इश्क दा मारा - 40 shama parveen द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क दा मारा - 40

गीतिका की भाभी की बाते सुन कर गीतिका का भाई बोलता है, "तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है तुम ये कैसी बाते कर रही हों"।

तब गीतिका की भाभी बोलती है, "मेरा दिमाग सही है तभी तो यहां से जाने के लिए बोल रही हूं "।

तब गीतिका का भाई बोलता है, "तुम्हे क्या लगता है कि मॉम और डैड हमे यहां से कही जाने देंगे "।

तब गीतिका की भाभी बोलती है, "ऐसे कैसे नहीं जाने देंगे मैं भी देखती हूं, और आप ज्यादा परेशान मत होइए, मैने सारी तैयारी कर ली है "।

उधर एक गुंडा एक आदमी को ले कर आता है और यूवी से बोलता है, "भाई ये शहर का आदमी है, और ये शहर में लड़कियों को काम पर लगवाता है "।

तब यूवी बोलता है, "अच्छा ठीक है "।

उसके बाद यूवी उसे एक कमरे में ले जाता है और बोलता है, "हा तो बता, क्या काम करता हूं तू शहर में "।

तब वो आदमी बोलता है, "मैं एक एजेंट हूं और लोगों को काम दिलवाता हू "।

तब यूवी बोलता है, "लोगों को या सिर्फ लड़कियों को "।

तब वो आदमी बोलता है, "सिर्फ लड़कियों को"।

तब यूवी बोलता है, "क्यों सिर्फ लड़कियों को ही काम आता है, लड़कों को नहीं"।

तब वो आदमी बोलता है, "वो घर के काम के लिए सिर्फ लड़कियों को ही बुलाते हैं "।

तभी वहां पर गीतिका भी आ जाती है। उसे देख कर यूवी को गुस्सा आ जाता है और। वो बोलता है, "तुम यहां पर क्या करने आई हूं"।

तब गीतिका बोलती है, "तुम मुझ पर ध्यान मत दो, सिर्फ अपने काम पर दो"।

तब यूवी उस आदमी से बोलता है, "आखिर तुम सब लड़कियों को कहा पर भेजते हो, जिसके बाद वो वापस ही नहीं आती है "।

तब वो आदमी बोलता है, "हम तो सबको काम पर ही भेजते हैं, अब उन लड़कियों की नियत अमीर लड़कों को देख कर खराब हो जाती हैं तो इसमें हमारी क्या गलती है और उसके बाद वो कहा जाती हैं उनके साथ हमे कुछ भी नहीं पता "।

ये सुनते ही गीतिका को गुस्सा आता है और वो उस आदमी को एक थप्पड़ खींच कर मारती है और बोलती है, "आखिर तुम सब लड़कियों को किस राजकुमार के घर भेजते हो, जिन्हें देख कर सबकी नियत ही खराब हो जाती है"।

तब तब वो आदमी बोलता है, "हम किसी एक जगह पर थोड़े ही न भेजते है उन्हें, हम तो अलग अलग जगह पर भेजते है "।

तब गीतिका बोलती है, "और हर जगह उन्हें एक अच्छा सा राजकुमार मिल जाता है,,,,, है ना.... तुम्हे शर्म नहीं आ रही है लड़कियों पर इस तरह इल्ज़ाम लगाते हुए, चलो अगर एक या दो लड़कियां होती तो मैं मान जाती, मगर पच्चीस, तीस लड़कियां...... मैं कैसे मान लू की सब की सब लड़कियों को कोई लड़का पसंद आ गया और वो सबकी सब उनके साथ लापता हो गई "।

तब यूवी बोलता है, "मैं सब लड़कियों को तो नहीं जानता हूं, मगर एक लड़की को जानता हूं उसका नाम कोमल था, वो बहुत ही सीधी सादी सी लड़की थी, और उसने कभी भी किसी को नजर उठा कर नहीं देखा था "।

तब वो आदमी बोलता है, "भाई तुम्हे शहर का नहीं पता है, शहर में जाते ही सब के रंग ढंग अपने आप ही बदल जाते है "।

तब यूवी बोलता है, "मेरे साथ ज्यादा बकवास मत कर और जितना पूछा है उतना ही बता"।

तब गीतिका बोलती है, "तुम्हे लगता है कि ये घटिया इंसान तुम्हे कुछ बताएगा "।

तब यूवी बोलता है, "तो फिर ठीक है, नहीं बताएगा तो मरेगा यही पर रह कर "।

उसके बाद गीतिका और यूवी उसे बंद करके वहां से आ जाते हैं..........

एक हफ्ते बाद...........

गीतिका की बुआ जी की बेटी की सगाई होती हैं इसलिए पूरा घर सजाया जा रहा होता है। घर सजाने की जिम्मेदारी गीतिका ने ली होती हैं और वही पूरा घर सजवा रही होती हैं।

गीतिका के फूफा जी उसकी बुआ जी से बोलते हैं, "वैसे जो भी कहो गीतिका है बहुत ही प्यारी बच्ची, इसमें अपने मां बाप के कोई भी गुण नहीं है"।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "मेरी गुड़िया बिल्कुल मेरी ही तरह है "।

तभी गीतिका की बुआ जी की बेटी मीरा आती हैं और बोलती है, "मां मुझे बाजार जाना था कुछ सामान लाने के लिए"।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "ये क्या बोल रही हो बेटा, आज तुम्हारी सगाई है और तुम्हे बाजार जाना है "।

तब मीरा बोलती हैं, "क्या करु एक सामान कम है, मां प्लीज मैं गीतिका को ले कर चली जाऊ"।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "अच्छा ठीक है जाओ उसे ले कर, मगर आराम से जाना "।

उसके बाद मीरा गीतिका के पास जाती हैं और बोलती है, "ओह मैडम बस करो ये सब और चलो मेरे साथ "।

तब गीतिका बोलती है, "कहा ?????

तब मीरा बोलती हैं, "बाजार ......

तब गीतिका बोलती है, "वहां क्या करने जाना है "।

तब मीरा बोलती है, "तुम्हारे लिए दूल्हा ढूंढने के लिए जाना है..................