इश्क दा मारा - 39 shama parveen द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क दा मारा - 39

गीतिका बहुत जिद करने लगती है।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "अच्छा ठीक है जब मैं और तुम्हारे फूफा जी जाएंगे तो तुम्हे भी साथ में ले जाएंगे"।

ये सुनते ही गीतिका खुश हो जाती हैं।

उधर यूवी शहर के कुछ लोगों को बुलाता है और उन लड़कियों के बारे मे पता कर रहा होता है। तभी गीतिका अपने फूफा जी के साथ वहां पर आ जाती है।

गीतिका को देख कर यूवी चौक जाता है और बोलता है, "तुम यहां पर क्या कर रही हो"।

गीतिका कुछ भी नहीं बोलती है। तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "बेटा इसका दिल नहीं लग रहा था घर में इसलिए इसे यहां पर ले आया"।

तब यूवी गुस्से में बोलता है, "ये क्या दिल लगाने की जगह दिख रही है आपको "।

तब गीतिका बोलती है, "तुम ये कैसी बाते कर रहे हो, हम न यहां पर काम से आए हैं, तुम्हारी हेल्प करने"।

तब यूवी बोलता है, "मैने मांगी तुम मेरे हेल्प जो तुम मेरी हेल्प करने आई हो "।

तब गीतिका के फूफा जी बोलते हैं, "देखो से शहर की ही बच्ची है, और इसे शहर के बारे मे सब कुछ पता है, तो ये हमारी मदद कर सकती हैं"।

तब यूवी धीरे से बोलता है, "काम का तो नहीं पता, मगर ये काम बिगाड़ जरूर देगी "।

उसके बाद यूवी सबसे बात करने लगता है।

तब गीतिका बोलती है, "वैसे लड़कियों को यहां से ले कर कौन जाता है"।

तब एक औरत बोलती है, "वो शहर जा कर खुद ही काम ढूंढती हैं, उन्हें कोई ले कर नहीं जाता है "।

तब गीतिका बोलती है, "तो बिना किसी की जान पहचान के, आप लोग यू ही चले जाते हैं "।

तब वो औरत बोलती है, "इतने सालों से लोगों को शहर जाते हुए देखा है, और पैसे कमाते हुए देखा है, मगर पता नहीं ये पिछले डेढ़ साल से क्या हो रहा है कि लड़कियों को शहर जाते ही कौन सी हवा लग जाती हैं "।

तब गीतिका बोलती है, "सिर्फ लड़कियां ही गायब होती है या लड़के भी "।

तब यूवी बोलता है, "लड़के लड़कियों की तरह भाग कर मुंह नहीं छुपाते हैं, वो जो करते हैं खुले आम करते हैं "।

ये सुनते ही गीतिका को गुस्सा आ जाता है और वो बोलती है, "ये किस तरह की बाते कर रहे हो तुम लड़कियों के बारे मे "।

तब यूवी बोलता है, "मैं तो वही बोल रहा हूं जो सच है "।

तब एक औरत बोलती है, "बताओ हम कितनी मेहनत से इन लड़कियों को पालते है और ये बड़ी हो कर ये सब करती हैं"।

तब एक औरत बोलती है, "पहले के लोग बिल्कुल सही करते थे कि बेटी को पैदा होने से पहले ही मार देते थे, कम से कम इज्जत तो बच जाती थी न "।

तब गीतिका बोलती है, "कितनी घटिया सोच है आप लोगों की लड़कियों के बारे मे "।

तब एक औरत बोलती है, "ये लड़कियां बहुत ही अच्छे काम कर रही हैं, जो हम उनके बारे मे अच्छा बोले "।

तब गीतिका बोलती है, "आप भी तो एक लड़की ही हैं "।

तब एक औरत बोलती है, "मगर हम उनकी तरह नहीं हैं, जो घर से भाग कर मां बाप के मुंह पर कालिक पोत दे, और घर वालों को किसी को भी मुंह दिखाने के लायक न छोड़े"।

तब गीतिका बोलती है, "अगर आपको अपनी इज्जत की इतनी ही फिक्र है तो आप उन्हें शहर भेजती ही क्यों है, घर पर रखिए उन्हें चार दिवारी के अंदर "।

तब एक औरत बोलती है, "हमे कोई शौक नहीं है उन्हें भेजने का, वो तो मजबूरी में भेजना पड़ता है "।

यूवी गीतिका को बोलता है," बस करो अब, मुंह बंद करके बैठ भी जाओ और मुझे भी मेरा काम करने दो "।

उधर राधा रानी को डांट रही होती हैं। तब रानी बोलती है, "दीदी तुम मुझ पर इतना चिल्लाती क्यों रहती हो "।

तब राधा बोलती है, "तो तुम चिल्लाने वाले काम ही क्यों करती हो "।

तब यूवी की मां वहां पर आती है और राधा से बोलती हैं, "बहु तुम इस पर गुस्सा क्यों कर रही हों "।

तब रानी बोलती है, "ये बस मुझ पर चिल्लाती ही रहती है"।

तब राधा बोलती है, "तुम अब यहां पर नहीं रहोगी तुम जाओ यहां से"।

तब यूवी की मां बोलती है, "राधा तुम ये किस तरह से बात कर रही हों इससे "।

तब राधा बोलती है, "कितने दिन हो गए हैं इसे, अब कब तक रहेगी ये यहां पर "।

तब यूवी की मां राधा पर चिल्लाती है, "तुम्हारा क्या जा रहा है, तुम्हारे हिस्से का खाना खा रही हैं क्या ये, जो तुम इस पर इतना चिल्ला रही हो, कही पर भी नहीं जाएगी अब ये, यही पर ही रहेगी "।

उधर गीतिका की भाभी गीतिका के भाई से बोलती है, "देखिए बहुत हो गई आपकी मॉम की गुंडा गर्दी, अब वही होगा जो मैं करूंगी "।

तब गीतिका के भाई बोलते हैं, "और अब क्या करोगी तुम "।

तब गीतिका की भाभी बोलती है, "मैने अपने डैड से बोल कर आपकी और अपनी ऑस्ट्रेलिया की टिकट बनवा ली है, और अब हम यहां से चले जाएंगे..........