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मुझे भूल जाना

"सुनो....मेरी शादी फिक्स हो गयी...."

"हम्म"

"भूल जाना मुझे....एक अच्छी लड़की से शादी कर लेना....और हाँ मुझे जरूर बुलाना...."

".........."

"एक काम करो ना, मुझसे पहले ही शादी कर लो....बाद में पता नही आ भी सकूँगी या...."

"..........."

"वो नही आने दिया तो...."

"........."

"कुछ बोलते क्यों नही?"

"..........ऐसे ही"

"अच्छा अब मुझे जाना होगा"

"जाओ"

"बाय.... और सुनो.....भूल जाना मुझे...प्लीज......आई लव यू"

ये कन्वर्सेशन थी...माफ़ कीजिये आखरी कन्वर्सेशन थी मेरे और "उसके" बीच।

"उसके' मतलब मेरी "एक्स गर्लफ्रेंड"

वही वो जिसके साथ भुत में कितने ही भविष्य के प्लान बनाएं थे जिनमें से शायद ही कोई सच हुआ हो, वही वो जो मेरे काल्पनिक बच्चो की कल्पनिक माँ थी, वही वो जिसकी गोद में सर रख के सोते समय मैं पूरा रहा और अब.....!!

अब भी मैं उतना ही पूरा हूँ जितना तब....उसके ना रहने पर उतना ही जिन्दा हूँ जितना उसके साथ था।

क्या फर्क पड़ता है किसी का किसी के जिंदगी में आने और फिर चले जाने से?

कौन सा पहाड़ टूटने लगता है!

जिंदगी तीन भागों में बंट जाती है, पहला उसके आने के पहले की जिंदगी

उसके साथ की जिंदगी और उसके जाने के बाद की जिंदगी....थोड़ा सा ही फेरफार बाकि एक जैसी ही तो रहती है....कुछ खास अलग नही होती और सच में....कुछ अलग नही थी मेरी और "उसकी" कहानी...!

वो....ख़ुशी....ख़ुशी नाम था उसका।

नाम ना ही काल्पनिक है और ना ही बदला हुआ, क्यों बदलूँ भाई

क्यों....अगर अभी भी मैं उसका नाम बदलता हूँ तो या तो मैंने कभी उसे पसंद ही नही किया और अगर किया तो फिर धोखा दे रहा हूँ। वैसे भी ख़ुशी नाम की हजारो लड़कियां है....कइयों को तो मैं खुद जानता हूँ, पांच को पर्सनली और आठ दस मेरे फील्ड एरिया में ख़ुशी है पर सिर्फ नाम सेम होने से सबके लिए फीलिंग्स सेम थोड़ी हो जाती है।

तो इसीलिए असली वाला नाम "ख़ुशी"।

कुछ ज्यादा अलग नही थी हमारी भी कहानी....तीन साल से (लगभग) जानता हूँ उसे(अक्चुली जानते है एक दूसरे को)। फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट, फिर मैसेज, फिर चैटिंग, फिर जान पहचान, फिर मुलाकात, फिर सपने, फिर दूर होने और अंत में....।

वही हुआ जो हर लव स्टोरी में होता है तो नया तो कुछ नही था इसमें भी।

वो मेरे क्लास मेट की बहन थी, मिलना जुलना हुआ। फिर एक कॉमन फ्रेंड की बहन की शादी में पहली मुलाकात, मुलाकात में फ्लिर्टिंग और.....और हम बिना कहे ही एक दूजे की फीलिंग्स समझ चुके थे, हम जान चुके थे कि

अब हम सिर्फ दोस्त नही है....हम दोस्त से बढ़ चुके है।

हाँ एक ही चीज नई थी हम दोनों के बीच....वो थी प्रपोजल....जरनली होता ये है कि ऐसी फीलिंग्स के बाद सबसे पहले प्रपोजल आते है और फिर रिश्ते की कन्फर्मेशन।

तो क्या हुआ जो मैंने उसे प्रपोज नही किया...तो क्या हो गया जो उसने भी कभी प्रपोजल नही दिया...क्या हुआ जो हमने एक दूजे को आई लव यू और आई लव यू टू नही बोला तो....।

कोई कंपल्सरी तो है नही और कोई प्रोटोकॉल भी नही कि जब तक बोलेगे नही तब तक होगा नही.....वैसे भी सिर्फ एक प्रपोजल से क्या चेंज हो जाता हम दोनों के बीच..??

हम वही थे और वही रहते, हमारी फीलिंग्स भी वही रहती जो बिना प्रपोजल के भी वैसी की वैसी ही रही...!

इसीलिए हमने बिना किसी फोर्मिलटी के ही एक रिश्ता जोड़ लिया था

एक ऐसा रिश्ता जो हमें बनाया और परिवार की ख़ुशी के कारण पनपने ना देना चाहा और पिछले एक साल से हम ना ही मिले थे और ना ही कभी हमारे बीच बातें हुई थी तो फिर अचानक यूँ बुलाना , अपनी शादी की बात बताना और वो कहना जो हर लड़की अपने बॉयफ्रेंड या प्रेमी को छोड़ते वक्त कहती है।

"मुझे भूल जाना, खुश रहना, अच्छी सी लड़की से शादी करना और शादी में मुझे बुलाना..""

मतलब क्यों

क्यों,क्या जरुरत है इसकी..?

क्या उसके ना बोलने पर मैं खुश नही रहता?

क्या वो नही कहती तो मैं शादी नही करता..?

क्या वो नही बताती तो मैं उसे भुला नही देता..?

क्यों भाई क्यों

क्यों यूँ अचानक..?

एक साल से जुदा ही थे ना हम, बाते नही करता था मतलब भूल चुका था और अगर नही भी भुला तो क्या फर्क पड़ता है उसे...उसे तो कभी परेशां नही किया ना..!!

और हूँ ना जिन्दा उससे दूर रह कर भी तो.....अरे भाई फ़िल्मी दुनिया से बाहर आओ....जीने के लिए ऑक्सीजन चाहिए प्यार नही..!!

और मुझे ऑक्सीजन मिल रही है, और प्यार भी मिल ही जायेगा तो क्यों....क्यों जरूरी होता है दूर जाने से पहले कन्फर्मेशन प्रोसेस पूरा करना।

और भाई जब जा ही रही हो छोड़ कर, शादी नही होनी हमारी तो क्यों, क्यों आना है मेरी शादी में..??

मुझे तो बुलाया नही फिर क्यों आओगी? क्या कर लोगी आ कर?

और ये सब बातें लड़कियां भी जानती है कि बेमतलब है सब पर फिर भी कहती है

जानते हो क्यों

क्योंकि

क्योंकि......पता नही क्यों बस कहती है!

ये हर लव स्टोरी में होता है, मेरे साथ भी यही हुआ। सब कुछ वैसा ही बस एक चीज अलग थी, वो थी

प्रपोजल

पूरे रिश्ते में हमने एक बार भी नही बोला और अंत में जाते जाते उसने वो बोल दिया जो नही बोलना था

"आई लव यू"

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