दो बाल्टी पानी - 24 Sarvesh Saxena द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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दो बाल्टी पानी - 24



रात आधी बीत चुकी थी आंधी पानी भी अब धीमा हो चला था, चारों ओर झींगुर की आवाज सुनाई दे रही थी, पूरा गांव अब नींद के आगोश में खो चुका था और सड़क के उस पार वाला नल अपने आप चल रहा था और उसमें पानी की खूब मोटी धार बह रही थी, नल के ठीक सामने नीम के पेड़ के पास सुर्ख लाल साड़ी में कोई औरत हंस रही थी |

जैसे तैसे सुबह हो गई और यह बात भी गांव में आग की तरह फैल गई कि पिंकी की चोटी भी चुड़ैल ने काट दी है, पूरे गांव मे तरह-तरह की बातें होने लगी | गुप्ता जी दुखी मन से दुकान में साफ सफाई करके बैठ गए तभी दो ग्रामीण गुप्ता जी को देखकर बोले “ राम राम गुप्ता जी” | गुप्ता जी ने भी राम-राम किया और वह दोनों इधर उधर देख कर व्यंगात्मक् हंसी हंसने लगे और आपस में बोले “ अरे रामबाबू यार.. ये गांव में हो क्या रहा है ये ससुरी चुड़ैल है या नाई जो सब की चोटी काट रही है” | दूसरा आदमी बोला “ हां भैया गोकुल.. बात तो तुमने कतई सही कही, यह चुड़ैल.. चुड़ैल नहीं कोई नाई ही है, अरे चुड़ैल होती तो ऐसे चोटी काट कर छोड़ देती कि जाओ बहन अब हमने तुम्हारे हिप्पी कट बाल काट दिए, अब जाओ गांव भर में मुचंडी की तरह घूमो” |
गोकुल बोला “ हां भैया.. बात तो हम का भी कुछ कुछ ऐसी ही लागत है, अरे हमें तो यह भी लागत है कि औरतें आपस में कुछ खेल रचा रही हैं, चुड़ैल के नाम पर” |
राम बाबू बोला “ बिल्कुल ठीक कहा यार तुमने और वैसे भी गांव में एक आध औरतें तो ऐसे घूमती हैं कि जैसे उनके आदमियों ने उन्हे आजादी दे दी हो, उन पर आदमी का हुक्म तो चलता ही नहीं,बस हिप्पी कट करा के घूम रही हैं, उसी का देखा देखा यह हमारे तुम्हारे घर की औरतें भी बिगड़ी जा रही हैं, अरे अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन हम लोग भी बेचारे बनिया की तरह हो जाएंगे....हा..हा..हा..हा....” |
गोकुल बोला “ नहीं.. नहीं.. कुछ करना होगा हमें..” |

रामबाबू आवेश में बोला “ अरे लेकिन हम करें तो क्या.... अरे चलो कुछ मिलकर सोचते हैं, देखते हैं इस चोटी काट चुड़ैल को” |
गोकुल बोला “ अरे भैया अगर तुमको चुड़ैल मिल जाए तो कहना जरा आदमियों के पास भी चली आया कर और हमारे भी बाल काट दिया कर” | दोनों यह कहकर हंसने लगे तभी गोकुल कामुक अंदाज में बोला “ अरे खाली बाल काहे.... थोड़ी तेल मालिश भी करवा लेंगे हम तो... यह कमबख्त चुड़ैल हमें मिल जाए बस” | गुप्ता जी का कलेजा इन दोनों की बातें सुनकर सुलगा जा रहा था पर उन्होंने कुछ नहीं किया सिवाय उन दोनों को घूरने के | गोकुल और राम बाबू वहाँ से चले गए तो गुप्ता जी ने उन दोनों को ना जाने कितनी गालियाँ दे डालीं और जी भर के गुप्ताइन को कोसने लगे |