दो बाल्टी पानी - 26 (9) 450 1.3k 1 खुसफुस पुर गांव मे तूफान आने के कारण एक चीज तो अच्छी हो गयी थी जो थी, पानी की परेशानी थोडी दूर होना, गांव वालों ने इतना तो पानी भर ही लिया था कि दो दिन तक आराम से काम चल जाये, पर सडक के उस पार वाले नल की चुडैल से सब खौफजदा थे और आगे क्या होगा ये सोच कर परेशान हो रहे थे | गुप्ता जी की फूल सी बिटिया पिंकी की चोटी कटने की खबर भी पूरे गांव मे फैल गयी, अब गांव की औरतें दिन मे भी घर से बाहर निकलने से डरतीं और तो और सिर से पल्लू भी नही हटता, कुंवारी लड्कियां अपनी चुन्नी से अपना सिर ढके रहतीं | “ अरे नंदू ....ओ नंदू......कहां मंडरा रहा है तू, अरे ये पानी के भारी भारी बरतन उठवा के रख दे, तेरी माँ की तो वैसे भी तबियत सही नही” मिश्रा जी ने नंदू को डाँटते हुये लहजे मे कहा | नंदू सडा सा मुंह बनाते हुये बाप के साथ पानी से भरे बरतन अन्दर रखवाने लगा तो मिश्राइन ने आवाज लगाई “ अरे जा रे नंदू जरा बनिया की दुकान से जीरा तो ले आ” | ये सुनते ही नंदू ऐसा फनफनाया जैसे किसी घायल साँप की पूंछ पे किसी ने पैर रख दिया हो | “ का मम्मी....हमारे पास और कोई काम नही है, का.....एक जान का का करे, अभी पानी रखवाये और अब जीरा, अरे जरूरी है जीरा डालो, ऐसे ही बना लो सब्जी, और वैसे भी मम्मी तुम्हारी सब्जी तो सब एक जैसी ही लगती हैं तो ये जीरा वीरा छोडो और हमे जीने दो” नंदू की बात सुनकर मिश्राइन तो उबल ही पडीं साथ मे मिश्रा जी का भी रक्त चाप माने ब्ल्ड प्रेशर बढ गया | “ अरे मिश्राइन देखा तुमने ....अरे कल तक जिसकी चड्ढी भी हम चढाते थे, वो आज अईसे बोल रहा है, बडा हरामी लौंडा हो गया है, अरे एक हम हैं जो बाल बच्चे हो जाने के बाद भी बाप के आगे कभी जुबान नही खोले, कमाल है” | मिश्रा जी ये कह कर चुप हो गये तो मिश्राइन दहकती हुई बोलीं, “ हां हां कमाल क्या बेमिसाल है, अरे हम तो आये दिन झेलते हैं, एक दिन तुम्हे सुना दिया तो कित्ता कष्ट हो रहा है, सब तुम्हारी किरपा है, और करो उसके आगे हमारी बेजज्ती....” मिश्रा जी कुछ और कहते तो उन्हे और भी कुछ सुनना पडता इसीलिये वो चुप चाप काम पर जाने के लिये तैयार होने लगे | अभी वो नंदू के बोले शब्दों को मंथन कर ही रहे थे, कि नंदू दौड्ता हुया आया “ ये लो जीरा....ले आये हैं और हां ...” नंदू इतना ही कह पाया कि मिश्राइन फिर उबल पडीं “ अरे पहले ये बता रुपये कहां से ले गया था, अरे कहां छुप गये देख लो जो तुमने इसको इतना बर्बाद किया है, पैसे दे देकर” | मिश्राइन की बातें सुनकर नंदू फिर फनफना उठा “ अब घर मे रहने दोगे तुम लोग या चले जायें हम भी वही उसी चुडैल के पास, अरे तुम लोगों से तो ज्यादा दुख नही देग़ी वो, वईसे भी गुप्ता जी की बिटिया पिंकी की चोटी कल रात चुडैल ने काट ली है, पूरे गांव मे हंगामा है.....पर हमारे घर मे हमी पे सब सवार हैं” | नंदू की बात सुनते ही मिश्रा जी और मिश्राइन के होश उड गये और बोले “ का बात कह रहा है, हे भगवान .......बचा लो इस गांव को.....” | ‹ पिछला प्रकरण दो बाल्टी पानी - 25 › अगला प्रकरण दो बाल्टी पानी - 27 Download Our App रेट व् टिपण्णी करें टिपण्णी भेजें Ayaan Kapadia 4 महीना पहले Dayawnti 5 महीना पहले Manorama Saraswat 5 महीना पहले Varsha Parag Pathak 5 महीना पहले r patel 5 महीना पहले अन्य रसप्रद विकल्प लघुकथा आध्यात्मिक कथा उपन्यास प्रकरण प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान કંઈપણ Sarvesh Saxena फॉलो उपन्यास Sarvesh Saxena द्वारा हिंदी हास्य कथाएं कुल प्रकरण : 36 शेयर करे आपको पसंद आएंगी दो बाल्टी पानी द्वारा Sarvesh Saxena दो बाल्टी पानी - 2 द्वारा Sarvesh Saxena दो बाल्टी पानी - 3 द्वारा Sarvesh Saxena दो बाल्टी पानी - 4 द्वारा Sarvesh Saxena दो बाल्टी पानी - 5 द्वारा Sarvesh Saxena दो बाल्टी पानी - 6 द्वारा Sarvesh Saxena दो बाल्टी पानी - 7 द्वारा Sarvesh Saxena दो बाल्टी पानी - 8 द्वारा Sarvesh Saxena दो बाल्टी पानी - 9 द्वारा Sarvesh Saxena दो बाल्टी पानी - 10 द्वारा Sarvesh Saxena