खामोश अनकहे पत्र Abhishek Sharma द्वारा पत्र में हिंदी पीडीएफ

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खामोश अनकहे पत्र

जिन्दगी बहुत ही उतार चढाव का नाम है। हर एक पल इसमें कुछ ना कुछ नया देखने को मिलता है । कुछ नया आता है जीवन में, और यही सब नए पुराने यादे अनुभव और उम्मीद का ही नाम जिन्दगी है।

स्वागत है आप सभी का मेरे पत्र श्रृंखला #खामोश_अनकहे_पत्र में जहाँ मैं #अभिषेक_शर्मा लिखता हूँ कुछ ऐसे पत्र जिन्हें लिखे तो गये है पर कभी पोस्ट नही किये गये। कुछ ऐसी बाते जिन्हें कहना तो हर कोई चाहता है पर काह नहीं पाता, कभी कभी हिम्मत नही होती तो कभी शब्द साथ नही देते..... ।।

आज आप सबके सामने है इसी श्रृंखला का चौथा पत्र, जिसे लिखा है एक लड़की ने जो अपने प्रेमी से जुदा हो गयी है और अब सबके लिए बेवफा और खुदगर्ज़ बनी हुई है। ये पत्र उन तमाम लड़कियों की तरफ से है जिन्होंने अपने प्यार को भुला दिया पर उन्हें ये नही बता सकी कि क्यों उन्हें ऐसा करना पड़ा,ये पत्र उन तमाम लडको के लिए है जो मोह्ब्बत तो कर लेते है पर उनकी रश्मो को नही जन पाते, उन लोगो के लिए है जो खुद को आशिक तो कहते है पर आशिकी नही समझ पाते......!!! यर पत्र है उन माँ बाप केलिए जो सिर्फ अपनी झूठी शान और इज्जत की खातिर अपने बच्चो की खुशियों की बलि चढ़ा देते है।

ये पत्र है.................दुनिया के नाम....!!!!

डिअर एक्स,

कैसे हो? सवाल बहुत ही अटपटा है...अजीब है...!! क्युकी मुझे और तुम्हे दोनों को इसका जवाब पता है पर ना ही तुम बोल सकते हो और ना ही मैं...!!! आज तुम्हारी शादी का कार्ड मिला। ख़ुशी हुई देख कर , जान कर कि तुम अब मुझे भुला कर जिन्दगी में आगे बढ़ रहे हो पर सच कहू तो बुरा भी बहुत लग रहा है तुम्हारे उसे कार्ड को देख कर... । कारण...!! कारण नही पता पर बुरा लग रहा है, लगना नही चाहिए पर लग रहा है। शायद इसलिए क्युकी ऐसी कभी कल्पना भी नही की थी कि जिस इन्सान के साथ ये वाला ही नही बल्कि अगले सातों जन्म एक साथ रहने का वादा कर लिया हो उसी इन्सान को किसी और का होते हुए देखना पड़ेगा पर......!!!

मुझे तुमसे कोई शिकायत नही है, हो भी तो क्यों? तुमने तो अपनी सारी जिम्मेदारियां निभाई थी, पूरी की थी। मैं ही एक वो थी जिसने तुम्हारा साथ छोड़ दिया था बीच सफ़र में। अब तक तो ना जाने तुमने मुझे अपने दोस्तों और शुभचिंतको के सलाह के अनुसार मुझे बेवफा, मतलबी, खुदगर्ज़, फरेबी और ना जाने किन किन तमगो से सम्मानित कर चुके होगे पर एक बात का यकीं है कि आज भी तुम्हारे दिल के किसी ना किसी कोने में आज भी मेरे लिए प्यार जिन्दा है इसीलिए ये पत्र लिख रही हूँ। आशा है कि जिन बातो को चाह कर भी तुम्हे नही बोल सकी उन सभी बातो को समझ सकोगे और मुझे और लड़की जाति को माफ़ कर सकोगे।

उस दिन जब हमने घर से भागने का फैसला कर लिया और रात में पापा को आखरी बार देखने गयी तब वो एल्बम को सीने से चिपकाये सो रहे थे जिनमे सिर्फ मेरी ही तस्वीर थी और उनके चेहरे से साफ जाहिर था कि वो बहुत रोये है। फिर अचानक ही मेरे कदम मानो जैम से गये हो, मुझे लकवा मार गया हो, मैं चाह कर भी हिल नही पा रही थी और मेरी पूरी जिंदगी मेरे आँखों के सामने नाचने लगी थी। तुम्हे तो मैं सिर्फ एक साल से जानती हूँ पर उन्हें....जब किसी को नही जानती थी तब से उन्हें जानती हूँ, इन फैक्ट वो मुझे मेरे जन्म लेने के पहले से ही प्यार करने लगे थे, अब तुम्ही बताओ.....एक साल के प्यार के लिए मैं जन्दगी भर की कमाई कैसे लुटा सकती थी....??? कैसे मैं उस इन्सान को दुखी करके, उस इन्सान को बेआबरू करके तुम्हारे साथ भाग जाती जिस इन्सान ने जिन्दगी सिर्फ मेरे लिए ही जी हो...??? हां मानती हूँ कि तुमसे बहुत प्यार करती थी और अब भी करती हूँ पर शायद इतना भी ज्यादा नही करती जितना पापा मुझसे करते है, तो तुम्ही बताओ कैसे मैं कम प्यार को चुन कर खजाने को छिओद देती....??? ऐसी बहुत सी ही बाते है जिन्हें लिखने बैठी तो शायद एक किताब बन जाये पर......!!

बस इतना कहना चाहती हूँ कि ये ख़त मैंने अपनी सफाई में नही लिखा है, मैं बस तुम्हे बताना चाहती थी ताकि तुम मुझपर और बाकि लड़कियों पर भरोसा कर सको। ये बात अभी शायद तुम ना समझ सको पर जिस दिन तुम यही सब अपनी बेटी के लिए सोचोगे तब समझ सकोगे कि मैंने क्यों ऐसा फैसला लिया था। बस एक छोटी सी बात है यार, मैं उन्हें छोड़ देती तो मुझे दुःख होता, पर उन्हें.....उन पर क्या बीतती? वो टूट जाते....!! उनका आत्मसम्मान उनका अभिमान टूट जाताक्युकी मैं उनकी सिर्फ बेटी ही नही बल्कि उनका गुरुर, उनका आत्मसम्मान, उनका घमंड हूँ......और जानते हो इन्सान सांसो के बिना तो जिन्दा रह सकता है पर...पर अपने गुरुर और अपने आत्मसम्मान के बिना......नही....वो मार जाते और मैं उन्हें मार कर अपनी खुशियाँ नही चाहती।

बस इतनी सी ही कहानी थी जो तुमको बताना चाहती थी, ताकि तुम उसे भी सम्मान दे सको जो तुम्हारे बेटी की माँ बनेगी, जो तुम्हारे गुरुर को जन्म देगी, जो खुद किसी और का घमंड है और अब तुम्हे संभालेगी। भूल जाना मुझे और अपनी जिन्दगी में खुश रहना।

तुम्हारी ना हो पाने वाली

#अभिषेक_शर्मा