Ek bund Ishq - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

एक बूंद इश्क - 5

५.मस्तीखोर दोस्त


साक्षी के फ़ोन रखते ही रुद्र ने उससे पूछा, "क्या कहा उसने?"
"वो दो दिन बाद ऑफिस जोइन करेगी। बोल रही थी कि वो सिर्फ इंटरव्यू के लिए आई थी तो जोइन करने से पहले बनारस जाना होगा।" साक्षी ने जवाब दिया।
"तो उह बवाल दो दिन बाद ऑफिस में भूचाल मचाने आएंगी। ठीक है दो दिन इंतजार कर लेते है।" साक्षी की बात सुनकर रुद्र धीरे-से बड़बड़ाया और अपने केबिन की ओर बढ़ गया।
उसी शाम को ऑफिस के बाद रुद्र अपनें दोस्त रितेश के घर पहुंचा। रुद्र ने देखा तो उसके सभी दोस्त वहां मौजूद थे और रितेश काफ़ी गुस्से में लग रहा था। जब उसने रुद्र को देखा तो गुस्से से चिल्ला उठा, "का बे तुझे वो बनारस वाली ही नौकरी पर रखने के लिए मिली थी। उह ट्रेन में हमारे साथ जो की उह का काफी ना था? जो तुने उह को अपनी कंपनी में नौकरी दे दी।"
"ये क्या अपर्णा की बात कर रहा है?" रुद्र ने मानव की ओर देखकर पूछा तो उसने सिर हां में हिला दिया। रुद्र को तुरंत पता चल गया कि साक्षी ने ही रितेश को सब बताया होगा। क्यूंकि वो रितेश को पसंद जो करती थी। लेकिन रितेश उसे भाव नहीं देता तो साक्षी उसे रिझाने के मौके ढूंढती रहती। इसलिए रुद्र से जुड़ी हर खबर साक्षी रितेश को बताती। अपर्णा के साथ रुद्र ने जो किया उसके बाद साक्षी को कुछ अजीब लगा था। इसलिए उसने रितेश को सब बता दिया था। अपर्णा ने ट्रेन में रितेश के साथ जैसा बर्ताव किया था। उसके बाद वह उससे बहुत गुस्सा था। जो रुद्र ने उसे अपनी कंपनी में नौकरी पर रख लिया है ये बात सुनकर ज्यादा बढ़ गया था।
रुद्र ने रितेश को शांत करते हुए कहा, "काहे इतना उबल रहे हों। तुमसे ज्यादा तो उसने मुझे सुनाया है। लेकिन उसने जिस तरह इंटरव्यू दिया। तेरा भाई उससे इंप्रेस हो गया। इसलिए नौकरी पे रख लिया।"
"तो का अब उसे हमरी भाभी बनाने का इरादा है का तुमरा?" क्रिष्ना ने अपनी भवें सिकुड़ ली।
"अभी तो सोचा नाही है। सोचेंगे तो बताएंगे।" रुद्र ने कुछ सोचते हुए कहा।
"वैसे है तेरी टक्कर की लेकिन संभलकर रहियो। बहुते टेढ़ी चीज़ है। बिना गाना बजाएं तुमको अपनें इशारों पे नचवा सकती है।" रितेश का मूड़ एकदम से बदल गया।
"का बे तुझे का हो गया? अभी तो गुस्से से तन गया था।" मानव ने उसकी फिरकी लेते हुए कहा।
"अबे साले! भाई की लाइफ़ का सवाल है। आज़ तक तो इसने किसी लड़की में इंटरेस्ट दिखाया नहीं। अब और चार-पांच साल निकल गए तो लड़की की बजाय औरत मिलेगी। अब तुझे किसे अपनी भाभी बनाना है औरत को या लड़की को?" रितेश ने मानव के कंधे पर हाथ रखकर कहा।
"लड़की हां भाई! हमरा शिवा कोनो हिरो से कम थोड़ी है। फिर अपर्णा है भी खुबसूरत! देखते है इस कहानी में आगे क्या होता है।" मानव ने खुशी से भरकर कहा।
"तो फिर मैडम कब से ऑफिस जोइन कर रही है?" रितेश ने पूछा।
"दो दिन बाद से।" रुद्र ने कहा।
"तो फिर इसी खुशी में दो-दो पैग मारते है।" रितेश शराब की बोतल ले आया। उसने सब के लिए पैग बनाएं। दो पैग पीने के बाद मानव तीसरा पैग बनाने लगा तो रुद्र ने उसे रोकते हुए कहा, "अब रहने दें बे वर्ना घर में आन्टी को पता चल जाएगा।"
"घर जाना किस को है?" मानव ने तीसरा पैग बनाते हुए कहा।
"काहे बे? घर काहे नहीं जाना? कौनो कांड किये हो का?" क्रिष्ना ने उसके हाथ से पैग लेते हुए पूछा।
"ये बनारस से आने के बाद मेरे घर से अपनें घर गया ही कहा है? जो कौनों कांड करेगा।" रितेश ने बीच में कूदते हुए कहा। उसने क्रिष्ना के हाथ से पैग ले लिया और खुद ही पीने लगा। आज़ उसके घर पर कोई नहीं था। दरअसल पांच दिनों पहले वो सब के साथ बनारस गया। तब से ही उसके घर पर कोई नहीं था। सब किसी रिश्तेदार के यहां शादी में गए थे और ये भाईसाहब बिमारी का बहाना करके रुक गए थे। फिर सब के जानें के बाद दोस्तों के साथ बनारस निकल गए थें।
मानव का पैग रितेश पी गया तो वह अपने लिए दूसरा पैग तैयार करने लगा। तो रुद्र ने उसके हाथ से गिलास छीनकर पूछा, "का बे तू बनारस से आकर घर काहे नहीं गया?"
"मैं घर पर किसी को बताकर नहीं आया था कि मैं बनारस जा रहा हूं। अब तो सब को पता चल गवा होगा। हम दो दिन रुकने वाले थे तो मैंने सिर्फ मानसी (मानव की बहन) से कहा था कि मैं बनारस जा रहा हूं और दो दिन में वापस आ जाऊंगा। मम्मी-पापा मामा के यहां गए थे तो कौनो टेंशन नाही था। लेकिन हमें साला वहां पांच दिन लग गए। इस चक्कर में मानसी ने पापा के पूछने पर उन्हें सब बता दिया। अब घर गया तो सुताई हो जानी है।" मानव ने रोनी सूरत बनाकर कहा तो सब हंसने लगे।
रुद्र ने मानव की कहानी सुनी तो सब से ज़्यादा हंस रहें क्रिष्ना का कान पकड़कर पूछा, "का बे तू इतना काहे हंस रहा है? जे बत्तीसी बंद कर और तू घर पर क्या बोलकर आया था और घर जाने पर क्या हुआ वो सब को बता।"
"पहले कान तो छोड़ मैं आया तो बनारस का बोलकर ही था। लेकिन उसमें मैंने थोड़ा सा झूठ का मसाला एड करते हुए पापा से कहा था कि बिजनेस के काम से जा रहा हूं। लेकिन साले तिवारी ने मेरे जाते ही पापा को सब सच बता दिया। इसलिए घर में पैर रखते ही मम्मी-पापा दोनों ने मिलकर एक घंटे का लेक्चर सुना डाला। ये तो अच्छा हुआ दीदी और जीजू वक्त पर आ गए तो पिटाई से बच गया।" क्रिष्ना ने अपनी दास्तान बताते हुए कहा।
रुद्र सब की बातें सुनकर हंसने लगा। इस बात पर उसके तीनों दोस्त उससे चिढ़ गए। रुद्र ने देखा तो कहने लगा, "सालों झूठ बोलकर तो मैं भी आया था। लेकिन अब तक पकड़ा नहीं गया। झूठ ऐसा बोलते है कि कोई हमारी शक्ल देखकर भी सच्चाई ना जान सके। लेकिन तुम लोगों के चेहरे पर तो झूठ बोलते वक्त ही बारह बजे रहते है। इसमें का तुम किसी से कुछो छिपा पाओगे।"
"तुने का झूठ बोला था बे?" रितेश ने इंटरेस्ट दिखाते हुए पूछा।
"यहीं कि बनारस में एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट मिलने वाला है। उसी कि मीटिंग के लिए जा रहा हूं। फिर जब हम बनारस पहुंचे उसके दूसरे दिन ही पापा को फोन करके जे कह दिया कि वो प्रोजेक्ट हाथ से निकल गया। उस वक्त मम्मी पापा के साथ मम्मी भी थी। तो उन्होंने कहां अब बनारस गए हो तो एक-दो दिन घूमकर ही आना। फिर क्या था काम भी हो गया और कोई झूठ पकड़ भी नहीं पाया।" रुद्र ने इतराते हुए कहा।
ये चारों बचपन से ऐसे ही थे। एक नंबर के झूठे और मस्तीखोर! जब भी बाहर जाना हो घर पर झूठ बोलकर ही जाते। फिर घर आकर रुद्र के अलावा सब की बैंड बजती। फिर भी कुछ वक्त बाद जैसे थे वैसे ही हो जातें। आदत से मजबूर जो थे। चारों बड़े परिवार से थे। चारों के चारों अपने पापा का बिजनेस संभालते थे। लेकिन बचपना अभी तक गया नहीं था। इसलिए इनके परिवार वाले इनसे परेशान रहते थे। इन सब की वजह भी रुद्र ही था।
रुद्र का मानना था कि जिंदगी एक बार ही मिलती है और दुनिया काफ़ी बड़ी है। तो जब वक्त मिले अच्छी अच्छी जगहों पर घूम आना चाहिए। क्यूंकि जिंदगी ना मिलेगी दोबारा! काम करना और नाम बनाना तो चलता रहेगा। लेकिन लाइफ़ में घूम भी लेना चाहिए। रुद्र के इसी विचारों की वजह से उसके दोस्त भी उसके जैसे बन गए। लेकिन हर बार झूठ बोलने पर रुद्र के अलावा सब की सुताई होती। फिर रूद्र मजे से सब के किस्से सुनकर खुश होता और वह कभी पकड़ा नहीं जाता इस बात पर इतराता रहता।

(क्रमशः)

_सुजल पटेल


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