दो बाल्टी पानी

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"अरे नंदू… उठ के जरा देख घड़ी में कितना टाइम हो गया है " मिश्राइन ने चिल्ला कर कहा| "अरे मम्मी सोने भी नहीं देती सोने दो ना" नंदू अपनी दोनों बाहें और मुंह फैलाते हुए बोला l "हे भगवान, आजकल के बच्चे रात भर मोबाइल को लुगाई की तरह चिपकाए रहेंगे और सुबह घोड़े जैसे सो जाएंगे, इन मुए बिजली वालों को भी मौत नहीं आती, ना आंधी आया ना पानी कल से बिजली काट कर रखी है", मिश्राइन पैर पटकते हुए गुसलखाने में घुस गईं कि तभी दरवाजे पर किसी ने आवाज लगाई तो मिश्राइन झुंझला कर बोलीं, " अब

Full Novel

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दो बाल्टी पानी

"अरे नंदू… उठ के जरा देख घड़ी में कितना टाइम हो गया है " मिश्राइन ने चिल्ला कर कहा| मम्मी सोने भी नहीं देती सोने दो ना" नंदू अपनी दोनों बाहें और मुंह फैलाते हुए बोला l "हे भगवान, आजकल के बच्चे रात भर मोबाइल को लुगाई की तरह चिपकाए रहेंगे और सुबह घोड़े जैसे सो जाएंगे, इन मुए बिजली वालों को भी मौत नहीं आती, ना आंधी आया ना पानी कल से बिजली काट कर रखी है", मिश्राइन पैर पटकते हुए गुसलखाने में घुस गईं कि तभी दरवाजे पर किसी ने आवाज लगाई तो मिश्राइन झुंझला कर बोलीं, " अब ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 2

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि खुसफुस पुर गांव में दो दिन से बिजली ना आने के पानी की बड़ी किल्लत है, ऐसे में सिर्फ मिश्राइन का घर है जहां बाहर नल में थोड़ा-थोड़ा पानी आ रहा है पड़ोस में रहने वाली ठकुराइन और वर्माइन भी दो दो बाल्टी पानी लेने आ जाती हैं और तीनों औरतें जुट जाती हैं, पूरे गांव की खबर सुनाने में…. अब आगे… " हाय राम… अब उस मुए लड़के को भरी जवानी में वो मोटी गुप्ताइन भाई है, अरे उससे तो अच्छी मैं ही हूँ " ठकुराइन ने कहा |वर्माइन ने झटपट अपनी ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 3

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा खुसफुस पुर में पानी ना आने के कारण ठकुराइन मिश्राइन और वर्माइन भरते हुए पूरे गांव की पंचायत करने लगती हैं और वापस अपने घर आतीं हैं, घर आकर मिश्राइन और मिश्रा जी की नोकझोंक होती है |अब आगे…. " अरे स्वीटी…. अभी तक सो रही है, अब उठ ना.. " ठकुराइन पानी की बाल्टी रखते हुए चिल्लाने लगीं |"हे भगवान.. भैंस पता नहीं कब तक सोएगी, गांव की सबइ लड़कियां अपनी मां का कितना हाथ बटाटी हैं, पर यहां देखो, अब हम पानी भर भर के मरी जा रहीं है और ये ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 4

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा मिश्राइन ठकुराइन और वर्माइन कैसे अपने दिन की शुरुआत करते हैं और और प्यार से उनकी जिंदगी बड़े आराम से कट रही है, बस किल्लत होती है तो पानी की और गुप्ताइन के चाल ढाल और रुतबे से सबको चिढ़न होती है |अब आगे… "अजी सुनते हो… कितनी देर हो गई? क्या करते रहते हो अंदर? अब निकलो भी, हमें ड्यूटी पर जाने की देरी हो रही है, अरे क्या बड़बड़ करते हो? सुबह-सुबह अपनी ये रामकहानी हमारे जाने के बाद गाया करो, हमें रोज लेट हो जाता है" | ये कहकर गुप्ताइन अपने ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 5

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा की गुप्ताइन गुप्ता जी को सुबह सुबह पानी खत्म करने के कारण सुना देती हैं और पिंकी बाहर पानी लेने चली जाती है |अब आगे… मोहल्ले में मिश्राइन के अलावा एक सरला का घर ही ऐसा था जिसके नल में बिजली जाने पर या पानी चले जाने पर भी थोड़ी देर तक पानी आता रहता था क्योंकि इन दोनों के नल बहुत नीचे और घर के बाहर लगे हुए थे | यूँ तो गांव में हैंडपंप भी लगे थे लेकिन सालों पहले उनमें सब में पानी सूख गया था |पिंकी कुछ गुनगुनाती अपने ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 6

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि बनिया जी की बिटिया पिंकी बाहर बाल्टी भर पानी लेने जाती जहां उसका प्रेमी सुनील मिल जाता है |अब आगे… सुनील -" अरे अबही लो, आज अम्मा की तबीयत थोड़ी गड़बड़ है, वो सो रही है, चलो हम अभी भर देते हैं तुम्हारी बाल्टी.." |सुनील पिंकी की बाल्टी उठाकर अपने घर की ओर चल दिया, सुनील सरला का बेटा था और पूरा गांव जानता था कि सरला लड़ाकू औरत है इसीलिए उसके घर के आस-पास कोई बच्चा तक खेलने नहीं आता था, पिछली बार तो जितने भी गेंद और गुल्ली सरला के ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 7

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा… पिंकी और सुनील दोनों पानी भरने के बहाने मिल जाते हैं और मीठी-मीठी बातें करते हैं लेकिन सरला जाग जाती है और नल खुला देख कर सौ बातें सुनाती है |अब आगे…. पिंकी पानी की बाल्टी भरकर हांफते हुए घर आई पर उसके हांफने में थकान की जगह खुशी झलक रही थी |गुप्ता जी - "अरे पिंकी.. चाय पी लो बना दी है, तुम्हारी मां तो उतने पानी से ही नहा कर चली गई, बहुत बड़बड़ा रही थी, कहां रह गई थी तुम? बड़ी देर लगा दी"? पिंकी - "अरे पापा.. बड़ी भीड़ थी नल ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 8

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि खुसफुस पुर गांव में सूचना दी जाती है कि ट्रांसफार्मर फूंकने कारण गांव में पांच दिन बिजली नहीं आएगी, जिससे सब लोग हड़बड़ा जाते हैं |अब आगे…. मिश्रा जी -" अरे नंदू… नंदू… "|नंदू - "हां पापा…" |मिश्रा जी - "अरे बेटा.. जरा कभी बाप को पानी भी दे दिया करो या सिर्फ ताने देने के लिए पैदा हुए हो" |नंदू अपनी कॉमिक्स की किताब तकिए के नीचे छुपाकर दौड़ा और मिश्रा जी के लिए पानी लाया |मिश्रा जी पानी पीकर गिलास रखते हुए- " नंदू का बात है? घर में बड़ा ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 9

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि गांव में कुछ दिन बिजली ना आने के कारण गांव वाले हो जाते हैं और मिश्राइन अपने मायके जाने के लिए कहती हैं जिससे मिश्रा जी नाराज हो जाते हैं |अब आगे…. ठकुराइन - "अरे स्वीटी… ओ स्वीटी…" |स्वीटी - "हां अम्मा…" |ठकुराइन - "अरे बिटिया.. जब देखो तब छत पर टंगी रहती हो का छत तोड़ेगी, नीचे आओ कुछ हाथ बटाओ.." |स्वीटी - "अभी आई.. मां.." |स्वीटी शाम को छत पर टहलने जरूर जाती थी और सच तो यह था कि उसके घर से गुप्ता जी का घर बिल्कुल साफ दिखता ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 10

उधर वर्मा जी अपने घर आए और बोले, " अरे सुनती हो जरा एक गिलास पानी तो देना "|वर्माइन " आई…" |वर्मा जी -" अरे गोपी.. बेटा कहां हो"?? यह सुनकर गोपी भागा भागा पापा के पास आया लेकिन वर्माइन अभी तक नहीं आई |वर्मा जी - "अरे क्या कर रही हो, जरा कभी हमारी भी सुन लिया करो" |वर्माइन पानी का गिलास लेकर आई तो वर्मा जी ने उन्हें ऊपर से नीचे तक देखा और बोले, "अरे क्या हुआ? सब ठीक तो है ना? आज लाली लिपस्टिक नहीं" ?? वर्माइन - "अरे का बताएं.. हमारा तो हारट ही टूटा जा ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 11

पिंकी धीरे से नीचे उतर कर आती है तो सुनील आवाज को दबाते हुए मुंह पर हाथ रख कर - "अरे यार क्या करती हो कितनी देर से हम मुर्गे की तरह एक टांग पर खड़े हैं और तो और तुम्हारी अम्मा लाठी और पड़वा देती हमे सांप बताकर" |पिंकी - "चुप करो.. अब रात भर नींद नहीं आएगी तो सुबह जल्दी कैसे जागेंगे, हां बोलो.."|सुनील - "तो रात भर नींद क्यूँ नहीं आती"|पिंकी - "तुम जो हो.. तुम्हें चैन कहां है? चले आते हो हमारे सपनों में भी |सुनील फूल के गुब्बारा हो गया और बोला - "हाय.. कसम ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 12

" अरे जीजी.. ओ जीजी.. " वर्माइन ने मिश्राइन को पुकारा | मिश्राइन दरवाजा खोलते हुए - "हां.. वर्माइन वर्माइन - "अरे जीजी… कहें का, पानी भरने जा रहे हैं तो सोचा तुम्हें भी बुला ले थोड़ी बातें ही कर लेंगे, वरना हम जनानियो की किस्मत में कहां बातें करना लिखा"| मिश्राइन -" सही कह रही हो बहन, हमारी किस्मत में तो बस हाथ पैर चलाना लिखा है और मर्दों की किस्मत में मुंह चलाना, ऐसा करो, वैसा करो, तुमने सही किया बुला लिया, रुको अभी आते हैं"|मिश्राइन ने सर पर पल्लू किया और बाल्टी उठाकर वर्माइन के साथ चल दी |ठकुराइन ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 13

करीब घंटे भर बाद मिश्राइन और वर्माइन का नंबर आया, दोनों ने अपनी-अपनी बाल्टी भरी और मुंह लटकाए घर ओर चली आईं |मिश्राइन(घूंघट को नीचे की ओर खिंचते हुए) -" गांव के मर्दों को तो जैसे कोई लाज सरम ही नहीं है, अरे हम जनानी पानी भरने जाए तो इन मुश्तअंडों को नहाता हुआ देखें" |वर्माइन - "सही कहती हो बहन, बड़े निर्लज्ज है ये पर क्या करें मरना जुझना तो है ही हमें" | दोनों औरतें अपनी भड़ास गांव के मर्दों को कोसकर निकालते हुए अपने-अपने घर पहुंचती हैं | " लल्ला… रे लल्ला…" सरला सुनील को आवाज देती है ...और पढ़े

14

दो बाल्टी पानी - 14

मिश्राइन की बाल्टी में बाल मिलते ही गांव में जैसे भूचाल आ गया, ऐसा लग रहा था कि बाल्टी बाल नहीं कोई बम मिल गया हो | आज दोपहर के 12:00 बज रहे थे लेकिन नल पर कोई नहीं दिख रहा था, कुछ घरों में तो चूल्हा भी नहीं जला था और हर तरफ बस नल से निकले बालों की चर्चा हो रही थी |मिश्राइन तो सुबह से बुखार में ऐसे बिस्तर पर पड़ी थी मानो उन्होंने कोई चुड़ैल देख ली हो, नंदू मां के सिरहाने बैठकर मां के माथे पर पानी की पट्टी रख रहा था और चारपाई ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 15

बिना शर्ट के अपने बेटे को देख सरला हड़बड़ा गई, कलाई से बहता खून और मुंह को इतनी बेरहमी चलाते हुए, ऐसी हालत देख अपने बेटे को देखकर सरला बिना ब्रेक की गाड़ी सी शुरू हो गई, "हाय रे मैं तो लुट गई, बर्बाद हो गई, मुझे तो पहले से ही शक था, यह ससुर के नाती चुड़ैल को भी हमारे फूल से लल्ला पर आकर बैठना था, अरे यह आजकल की नासपीटी करमजली चुड़ैलें भी नए-नए कुंवारे लड़कों को ही फंसाती हैं, अरे गांव के और बुड्ढे मर गए थे क्या, मरती जाकर उनके ऊपर…. हाय राम गजब ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 16

ठकुराइन ने मिश्राइन के घर का दरवाजा खटखटाते हुए कहा, "अरे मिश्राइन… खोलो ठकुराइन बोल रहे हैं, नंदू जो जाकर बिस्तर पर सही से लेट भी नहीं पाया था, वह न चाहते हुए भी दरवाजा खोलने उठकर आया, मिश्राजी ऊपर छत पर चारपाई डालकर खर्राटे लगा रहे थे, नंदू दरवाजा खोलते ही बोला," कुंडी लगा देना ताई जी" और नंदू जाकर लेट गया | मिश्राइन लेटी थी, ठकुराइन को देखा तो उठ कर बैठ गई और बोली, "आओ जीजी.. कहो कैसी हो? इत्ती रात को फुर्सत मिली"? ठकुराइन आवाज को दबाते हुए बोलीं, "अरे मिश्राइन हमारी छोड़ो, तुम बताओ कैसी ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 17

गुप्ताइन का घर पास में होने से ठकुराइन की चीख उनके घर तक आराम से पहुंच गई |"गुप्ता जी, उठो ना, देखो बाहर कौन चीख रहा है"? गुप्ता जी को जगाते हुए गुप्ताइन ने कहा |गुप्ता जी नींद में बोले, "अरे कोई नहीं चीख रहा है, तुम सो जाओ" इतना कहकर गुप्ता जी ने फिर करवट बदल ली और खर्राटे भरने लगे, गुप्ताइन ने फिर गुप्ता जी को हिलाकर कहा," अरे उठो ना देखो बाहर जाकर क्या हुआ? कोई तो था…"? गुप्ता जी ने फिर कहा, "अरे सोने दो ना… चीख तो तुम्हें सुनाई पड़ी तो तुम देखो जाकर, या हर ...और पढ़े

18

दो बाल्टी पानी - 18

स्वीटी ने आकर जैसे ही ठकुराइन को देखा वो चिल्ला पड़ी," हाय अम्मा… ये का हो गया… हाय राम बाल कहां गए"? ठाकुराइन लाल होके बोलीं," बाप का असर तुझपे भी चढ़ रहा है, अरे हमारे बाल हमारी खोपड़ी में लगे हैं"|स्वीटी बोली, "अरे अम्मा तुम्हारी चोटी गायब हो गई अम्मा, ये तुम अपनी चोटी कटवा आई रात में" |यह सुनते ही ठकुराइन ने अपनी चोटी देखी तो उसे कटा देख वो चिल्ला पडी और बेहोश होकर गिर पड़ी, एक तो गांव में बिजली गायब जिसकी वजह से पानी की दिक्कत और सड़क के उस पार वाले नल पर चुड़ैल ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 19

पूरा खुसफुस पुर गांव परेशान था, पानी की किल्लत तो थी ही ऊपर से ये मरी चुड़ैल का खौफ गाँव मे सन्नाटे की तरह हर जगह पसरा पड़ा था और पानी भरने का मतलब था सड़क के उस पार वाले नल के पास जाना, वहां जाना… मतलब चुड़ैल को जगाना | गांव वाले अब बस भगवान से प्रार्थना करने लगे क्योंकि पानी के लिए तीस किलोमीटर दूर दूसरे गांव कौन जाता, वो भी दुश्मनों के गांव में, अब तो इस गाँव का राम ही मालिक है |वर्मा जी ने घर का दरवाजा खटखटाते हुए कहा, "गोपी… गोपी… बेटा किवाड़ ...और पढ़े

20

दो बाल्टी पानी - 20

उधर सुनील को होश आया तो सरला की जान मे जान आई, वो उसके माथे पे हाथ रखके बोली, कैसा लग रहा है तुझे? तूने तो हमारा कलेजा निकाल दिया रे, जय हो बजरंगबली की, हम कल ही तुझे बेताल बाबा के पास ले चलेंगे, अरे हमारे होते हमारे लल्ला को कोई चुड़ैल धर ले ऐसा नहीं होने देंगे" | सुनील हड़ब़ड़ा के उठा उसे तो ध्यान ही नहीं रहा था कि पिंकी से उसने मिलने का वादा किया था, उसने सरला से कहा," अरे अम्मा तुम काहे बेकार में चुड़ैल के चक्कर में फंसा रही हो, हमें कुछ ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 21

आँधी के साथ तेज बारिश शुरू हो चुकी थी पिंकी सड़क के उस पार वाले नल के पास नीम पेड़ के नीचे खड़ी सुनील की राह देखते-देखते परेशान हो गई, आंधी गांव में दस्तक दे चुकी थी पिंकी अपने दुपट्टे को बार-बार संभाल रही थी तभी उसे ख्याल आया कि जब तक बाल्टी भर ले आखिरकार यही तो सहारा है घर से निकलने का, हवा के झोंके इतनी तेज हो गए कि मानो नीम उसी पर ही गिर पड़ेगा, पिंकी घबरा गई और बाल्टी लगाकर नल चलाने लगी लेकिन हत्था हिला तक नहीं, पिंकी ने बहुत कोशिश की पर ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 22

गुप्ता जी और गुप्ताइन बड़े परेशान थे, कि पिंकी अब तक क्यूँ नहीं आई और मौसम उन्हें और डरा था, गुप्ता जी आखिर पिंकी को ढूंढने घर से निकलने ही वाले थे कि तभी किसी ने जोर-जोर से दरवाजा पीटना चालू कर दिया, गुप्ता जी ने दरवाजा खोला और पिंकी को देख कर चैन की सांस ली, गुप्ता जी कुछ कहते इससे पहले पिंकी भाग कर अपने कमरे में चली आई, हवा से लालटेन की रोशनी भी कुछ कम ज्यादा हो रही थी| गुप्ताइन समझ गई कुछ गड़बड़ है, वह पिंकी के पीछे पीछे उसके कमरे में गई, कमरे ...और पढ़े

23

दो बाल्टी पानी - 23

गुप्ता जी ने पिंकी की ओर घूरकर देखा और बोले “ अरे पिंकिया का जरूरत थी ऐसी आंधी पानी पानी भरने की वह भी अंधेरे में, अरे हमें तो लगता है तूने जान बूझकर छोटी कटवाई, और तो और तू चोटी कटवाने ही बहाना बना कर गई होगी” | गुप्ता जी की बेतुकी बातों का लावा फूट फूटकर बाहर आ रहा था, जिसे सुनकर गुप्ताइन के अंदर का ज्वालामुखी फटा पढ़ रहा था | गुप्ताइन कुछ कहने को हुंई तो गुप्ता जी फिर फूट पड़े “ अरे कुछ मत बोलो... हम कहते हैं कुछ मत बोलो, बहुत सुन लिये ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 24

रात आधी बीत चुकी थी आंधी पानी भी अब धीमा हो चला था, चारों ओर झींगुर की आवाज सुनाई रही थी, पूरा गांव अब नींद के आगोश में खो चुका था और सड़क के उस पार वाला नल अपने आप चल रहा था और उसमें पानी की खूब मोटी धार बह रही थी, नल के ठीक सामने नीम के पेड़ के पास सुर्ख लाल साड़ी में कोई औरत हंस रही थी | जैसे तैसे सुबह हो गई और यह बात भी गांव में आग की तरह फैल गई कि पिंकी की चोटी भी चुड़ैल ने काट दी है, पूरे गांव ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 25

उधर सरला ने सुनील की चारपाई हिलाते हुए आवाज दी “ लल्ला...ओ लल्ला... उठ जा रे...बहुत सो लिया” | ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी | सरला ने फिर आवाज लगाई “ अरे उठ जा अब, तूने तो मेरा जीना हराम कर लिया, रात भर वहां चुडैल के साथ नैन मटक्का करेगा और दिन चढे सोयेगा” | इस बार भी सुनील नही जगा तो सरला ने चारपाई पर जोर से लात मारी तो चारपाई घूम गई और सुनील हड्बड़ा के उठ् पड़ा, रात भर जगे सुनील की आंखों में नींद भरी थी और रात भर जगने चिल्लाने फड़फड़ाने के कारण ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 26

खुसफुस पुर गांव मे तूफान आने के कारण एक चीज तो अच्छी हो गयी थी जो थी, पानी की गांव वालों ने इतना तो पानी भर ही लिया था कि दो दिन तक आराम से काम चल जाये, पर सडक के उस पार वाले नल की चुडैल से सब खौफजदा थे और आगे क्या होगा ये सोच कर परेशान हो रहे थे |गुप्ता जी की फूल सी बिटिया पिंकी की चोटी कटने की खबर भी पूरे गांव मे फैल गयी, अब गांव की औरतें दिन मे भी घर से बाहर निकलने से डरतीं और तो और सिर से पल्लू ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 27

उधर ठकुराइन अभी अपनी चोटी कटने के दुख से उबरी नही थीं कि पिंकी की चोटी कटने से और में आ गयीं, जब ये बात स्वीटी को पता लगी तो उसे बहुत खुशी हुई, आखिरकार उसे सुनील पसंद जो था |“ अम्मा ......अम्मा......अरे वो पिंकिय़ा की भी चुडैल ने चोटी काट दी, कल रात में” स्वीटी ने थोडा हंसते हुये कहा | “ हां ..हां....अभी पता चला, लेकिन तू काहे इत्ता उछल रही है, अरे उसी चुडैल ने तो हमारी चोटी......” इतना कहते ही ठकुराइन गला फाड के चिल्लाने लगीं | “ अरे अम्मा काहे कान की ठेठी हिलाये हो, बाल ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 28

“ बम बम भोले......बम बम भोले .....करता हूं विनाश शैतानों का....भूत चुडैल, प्रेत डायन....कोई नही टिकता मेरे आगे, कर सबका चंग़ा हाल....नाम है मेरा बाबा बेताल......” | गांव मे जब ये आवाज गूंजी तो सब देखने लगे कि आखिर बाबा बेताल भला गांव मे क्यों आये, पर जब बाबा के साथ सरला को लोगों ने देखा तो पूछने की हिम्मत भी नही हुई पर सब समझ गये थे कि कुछ तो गडबड है |लम्बा मजबूत कद, साँवला शरीर, लम्बे और कठोर बालों का ज़ूडा, एक हाँथ मे कमंडल और दूसरे मे त्रिशूल और कन्धे पर लटका एक केसरिया रंग का झोला, ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 29

धुयें का असर होते ही सुनील को बेहोशी सी आने लगी और उसका शरीर ढीला पडने लगा | “ ......कौन है तू.......कौन है तू...और कहां से आई है ..बता वरना बच नही पायेगी....., बोल आखिर कौन है तू....क्या चाहती है सुनील से .....” बाबा सुनील से लगातार पूछे जा रहे थे और सुनील धुयें के नशे मे खोता जा रहा था, पूरा कमरा धुयें से भर चुका था, सरला मुंह फैलाये बाबा को देख रही थी | धुयें की बेहोशी मे सुनील पिंकी के खयालों मे खो गया और उसे ऐसा महसूस होने लगा कि वो अपनी पिंकी के बाहों मे ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 30

सुनील के इस व्यवहार से बेताल बाबा नाराज होकर बोले “ अरे मूर्ख सुधर जा वर्ना गुजर जायेगा, हमसे ना कर, यही तो वो चुडैल चाहती है” | ये कहकर बाबा सुनील को अपने आश्रम मे लाने के लिये कह कर चले गये | सुनील के ऊपर चुडैल है ये पता लगते ही स्वीटी उसे देखने के लिये उतावली हो गई और मन ही मन उदास हो गई | धीरे धीरे और भी ना जाने कितनी औरतों की चोटी कट चुकी थी जिससे अब खुसफुसपुर गांव की औरतें घर से निकलती ही नही थीं | और फिर एक दिन ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 31

डेढ से दो घंटा हो गया पर बिजली वाले बाबू जी ने वर्मा जी और मिश्रा जी की कोई ना ली और थक हारकर इस बार वर्मा जी उस बाबू के पास आकर बोले “ अरे भाई साहब जरा देख कर बता दीजिये, वो का है कि वापिस घर भी जाना है और पांच बजने को हैं” | बाबू जी ने फिए डस्ट्बिन मे पिचकारी मारी और कहा “ अरे का है, तुम लोग तो राम कसम दिमाग चाट लेते हो , चलो गांव का नाम बताओ” | वर्मा जी बोले “ साहब गांव का नाम खुसफुस पुर” | ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 32

ये कहकर जैसे ही बब्बन हलवाई ने बाल्टी उठाई तो उसका हांथ किसी ने पकडा, उसने नजर उठाकर देखा सामने सुर्ख लाल साडी मे एक औरत थी जिसका चेहरा साडी के पल्लु से पूरी तरह ढका था | उस चोटी काट चुडैल को देखकर बब्बन की घिघ्घी बंध गई और वो कुछ बोल ना सका | चुडैल ने बाल्टी उठाई और उसके तोंद पर रखकर बोली “ क्यूं रे....बडा मजा आ रहा है अब, अभी तो बडा बुला रहा था तो अब क्या सांप सूंघ गया तुझे, बोल ...बोल ना कुछ, आज तो तेरा तबला ये अबला बजायेगी” | ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 33

सुनील ने झुंझलाते हुये कहा “ अरे और कौन करेगा??? अईसा कोई है गांव मे जो हमारे कान काट और तुम्हे ...तुम्हे का , जो तुम बनी दरोगा घूम रही हो, का हुआ, कईसे हुया, कब हुया, हमारा दिमाग ना चाटो और जाओ यहां से, अरे अईसी अम्मा तो दुश्मन को दे भगवान, कईसे हिम्मत करके जुगाड लगा के घर से भाग के पिंकी से मिलने गये थे, वो भी इस दरोगा अम्मा को पता लग गया और बाल बनवा दिये हमारे, वो सोचत है कि हमें चुडैल ने धर लिया है, चलो...तुम ...तुम बताओ, का हम पागल दिख ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 34

वर्माइन ने गोपी को संडास के बाहर बिठाया और खुद पास के तालाब से पानी भरने चली गयी, चारों सन्नाटा पसरा था जो झिंगूर की आवाजों से बार बार टूट रहा था | वर्माइन गोपी को कोसते कोसते जल्दी जल्दी तालाब के पास पहुंची और बाल्टी को तालाब से भरकर जैसे ही पीछे मुडी तो सामने देख कर उसकी चीख निकल पडी | चीख सुनकर पास के लोग बाहर आये तो देखा वर्माइन बेहोश पडी थी और पानी की बाल्टी पास मे लुढकी पडी थी | जब वर्मा जी को पता चला तो वो दौडे दौडे आये और वर्माइन ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 35

चारों ओर अन्धेरा छा गया था और झींगुर की आवाजें सुनाई दे रहीं थीं कि तभी किसी की पायल की आवाज आई| जिसे सुनकर सबकी घिघ्घी बंध गयी| बब्बन हलवाई ने बाल्टी को सरकाते हुये वर्मा जी से कहा “ लगता है वो चुडैल आ गयी, अब जाओ... बाल्टी लो और नल पर लगाओ जाके और हां जईसे ही चुडैल तुम्हारी नकली चोटी काटे तुम उसे कस कर पक़ड कर आवाज लगाना हम बेताल बाबा की दी भभूत उस चुडैल पर डाल देंगे|” वर्मा जी का कलेजा कांप रहा था उन्होने एक एक कर सबकी ओर देखा तो ...और पढ़े

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दो बाल्टी पानी - 36 - अंतिम भाग

सारे लोग उस चुडैल की तरफ भागे और जल्दी से उस पर बेताल बाबा की दी हुई भभूत डाल जिसकी महक से चुडैल के साथ साथ सारे लोग परेशान हो गये और जोर जोर से खांसने लगे| उधर सुनील सीधा रात के अन्धेरे में पिंकी के कमरे मे जाकर उसके बिस्तर पर लेट कर पिंकी को बाहों में भरने लगा और बोला “ का बात है पिंकी जी घर पे रह रह के बडी मुटा गयी हो” उसकी बात सुनते ही कमरे मे एक जोर की चीख गूंज उठी, जो गुप्ताइन की थी| “ अरे कौन है?? कौन ...और पढ़े

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