कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि बनिया जी की बिटिया पिंकी बाहर बाल्टी भर पानी लेने जाती है जहां उसका प्रेमी सुनील मिल जाता है |
अब आगे…
सुनील -" अरे अबही लो, आज अम्मा की तबीयत थोड़ी गड़बड़ है, वो सो रही है, चलो हम अभी भर देते हैं तुम्हारी बाल्टी.." |
सुनील पिंकी की बाल्टी उठाकर अपने घर की ओर चल दिया, सुनील सरला का बेटा था और पूरा गांव जानता था कि सरला लड़ाकू औरत है इसीलिए उसके घर के आस-पास कोई बच्चा तक खेलने नहीं आता था, पिछली बार तो जितने भी गेंद और गुल्ली सरला के घर में गिरे वो बच्चों को वापिस नहीं मिले, ऊपर से गालियां अलग, सो बच्चों ने अपने खेल की जगह ही बदल ली, दूसरा गांव के छोर पर होने के कारण वहां थोड़ी चहल-पहल कम ही रहती थी इसीलिए सुनील पिंकी को अपने साथ ले गया |
सुनील ने धीरे से नल खोला और बाल्टी नल के नीचे लगाकर पिंकी को देखने लगा, पिंकी भी ठंडी ठंडी आहें भर भर के सुनील को देखके अपना मुहँ घुमा लेती तभी बाल्टी भर गई और पिंकी उठाकर जाने लगी |
सुनील - "चाहते तो हैं कि ये बाल्टी का.. ससुर के पूरा नल आपके यहां लगा दे लेकिन अम्मा को तो जानती हैं आप, अरे जुल्मी जमाना समोसे के साथ लाल चटनी खाओ तो भी ना जाने का.. का.. बातें बनाते हैं इसीलिए आपको अकेले बाल्टी लेकर जाना होगा" |
पिंकी - "अरे कोई बात नहीं, आपने हमारी इत्ती मदद की यही बहुत है, चलते हैं… "|
इतना कहकर पिंकी ने बाल्टी उठाई और चली गई, सुनील उसे देखता रहा और ना जाने किन ख़यालों मे डूब गया तभी उसके घर का दरवाजा धड़ाम से खुला तो सुनील अपनी खयाली दुनिया से निकला |
" अरे लल्ला…. ओ लल्ला.. अरे तू बाहर का खड़ा कर रहा है"?
सरला ने जासूसी वाले लहजे में कहां |
सुनील - "बस अम्मा सुबह-सुबह टहलने गए थे, तुम सो रही थी ना इसीलिए हमने सोचा अम्मा को काहे जगाए, सोने दो" |
सरला - "ठीक है.. ठीक है.. अरे बता दिया कर लल्ला हमें, किवाड़ मे कुण्डी लगानी जरूरी है, वरना वैसे भी गांव में चोर भरे पड़े हैं ससुर के" |
यह कहकर सरला अंदर जाने ही वाली थी कि उसकी नजर नल पर पड़ी जो खुला रह गया था और पानी बहता जा रहा था |
सरला गला फाड़कर चिल्लाने लगी," हाय शंभू नाथ…
कौन हरामी नल खोलकर गया है, सुबह से पानी भर ले गया, अरे ना जाने किस बिरादरी का होगा? मुए पीछे पड़े हैं सरला के, लेकिन शंभू नाथ की कसम जिन उंगली ने नल खोला है उन्हें तोड़ के अचार ना डाल दूं उस कुकुर के तो मेरा भी नाम सरला नहीं ससुर के, अरे तू खड़ा खड़ा हमारा मुंह का देख रहा है, जा साबुन और जूना दे आके…. अरे कीड़े पड़े उसके, अपने नल में पानी नहीं भरते हैं आग लगे सब के नलों में "|
यह कहकर सरला नल के पास बैठ गई |
सुनील भागकर घर के अंदर से साबुन और जूना ले आया तो सरला उसे घूर कर बोली," अरे जमूरे, अपने भूसे (दिमाग) में आग लगा दे, काहे कि और कुछ तो उससे होगा नहीं"|
सुनील -" अरे अम्मा.. काहे सुबह-सुबह बखेड़ा बना रही हो "|
सरला -" चुप कर… गंगा जल का तेरा बाप देगा आके, अरे का पता सुबह सुबह कौन से हाथों से नल छुआ हो, जा गंगा जल ले आ "|
सुनील फिर घर के अंदर दौड़ा-दौड़ा गंगा जल लेने गया और सरला साबुन और जुने से नल को रगड़ रगड़ कर मांजने लगी और गलियाँ देती रही और सुनील चुपचाप सुनता रहा |
आगे की कहानी अगले भाग में..
धन्यवाद |