Ek bund Ishq - 29 books and stories free download online pdf in Hindi

एक बूंद इश्क - 29

२९.खुशियों की चाबी


अगली सुबह रूद्र और अपर्णा जल्दी ही उठकर घाट पर पहुंच गए। जहां अपर्णा ने पंडित जी के हाथों एक छोटी-सी पूजा करवाई और दोनों आरती में शामिल हुए। आरती के बाद अपर्णा रुद्र के साथ पंडित जी के आशीर्वाद लेने आई। तो पंडित जी ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा, "सदा सुहागन रहो।"
पंडित जी से ऐसा आशीर्वाद पाकर अपर्णा के चेहरे पर मुस्कान आ गई। दोनों आरती के बाद थोड़ी देर तक वहीं घूमते रहे। फिर वापस मुंबई आने के लिए निकल गए। मुंबई आने के बाद रूद्र ऑफिस के काम में बिज़ी हो गया। अपर्णा की नई-नई शादी हुई थी। तो वह कुछ दिन के लिए घर पर ही रही। सावित्री जी ने उसके पास पहली रसोई की रस्म करवाई। शाम में उन्होंने मुंह दिखाई की रस्म रखी थी। जिसमें उन्होंने अपनी सहेलियों और आस-पड़ोस की औरतों को बुलाया था। इसलिए वह उन्हीं की तैयारियों में लग गई।

उसी शाम रुद्र और बाकी सब ऑफिस से जल्दी आ गए। रस्म का वक्त होते ही सभी औरतें और सावित्री जी की सहेलियां भी आ गई। सब के आते ही रस्म शुरू हो गई। सब ने अपर्णा को आशीर्वाद और ढेर सारे तोहफे दिए। अपर्णा को एक साथ इतनी सारी खुशियां कभी नहीं मिली थी। जो शादी के बाद मिल रही थी।
रस्म के बाद सब ने खाना खाया और अपर्णा अपनें कमरें में आ गई। रुद्र भी अपना ऑफिस का कुछ काम विक्रम से डिस्कस करके कमरें में आ गया। उसने कमरें में आते ही अपर्णा से पूछा, "तुम्हें आज़ मुझसे क्या गिफ्ट चाहिए?"
"कुछ नहीं, आप मिल गए। इतना अच्छा परिवार मिल गया। अब मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस एक वादा चाहिए की आगे कभी मैं आपसे कुछ मांगू। तो आप मना नहीं करेंगे।" अपर्णा ने अपना हाथ आगे करके कहा।
रुद्र ने उसके हाथ में अपना हाथ रखकर कहा, "ठीक है, वादा रहा।"

शादी के बाद अपर्णा की हर सुबह और भी ज्यादा खुबसूरत होने लगी थी। वो और रूद्र अपनी शादीशुदा जिंदगी में बहुत खुश थे। साथ ही रुद्र को खुश देखकर दादाजी भी बहुत खुश थे। इन सब के बीच कुछ दिनों बाद अपर्णा ने ऑफिस जाना भी शुरू कर दिया। जिसकी वज़ह से वह घर आकर भी लेपटॉप लेकर बैठी रहती। वह क्या करती थी? ये उसने किसी को नहीं बताया था।
एक रात जब रुद्र सो गया। तब अपर्णा आधी रात को उसका कैमरा लेकर उसमें फोटोज़ देखने लगी। इन सब से अनजान रूद्र तो आराम से सोया हुआ था। अपर्णा काफ़ी देर तक कैमरा और लेपटॉप लेकर बैठी रही। फिर कुछ देर बाद कैमरा वापस अलमारी में रखकर सो गई।
रुद्र सो जाएं फिर अपर्णा रोज रात को लेपटॉप लेकर बैठ जाती। ऐसा लगभग दो हफ्तों तक चला। एक रात को रुद्र ने उसे देख लिया तो उसने उठकर पूछा, "इतनी रात गए तुम लेपटॉप लेकर क्या कर रही हो?"
"क क कुछ नहीं। आप सो जाईए।" अपर्णा ने हड़बड़ाकर कहा और खुद भी लेपटॉप बंद करके सो गई।

कुछ दिनों बाद रूद्र को एक ई-मेल मिला। जिसे देखकर उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। उसने अपर्णा को आवाज देते हुए कहा, "अपर्णा! ज़रा यहां आना तो।"
अपर्णा जल्दी से रूद्र के पास आई और पूछने लगी, "क्या हुआ?"
"ज़रा ये ई-मेल देखो तो किसी ने मुझे दिल्ली से भेजा है। उनका कहना है, कि मैंने जो फोटोज़ भेजे। वो उन्हें बहुत अच्छे लगे। इसके लिए वो मेरे काम को सराहना चाहते है। जिसके लिए दिल्ली में उन्होंने छोटा-सा फंक्शन रखा है और मेरे साथ एक प्रोजेक्ट भी करना चाहते है। जिसमें मुझे कंट्री की अलग-अलग जगहों के फोटोग्राफ्स खींचकर उनके बारे में कुछ खास बातें लिखकर एक प्रोजेक्ट तैयार करना है। अगर मेरा प्रोजेक्ट अच्छा हुआ तो मुझे बेस्ट फोटोग्राफर का अवॉर्ड मिलेगा।" रुद्र ने अपने लेपटॉप पर अपर्णा को ई-मेल दिखाते हुए कहा।
"ये तो बहुत अच्छी बात है।" अपर्णा ने खुश होकर कहा।
"अच्छी बात तो है। लेकिन मैंने तो किसी को कोई फोटोज़ भेजे ही नहीं है। तो फिर ऐसा कैसे हो गया?" रुद्र ने सोचते हुए कहा।
"वो वो मैंने... फोटोज़ भेजे थे। उस दिन आपने कहा कि आपको फोटोग्राफर बनना था। इसलिए मुंबई आकर मैंने उस पर काम करना शुरू कर दिया। जिसके चलतें मैंने ही अलग-अलग कंपनियों में आपके खींचे फोटोग्राफ्स भेजे थे।" अपर्णा ने धीरे-से कहा।
"इसका मतलब तुम देर रात जागकर लेपटॉप में ये सब करती थी?" रुद्र ने हैरानी से पूछा तो अपर्णा ने हां में सिर हिला दिया।
रुद्र ने खड़े होकर उसे गले लगाते हुए कहा, "थैंक्यू सो मच, तुमने मेरे लिए इतना सब किया। लेकिन अगर तुम्हारी तबियत खराब हो जाती तो?"
"आपका और परिवार का प्यार मेरे साथ है। फिर आप लोग मुझे वक्त पर दवाइयां और ढेर सारा खाना खिलाते है। तो मुझे कैसे कुछ हो सकता है? देखिए ना, खा खाकर मैं कितनी मोटी हो गई हूं।" अपर्णा ने अपनें गालों को फुलाकर कहा तो रुद्र हंसने लगा।
"वैसे आपको दिल्ली कब जाना है और प्रोजेक्ट कब शुरू करना है?" अपर्णा ने पूछा।
"परसों रात को ही फंक्शन है। उसमें बहुत सारे फोटोग्राफर्स आ रहे है और मुझे अकेले को नहीं हम दोनों को जाना है। उन्होंने उस फंक्शन का कार्ड भी भेजा है, देखो।" रुद्र ने अपर्णा को लेपटॉप में कार्ड दिखाते हुए कहा।
"ये तो बहुत अच्छी बात है। चलिए हम सब को ये बात बताते है।" अपर्णा ने कहा और रुद्र के साथ नीचे आ गई। दोनों ने सब को ये खुशखबरी दी।
दादाजी ने सुना तो रुद्र के सिर पर हाथ रखकर कहा, "देखा, मैंने कहा था। अपर्णा इस घर में आ गई। तो वह तुम्हारी जिंदगी बदलकर रख देगी। इसके आते ही तुम्हारा सपना भी पूरा हो गया।"
"हां, दादाजी! आपने बिल्कुल सही कहा था। अपर्णा मेरी खुशियों की चाबी है।" रुद्र ने अपर्णा की ओर देखकर कहा और वह और दादाजी मुस्कुराने लगे।


(क्रमशः)

_सुजल पटेल


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