Ek bund Ishq - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

एक बूंद इश्क - 10

१०.बारिश


अपर्णा अपना काम कर रही थी। उस वक्त विक्रम आया। जिस दिन अपर्णा का इंटरव्यू था उस दिन और कल विक्रम ऑफिस में नहीं आया था। लेकिन उसे रितेश से पता चला था कि ऑफिस में एक नई लड़की आई है और उसे रुद्र ने काम पर रखा है। इसलिए वह अपर्णा को देखने चला आया। दरअसल रितेश का कुछ-कुछ लड़कियों जैसा था। उसके पेट में कोई बात टिकती नहीं थी।
विक्रम ने आतें ही अपर्णा को स्कैन करना शुरू कर दिया। क्यूंकि उसे पता था कि रुद्र ऐसे ही किसी लड़की को काम पर नहीं रखेगा। जब कि उसने अपर्णा को खुद काम पर रखा था तो उसमें कोई तो खास बात होनी चाहिए। विक्रम उसी खास बात को ढूंढने के लिए अपर्णा के डेस्क के पास आया और कहा, "ये फाइल मुझे आठ बजें तक रेडी चाहिए। कर लोगी?"
"जी सर! हो जाएगा।" अपर्णा ने फाइल देखी और कहा।
विक्रम उसे फाइल थमाकर अपनें केबिन में आ गया। चार तो बज चुके थे और अपर्णा को जो फाइल तैयार करनी थी। उसमें कम से कम आधे दिन की जरूरत थी। जब की अपर्णा के पास चार ही घंटे बचे थे। अपर्णा तुरंत उस फ़ाइल के काम में लग गई। रुद्र अपनें केबिन में बैठा मुस्कुराते हुए सोच रहा था, "आखिर भाई ने तुम्हें परखने के लिए काम दे ही दिया। लेकिन जो लड़की रुद्र को इंप्रेस कर दे वो किसी को भी इंप्रेस कर सकती है। इतना तो मुझे भरोसा है।"
अपर्णा ने अपना काम शुरू कर दिया था। विक्रम बार-बार किसी ना किसी बहाने से अपने केबिन से बाहर आता और अपर्णा कैसे काम कर रही है? ये देख लेता जिससे उसे पता चले कि वो किसी की हेल्प ले रही है या नहीं।
आठ बजते ही अपर्णा फाइल लेकर विक्रम के केबिन में आई। उसने अपर्णा के हाथों में अपनी दी हुई फ़ाइल देखी तो पूछा, "काम हो गया?"
"जी सर! आप एक बार चेक कर लिजिए।" अपर्णा ने कहा और फाइल टेबल पर रख दी। विक्रम उसे उठाकर देखने लगा। फाइल देखते ही उसके चेहरे पर चमक आ गई।
"जैसी मुझे उम्मीद थी उससे बढ़िया काम किया है तुमने‌।" विक्रम ने अपर्णा की तारीफ करते हुए कहा।
"थैंक्यू सर।" अपर्णा ने कहा और चलीं गईं।
"मेरा भाई बाकी हीरा चुनकर लाया है।" विक्रम बड़बड़ाया और अपना काम करनें लगा।
अपर्णा फाइल देकर बाहर आई तो उसने देखा बाहर बारिश शुरू हो गई है। घर जानें में अभी एक ही घंटा बाकी था। अभी अपर्णा के पास कोई काम नहीं था। तो वह कभी मोबाइल देखती और कभी लेपटॉप देखती। ऐसे ही वह बारिश के रुकने का इंतज़ार करने लगी। लेकिन बारिश कम होने की बजाय बढ़ती ही चली जा रही थी। मुंबई की ट्राफिक और बारिश दोनों एक जैसे थे। कब कितनी देर रहे कुछ कहा नहीं जा सकता था। फिर अभी तो बारिश का मौसम चल रहा था। ऐसे में बारिश का रुकना लगभग नामुमकिन था।
साढ़े आठ बजते ही सब अपने-अपने घर को जाने लगे। रणजीत जी को किसी का फोन आया तो वह भी चले गए। कुछ मिनट बाद ऑफिस में सिर्फ रुद्र, अपर्णा और विक्रम बच गए। रुद्र तो किसी काम में इतना डूबा हुआ था कि उसे पता भी नहीं था कि सब चले गए है।
जब विक्रम बाहर आया तब उसने अपर्णा को देखा तो उसके पास आकर पूछने लगा, "तुम अभी तक गई नहीं?"
"वो बारिश के रुकने का इंतज़ार कर रही थी।" अपर्णा ने कहा।
"तो फिर तो हो गया तुम्हारा! ये बारिश तो कब रुकेगी पता नहीं।" विक्रम ने बाहर हो रही बारिश को देखते हुए कहा।
अपर्णा भी विक्रम की बात सुनकर कुछ सोचने लगी। उतने में रुद्र बाहर आया। उसने विक्रम और अपर्णा को साथ देखा तो दोनों के पास चला आया। बारिश की वजह से फर्श गिला हो चुका था तो रुद्र का पांव जैसे ही गिली फर्श पर पड़ा वो फिसला गया। अपर्णा ने उसे बचाने के लिए अपना हाथ आगे किया तो रुद्र उसे भी साथ लेकर नीचे जा गिरा। फिर तो अपर्णा के गुस्से के क्या कहने?
"तुम्हें तो गिरने की और दूसरों को गिराने की जैसे आदत सी हो गई है। अब उठोगे या ऐसे ही रहना है?" अपर्णा ने कटाक्ष करते हुए कहा।
"पहले तुम उठो तब तो उठूंगा न।" रुद्र ने कहा।
विक्रम दोनों को देखकर मुश्किल से अपनी हंसी कंट्रोल करके खड़ा था। वह दोनों के पास आया और अपर्णा को अपना हाथ देकर उसे खड़ा किया। तब जाकर रुद्र उठा। अपर्णा अभी भी गुस्से में थी। रुद्र ने उसका चेहरा देखा तो विक्रम की ओर देखकर सोचने लगा, "अब ये लड़की कुछ ना ही बोले तो अच्छा है। वर्ना ये आज़ मेरा बेंड बजाकर रहेगी।"
"रुद्र! तुम अपर्णा को उसके घर तक छोड़कर आओ।" विक्रम ने कहा।
"उसके घर मतलब बनारस? अब इतनी रात गए वहां कैसे जाऊं?" रुद्र ने मजाकिया लहजे में कहा।
"मज़ाक छोड़ और इसे छोड़कर आ।" विक्रम ने रूद्र के सिर पर चपत लगाकर कहा।
"मैं चली जाऊंगी। इनको परेशान होने की जरूरत नहीं है।" अपर्णा ने रुद्र को घूरते हुए कहा।
"रात काफ़ी हो गई है। बारिश भी हो रही है। रुद्र तुम्हें छोड़ देगा।" विक्रम ने कहा तो रुद्र गाड़ी की चाबी को ऊंगली में घूमाता हुआ बाहर आ गया। अब तो अपर्णा को भी उसी के साथ जाना था। वह भी उसके पीछे-पीछे आ गई। रुद्र ने शराफ़त दिखाते हुए गाड़ी का दरवाज़ा खोला और अपर्णा को बैठने का इशारा किया। अपर्णा के बैठने के बाद वह ड्राईवर सीट पर आ बैठा और गाड़ी अपर्णा के फ्लैट की ओर आगे बढ़ा दी। दोनों के बीच ख़ामोशी थी। कोई कुछ बोल नहीं रहा था।
अपर्णा को ख़ामोशी काटने को दौड़ती थी‌। लेकिन बोलती तो रुद्र से बात ना करके झगड़ा कर बैठती। ऐसे में उसकी नज़र म्युजिक सिस्टम पर गई तो उसने पूछा, "तुम्हारी गाड़ी के म्युजिक सिस्टम में गाने नहीं बजते क्या ?"
"बजते है ना।" रुद्र ने कहा।
"तो फिर ऐसे बंद क्यूं रखा है?" अपर्णा ने मुंह बनाते हुए पूछा।
"मुझे लगा मैंने गाना बजाया तो कोई उल्टा-सीधा गाना बजने पर तुम उल्टा मुझे ही सुनाने लग जाओ। इससे अच्छा मैंने ख़ुद को और म्युजिक सिस्टम को बंद रखना ही ठीक समझा।" रुद्र ने अपर्णा की ओर देखकर कहा।
"तुम्हें नहीं लगता तुम कुछ ज्यादा ही शरीफ़ बनने की कोशिश कर रहे हों?" अपर्णा ने रूद्र को घूरते हुए कहा।
"ये तुम्हारा अच्छा है। शरीफ़ बनकर रहो तो भी तकलीफ़ लड़ाई झगड़ा करो तो भी तकलीफ़।" रुद्र ने थोड़ा ऊंची आवाज़ में कहा।
"तुम्हें जैसे रहना हो रहो।" अपर्णा ने कहा और म्युजिक सिस्टम पर गाना चला दिया।
"अब के सावन ऐसे बरसे, बह जाए रंग, मेरी चुनर से, भीगे तन-मन, जिया ना तरसे, जम के बरस जरा, रुत सावन की, घटा सावन की, घटा सावन की ऐसे जम के बरसे, अब के सावन ऐसे बरसे, बह जाए रंग, मेरी चुनर से
भीगे तन-मन, जिया ना तरसे, जम के बरस जरा" गाना भी मानों बाहर बरस रही बारिश का साथ दे रहा था। गाना सुनकर अपर्णा ने गाड़ी की विंडो खोल दी और अपना हाथ बाहर करके उसमें बारिश का पानी इकट्ठा करने लगी।
"ये क्या कर रही हो? हाथ अंदर करो‌।" रुद्र ने अपर्णा का हाथ पकड़कर अंदर की ओर खींचकर कहा।
"कोई मेरा हाथ काट नहीं देगा और तुम्हें मेरी इतनी फ़िक्र क्यूं है?" अपर्णा ने आंखें दिखाकर कहा और वापस से हाथ बाहर कर दिया। रुद्र ने इस बार कहा कुछ नहीं सिर्फ विंडो का कांच बंद कर दिया। अपर्णा ने रूद्र को देखकर अपना मुंह बना लिया। उतने में फ्लैट आ गया तो रुद्र ने गाड़ी रोकी।
"थैंक्यू मुझे यहां तक छोड़ने के लिए।" अपर्णा ने कहा और दरवाज़ा खोलकर बाहर आ गई। बाहर आते ही उसके मुंह पर बारिश की बूंदें पड़ते ही वह आगे जाकर हाथ फैलाकर बारिश में भीगने लगी। कुछ ही वक्त पहले रुद्र को गुस्से से देखनेवाली अपर्णा बारिश में भीगती हुई एक छोटी बच्ची जैसी लग रही थी। रुद्र ने उसे ऐसे भीगता देखा तो बस देखता ही रह गया।


(क्रमशः)

_सुजल पटेल


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