लोग कहते हे " जिंदगी एक सफर है "।
लेकिन ऐ नहीं पता यह कब शुरू होता है और कब खतम। हर इंसान अपनी जिंदगी अलग अलग जगह से, अलग अलग समय पर शुरू करता है । इस जीवित यात्रा में हम कई लोगों से मिलते है, रिश्ते भी बनाते है पर एक दिन सब कुछ छोड़कर अकेले वापिस जाते है । गांधीजी ने कहा है "जिंदगी इंसान केलिए सिर्फ एक यात्रा है । इंसान कभी मरता नहीं है बल्कि अपने यात्रा पूरी करके अपने अपने घर वापिस चला जाता है "।
इंसान की जिंदगी सुखों और दुखों का एक मिश्रण हे। देने वाले ने हमें सुख और दुःख बराबर में देते है मगर हमारी सोच, आशा, और अहंकार के परिणाम से हमें लगते है की दुःख हमेशा हमारे साथी है और सुख कभी कभी आनेवाला मेहमान। लेकिन यह सही नहीं है। हमारे कई दुखों के कारण हम खुद है। हमारे जरूरत से ज्यादा आशा करना, अपने सम्पत्ति को दूसरों से तुलना करना, बिना सोचे समझे और बिना सय्यम के काम करना, इत्यादि सभी हमारे दुःख के कारण बन सकते है।
सुख और दुःख को बराबरी से सम्मान करना चाहिए। क्योंकि उसका अपना अपना महत्व है। मगर लोग सुख से ज्यादा प्यार करते हे और दुःख को दुश्मनी समझते है । जिस व्यक्ति ने दुःख का अनुभव किया है उसी को ही सुख का आनंद ठीक से अनुभव होगा। अन्यथा सुख भी हमें बोरिंग लगने लगेगा । इसलिए दुखको का भी उतना महत्व समझो जो सुख से प्राप्त होता है। सुख दुःख का संतुलन ही जिंदगी का आधार है ।
जिंदगी में प्यार का बड़ा महत्व है। अनारकली फिल्म का एक गाना है " जिंदगी उसीकी है, जो किसी का हो गया और प्यार ही में खोगया "। सभी लोगों से प्यार से बातें करो। मन में कपट न रखे, शुद्ध प्यार करो और लोगों का प्यार पाओ। यह भी जिंदगी में सुख लाएगा। किसी का बुरा सोचने से, किसी से बुरा करने से कोई लाभ नहीं है बल्कि वह एक समय उल्टा होकर हमारे दुःख के कारण बन सकता हे। इसलिए प्यार से रहो तो जिंदगी खुशहाली होगी.
आज हमारी जिंदगी में सबसे बड़ा खतरा बन के सामने खड़ा है एक सातान की तरह "कोरोना। सिर्फ हमारी ही नहीं पूरे दुनिया की गंभीर समस्या है यह बीमारी। दुनिया में काफी लोग इसका शिकार हुए और बहुत सारे लोग अब तक अपने मृत्यु को प्राप्त हो चुके है। लेकिन यह वाइरस खुद कुछ नहीं करता है। जन संपर्क से यह वाइरस का संक्रमण होता है । इसलिए लोग आपस मिलने के समय दूरी बनाये रखें, फालतू बाहर नहीं घूमें, अपने इम्मयूनिटी पावर बढ़ाने की दवाईयां नियमित रूप से लेते रहें इत्यादि से इस वाइरस का मुकाबला हम स्वयं कर सकते है।
गांधीजी कहते थे " उंटाचाबिलिटी ईस ए क्राइम " । मगर कोरोना ने इसको बदलने पर हमें मजबूर किया। याने की दूरी बनाये रखने से ही अब जिंदगी बचेगी कोरोना से। सय्यम से काम लो, सावधानी से इस मुसीबत का समय भी पार करेंगे हम। दुनिया में ऐसा कोई मुसीबतें नहीं है जो कोशिश करने से इंसान पार नहीं कर सकता।
आशा है बहुत जल्द ही हम लोग इस बीमारी को भी हरा देंगे और सबके जिंदगी में फिर से खुशहाली आ जायेगी ।
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