दो बाल्टी पानी - 36 - अंतिम भाग Sarvesh Saxena द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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दो बाल्टी पानी - 36 - अंतिम भाग

सारे लोग उस चुडैल की तरफ भागे और जल्दी से उस पर बेताल बाबा की दी हुई भभूत डाल दी जिसकी महक से चुडैल के साथ साथ सारे लोग परेशान हो गये और जोर जोर से खांसने लगे|

उधर सुनील सीधा रात के अन्धेरे में पिंकी के कमरे मे जाकर उसके बिस्तर पर लेट कर पिंकी को बाहों में भरने लगा और बोला “ का बात है पिंकी जी घर पे रह रह के बडी मुटा गयी हो” उसकी बात सुनते ही कमरे मे एक जोर की चीख गूंज उठी, जो गुप्ताइन की थी|

“ अरे कौन है?? कौन है तू, अभी तेरी खबर लेती हूं| पिंकीं ओ पिंकी ......जरा लालटेन तो जला|”

गुप्ताइन की आवाज सुनते ही पिंकी समझ गयी कि सुनील घर मे घुस आया है, उसने जल्दी से सुनील को बाहर भगा दिया और मां के सामने भोलेपन का नाटक करते हुये बोली “ का हुआ मम्मी....कौन है??? कौन है???” लेकिन गुप्ताइन सीधा बाहर की ओर सुनील के पीछे भाग गईं|

सुनील भी अपना गीला पजामें सहित बेहिसाब भागे जा रहा था, भागते भागते वो सडक के उस पार वाले नल की ओर पंहुच गया, जहां पहले से गांव के लोग मौजूद थे|

“ ई सब का हो रहा है, ससुर के, ओ दद्दा ...ये तो ससुरी वही चुडैल लग रही हो जो पिंकी जी की चोटी काटी थी, रुक ससुरी इसे बताता हूं, आज इसे मुंडी ना कर दिया तो हमारा नाम भी पिंकी का आसिक सुनील नहीं|” ये कहकर सुनील वहां लगे मजमें की तरफ बढ चला|

वहां मौजूद सभी लोगों का खांस खांस कर बुरा हाल था जिसके दौरान चुडैल पर से सभी का ध्यान ही हट गया और चुडैल मौका देखकर भागने लगी कि तभी सुनील ने आवाज दी “ पकडो, पकडो चोटी काट चुडैल भाग रही है, पकडो... |”

ये सुनकर सब हक्के बक्के हो कर रात के अन्धेरे में इधर उधर देखने लगे और बोले “ भाई लोगों पकडो चुडैल को ऊ भाग रही है|” तभी सुनील भागता हुया चुडैल के सामने आ धमकता कि इससे पहले ही कोई और चुडैल के आगे आ धमका|

“ अरे नासमरी.....हमारे रहते तू भाग जाये तो मैं अपना सर मुंडवा दूं, आज आई है हांथ में, पूरे गांव में तुझे मेरा लल्ला ही मिला था था हरामिन” ये कहते ही सरला ने चुडैल का घूंघट जोर से खींच लिया, घूंघट के हटते ही सब की आंखें फटी की फ़टी रह गयीं|

“ चुम्मन!!!!!तू.......” सभी एक स्वर में बोल पडे, तब तक वहां गुप्ताइन भी आ गयीं|

“ हां..... मैं चुम्मन ....चाहिये था हमें चुंबन .....लेकिन तुम लोगों ने करा दिया हमारा मुंडन....” चुम्मन गुस्से में बोला|

“ करमजले तुझे चुंबन चाहिये, तो हमारे लल्ला से लेगा का, तेरी नेकर फाड के झंडा ना बना दिया तो हमारा नाम सरला नाहीं, टकले ...नासमरे, तुझे का सूझी थी जो तूने जनानी भेस धर लिया, अरे जाके घर घर ताली बजा जाके|” सरला एक सांस मे बोली|

गांव वाले भी हैरान थे कि आखिर चुम्मन चुडैल बनके गांव की औरतों की चोटी काहे क़ाट रहा था|

“ हैरान हो तुम सब हमे देख के, अरे तुम सबको तो हम मार ही दिये होते, पर का करें ये ससुरा दिल है कि मानता नहीं, याद है ना गुप्ता जी........हमारी भी कभी जुल्फें लहराती थीं, कतई अजय देवगन जईसे बाल थे हमारे, अरे इत्ते बडे दिलदार थे हम कि गांव की हर लडकी को लाइन मार देते थे ताकि कोई भी लडकी अपने आपको बेकार ना समझे| और फिर ना जाने किसकी नजर लग गई हमारी जुल्फों को और हम बन गये अजय से अमरीश, पर गुप्ता तूने भी खूब धोखा किया हमारे साथ, अरे बेकार सैंपू, और तेल हमें देकर किस बात का बदला लिया रे बता, तेरे सैंपू तेल लगा के हमारे बचे कुचे बाल भी चले गये, हम जवानी में गंजा हो गये, कित्ते कित्ते दिन घर से नही निकले, फिर हमने सोचा कि कब तब बईठे रहें घर पर, गांव वाले तो अपने हैं ये हमारी परेसानी समझेंगे...... पर नही.....तुम लोग तो कुत्ता हो कुत्ता और ये जो तुम्हारी औरतें हैं सो तो एक नम्बर की कुतिया...., घर से बाहर निकले नहीं कि ठाकुर तेरी वो भुसौरी जैसी बीवी ने बहुत मजे लिये, खूब हंसी और हमें गंजा बोली.......हम उदास होके फिर घर चले आये, हमारी अम्मा हमारे दुख में स्वर्ग सिधार गयीं, बिना अम्मा के हम का करते, जब जब पानी भरने गये तो तेरी लाली लिप्स्टिक की दुकान हमें देखके बडे टोंट मारती, कलूटी कभी सीसा देखले, कहती थी कि हाय, इस गंजे से कौन लडक़ी सादी करेगी...... ये सब सुन सुनकर हम कई बार चाहे कि मर जायें लेकिन नही....... फिर हमने ठानी कि पहले ये गांव छोड कर चले जायें और फिर एक दिन तुम सबके लेंगें...चुम्बन नाहीं....बदला.....और फिर मौका देखके हम आ गये फिर और तुम सबकी चोटी काटी, काहे अब दरद हुया, घर में बैठ के पता चला जब सब हंसी उडाते मजाक करें|” ये कहकर चुम्मन शांत हो गया|

उसकी बातों से आज सब उदास थे और अपने किये पर पछता रहे थे| सबने उससे माफी मांगी और उसे सम्मान सहित घर ले आये| सुबह तक पूरे गांव मे ये बात फैल गयी कि चोटी काट चुडैल और कोई नही चुम्मन था|

चुम्मन दुबारा प्यार और सम्मान पाके अपना बदला भूल गया और गांव से डर के बादल छंट गये|

इसी बीच जब स्वीटी की नजर चुम्मन पर पडी तो दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया, ठाकुर साहब ने भी इस शादी के लिये हां कर दी|

सुनील ने भी सरला के हांथ पैर जोडे और पिंकी के बारे मे बताया तो सरला भी ना नुकुर कर के मान गयी|

इसी बीच बिजली वाले गांव में नया ट्रांसफार्मर ले के आये और बदल गये| अब गांव में बिजली भी आ गयी और बिजली आते ही पानी की समस्या भी खत्म हो गयी और सब फिर पहले की तरह हंसी खुशी रहने लगे|

और फिर एक दिन ......

“ अरें नंदू देख जरा कौन सुबह सुबह किंवाड तोड रहा है” मिश्राइन ने तेज आवाज मे कहा|

नंदू जाकर देखता है तो वर्माइन और ठकुराइन अपनी बाल्टी लिये खडी थीं, जिन्हे देखकर नंदू मन ही मन बोला “ लो चौपाल लगाने आ गईं| ”

दोनों औरतों ने हंसकर कहा “ जीजी आज ना जाने का बात हुई कि नल जल्दी चला गया तो सोचा तुम्हारे नल से जरा दो बाल्टी पानी भर लें” ये कहकर तीनों औरतें गांव भर की बातें करने लगीं|

समाप्त लेखक- सर्वेश सक्सेना