ये कहानी है एक लड़के की... । एक ऐसे लड़के की जिसकी जिन्दगी, परिवार, करियर सब कुछ तबाह हो गया और ऐसा किया भी तो उसी ने,वो भी सिर्फ एक वजह से।
ये कहानी है एक लड़की की जिसने उस लड़के को बर्बाद करने में कोई कसर नही छोड़ा।
ये कहानी है एक और लड़के की जो पहले वाले लड़के का जिगरी है पर उसकी तबाही का सबसे बड़ा कारण भी वही है, और जो चाह कर भी सब कुछ होने से नही रोक सका।
ये कहानी है एक और लड़की की जिसने किसी को बर्बाद तो नही किया पर वो भी इस कहानी का एक बेहद जरुरी हिस्सा है।
एक और लड़का है जो दुसरे लड़के का जिगरी है और पहले वाले को बहुत मानता है और दुसरे लड़के की ही तरह बेबस और लाचार है।
कुछ और लोग भी है इस कहानी में.... कुछ और इन्सान भी है जो धीरे धीरे आपको मिलेंगे पर..
ये कहानी मेरी है, तो इसे सुनाने का हक़ मेरा है और इसीलिए शर्त भी मेरी ही होगा। इसे आपको वैसे ही सुनना होगा जैसे मैं सुनाना चाहूँगा, अगर आप इसे सुनना चाहते है तो आपको मेरी ये शर्त माननी ही होगी और अगर आप मेरी ये शर्त नही मान सकते तो इसके आगे की लाइन्स आपके लिए बिल्कुल नही है। अब जब आप मेरी शर्त नही मानना चाहते तो अब आगे मत पढना।
आप आगे पढने लगे इसका मतलब कि आप कहानी जानना चाहते हो और इसका सीधा सीधा मतलब ये है कि चाहो ना चाहो पर आपको मेरी शर्त मंजूर है।
अब जब अपने इसे पढना शुरू कर ही दिया है तो एक बात नोट कर लीजिये। इससे आगे अब आपके साथ जो भी होगा, आपका रिएक्शन जैसा भी होगा, आपका मूड जैसा भी बनेगा उसके लिए सिर्फ और सिर्फ आप ही जिम्मेदार होंगे।मैं या मेरी कहानी इसकी कोई जिम्मेदारी नही लेती।
"रुक जा माधव, तू ये शादी नही करेगा, किसी भी हालत में नही करेगा" युग सबके सामने लगभग चीखते हुए बोल रहता था। उसके आँखों से उसका गुस्सा साफ झलक रहा था, उसकी आँखों में अंगार पर चेहरे पर दर्द और तकलीफ थी पर शायद माधव ये सब देख पाने में सक्षम नही था, उसे युग से सिर्फ शब्द सुने दिए, उसे युग के चहरे पर सिर्फ गुस्सा दिखा, उसके लिए चिंता और दर्द नही.....!
"मैं ये शादी करूँगा और तुझे कोई हक़ नही है मुझे ऐसा करने से रोकने का" माधव ने युग को तेज से धक्का दिया और शादी की बाकि विधि में लग गया। माधव के हमले से युग दूर किसी चीज से टकराया और उसके माथे से खुन आ गया पर माधव को वो भी नही दिखा। हर्ष ने युग को उठाया और माधव की तरफ बढ़ा ही था कि युग ने लपक कर माधव के शेरवानी का कोलर पकड़ लिया
ये घटना देख कर ऐसा लग रहा होगा जैसे माधव और युग कोई दुश्मन है और युग किसी भी हाल में माधव की शादी रोकना चाहता है। पर ऐसा नही था...कमसकम दो साल पहले तक तो ऐसा नही था। दो साल पहले दोनों दो जिस्म एक जान, दो देह एक आत्मा, जय-वीरू, धरम-वीर टाइप दोस्त थे पर अब......!
माधव और युग लगभग सात साल पहले मिले थे और एक दुसरे के बहुत ही गहरे दोस्त बन गये थे, एक दूजे को जानना, एक दूजे के परिवार को संभालना, एक दूजे के लिए हमेशा खड़े रहना यही दोनों का काम था पर पांच साल की दोस्ती पर ग्रहण लगा....नजर लग गयी ""किसी"" की...! दो साल से दोनों दोस्त नही थे....!
पर असली कहानी ना तो सात साल पहले दोनों के मिलने से शुरू हुई और ना ही दो साल पहले दोनों के अनजान होने से...! ये शुरू हुई दोनों के बीच....सात साल से काफी आगे पर दो साल के काफी करीब....ढाई साल पहले....ये कहानी शुरू हुई ढाई साल पहले...जब माधव की जिन्दगी में एक लड़की आई, एक लड़की जो युग की क्लासमेट थी, वो लड़की जिससे युग ने ही माधव को मिलवाया था, वो लड़की जिससे माधव शादी कर रहा था और युग किसी भी हाल में उस शादी को रोकना चाहता था। पर क्यों? क्यों युग, जिसने खुद ही माधव और शालिनी को मिलवाया था वो उन दोनों की शादी के खिलाफ था, क्यों?
ओह...सॉरी, इमोशन में आ कर मैंने आपको शालिनी के बारे में तो बताया ही नही। सॉरी......हाँ तो वो लड़की थी शालिनी। साधारण सा चेहरा, दुबला पतला शरीर,ना कोई खास रंगत और ना ही कोई खास अदा....उपर से अकड की चलती फिरती दुकान...! युग और शालिनी दसवी तक साथ में ही पढ़े थे। साथ साथ थे इसलिए नार्मल दोस्ती थी दोनों के बीच।फिर दसवी के बाद दोनों के स्ट्रीम बदल गये और दोनो अलग हो गये। दसवी तक की उम्र ऐसी नही होती कि आप किसी को उस नज़र और उस नजरिये से देखो तो युग के लिए शालिनी सिर्फ एक जेन्युइन,नार्मल लड़की थी जो उसकी क्लासमेट थी। दसवी के बाद १२वीं फिर डिग्री इन चक्करों में ना ही युग कभी शालिनी से मिल सका और ना ही शालिनी युग से.....पर एक शख्स था जो दोनों से रेगुलर मिलता था....वो था हर्ष....!
हर्ष
वही हर्ष, जिसने युग को संभाला था जब माधव के धक्का देने से युग किसी चीज से टकराया था और उसके सर में चोट लग गयी थी। वही हर्ष जो युग का बहुत खास दोस्त माने जिगरी था। डिग्री के सेकंड इयर में आते आते माधव और युग लगभग भाई हो चुके थे और इस बात का गवाह इन दोनों को जानने वाला हर इन्सान था। रिश्तेदार, दोस्त, पडोसी,दुश्मन, टीचर और हर वो शख्स जो दोनों को थोडा भी करीब से जानता था उसे पता था कि युग शर्मा और माधव यादव दोस्त नही भाई थे भाई.....Brothers from different mothers. हर्ष भी जानता था, जानता ही नही बल्कि समझता भी था....जितना युग हर्ष के लिए प्यारा था उतना ही माधव भी।
अब तक की कहानी के हिसाब से युग माधव और हर्ष से मिलता था, माधव युग और हर्ष से मिलता था, हर्ष युग, माधव और शालिनी तीनो से मिलता था और शालिनी सिर्फ हर्ष से....! सब कुछ तब तक ठीक था जब तक ये क्रम ऐसे ही चलता रहा, पर जिस दिन....जिस दिन इस क्रम में थोडा सा बदलाव हुआ सब कुछ बदल गया.....सब कुछ मतलब सब कुछ!
कहानी भी
रिश्ते भी
और इन्सान भी...!
एक तूफ़ान की शुरुआत हो गयी उस दिन जब ये मिलने जुलने का क्रम बदला.....और ये क्रम बदला ढाई साल पहले ........!
ऐसा क्या हुआ था उस दिन....? और क्यों...? और किसकी वजह से...??
वजह था युग! ढाई साल पहले नवम्बर के किसी दिन को युग और हर्ष ने मिल कर अरेंज्ड किया एक गेट टू गेदर पार्टी। युग की ड्रीम पार्टी.....१०वीं के सभी स्टूडेंट्स और टीचर्स को फिर एक साथ वापस लाने की पार्टी। बहुत मेहनत हुई पर पार्टी सफल थी....सभी खुश थे, सभी बच्चे, सभी टीचर्स....पर सबसे ज्यादा जो खुश था वो था युग.....पूरी मेहनत सफल....पूरी अरेंजमेंट सफल....ड्रीम प्रोजेक्ट पूरा । जिस जिस ने सुना सबने तारीफ की। जो आ सका उस पार्टी में आया और ख़ुशी का हिस्सेदार हुआ, जो नही आ सका उसने फिर से ऐसा कुछ करने का वादा लिया। पर हर चीज अपने साथ दो पहलू ले कर चलती है, यहाँ भी ऐसा ही था।
आप जानते है "हर ख़ुशी की एक एक्सपायरी डेट होती है"
युग के ख़ुशी की भी थी। इस पार्टी में पहली बार चारो लोग सामने आये....हर्ष, युग, शालिनी और माधव। अब हर इन्सान बाकि तीनो इन्सान को बखूबी जानता था और हर इन्सान बाकि तीनो इन्सान से मिलते थे और यही से शुरू हुआ तबाही.....तबाही दोस्ती की, तबाही रिश्तो की....तबाही जिन्दगी की।
हर एक पल साथ में रहने वाले माधव और युग (सिर्फ सोने, दैनिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों और बहुत ही जरुरी काम को छोड़ कर बाकि हर समय साथ ही रहने वाले) के बीच में दूरियां आ गयी थी क्यूंकि युग का घर शिफ्ट हो गया था। पुराने वाले घर से काफी दूर जिससे अब दोनों फ़ोन पर करीब रहने की कोशिश करते पर युग से बढ़ी दूरियों ने एक मौका दे दिया शालिनी और माधव के रिश्ते को।
अब माधव शालिनी से मिलने उसके घर जाने लगा, शालिनी के घर वाले थोडा ओपन माइंडेड थे तो ज्यादा परेशानी नही होती प्लस युग का भाई....ये बेनिफिट पा कर माधव शालिनी से रेगुलर मिलने लगा। (अब अगर अप रेगुलर किसी जानवर से मिलो तो भी आपको लगाव होने लगता है......यहाँ तो दो जवान दिल की बात थी)
पर अभी तक किसी को कोई परेशानी नही थी, ना ही युग को, ना ही हर्ष को,जहाँ तक शालिनी और माधव की बात करे तो उन्हें तो वैसे भी कोई दिक्कत नही थी।
तो जब किसी को कोई दिक्कत, कोई परेशानी नही थी तो ऐसा क्या हुआ की हालात ऐसे हो गये थे जो अपने शुरू में देखा? कौन सी ऐसी बात थी जिसने दोनों की दोस्ती पर ग्रहण लगा दिया और क्यों दोनों की यारी पर ""किसी"" की नज़र लगी?
इसका जवाब है "ख़ुशी"...!! अरे वो इमोशन वाली ख़ुशी नही, मतलब ख़ुशी मतलब हैप्पीनेस नही बल्कि ख़ुशी इस कहानी की एक नयी लड़की, वो लड़की जिसके आने से हालत बदलने शुरू हुए और बद से बद्तर हो गये। तो अब सवाल ये है की कौन थी ये ख़ुशी और क्या रिश्ता था इन सबसे उसका?
ख़ुशी दरअसल शालिनी के चाचा की लड़की थी, साफ साफ कहे तो चचेरी बहन। क्लास वालो के रीयूनियन पार्टी, युग से लम्बे अरसे बाद मिलने से और कई कारणों से शालिनी युग की तारीफ करती थी और युग के बारे में सुन सुन कर उसे जानने की उत्सुकता लिए ख़ुशी ने युग को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी और युग ने थोड़े ही देर में एक्सेप्ट भी कर लिया। अब ख़ुशी और युग दोस्त थे.....फेसबुक पर ही सही पर थे.....!दोनों में बहुत सी बाते होने लगी....बाते नार्मल लेवल से उठ कर थोडा पर्सनल और फिर पर्सनल से एक्स्ट्रा पर्सनल हो गयी। पर एक नोट करने वाली बात ये थी कि युग को तनिक भी अंदेशा नही था कि ख़ुशी शालिनी की बहन है.....ये राज़ खुद ख़ुशी ने खोला और फिर दोनों थोडा करीब आ गये।
अब युग और उसका भाई माधव, शालिनी और उसकी चचेरी बहन ख़ुशी ये चार लोग दो कपल में बंट गये। माधव और शालिनी की नजदीकियां बदने लगी तो युग और ख़ुशी को एक दुसरे में दिलचस्पी होने लगी। माधव और शालिनी के नजदीकियों से युग और ख़ुशी दोनो को कोई प्रॉब्लम नही थी पर युग और ख़ुशी की बढती नजदीकियां ना जाने क्यों शालिनी की आँखों में चुभने लगी। उससे ये बर्दास्त ही नही हो रहा था कि जिस बहन को मैंने युग से मिलवाया वो युग के इतने करीब कैसी और क्यों जा सकती है?और फिर शुरू हुआ टोर्चेर का सिलसिला।
शालिनी वक्त बेवक्त ख़ुशी को युग का नाम ले कर परेशान करने लगी जो की शुरू में हँसी ठिठोली पर बाद में बड़ी मुसीबत लगने लगी। शालिनी ख़ुशी को तानों वाले लहजे में युग के करीब जाने और कैरेक्टरलेस होने की बाते कहने लगी और ऐसी बाते सुन कर ख़ुशी टूटने लगी और उसी के साथ टूटने लगा युग और ख़ुशी का रिश्ता....! युग ने पूरी कोशिश की पर वो बचा ना सका अपने और ख़ुशी के बीच के रिश्ते को और दोनों ठीक उसी तरह से अलग हुए जैसे पहली बार मिले थे....फेसबुक से।
ख़ुशी से अलग होने से थोडा परेशां युग जब शालिनी से इस बारे में कुछ बात करना चाहा तब शालिनी ने काफी बुरे लहजे में युग से भी बात की। पहले तो ख़ुशी से अचानक मिले इस दुरी और फिर शालिनी के लहजे से युग ने अपना आपा खो दिया और शालिनी को काफी खरी खोटी सुना दिया। इस तरह एक ही दिन में युग ख़ुशी और शालिनी दोनों से ही रिश्ता खत्म करके चला गया था। युग में तो सारी बाते भुला दी और शालिनी से माफ़ी भी मांग लिया पर शालिनी के दिल में वो सारी बाते घर कर गयी थी तो उनका निकलना आसान नही था। इसका बदला लेना शुरू किया शालिनी ने माधव को युग के खिलाफ भड़का कर। अंग्रेजो की फुट डालो और राज करो वाली नीति अपना कर शालिनी ने अपना बदला पूरा करना चाहा और...................वो सफल भी रही।
वो कहते है ना कि जब दिल मोहब्बत में हो तो अपने महबूब की सारी बाते बड़ी ही आसानी से मान जाता वो भी बिना किसी सबूत के। माधव के साथ भी ऐसा ही हुआ, थोड़े समय पहले ही ब्रेकअप से दर्द को झेल रहे माधव के मन में शालिनी के लिए कुछ फीलिंग जग रही थी जो वक्त के साथ साथ बढती जा रही थी और इसी कारण से माधव शालिनी के हर एक बात पर आंखे बंद करके भरोसा करने लगा था जिसका अंजाम ये था कि पांच साल की दोस्ती में सेंध लग चुकी थी, दोनों की दोस्ती में दरार आने लगी थी।
अब माधव और युग का मिलना जुलना तो लगभग बिल्कुल बंद और बातचीत बहुत ही कम हो चुकी थी। एक समय एक दुसरे के स्पीड डायल पर रहने वाले ये दोनों अब एक दुसरे के कॉल लिस्ट से भी नदारद होने लगे थे। युग ने सब कुछ नोटिस किया पर ये सोच के कि माधव की भी एक पर्सनल लाइफ है कभी सीरियसली नही लिया,पर माधव ने तो सीरियसली ले लिया था.....शालिनी की एक एक बात को...जो भी उसने कही थी युग के खिलाफ, हर्ष के खिलाफ।
पर्सनल लाइफ के लिए स्पेस दे कर युग माधव से दूरियां बना ही रहा था, उसे माधव के इस बिहेवियर से ज्यादा तकलीफ नही थी।सब कुछ किसी तरह चल रहा था तभी इसी बीच युग का एक्सीडेंट हो गया, एक्सीडेंट मेंजर.....बड़ा....बहुत बड़ा एक्सीडेंट.....ये मनियें कि किसी की दुआ ने ही या यूँ कहिएं किसी ताकत ने ही युग को बचा लिया था वरना.......! हमेशा की तरह युग ने सबसे पहले माधव को ही मदद के लिए बुलाया पर.....माधव नही आया। हर्ष आया। उसने सब कुछ किया। माधव को भी बताया पर माधव ने दिल तोड़ने वाली बात बोली और दोनों टूट गये......युग भी और उसका यकीं भी.....और एक दोस्ती भी...!
एक्सीडेंट के समय जब युग को माधव की सबसे ज्यादा जरुरत थी वो नही आया....वो तो शालिनी के साथ रहता था....शालिनी ने इस मौके को सबसे सुनहरे रूप से भुनाया और माधव के दिल से युग को कुछ यूँ निकाल फैक दिया जैसे किसी चाय में गिरी हुई मख्खी। पहले हॉस्पिटल फिर घर फिर इलाज की प्रोसेस और फिर रिकवरी.....,माधव कभी नही आया....क्यूंकि उसे आने नही दिया जा रहा था..! इसी एक्सीडेंट से हो रही रिकवरी से युग पैर के दर्द और दिल के दर्द दोनों से रिकवर हो रहा था और एक दिन वो दोनों से रिकवर हो गया।
कहते है महबूब छोड़ के जाये तो कम दुःख होता है क्यूंकि दोस्त का कन्धा होता है सँभालने को पर जब दोस्त छोड़ के चला जाता है ना तब....उससे बड़ा कोई दुःख नही होता। अब युग इस दुःख से भी बहार आ चूका था। उसने अपने फ़ोन में से माधव का नंबर डिलीट कर दिया था। भले ही दिल और दिमाग से माधव के नंबर को हटा नही पा रहा था पर फ़ोन से डिलीट करना जरुरी था क्यूंकि आज कल फोनबूक से नंबर डिलीट करना रिलेशनशिप तोड़ने का कन्फर्मेशन होता है।
इस बीच एक अच्छी बात हुई...और वो ये की माधव ने अपने सपने पुरे करते हुए आर्मी में अपनी जगह बना ली और जल्द ही उसे ट्रेनिंग पर जाना था। युग के मन में एक आस जगी कि ट्रेनिंग में जाने से पहले माधव जरुर मिलने आयेगा पर मिलना तो दूर उसने तीन महीने पहले की डेट बता कर युग को अँधेरे में रखा। चार महीने से ज्यादा हो चुके थे माधव को देखे और दो महीने हो चुके थे आवाज़ सुने और ये इंतजार चला पुरे २३८ दिन.....पुरे २३८ दिन बाद फ़ोन किया माधव ने पर जब रिश्ता वेंटीलेटर पर पहुच चूका था तो ऐसी हल्की दवाओ से कोई फर्क पड़ने वाला नही था। अब युग को ना ही माधव से कोई मतलब था और ना ही उसकी ट्रेनिंग से और ना ही शालिनी से।
लगभग एक साल बीतने पर थे
एक दिन अचानक युग को एक कॉल आया वो था माधव के पापा का कॉल।
" भैया, माधव कुमार कहाँ है पता है? "
" वो तो ट्रेनिंग पर है ना? "
"नही...आज सुबह वापस आ गया है"
"नही, तब तो मुझे नही पता"
"अच्छा..........(एक पोज़ के बाद) एक बार शालिनी के घर जा कर देखो ना, मुझे लगता है वो वही होंगा"
"ठीक है अंकल मैं जाता हूँ"
"मुझे जल्दी बताओ पता करके"
माधव के पापा ने कॉल कट कर दिया पर अब युग एक और सदमे में जा चूका था।उसके मन में हज़ार सवालो ने एक साथ घर कर लिया।माधव और शालिनी की कहानी माधव के घरवालो को भी पता है? माधव वापस आया तो घर क्यों नही गया? घर नही गया तो कहाँ गया? और अगर शालिनी के घर गया है तो क्यों,किस रिश्ते से? और शालिनी के घर वालो ने रुकने कैसे दिया? ऐसे हजारो सवालो से खुद को घिरा पाया था युग ने, उसने हर्ष को कॉल किया और वही करने को कहा जो माधव के पापा ने उससे कहा था। हर्ष ने पता किया....माधव रात से वही था। अब युग एक और झटके में था। इस बात की जानकारी उसने अंकल यानि माधव के पापा को बताई।
"अंकल, वो वही है।"
"मुझे भी लग रहा था।"
"अंकल बात क्या है? "
"मुझे आ कर मिलो सब बताता हूँ।"
"ठीक है अंकल, दोपहर में आता हूँ।"
पूरी बात युग ने हर्ष को बताई और दोनों चल दिए मिलने अंकल से। वहाँ पहुच कर दोनों को कुछ ऐसी ऐसी बाते पता चली जिससे दोनों के पैरो के नीचे से जमीं खिसक गयी। माधव के पापा ने ऐसी ऐसी बाते बताई जिसे सुनने के बाद ना ही युग को यकीं हो पा रहा था और ना ही हर्ष को।
युग से दूर होने और शालिनी से करीब होने के बाद माधव के साथ ऐसा हुआ जैसे वो किसी सम्मोहन में था। माधव शुरू में कभी कभी शालिनी से मिलने जाता था। फिर ये सिलसिला थोडा और बढ़ गया और लगभग हर रोज ही शालिनी के घर जाने लगा। धीरे धीरे माधव उसके घर में घुल गया, ऐसे घुल गया जैसे पानी में नमक घुलता है।ये सफ़र अपने अगले पड़ाव पर तब पंहुचा जब शालिनी के घर में किसी फंक्शन में गये हुए माधव को शालिनी के घर वालो ने रात रुकने को कहा और वो उस रात शालिनी के घर ही सोया। फिर ये सिलसिला और आगे बढ़ा, माधव महीने में दो-चार दिन शालिनी के घर ही रहने लगा,दिन में ही नही बल्कि रात में ही। कुछ ही समय में ये सिलसिला इतना बढ़ गया की हप्ते में तीन दिन माधव वही रहने लगा। उसे अपने घर, अपनी माँ, अपने बाप, अपने भाई, अपने दोस्तों किसी की कोई चिंता नही रह गयी थी। उसे तो सिर्फ शालिनी ही दिख रही थी सिर्फ शालिनी। आलम तो ये था कि यहाँ उसके घर में उसकी माँ बुखार से तप रही थी और माधव तीन दिनों से शालिनी के घर ही पड़ा हुआ था, वो एक बार भी अपने घर नही आया था।
माधव और शालिनी के घुमने फिरने का सिलसिला बढ़ गया था। दोनों साथ साथ पुरे शहर का चक्कर लगाया करते थे। उनके लिए समाज,दुनिया, समय, जगह कुछ भी मायने नही रखती थी। देर रात तक दोनों साथ साथ घर के बहार रहते थे,यहाँ तक की एक दिन दोनों रात 2 बजे घूम के वापस आये थे। दोनों अकेले थे।
इतनी सी बातो ने हर्ष और युग को झुलसा दिया था, पहले से ही हजारो सवालो से झुझते ये दोनों अब लाखो नए सवालो में उलझ गये थे। माधव ऐसा क्यों कर रहा था? शालिनी ऐसा क्यों कर रही थी? माधव के घर वालो ने इन्हें रोका क्यों नही? क्यों माधव को शालिनी के घर वाले रात रात भर रुकने देते है? क्यों?क्यों? लाखो क्यूँ थे जिनका हल खोजना जरुरी था,पर हल किसी के पास नही था.....फ़िलहाल उस समय तो बिल्कुल भी नही।
युग और हर्ष सिर्फ पूरी कहानी जानना चाहते थे क्यूंकि जब तक पूरी कहानी नही पता चल जाती तब तक किसी भी क्यों का कोई जवाब नही मिलने वाला था। इसलिए दोनों चुप चाप आगे की बाते सुनने लगे।
माधव के घर वाले माधव-शालिनी की इस नजदीकियों से बेखबर थे। उन्हें लग रहा था कि उनका बेटा अपने सपनों को पूरा करने के जदोजहद में लगा हुआ है पर....पर बात तो कुछ और थी और जब ये बात अंकल आंटी को पता चली दोनों टूट गये।
इन सब वाकियों में सबसे अजीब बात क्या थी पता है....शालिनी की शादी तय हो चुकी थी....किसी और के साथ...किसी दुसरे लड़के के साथ। अब एक नया सवाल पैदा हो चूका था...जब शालिनी किसी और की होने वाली थी तो वो माधव के साथ क्या कर रही है? और जब माधव भी जानता है तो वो उसके साथ क्यों था? खैर युग और माधव ने बाकि सवालो की तरह इस सवाल को भी अभी अहमियत ना देते हुए बाकि बची कहानी सुनने को प्राथमिक दी।
माधव और शालिनी की नजदीकियां माधव के घर तक कुछ इस तरह पहुची कि शालिनी के घर वाले माधव के घर आने जाने लगे। हालाकि पहले आंटी ने इसे नार्मल बात ही समझी पर जानते है ना कुछ चीजे जो ज्यादा नार्मल लगती है वो नार्मल होती नही है,ये भी नही थी..! माधव की शालिनी के घर वालो से इतनी नजदीकियों से आंटी परेशान तो हुई पर इतना महत्व नही दिया और यही उनकी सबसे बड़ी गलती थी।
एक दिन अचानक शालिनी के पापा माधव के घर आ धमके वो भी बिल्कुल अलग मूड और बिहेवियर के साथ।वो लड़ाई करने के मन में थे और वो बार बार धमकी दिए जा रहे थे कि वो माधव को सात साल की जेल करवा देंगे क्यूंकि माधव रात में शालिनी और शालिनी के भाई के साथ मिल के उन्हें मारने की कोशिश किया था पर किसी भी तरह खुद को बचा लिया।
इस बात ने फिर से कुछ सवाल पैदा कर दिया।
क्यों ? माधव क्यों मराना चाहता था? शालिनी या उसका भाई भी क्यों मराना चाहते थे? माधव साथ में क्यों था? और सिर्फ माधव के ही खिलाफ केस क्यों?
यही सवाल आंटी अंकल के मन में भी था और युग-हर्ष के भी पर कोई भी सही जवाब नही मिला था तो फिर से एक बार दोनों ने कहानी पर कंसन्ट्रेट किया।
इतना ही नही माधव पर शालिनी के पापा शालिनी की शादी कैंसिल कराने का भी आरोप लगा रहे थे।माधव का यूँ बार बार वहाँ जाना उन्हें अखरता था पर कुछ कर नही सकते थे....ये शालिनी के पापा के शब्द थे।
इतना सब जानने के बाद सबसे बड़ी और धमाकेदार बात ये पता चली थी कि माधव पिछले छः महीने में शालिनी को लगभग ६०,००० रूपये भेज चूका था। साठ हज़ार रूपये....!!! एक मिडिलक्लास परिवार के लिए बहुत बड़ी रकम...बहुत बड़ी उम्मीद...! जहाँ पापा परिवार की जिम्मेदारी और क़र्ज़ में थे वही बेटा अपनी मासूका को इतने पैसे भेज चूका था। आंटी-अंकल ने माधव को साफ मना कर दिया था वह जाने से पर ट्रेनिंग से वापस आने पर सीधे वही गया माधव, अपने घर भी नही गया जहाँ उसकी माँ उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। अब कुछ जानने को नही रह गया था, इसलिए नही क्यूंकि सब पता चल चूका था बल्कि इसलिए की अब खुद ही पता करना जरुरी था।
काफी विचार विमर्श के बाद सबने (अंकल आंटी युग हर्ष) ये निश्चित किया की माधव को समझाया जायेगा। साम दाम दंड भेद....चारो नीतियाँ लगायेगे पर माधव को शालिनी से दूर करेगे और इस प्लान के तहत माधव को आंटी ने काफी समझाया और अपनी कसम दे दी की माधव शालिनी से नही मिलेगा। (माँ की कसम हमारे देश में ब्रम्हास्त्र होता है, इससे बड़ा कोई अस्त्र कोई शस्त्र नही है और इसका तोड़ शायद ही किसी के पास हो),पर माधव नही माना, वो अगले ही दिन मिलने चला गया। माधव पर साम और दाम का कोई असर नही हुआ इसलिए अब बारी थी दंड-भेद की। माधव को सीधे सीधे आप्शन दे दिया गया, या तो शालिनी या तो मम्मी-पापा। अमूमन लोग दूसरा आप्शन ही पसंद करते है पर माधव तो शालिनी के रंग में था, उसने सोचने के लिए चौबीस घंटे मांगे। इस चौबीस घंटे में वो ना ही शालिनी से मिलेगा और ना ही बात करेगा की शर्त पर आंटी में 24 घंटे दे दिए। चारो लोग(आंटी-अंकल,युग-हर्ष) इस उम्मीद में थे कि शायद इसके बाद माधव को अक्ल आ जाये और वो शालिनी को छोड़ देगा पर एक बार फिर सबकी उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा। इसका सामना किया युग ने.....तो हुआ यूँ कि माधव के मांगे हुए 24 घंटे चल रहे थे पर युग की मुलाकात माधव से शहर के एक मंदिर में हुई। झटके वाली बात ये नही थी कि माधव मंदिर में था....झटके वाली बात ये थी कि शालिनी भी उसके साथ थी....बाहों में बाहें डाले,एक कपल की तरह दोनों चले आ रहे थे और युग को देख कर भी दोनों वैसे के वैसे ही रहे मानो जैसे चुनौती दे रहे हो कि जो करना है करो हम तो वही करेगे जो हमको करना है। युग तिलमिला गया और वो इतनी आसानी से रुकने वाला नही था इसलिए उसने अंकल को फ़ोन करके सब बता दिया। युग के कॉल का असर ये हुआ कि आंटी मंदिर आई और माधव के विश्वासघात की साक्षी बनी। शाम को घर पर हंगामा हुआ, जोरदार हंगामा...! कहा सुनी, बोल चाल....और माधव का फैसला.....फैसला जिसने आंटी-अंकल को जीते जी मार दिया....फैसला जिसने माँ को बेटे पर विश्वास ना करने का सबक दिया....फैसला....शालिनी को पसंद करने का....! जी हाँ माधव ने शालिनी को चुना पर जब शालिनी की शादी होने वाली थी इसलिए इस बात पर राजी हो गया कि वो उससे मिलने नही जायेगा। पर मियां इश्क का बुखार इतनी आसानी से कहाँ उतरता है।अपने ही बेटे से हार चुके पापा-मम्मी को अब सिर्फ भगवान से ही उम्मीद रह गयी थी। युग और हर्ष को भी सारी बाते पता चली और युग ने भी एक फैसला लिया.......माधव को शालिनी से अलग करने का फैसला....किसी भी कीमत पर.....किसी भी हाल में...!
(हालाकि माधव के मंदिर में देखे जाने मम्मी के वहाँ अचानक पहुँच जाने से शालिनी और माधव दोनों समझ गये थे कि अब युग भी उनके खिलाफ था और इसकी कन्फर्मेशन तब हो गयी जब शालिनी ने युग को कॉल किया और बहुत भला बुरा बोला, उसके हिसाब से युग माधव और उसकी जिन्दगी तबाह कर रहा था और इन बाते ने युग को ये फैसला लेने में बहुत हेल्प की।)
युग ने हर्ष की मदद से माधव को मिलने बुलाया क्यूंकि अब मंदिर वाली घटना से माधव युग से बात करना या मिलना नही चाहता था।
माधव को समझाने की हर्ष और युग में लगभग सारी कोशिशे कर ली पर माधव का सिर्फ दो ही जवाब होता था "मैंने क्या किया ?" और "कुछ दिन में उसकी शादी हो जाएगी तब तो सब बंद हो जायेगा ना"
इन जवाबो से युग अपना आपा खो दिया और फिर सारी मर्यादाओ को भूलते हुए लगभग एक धमकी देते हुए उसने माधव को कहा कि
"तुझे जो करना है कर,उस लड़की को जो करना है कर, मुझे तुझसे या उस लौंडिया से कोई लेना देना नही है, ये तेरी और उस लौंडिया की जिन्दगी है जैसे जीना है जियो मुझे कोई फर्क नही पड़ता पर एक बात कान खोल के सुन ले....आज से कुछ दिन बाद, हप्ते भर बाद, साल भर बाद...जब भी मुझे ये पता चलेगा की तेरे मम्मी पापा परेशान है और उस परेशानी की वजह तू और वो लौंडियाँ है तो भाई........मैं तेरी और उस लड़की दोनों की जिन्दगी तबाह कर दूंगा......हाँ एक बार तुझे कुछ ना बोल सकूँ पर शालिनी को तो बर्बाद कर दूंगा फिर भले ही उसकी शादी हुई हो या ना हुई हो.....हुई भी हो तो किसी मिनिस्टर से भी या आर्मी वाले से भी.....जिन्दगी बर्बाद कर दूंगा, और ये बात तू भी जानता है कि मैं ऐसा कर सकता हूँ और मैं ऐसा कर दूंगा।" ऐसा बोल कर युग वहाँ से चला गया।
युग के जाने के बाद माधव और हर्ष में काफी बाते हुई पर सब ढाक के तीन पात वाली हाल...मतलब की माधव को कुछ समझ नही आया उसे तो सिर्फ शालिनी ही दिख रही थी।
इन सब के बीच माधव की छुट्टियाँ ख़त्म हो चली और वो वापस अपने आर्मी कैंप चला गया। माधव के वापस चले जाने से सभी लोगो ने इस किससे को ठंडे बसते में डाल दिया और सब अपने अपने काम में मसरूफ हो गये।
इसी बीच दीवाली आ गयी....दिवाली दीपो का,उजाले का,अच्छाई का त्यौहार.... । सब अपनी जिन्दगी में मस्त थे तभी एक दिन माधव युग को कॉल करता है, दिवाली विश करने के लिए....पर युग के दिमाग में तो वही सब चल रहा था। थोड़ी देर फॉर्मल बातो के बाद युग ने बिना किसी शर्म या संकोच के माधव से शालिनी का जिक्र छेड़ दिया।
"तेरी मैडम कैसी है?"
"कौन मैडम?"
"वही जिसकी वजह से इतना रायता फैला हुआ है!"
"क्या तू भी भाई..... " (हँसते हुए माधव ने कहा)
"अच्छा ये बता, अपनी वाली की शादी में तो आयेगा"
"नही,छुट्टी नही रहेगी"
"शादी में भी छुट्टी नही....अरे झूठ मत बोल तू तो रहेगा ही शादी में"
"सच भाई.....वैसे कब है शादी? "
"तुझे नही पता? "
"नही"
"चु*या ना बना....तुझे नही पता होगा तो किसे पता होगा?....अच्छा लड़के से बात वात किया है कभी? "
"मैं क्यों करूँ बात, मुझे क्या पड़ी है? "
"तेरी वाली को ले कर जा रहा है और तुझे नही पड़ी....!"
"नही ऐसा कुछ नही है....!! "
"पर शालिनी का बाप तो बोलता है कि तूने बात करके भड़काया था और शादी कैंसिल करनी चाही थी...!! "
"तुझे किसने बोला? "
"शालिनी के बाप ने"
"वो तुझे कहाँ मिल गये?"
"बेटा, तु बहार है...मैं नही, मुझे सब मिलते रहते है....वैसे भी तू आम खा पेड़ मत गिन"
"नही ऐसा नही था...मैंने कभी बात नही की! "
"अच्छा.....ये बता तू क्या चाहता है? "
"क्या मतलब? "
"अबे....क्या करना चाहता है? शादी से खुश है?"
(अब इस तरह से सीधे आक्रमण से माधव हैरान था, वो लाख बात घुमाने की कोशिश करता रहा पर युग पुरे फॉर्म में था। माधव ने पुरानी बाते शुरू कर दी ताकि बात टल जाये और उसे जवाब ना देना पड़े पर जवाब तो उसे देना ही पड़ा)
"बोल भाई.....फालतू बाते छोड़ और जो पूछा वो बता" युग झुन्झुला कर बोला
"मुझे शालिनी से शादी करनी है....मैं उससे शादी करना चाहता हूँ, और ये बात मैंने मम्मी पापा को भी बोल दिया था.....मैं शालिनी के बिना नही रह सकता"
"तो उसकी शादी के बाद क्या करेगा? "
"कोई ना कोई रास्ता निकल आयेगा"
"और तेरी मैडम क्या चाहती है? "
"वो क्या चाहेगी....वो भी वही चाहती है जो मैं चाहता हूँ.....मतलब वो भी मुझसे ही शादी करना चाहती है"
"तो वो किसी और से शादी क्यों कर रही है? "
"घर वालो के कहने पर.....घर की इज्जत बचाने के लिए मजबूरी में शादी कर रही है"
"घंटा साले,चु*या किसी और को बना......मुझे नही.....साले उसकी शक्ल और हरकते देख कर लग तो नही रहा कि वो मजबूरी में शादी कर रही है"
माधव के पास कोई जवाब नही था। उसने युग को कुछ भी बवाल करने से रोका और फ़ोन कट कर दिया।
युग का दिमाग घूम चूका था.....उसने बहुत कुछ जानने की कोशिश की। युग वापस लौटा शालिनी की बहन ख़ुशी के पास.... । ख़ुशी के पिता और भाई से बहुत कुछ ऐसी बाते पता चली जो अब तक की सबसे खतरनाक थी।
इन सभी जानकारियों से बहुत कुछ साफ हो चूका था।युग को पूरा किस्सा समझ आ चूका था। उसने सबसे पहले हर्ष को सब बताया फिर माधव के घर में ये बात कह दी की कुछ भी हो जाये पर माधव को शालिनी से मिलने या उसकी शादी में जाने मत देना और हो सके तो उसके लिए लड़की खोजना शुरू कर दो।
ऐसा क्या पता चला था युग....?? किस बात का डर था उसे? बहुत से सवाल आ रहे होंगे आपके मन में । पर मैंने पहले ही कहा था ये कहानी मेरी है तो इसे ऐसे ही सुनाऊंगा जैसे मुझे सुनाना है। आपको मेरी शर्त माननी ही थी,और अब आपके पास सिर्फ ये विकल्प है कि आप इसे पढ़ते रहिए।
इस घटना के बाद माधव ने एक और बार युग को कॉल किया था.....जो उसका आखरी कॉल था....और उस दिन भी बात पूरी नही हुई थी क्यूंकि माधव ने बीच में ही कट कर दिया था।
सब कुछ किसी तरह चल रहा था तभी एक दिन युग को एक कॉल आया।
"युग भाई, मैं माधव के साथ ट्रेनिंग में हूँ.....वो कल शाम को अचानक ही छुट्टी ले कर कही चला गया, उसने इतना कहा कि जल्द ही तेरी भाभी ले आऊंगा, अभी उसके घर फ़ोन किया तो पता चला की वो तो वह पंहुचा ही नही है....आपके बारे में सुना था माधव से इसलिए उसके घर से आपका नंबर ले कर आपको सब कुछ बता रहा हूँ....प्लीज कुछ कीजिये आप.....कई दिनों से बहुत परेशान भी था माधव....प्लीज युग भाई"
युग की आंखे चमक गयी। वही हुआ जैसे उसने सोचा था। माधव ने वही किया जो उसे करना था और अब युग वो करने वाला था जो उसे करना था। हर्ष और माधव के घर वालो को साथ में लेकर युग उस जगह पहुँच गया जहाँ माधव और शालिनी शादी करने वाले थे।
युग को सारी बाते एक एक करके याद आने लगी थी.....सब कुछ किसी फ्लैशबैक की तरह उसके आँखों के सामने नाचने लगी थी। उसे याद आ रहा था कि कैसे आखरी कॉल के दौरान युग के सवाल पर माधव ने उसे गाली दी थी और कॉल कट कर दिया था। सवाल क्या किया था युग ने? सिर्फ यही तो पूछा था क्यों शालिनी और उसका भाई अपने बाप को मारना चाहते थे और तू क्यों उनके साथ था? और दूसरा सबसे तीखा सवाल...........सोया है शालिनी के साथ? हर्ष ने जोर से ब्रेक लगाया जिससे युग फ़्लैश बेक से वापस आ गया। तेजी से दौड़ते दौड़ते सब अन्दर गये और
"रुक जा माधव, तू ये शादी नही करेगा, किसी भी हालत में नही करेगा" युग सबके सामने लगभग चीखते हुए बोल रहता था। उसके आँखों से उसका गुस्सा साफ झलक रहा था, उसकी आँखों में अंगार पर चेहरे पर दर्द और तकलीफ थी पर शायद माधव ये सब देख पाने में सक्षम नही था, उसे युग से सिर्फ शब्द सुने दिए, उसे युग के चहरे पर सिर्फ गुस्सा दिखा, उसके लिए चिंता और दर्द नही.....!
"मैं ये शादी करूँगा और तुझे कोई हक़ नही है मुझे ऐसा करने से रोकने का" माधव ने युग को तेज से धक्का दिया और शादी की बाकि विधि में लग गया। माधव के हमले से युग दूर किसी चीज से टकराया और उसके माथे से खुन आ गया पर माधव को वो भी नही दिखा। हर्ष ने युग को उठाया और माधव की तरफ बढ़ा ही था कि युग ने लपक कर माधव के शेरवानी का कोलर पकड़ लिया
"पहले मेरी पूरी बात सुन फिर जो करना हो करना" युग ने काफी गुस्से से और बहुत ही तेज आवाज में कहा। माधव समझ गया की युग मानने वाला नही है इसलिए उसकी बात सुनने में ही उसने अपनी भलाई समझी।
"तुझे क्या लगता है, तु जिस लड़की से शादी कर रहा है वो तुझे बहुत प्यार करती है? "
"युग तुम्हारी हिम्मत कैसे........ " शालिनी ने जैसे ही कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोला युग ने जोरदार आवाज से उसकी आवाज और हिम्मत दोनों तोड़ दिया। उस समय उस जगह खड़ा हर इन्सान युग को एक नए रूप में देख रहा था, किसी ने भी उसका ऐसा रूप कभी नही देखा था।
युग वापस माधव की तरफ देखा और बोलना शुरू किया
"ये जो तुझे प्यार लग रहा है ना ये सिर्फ और सिर्फ तुझे फ़साने की साजिस थी। ये जो कुछ भी हो रहा है न शुरू से....तेरा शालिनी से मिलना, शालिनी का अचानक तेरे इतने करीब आना, तुझे उसके घर में रहने देना, तुझे तेरे घर से दूर करना, तेरे घर वालो से नजदीकियां बढ़ाना, मेरे खिलाफ भड़काना, तुझे यूँ शादी टूटने की बात बताना, और अब ये तेरे साथ शादी.....सब कुछ.....सब कुछ एक सोची समझी चाल थी। सब एक साजिस थी भाई और ये सब इसमें सफल हो गये। अगर आज तूने शादी कर ली तो समझ जाना तेरी बर्बादी शुरू...! "
"ये सब झूठ है...तू सिर्फ मुझे बहका रहा है.... " माधव ने कहा और शालिनी भी उसके सुर में सुर मिलते हुए बोली "हाँ माधव ये सब झूठ बोल रहा है, इसकी बात मत सुनना"
युग ने सिर्फ एक नजर शालिनी की ओर देखा और वो चुप हो गयी फिर माधव से बोला
"मुझे पता था ऐसा ही कुछ होगा और ये बात तेरे मम्मी पापा को उसी दिन बता दिया था जिस दिन तूने दिवाली विश करने के लिए मुझे फोन किया था और तूने बताया था कि तुझे इस लड़की से ही शादी करना है। मैं उसके बात बहुत कुछ जानना चाहता था... ।बहुत से सवाल थे जिनके जवाब ढूंढना था मुझे और इनमे सबसे बड़े सवाल थे कि शालिनी के घर वाले तुझ पर इतने क्यों मेहरबान थे? और जब शादी फिक्स हो चुकी है तो तुझे और शालिनी को इतनी छुट क्यों? मुझे शक तो था कि तुम दोनों के बीच फिजिकल रिलेशनशिप था पर यकीं और सबूत नही था। पर मुझे दोनों मिले....खोजबीन करते करते मैं ख़ुशी के भाई से मिला जिसने बताया कि शालिनी के पापा ने तुझे और शालिनी को साथ में सोते हुए देख लिया था और जिसके विरोध में तू,शालिनी और इसका भाई अपने ही बाप को मार देना चाहते थे। अब जब मुझे यकीं हो चूका था कि तुम दोनों साथ में सो चुके हो तो मुझे कोई सबूत निकलना था और इसमें भी मेरी मदद की अनिल ने। हम इनके फॅमिली डॉक्टर के पास गये और बातो ही बातो में उन्होंने बताया कि शालिनी के एबॉर्शन बारे में बताया। मैं तो सुन्न था, क्यूंकि ये तेरी वजह से नही था। इसके बाद मैं शालिनी के बाप से मिला और दो पैग पिला कर उससे सब कुछ सच सच जान लिया, उसने बताया कि शालिनी की शादी तय होने के तीन महीने में ही कैंसिल हो चुकी थी क्यूंकि उन लोगो ने जो दहेज़ माँगा था वो ये लोग नही दे सकते थे और फिर शालिनी के बाते में भी सब पता चल गया था। अब जब शालिनी और उसके घर वालो को पता चला कि ये शादी नही हो सकती और इतनी बदनामी के बाद कोई और लड़का शादी करने को तैयार नही हो रहा था तो शालिनी के भाई ने ये प्लान बनाया कि माधव भी तो अच्छा लड़का है, आर्मी में हो चूका है, शालिनी को पसंद भी करता है,तो क्यों ना उसे से.....पर अब प्रॉब्लम थी....कास्ट....घर वाले....और युग....! तो इसका सबसे बढ़िया उपाय ये निकला कि माधव को पहले युग और फिर घर वालो से दूर कर दिया जाये और इन लोगो ने ऐसा ही किया। शालिनी ने तेरे मन में मेरे लिए जहर भरा और घर वालो ने घर वालो के लिए। और शालिनी का खुद को सौप देना इसी सब का एक हिस्सा था, क्यूंकि जिस्म पा लेने के बाद ये तुझे ब्लैकमेल कर सकते थे पर तू तो ऐसे ही इनके चुंगल में फस गया और अपना सब कुछ धीरे धीरे शालिनी को और उसके घर वालो को सौपने लगा। आज ये लोग तेरी शादी शालिनी से करवा देते जिसे तेरे घर वाले मानते नही और तू अपने ही घर वालो से दूर हो जाता। और इधर तेरी सैलरी शालिनी के शौक पुरे करने के काम आते और सबसे बड़ी बात जब तू अपनी ड्यूटी पर रहता तब शालिनी यही सब किसी और के साथ भी कर सकती थी...................अब तू सोच ले।"
माधव को अभी भी यकीं नही था पर जब शालिनी के बाप ने संब कुछ कबूल लिया तो..............तब कुछ नही बचा,माधव प्यार के असमान से हकीकत के धरातल पर आ चूका था। उसने शालिनी को एक जोरदार तमाचा रसीद कर दिया। मम्मी पापा और युग से मांफी मांगी और अचानक ही अपनी पिस्टल निकल ली.........................!!!
फिर वहाँ चार गोलियां चली थी......किस पर? वो नही बताऊंगा.....क्यों....क्यूंकि ये कहानी मेरी है और मैं उतना ही बताऊंगा जितना मुझे लगता है की बताना चाहिए।
गोली चली....कोई मरा भी, क्या वो माधव था?क्या माधव नेसुसाइडकर लिया या वो गोली शालिनी के लिए था.....क्या माधव ने उसे ही मार दिया जिससे वो मोहब्बत करता था या वो गोलियां शालिनी के घर वालो के लिए था?
जो भी हो....मैं आपको सिर्फ इतना ही बताने वाला था और इतना ही बताऊंगा। आगे आप खुद सोचिये और निश्चित कीजिये की आखिर ये कहानी किसकी थी और गलती किसकी.....???
धिच्काऊ धिच्काऊ धिच्काऊ
अभिषेक शर्मा©®