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रोटी की कीमत

रोटी की कीमत


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रोटी की कीमत

लेखक वेणु जी नायर

जून महीने मैं एक गर्मी का दिन था ! एक बडे बंगले के सामने काफी देर से धूप में खडे होने के बाद भिखारी को एक रोटी का टुकडा और कुछ चने की सब्जी खाने को मिली ! उसमें से थोडा सा खाकर बाकी एक फटे पुराने रुमाल में बाँध कर उसने अपने गठरी में रख लिया और वहां से चल पडा.

इतने में उस बंगले की बालकनी में खडी हुई उस घर की मालकिन जोर से चिल्लाने लगी.

चोर चोर ...पकडो पकडो

घर के सारे नौकर चाकर भागकर आ पहुंचे

क्या हुआ मालकिन .. कहां है चोर

वो देखो वह जा रहा है... उस बूढे भिखारी को अपनी गठरी में कुछ रखते हुए मेंने देखा है ! कुछ चोरी कर के भाग रहा है...रंगे हाथों पकडो उसको... भागो.. भागो.

वहां इकट्ठे हुए सारे नौकर उस बूढे भिखारी को पकडने के लिए उसके पीछे भागने लगे !

पकडो... पकडो ... पीछे से काफी लोगों की आवाज सुनकर उस भिखारी ने सोचा कुछ गडबड हे ! तब वह दाए हाथ से अपनी गठरी को पकडकर भागने लगा !

उसको भागते हुए देख कर पीछे आने वाले नौकरों ने सोचा की सचमुच वह चोर हे और कुछ सामान चोरी करके भाग रहा हे.

आगे भिखारी भाग रहा था... पीछे उसको पकडने के लिए घर के नौकर. भिखारी भी अपने तेजी से भाग रहा था, पर कुछ ही देर में वह थक गया !

इतने में पीछे भागते हुए नौकरों ने उसको पकड लिया और उसकी गठरी को उससे छीन लिया ! कोई उस बूढे भिखारी को मारने लगा, और एक आदमी ने उस गठरी को खोलकर उस के अंदर के सामान को बाहर गिरा दिया !

उस गठरीमें कुछ फटे पुराने कपडे के अलावा कुछ भी नहीं था. पर रुमाल में बंधी हुई चीज पर एक नौकर की नजर पडी ! वह चिल्लाया

ष्मिल गया ...चोरी का सामान मिल गया ष् इतना बोलकर वह बंधे हुए रुमाल को खोलने लगा ! तब दूसरों नौकरों से मार खाते हुए उस बूढे भिखारी ने हाथ जोडकर विनती की..

उसको मत खोलो...उसको मत खोलो

पर किसी ने उसकी बात नहीं सुनी और रूमाल को खोल दिया ... और उसके अन्दर रखा हुआ रोटी का टुकडा और चने नीचे जमीन पर गिर कर मिटटी मैं इधर उधर बिखर गये. यह देख कर. सारे लोग चकित हो गये. तब एक आदमी ने बोला, छोडो छोडो इसके पास कुछ भी नहीं हे...

तब उस भिखारी ने मिटटी में गिरा, रोटी का टुकडा जमीन से उठाया और जमीन पर बिखरे पडे चने के दाने को ढूंढने लगा ! आंसू भरी आँखों से उसने वहां इखट्टे हुए लोगों से पुछा..

आप लोगो ने ऐसा क्यों किया...जो रोटी और चने की सब्जी मुझे मिली..उसका आधा भाग खाकर बाकी मैं अपनी बीमार पत्नी के लिए ले जा रहा था ! क्यों आप लोगों ने ऐसा किया...अब में क्या करूँ.

उसके रोने की आवाज वहां गूंजने लगी, तब वहां आये लोग एक एक करके वहां से निकलने लगे !

मैदान खाली हुआ मगर तब भी रोते हुए वह बूढा भिखारी जमीन पर गिरे हुए चने के टुकडे ढूंढ रहा था !

शिक्षा रू बिना सोचे समझे कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए

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