंदगी को कभी सिरियस लिया था। जब की उसने आज़ अपर्णा की बिमारी के बारे में जानकर भी उससे शादी करने का फैसला लिया। इस बात से रणजीत जी को रुद्र पर गर्व महसूस हो रहा था। क्यूंकि प्यार वो नहीं जो मुश्किल घड़ी में आपका साथ छोड़ दें। प्यार तो वो है, जो मुश्किल वक्त में आपका हाथ थामकर आपके साथ चले। रणजीत जी ने खुश होकर रूद्र और अपर्णा को आशीर्वाद दिया। उन्होंने तुरंत दोनों की शादी की तैयारियां शुरू कर दी। ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 27

२७.शादी-एक पवित्र बंधन सगाई के बाद दूसरे दिन अपर्णा अपने कमरे में सो रही थी और नीचे उसकी हल्दी रस्म की तैयारियां चल रही थी। उसी वक्त आरुषि आई। जिसे वंदिता जी ने ही बुलाया था। आखिरकार आरुषि अपर्णा की बेस्ट फ्रेंड थी। आरुषि आकर सब से मिली और सीधा अपर्णा के कमरें में पहुंच गई। उसने आते ही खिड़की का पर्दा हटाकर उसे खोल दिया। उसी के साथ अपर्णा ने उठकर कहा, "आरुषी! तुम यहां?" अपर्णा ने अभी तक आरुषि का चेहरा नहीं देखा था। वह खिड़की की तरफ मुंह किए खड़ी थी। लेकिन उसकी इस हरकत से ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 28

२८.बनारस की वो रात शादी के दूसरे दिन ही अपर्णा पगफेरो की रस्म के लिए अपनें घर आई। वंदिता ने अपर्णा की पसंद का खाना बनाकर तैयार रखा था। सब ने आज़ साथ बैठकर खाना खाया। फिर रूद्र अपर्णा को लेने आ गया। दोनों की आज़ शाम की बनारस जाने की फ्लाईट थी। अपर्णा ने घर आकर पेकिंग करना शुरू कर दिया। रूद्र भी उसकी मदद करनें लगा। अचानक ही उसे शरारत सूझी तो उसने अपर्णा को कमर से पकड़कर उसे अपनी ओर खींचकर कहा, "वैसे उस दिन तो मैं तुम्हारी गोद में गिरा तो तुमने मुझे बहुत सुनाया ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 29

२९.खुशियों की चाबी अगली सुबह रूद्र और अपर्णा जल्दी ही उठकर घाट पर पहुंच गए। जहां अपर्णा ने पंडित के हाथों एक छोटी-सी पूजा करवाई और दोनों आरती में शामिल हुए। आरती के बाद अपर्णा रुद्र के साथ पंडित जी के आशीर्वाद लेने आई। तो पंडित जी ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा, "सदा सुहागन रहो।" पंडित जी से ऐसा आशीर्वाद पाकर अपर्णा के चेहरे पर मुस्कान आ गई। दोनों आरती के बाद थोड़ी देर तक वहीं घूमते रहे। फिर वापस मुंबई आने के लिए निकल गए। मुंबई आने के बाद रूद्र ऑफिस के काम में बिज़ी हो गया। ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - 30

३०.अपर्णा की बेचैनी रुद्र का सपना पूरा होनेवाला था। ये जानकर सब लोग बहुत खुश थे। गुरुवार की दोपहर ही रुद्र अपर्णा के साथ दिल्ली जाने के लिए निकल गया। उसने सारी तैयारी पहले से करके रखी थी। दोनों दिल्ली पहुंचकर एक होटल में आएं। फिर थोड़ी देर रेस्ट करके दोनों फंक्शन में जाने के लिए तैयार होने लगे। अपर्णा ने ब्लेक रंग की चमकीली बोर्डर वाली साड़ी पहनी और रुद्र ने ब्लेक रंग का ब्लेजर और ब्लेक पेंट पहन लिया। दोनों बहुत ही प्यारे लग रहे थे। आठ बजे दोनों फंक्शन में जाने के लिए निकल गए। उन्हें ...और पढ़े

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एक बूंद इश्क - (आखरी अध्याय)

३१.तारों के रुप में रुद्र-अपर्णा अपर्णा की बातें दरवाज़े पर खड़ी चाची ने सुन ली, तो उन्होंने तुरंत चाचा फोन करके सब को सीटी हॉस्पिटल जाने के लिए कह दिया। इधर अपर्णा की तबियत भी बिगड़ रही थी। चाची और सावित्री जी मिलकर उसे भी नीचे ले आई। दादाजी अपने कमरे में थे। उन्हें इन सब के बारे में कुछ पता नहीं था। चाची और सावित्री जी अपर्णा को भी हॉस्पिटल ले गई। हॉस्पिटल पहुंचकर दोनों ने अपर्णा को वहां एडमिट किया। तब तक चाचा, विक्रम और रणजीत जी भी आ गए। उन्होंने यहां के डॉक्टर से बात करके ...और पढ़े

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