अब आगे,
वही जब रूही ने खुशी की बात सुनी कि आज उसने जो खुशी का वो नया और बदला हुआ रूप देखा वो उससे कुसुम जी और रीना को सबक सीखा सकती है तो..!
अब रूही ने खुशी से कहा, "नही..नही तुम ऐसा नहीं करोगी क्योंकि ये सब मेरे बाके बिहारी ने मेरी किस्मत में लिख दिया है जो तुम तो क्या इस दुनिया का कोई भी इंसान उसको बदल नही सकता है और वैसे भी मैने अब उस सबको अपनी जिंदगी का हिस्सा मान लिया है इसलिए तुम ऐसा कुछ भी मत करना जिससे मेरे पिता को कोई परेशानी हो..!"
रूही की बात सुनकर अब खुशी अपने होश में वापस आ गई और अब वो कहने वाली थी कि उसको रूही ने रोकते हुए उससे कहा, "अगर तुम्हे इस बात के अलावा कुछ कहना हो तो वो कहो..!"
रूही की बात सुनकर अब खुशी ने गुस्से से अपनी आंखो को कुछ देर के लिए बंद करा और फिर एक गहरी सांस लेते हुए अब रूही से कहा, "ठीक है पर एक बात याद रखना कि मुझसे जब तक ये सब बर्दाश होगा तब तक तो मै कुछ नही कहूंगी मगर जिस दिन मेरे सहने की शक्ति खतम हो गई न उस दिन मैं खुद अपने हाथो से तेरी उस सौतेली मां और बहन का वो हाल करूंगी जो उन्होंने अपने सपने में भी कभी सोचा नहीं होगा..!"
खुशी की बात मे गुस्से को देखते हुए अब रूही ने उससे कुछ नही कहा और अब उसने जैसे ही खुशी के हाथ में वो प्यारा सा नेट डिजाइन अपर देखा तो अब उसने बात को पलटते हुए खुशी से कहा, "क्या ये नेट डिजाइन अपर मेरे लिए है और ये तो कितना खूबसूरत और मखमली कपड़े से बनाया हुआ है जैसे किसी राजकुमारी के लिए हो..!"
रूही की बात सुनकर अब खुशी ने उससे कुछ नही कहा मगर उसको इतना जरूर से पता था कि उसकी ये दोस्त बात को पलटने की कोशिश कर रही है..!
तो अब खुशी ने भी बात को ज्यादा न बढ़ाते हुए रूही से कहा, "हां और किसके लिए होगा और वैसे भी हर पिता के लिए उसकी बेटी किसी राजकुमारी से कम थोड़ी होती हैं और चाहे तेरी वो सौतेली मां और बहन तेरे साथ कितना भी बुरा व्यवहार करले मगर तेरे पिता तो तुझे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं न तो तू भी उनके लिए किसी राजकुमारी से कम थोड़ी हुई..!"
तो अब खुशी ने उस नेट डिजाइन अपर को रूही को देने के लिए उसके सामने करा ही था कि आज पहली बार अमर जी के बारे में सुनकर भी रूही की आंखो से अंशु की एक बूंद उसके चेहरे से होते हुए गिर अब खुशी के हाथ पर गिर गई..!
अब जब खुशी ने अपनी हाथ पर कुछ महसूस किया तो वो हैरान ही रह गई थी क्योंकि उसको ये बात अच्छे से पता थी कि रूही अपने पिता के बारे मे सुनकर खुश हुआ करती थीं मगर आज वो रो रही थी तो इसी वजह से अब खुशी ने रूही से पूछा, "क्या हुआ तू रो क्यू रही है और क्या तू मुझसे कुछ छिपा रही है..?"
खुशी की बात सुनकर अब रूही को वो दिन याद आ गया जब अमर जी ने रीना के मगरमच्छ के आंसु देखकर अपनी मासूम बेटी को अपने गुस्से में बेहरमी से बेल्टों से मारा था और अब जब रूही ने कोई जवाब ही नहीं दिया तो खुशी ने रूही से दुबारा से पूछा, "बता ना क्या हुआ है तुझे..?"
खुशी की बात सुनकर अब रूही अपनी ख्याल मे से बाहर आ गई और उसने अब खुशी से कहा, "कुछ भी तो नहीं और ये अंशु तो खुशी के है कि कम से कम कोई तो है उस घर मुझे मां और दीदी से मुझे बचाने के लिए..!"
और अब अपनी बात कहकर रूही कुछ देर रुकी ही थी कि अब खुशी कुछ बोलने को हुई ही थी कि अब रूही ने खुशी के हाथ से वो नेट डिजाइन अपर लेकर जल्दी से उस चेजिंग रूम में वापस घुस गई..!
और खुशी अब रूही को जाते हुए देख रही थी और फिर अपने मे बड़बड़ाते हुए कहने लगी, "शायद मै ही ज्यादा सोच रही हूं क्योंकि रूही तो अपने पिता से बहुत ज्यादा प्यार करती हैं और उस नर्क में सिर्फ एक उसके पिता ही तो हैं जिनकी वजह से वो वहा पर जिंदा है नही तो अब तक उस की सौतेली मां उसको जिंदा जला चुकी होती..!"
अब रूही ने झट से अपने चेजिंग रूम का दरवाजा बंद करके अब नीचे जमीन पर बैठ गई और अपना सिर अपने चेजिंग रूम के दरवाजे पर टिका दिया..!
और रूही का वो वक्त याद आ गया जब अमर जी ने रूही पर बिना कुछ सोचे समझे हाथ उठाया था और फिर गुस्से से उसको बाल्टो से मारा था जिस को याद करके ही उसकी रूह कांप रही थी पर वो खुशी से कुछ नही कह सकती थी क्योंकि उसको ये तो पहले दिन से ही पता था..!
कि खुशी का गुस्सा बहुत ज्यादा तेज था मगर आज जो उसने उसका दूसरा और बदला हुआ रूप देखा था तो उसके बाद वो अब खुशी को ये सब बताने से बहुत ही ज्यादा डर रही थी..!
और उसको लग रहा था कि कही खुशी अपने गुस्से में अमर जी के साथ कुछ कर न दे और ऐसा हो गया तो वो अनाथ हो जायेगी और साथ में कुसुम जी और रीना उस का मारने से पहले एक मिनट नही लगाएंगे और बस इसी वजह से रूही ने खुशी से कुछ नही कहा था वो तो लगातार रोए जा रही थी और उसको समझ नही आ रहा था कि आखिर उसने ऐसा भी कौन सा पाप किया था..!
जिसकी सजा उसको बचपन से मिल रही थी और वो एक कैदी की जिंदगी जी कर रही थी और रूही के आंखो से अंशु बहे जा रहे थे मगर वो अपने मुंह से एक शब्द भी नही निकल रही थी क्योंकि खुशी, उसके चेजिंग रूम के बाहर ही खड़ी हुई थी और ऐसे अगर उसकी एक आवाज भी खुशी को सुनाई भी पड़ गई तो रूही के लिए खुशी को समझना मुश्किल हो जाएगा..!
करीब 15 मिनट बाद,
अब खुशी ने रूही से कहा, "अरे अब बाहर आयेगी या वही रहने का इरादा है तेरा..?"
खुशी की बात सुनकर अब रूही ने खुशी से धीरे से कहा, "हां बस आ रही हु..!"
रूही की बात सुनकर अब खुशी उसके आने का इंतजार करने लगी..!
करीब 5 मिनट बाद,
खुशी को दरवाजे के खुलने की आवाज सुनाई दी और उसने जैसे ही अपने पीछे देखा तो वो, रूही को देखती ही रह गई..!
क्यूंकि वो बैक लेस लॉन्ग इवनिंग गाउन हमारी रूही पर बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था और उसका फिगर उबरकर दिख रहा था और साथ में आज जो कोई भी रूही को देखता बस देखता ही रह जाने वाला था और अब खुशी ने मुस्कराते हुए रूही से कहा, "यार, तू कितनी खूबसूरत लग रही है..!"
खुशी के मुंह से अपने लिए तारीफ सुनकर रूही शरमा सी गई और वही जब खुशी ने रूही को शरमाते हुए देखा तो अब खुशी ने रूही को छेड़ते हुए उससे कहा, "अरे मेरे सामने शरमाने से क्या होगा अगर तुझे शरमाना ही है तो अपने होने वाले पति के सामने शरमा लियो..!"
खुशी की बात सुनकर अब रूही ने खुशी से कहा, "हट..कुछ भी बोले जा रही है..!"
रूही की बात सुनकर अब खुशी ने बस मुस्करा दिया..!
अब रूही ने खुशी से कहा, "चलो मैं अब इस ड्रेस को उतार देती हूं क्योंकि ये बहुत एक्सपेंसिव है जिसको मैं कभी भी अफोर्ड नही कर सकती हु..!"
रूही की बात सुनकर अब खुशी ने रूही से कहा, "कोई जरूरत नहीं है तुझे इस ड्रेस को उतारने की और तू इसको ही पहनकर रखेगी क्योंकि ये तुझ पर बहुत अच्छी लग रही है..!"
खुशी की बात सुनकर अब रूही, खुशी से कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी वहा पर मेल एम्प्लॉय का हेड पहुंच गया और उसने जब रूही को देखा तो बस देखता ही रह गया और उसका मुंह खुला का खुला ही रह गया और जब खुशी की नजर उस मेल एम्प्लॉय के हेड पर गई तो..!
अब खुशी ने वहा पर से एक ड्रेस को उठाया और उस मेल एम्प्लॉय के हेड पर फेककर मार दिया जिससे अब वो मेल एम्प्लॉय का हेड अपने होश में वापस आ गया और अब खुशी ने अपनी कड़क आवाज मे उस मेल एम्प्लॉय के हेड को बोला, "क्या मुंह फाड़े मेरी दोस्त को देखे जा रहा है..!"
खुशी की आवाज को सुनकर अब उस मेल एम्प्लॉय के हेड ने थोड़ा घबराने के साथ हकलाते हुए अब खुशी से कहा, "ना..नही, वो..वो बात नही थी वो क्या है न कि आपको हमारी शॉप के मैनेजर सर बुला रहे है तो मै तो बस आपको बुलाने के लिए आया था..!"
उस मेल एम्प्लॉय के हेड की बात सुनकर अब खुशी ने पहले एक नजर उस मेल एम्प्लॉय के हेड को देखा और फिर रूही से कहा, "तू यही रुक मै आती हूं और जब तक मैं नही आ जाती तब तक तू ये ड्रेस चेंज नहीं करेगी, समझ में आया तुझे..!"
अपनी बात अपनी रूही से कहकर अब खुशी वहा से उस मेल एम्प्लॉय के हेड के साथ चली गई..!
दूसरी तरफ, सिंघानिया विला, बनारस में ही,
राजवीर अपने कमरे से अटैच स्टडी रूम में मौजूद था और वो जहा खड़ा हुआ था उसके सामने एक बहुत बड़ी तस्वीर लगी हुई थी जिसको वो अपने हाथो से छू रहा था और साथ में उस बड़ी सी तस्वीर को देखते हुए उससे कहने लगा, "तुम सिर्फ और सिर्फ मेरी हो और तुम्हे सिर्फ मेरा होकर ही रहना पड़ेगा..!"
राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि तभी राजवीर को अपने फोन पर किसी नोटिफिकेशन की रिंग सुनाई दी तो अब राजवीर अपने ख्याल से वापस आ गया और अब अपने पीछे कुछ दूरी पर रखी शीशे की मेज पर रखे हुए अपने एपल के फोन को एक नजर देखा और फिर उस शीशे की मेज के पास पहुंचकर उसमे किसका मैसेज आया देखने के लिए ओपन कर दिया..!
तो उस मैसेंजर मे बस रिसेंटली का एक ही मैसेज आया हुआ था और वो भी दीप का था और जिसमे लिखा हुआ था, "बॉस, गेट खोल दीजिए मै आपके द्वारा कही उस कंस्ट्रक्शन साइड को मीटिंग की फाइल्स लेकर आया हु..!"
दीप के मैसेज को पढ़ने के बाद राजवीर ने अपने फोन मे किसी बटन को प्रेस करा और वहा राजवीर के कमरे का दरवाजा ऑटोमेटिकली ही दीप के लिए खुल गया..!
और अब दीप राजवीर के कमरे में अंदर जाने लगा मगर वो जैसे जैसे राजवीर के कमरे में जा रहा था उसको बहुत डर रहा था क्योंकि राजवीर के कमरे की थीम ब्लैक एंड रेड कलर की जिससे दीप को बहुत लग रहा है और वहा देखकर ऐसा लग रहा था जैसे भूतिया हवेली के किसी कमरे में आ गया हो..!
और रेड कलर की थीम से लग रहा था जैसे वो खून को प्रदर्शित कर रहा हो और साथ में कमरे में अभी लाइट डिम होने की वजह से दीप की जान उसके हलक में आ चुकी थी..!
दीप की हालत वैसे ही खराब हो रखी थी कि तभी उसको किसी के द्वारा बहुत धीरे से दरवाजे के खोलने की आवाज आई और जैसे ही दीप के कानो में आवाज पड़ी तो अब उसने वहा उस तरफ देखा तो वहा अंधेरे में एक बड़ी सी परछाई दिखाई दी..!
जिसको देखकर उसकी चीख ही निकल गई और जिसको सुनकर
अब राजवीर के विला में मौजूद अभय, देव, राज और आकाश जोकि राजवीर के हॉल में ही थे..!
वो सब अब सीढ़ियों से राजवीर के कमरे की ओर भागे और वो सब अब राजवीर के कमरे के बाहर खड़े हुए थे मगर अब वहा उस कमरे की लाइट ऑन हो चुकी थी और वही दीप जमीन पर बैठा हुआ था और उसको देख कर लग रहा था जैसे वो डर के मारे नीचे गिर गया हो क्योंकि दीप के चेहरे पर अबतक बहुत ज्यादा पसीना आ चुका था..!
वही वो चारो अभी भी राजवीर के कमरे के बाहर ही खड़े थे क्योंकि उन सबको पता था कि कोई भी राजवीर की परमिशन के बगैर उसके कमरे में नही जा सकता है चाहे वो खुद अभय ही क्यू ना हो मगर दीप को ऐसे जमीन पर देखकर अभय के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी..!
जैसे वो समझ चुका हो कि अभी राजवीर के कमरे में क्या हुआ होगा और वही देव को भी समझ नही आ रहा था कि आखिर अभय मुस्करा क्यू रहा है और ये दीप ऐसे जमीन पर क्यू बैठा हुआ है..!
और साथ में राज और आकाश का भी यही हाल था, वही अब अभय ने हंसते हुए राजवीर की तरफ देखते हुए उससे कहा, "यार, तू ना अपनी इस थीम को चेंज करवा नही तो किसी दिन तुझे पर ही भारी न पड़ जाए..!"
अपनी बात कहकर अब अभय हसने लगा, वही राजवीर ने अभय को एक नजर देखा और फिर दीप से कहा, "और तुम क्या पहली बार मेरे कमरे में आ रहे थे जो इतना डर गए और जब तुम्हे पता है कि मुझे अपने कमरे में डिम लाइट पसंद है तो क्या तुम खुद से अपने लिए लाइट ऑन नही कर सकते थे और ऐसे गला फाड़कर क्यू चिल्ला रहे थे जैसे तुमने कोई भूत देख लिया हो..!"
राजवीर की बात सुनकर अब दीप ने अपने मन में कहा, "बिलकुल सही कहा, मैने भूत ही तो देखा था बस वो बात अलग है कि आप अभी मरे नही हो पर किसी भूतिया राक्षस से कम थोड़ी ना हो और अपने कमरे की थीम वैसे ही ब्लैक एंड रेड रखी हुई है ऊपर से डिम लाइट इसको और ज्यादा डरावना बना रही है किसी भी अच्छे खासे इंसान की आत्मा खुद वा खुद अपना शरीर छोड़कर बाहर आने को तैयार हो जाए..!"
दीप, राजवीर के सामने तो कुछ बोल नहीं सकता था और इसलिए ही वो अपने मन में राजवीर को बार बार कोशता रहता था या ये कहो की अपनी भड़ास निकला करता था..!
वही अब राजवीर ने अपनी कड़क आवाज में दीप से कहा, "अब क्या तुम्हारा यही बैठे रहने का इरादा है और जाओ मेरे स्टडी रूम में जाकर फाइल अरेंज करो..!"
राजवीर की कड़क आवाज सुनकर अब दीप को होश आ गया और वो अब जल्दी से जमीन पर से उठा और अपनी सारी फाइल उठाकर राजवीर के स्टडी रूम में भाग गया..!
वही अब राजवीर ने अभय को देखा और फिर उससे कहा, "और तू हंसना बंदकर और जा यहां से..!"
To be Continued......❤️✍️
अब राजवीर अपने गुस्से में उन फीमेल एम्प्लॉय के साथ क्या कर गुजरेगा ये तो वक्त ही बता पाएगा और किसकी होगी वो इतनी बड़ी तस्वीर जिसके सामने राजवीर ये सब बोल रहा होगा और उस एक्सपेंसिव शॉप के मैनेजर को क्या बात करनी होगी खुशी से और क्यों नहीं बताया रूही ने खुशी को अपने पिता के बारे में और क्या कभी खुशी को पता चल पाएगा कि रूही को उसके पिता ने बिना किसी गलती के मारा था..?
हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।