बैरी पिया.... - 69 (अंतिम भाग) Wishing द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बैरी पिया.... - 69 (अंतिम भाग)


अब तक :


भगवान करे अब तुम्हारी जिंदगी में संयम जैसा कोई ना आए " ।


देखते ही देखते दोनो विक्रम की आंखों से ओझल हो गए ।


विक्रम की आंखें ना जाने क्यों भर आई । उसने आंखें पोंछी और फिर वो भी वापिस से मुंबई अपने बंगले की ओर निकल गया ।


अब आगे :


रात का वक्त था और संयम मुंबई की सड़कों पर गाड़ी घुमाए जा रहा था ।


हाथ में पकड़ी बीयर की बॉटल को होंठों से लगाते हुए वो लगातार ड्रिंक किए जा रहा था । नशे में धुत होने के बावजूद वो सड़क पर पूरी स्पीड में गाड़ी चला रहा था ।


" सही नही किया विक्रम.. उनको ले जाकर सही नही किया... । हमेशा से तुमने मुझे बुरा समझा है.. हमेशा से अपने आप को सबसे अच्छा माना है.. अरे तुम्हे क्या पता अपनी आंखों के सामने अपनों को मरते देखने का दर्द... । तुम क्या जानो कि अपनों की चिताओं को जलता देख दिल पर क्या गुजरती है ।


तुमने तो बस इतना सुना कि तुम्हारे परिवार के लोग मर गए । लेकिन कैसे मरे वो तुम्हे नहीं पता.. । अरे कैसे पता होगा.. उनको मरते हुए तो मैने देखा न.. तुमने थोड़ी देखा.. । बात करता है.. ।


हान हूं मैं बुरा.. बोहोत बुरा हूं.. । पर इसका ये मतलब तो नहीं कि हर कोई छोड़ कर चला जायेगा.. । इसका ये मतलब तो नही कि इस बड़ी सी दुनिया में संयम सानियाल खुराना अकेला रह जायेगा... " बोलकर उसने जोर से सड़क के बीचों बीच गाड़ी में ब्रेक लगा दी ।


जोर से ब्रेक मारने की वजह से उसे आगे की ओर झटका लगा और उसका सिर स्टेयरिंग से टकरा गया । संयम के माथे से खून निकलने लगा पर उसने खुद को संभाल लिया ।


" आ जाओ.. शिविका... " बोलते हुए संयम सिसकने लगा कि इतने में सामने से एक बड़े से truk ने तेज़ी से आकर उसकी गाड़ी को टक्कर मार दी ।


संयम की गाड़ी सड़क पर गोल घूमने लगी । Truk ने एक और जोरदार टक्कर मारी तो गाड़ी की छत टूट कर उखड़ गई और सारे शीशे टूट गए । गाड़ी सड़क पर पलटते हुए कुछ आगे गई और फिर सड़क को स्क्रैच करते हुए सड़क से नीचे उतरकर किनारे पर लगे पेड़ से जा टकराई... । Truk बिना रुके वहां से आगे निकल गया । आदमी ने पलटकर गाड़ी को देखा और फिर किसी को फोन मिला दिया ।


गाड़ी चकना चूर हो चुकी थी । हर जगह से गाड़ी डैमेज हो गई थी । संयम को बोहोत चोटें आ चुकी थी । उसके माथे से लगातार खून निकले जा रहा था । उसका सिर घूमने लगा और दम घुटने लगा ।



संयम ने खिड़की से बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन वो अंदर बुरी तरह से दबकर फंस चुका था । और उसका बाहर निकलना मुश्किल था । उसने अपनी बाजू बाहर निकाल दी । उसकी बाजू पूरी तरह से खून से सनी हुई थी और उसके हाथ से भी खून टपक रहा था । संयम ने दर्द भरी सांस ली और फिर आंखें बंद कर ली ।


दूसरी ओर :


देर रात विक्रम बंगले में पहुंचा तो दादी के कमरे की ओर चला गया । कमरे के बाहर देखा तो कमरे में ताला लगा हुआ था । विक्रम ने ताले को हाथ में पकड़ा । ना जाने उसे एक अजीब सा एहसास छू गया । विक्रम जल्दी से नीचे उतरा और प्रशांत और मनीषा को ढूंढने लगा तो नीचे हॉल में आकर उसने दीवार की तरफ देखा जहां वाणी जी की तस्वीर पर फूलों की माला टंगी हुई थी ।


विक्रम के कदम तस्वीर की ओर चल दिए । उसने तस्वीर पर हाथ फेरा तो उसकी आंखें नम हो आई ।
" दादी... " बोलते हुए विक्रम की आवाज बैठ गई । उसकी आंखें बरस पड़ी । ।


" दो दिनों के लिए बाहर क्या गया.. ये.. ये क्या हो रहा है घर में... ! किसने ये बेहूदा मजाक किया.. ?? " बोलते हुए विक्रम ने फोटो के उपर से माला हटा दी ।


फिर प्रशांत और मनीषा के कमरे की ओर चल दिया । कमरे के बाहर पहुंचते ही उसे कमरे के अंदर से हंसने की आवाज आने लगी ।



दरवाजा खुला था तो विक्रम दहलीज पर खड़ा अंदर देखने लगा । प्रशांत फोन पर बात करते हुए जोरों से हंसे जा रहा था और उसके चेहरे से उसकी खुशी भी झलक रही थी । मानो कोई बोहोत बड़ी खुशी की खबर हो ।


विक्रम अंदर जाने लगा तो मनीषा ने आकर प्रशांत से पूछा " क्या हुआ... ?? निपटा दिया क्या उसको.... ?? " ।


ये सुनते ही विक्रम के कदम ठहर गए ।


प्रशांत " अरे और क्या.. ?? ऐसा काम तमाम किया है कि अब तो बचने की कोई उम्मीद ही नही है.. । पक्का मर ही जायेगा.... " बोलकर प्रशांत हंसने लगा ।।


मनीषा खुशी ने उछलते हुए बोली " अरे वाह.. । पहले बुढ़िया चली गई और अब ये संयम भी.. । अब तो भगवान हम पर ही मेहरबान हैं.. । कल जब उसके मरने की खबर आयेगी तो घर में कुछ मीठा बनाऊंगी... । उसके बाद तो सारी प्रॉपर्टी हमारी.. ।

और तो और उसका बिजनेस भी हम ही ओवरटेक कर लेंगे... । वैसे भी वो विक्रम तो अपना काम करता है... " ।


प्रशांत " अरे ये खुशी कायम रखो.. कल के अखबार में यही न्यूज आयेगी कि बिजनेस वर्ल्ड की जानी मानी हस्ती संयम सनियाल खुराना का एक कार एक्सीडेंट में निधन हो गया... " । बोलकर प्रशांत घिनौनी सी हंसी हंस दिया ।


विक्रम ने सुना तो उसका दिल धक से रह गया उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था । एक पल की लगा मानो किसी ने सीने में खंजर घोंप दिया हो ।



" दादी छोड़ कर जा चुकीं हैं.. और चाचा चाची खुश हैं... । वहीं उपर से संयम को जान से मारने की साजिश रच रहे हैं.. । आखिर अपने होकर उसके साथ ऐसा करने का सोच भी कैसे सकते हैं... । नही मैं उसे कुछ नही होने दूंगा.. । उसका एक्सीडेंट.. नहीं.. i will find you संयम.... " बोलते हुए विक्रम अपने कदम पीछे की ओर लेने लगा । फिर बंगले से बाहर निकलने लगा।


विक्रम जाकर जल्दी से गाड़ी में बैठा और सड़क पर संयम को ढूंढने निकल पड़ा ।


विक्रम ने अपने सोर्सेज से कॉन्टैक्ट किया तो वो लोग भी संयम को ढूंढने लगे ।


गाड़ी चलाते हुए विक्रम अपने माथे से बहते पसीने और आंखों से बहते आंसुओं को भी पोंछे जा रहा था ।


" दादी... " बोलकर वो बिलखते हुए रो पड़ा... ।


" आप तो चली गई दादी.. । बाकी और कोई तो पहले भी नही बचा था.. । जिनको अपना माना वो जायदाद के लिए अपनों को ही मारने पर तुले हुए हैं... । अब ले देकर संयम बचा है.. । अब उसे कुछ नही होने दे सकता... । ( गहरी सांस लेकर ) मैं ढूंढूंगा उसे... । कुछ नही होगा उसको.. " बोलकर उसने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी... ।


विक्रम को नही पता था कि संयम इस वक्त कहां पर है । जहां उसका दिल कहता वो उसी मोड़ पर गाड़ी घूमा देता ।


शहर से बाहर जाती सड़क पर विक्रम बोहोत तेज़ी से गाड़ी चला रहा था । सड़क पर कुछ आगे उसे कुछ जलने की स्मेल आने लगी । विक्रम ने गाड़ी रोक दी ।


फिर गाड़ी से उतरकर इधर उधर देखने लगा । न जाने क्यों एक एहसास हुआ कि संयम आस पास ही कहीं है... । विक्रम ने गाड़ी की हैडलाइट की रोशनी में सड़क को देखा तो उसपर रगड़ के निशान थे ।

विक्रम ने आगे तक देखा तो सड़क पर काफी दूर तक वो निशान थे । विक्रम ने टॉर्च ऑन की और निशान का पीछा करते हुए सड़क पर आगे बढ़ा । कुछ आगे जाकर देखा तो एक गाड़ी पेड़ से टकराई हुई थी ।


विक्रम भागते हुए गाड़ी के पास पहुंचा तो देखते ही पहचान गया को गाड़ी संयम की थी ।


" संयम... " चीखते हुए विक्रम ड्राइविंग सीट के पास देखने लगा । संयम का हाथ गाड़ी से बाहर निकला हुआ था ।


खून हाथ पर जम गया था । विक्रम ने देखा तो दिल छलनी हो गया । विक्रम ने गाड़ी का दरवाजा खोलना चाहा पर पूरी गाड़ी का भार उसी और था और दरवाजा नीचे जमीन में लगा होने की वजह से खुल भी नही रहा था ।


विक्रम ने बालों में हाथ फेरा और गहरी सांसें लेने लगा ।


" समझ नही आ रहा कैसे निकालू.. " बोलकर विक्रम दरवाजे को ही बाहर निकालने लगा ।


कुछ और साथियों के वहां आ जाने के बाद सबने मिलकर गाड़ी को थोड़ा सीधा किया तो विक्रम और कुछ लोगों ने दरवाजा निकालकर संयम को बाहर निकाल लिया ।


विक्रम ने उसे बाहों में पकड़ा और उसके चेहरे को देखने लगा । उसका चेहरा खून से लहू लुहान था । विक्रम ने सांसें चेक की तो सांसें चल रही थी ।


विक्रम ने उसे सीने से लगाया फिर गोद में उठाकर अपनी गाड़ी में लेटाया और गाड़ी को हॉस्पिटल ले गया ।


करीब आधे घंटे बाद ot के बाहर चक्कर काटते हुए विक्रम बार बार कमरे के उपर जल रहे बल्ब को देखे जा रहा था ।


तभी फोन बजा तो उसने स्क्रीन की ओर देखा ।

स्क्रीन पर प्रशांत का नाम लिखा हुआ आ रहा था ।
विक्रम ने कुछ देर स्क्रीन को घूरा और फिर मुट्ठी कस कर फोन को पिक करके कान से लगा लिया ।


सामने से प्रशांत की आवाज आई " हेलो.. विक्रम बेटा.. मैने सुना कि संयम का बोहोत बुरा एक्सीडेंट हो गया है । तुम कौनसे हॉस्पिटल में हो हम लोग अभी आते है... । " ।


विक्रम का खून प्रशांत की आवाज सुनकर ही गुस्से से खौल रहा था । प्रशांत कितना बेहूदा था ये विक्रम ने आज देख लिया था ।


सब कुछ खुद करवाने के बाद भी वो मुंह पर अच्छा बन रहा था । विक्रम ने फोन कॉल कट कर दी । और icu को देखने लगा ।


कुछ देर बाद icu का दरवाजा खुला तो डॉक्टर बाहर आए ।


विक्रम ने जल्दी से खड़े होकर पूछा " सब ठीक है ना डॉक्टर.. ?? वो अब नॉर्मल है ना... " ।


डॉक्टर ने अपना मास्क उतारा और बोला " बोहोत इंजरीज हुई है.. । फिलहाल स्टेबल हैं.. ओर होश भी आ गया है । नॉर्मल वार्ड में शिफ्ट कर देंगे.. आप मिल लीजिएगा... " विक्रम ने सिर हिला दिया ।


डॉक्टर वहां से चला गया ।


संयम को नॉर्मल वार्ड में शिफ्ट किया गया तो विक्रम उसके पास चला गया ।


विक्रम उसके सामने गया तो संयम मुंह खोले उसे देखने लगा । विक्रम उसके पास जाकर बैठ गया ।

संयम ने कुछ देर विक्रम के चेहरे को देखा फिर बोला " तुम क्यों आए हो यहां... चले जाओ.. अकेला छोड़ दो मुझे... । आज से पहले तो कभी भाई नहीं माना... अभी यहां hospital में देखने क्यों आए हो.. । मुझे किसी की जरूरत नहीं है.. ।

कोई प्यार नही करता न करे... । अब मुझे किसी की जरूरत नहीं है... जब थी तब कोई नही आया... एक बच्चा अकेला लड़ा सबसे... अब तुम नही चाहिए... निकल जाओ... वर्ना तुम्हे भी मार दूंगा.... " बोलकर संयम तेज तेज सांसें लेते हुए उसे घूर कर देखने लगा । उसके चेहरे पर पसीने की बूंदें निकलने लगी ।


विक्रम ने देखा तो बोला " संयम तुम ठीक हो ना.. ?? क्या हो रहा है तुम्हे.. ?? ये क्या... " ।


संयम ने अपने बालों को पकड़ा और चीखते हुए बोला " सब खत्म हो गया.. सब छोड़ गए... मैं बोहोत बुरा हूं.. । मैने बोहोत गलत किया है सबके साथ गलत किया है... सबको मुझे छोड़कर जाना है.. मैं जीना नही चाहता.. मुझे भी मर जाना है.. । मैने बोहोत गलत किया... " बोलकर संयम जल्दी से अपनी ड्रिप को खोलने लगा और बेड से नीचे उतरने लगा ।



विक्रम ने उसे पकड़ा और बेड पर बैठाते हुए आवाज ऊंची करते हुए बोला " संयम... ये क्या कर रहे हो । पागल हो गए हो क्या... । तुम ये ड्रिप ऐसे क्यों निकाल रहे हो... देखो खून भी निकलने लगा हाथ से.. " बोलकर विक्रम ने उसके हाथ को देखा जिसमे से ड्रिप जोर से खींचने से खून निकलने लगा था ।


संयम ने विक्रम को दूर धकेला और वहां से बाहर निकलने लगा । विक्रम हैरान सा उसे देखने लगा । ये संयम क्या करने लगा था । अचानक से इस तरह का बिहेव वो क्यों कर रहा था । संयम को काफी चोटें आई थी और उसका चल पाना मुश्किल था तो वो लड़खड़ा कर नीचे गिर गया ।


विक्रम ने जल्दी से डॉक्टर को बुलाया.. । डॉक्टर जल्दी से अंदर आए । वार्ड बॉयज उसके पास आकर उसे उठाने लगे और संभालने लगे ।


डॉक्टर विक्रम को लेकर बाहर चले गए ।

बाहर आकर ग्लास विंडो से विक्रम अंदर संयम को देखने लगा फिर डॉक्टर से बोला " इसे क्या हुआ है डॉक्टर...?? ये इतना अजीब क्यों बिहेव कर रहा है.. ?? " ।


डॉक्टर में कुछ रिपोर्ट्स विक्रम की ओर बढ़ाई और बोला " ये अपना मानसिक संतुलन खो चुके है । टेस्ट किए तो पता चला कि दिमाग में किसी बात की वजह से सदमा लग गया था और अभी एक्सीडेंट में भी सिर पर चोट लगने की वजह से ये मेंटली disturbed हो चुके हैं... " ।


विक्रम ने सुना तो उसके हाथ से फाइल नीचे गिर गई । उसकी आंखें नम हो आई ।


" what... पागल हो चुका है... ?? "। पूछते हुए विक्रम ने कन्फर्म करना चाहा.... । ।


" जी... इनके टेस्ट यही बता रहे हैं... और बाकी हरकतें तो आप देख ही सकते हैं... " बोलकर डॉक्टर ने संयम की ओर इशारा किया ।


विक्रम संयम को देखते हुए बोला " इसका इलाज कीजिए डॉक्टर... । चाहे जैसे भी हो.... " ।


डॉक्टर " रिपोर्ट्स देखकर मुझे इतना तो समझ में आ गया है कि इनका इलाज मेरी नजर में पॉसिबल नही है... । He is losted... । अगर कोई ऑपरेशन करना चाहा तो जान जाने के चांसेज बोहोत ज्यादा है... । पर समय के साथ अगर परिवार वाले रिकवर कर पाएं तो ये थोड़े नॉर्मल हो सकते है.. । Otherwise डॉक्टरी इलाज पॉसिबल नहीं है... । Excuse me.... " कहकर डॉक्टर चले गए ।



विक्रम ने ग्लास विंडो पर हाथ रखा और अन्दर देखते हुए बोला " मैने हमेशा सोचा कि सिर्फ तू ही बुरा है... । लेकिन अब जब सब जान रहा हूं तो पता चल रहा है कि असल में बुरा तू नही है.. । तेरे आस पास का माहौल ही ऐसा है.. । आस्तीन के सांपों के बीच में रहकर तू कैसे अच्छा बन जाता.. । तो अपनी जिंदगी जीने के लिए तू भी इन्हीं की तरह बन गया ।


मैं ही नही समझ पाया कि एक 10 साल का बच्चा जब इस तरह के माहौल में रहेगा तो उसकी मानसिकता क्या हो जायेगी.. । जब अपनों प्यार चाहिए था तो उस उम्र में उनकी मौत देख ली.. " बोलते हुए विक्रम ने संयम को देखा तो संयम अपने चेहरे को हाथों में भरकर चीखते हुए रो रहा था ।


" कर्मा घूमकर जरूर आता है ये सुना था.. पर आज देख भी लिया.. । तुमने जो आदित्य के साथ किया वो तुम्हे भी भोगने को मिल गया संयम... । दूसरों के लिए किया गया बुरा काम कई गुना बढ़कर वापिस मिलता है... " बोलते हुए विक्रम की आंखें छलक उठी... ।

संयम वार्ड बॉयज के साथ लड़के लगा और उनपर सामान उठाकर फेंकने लगा तो विक्रम वार्ड का दरवाजा खोलकर अंदर चला गया । संयम bed के आस पास रखी चीजों को वार्ड बॉयज की ओर फेंककर उन्हें खुद से दूर रहने का कह रहा था ।


" दूर रहो.. पास मत आना... । मैं बोहोत बुरा हूं.. तुम लोग नही बचोगे... । दूर रहो... मार दूंगा... "। बोलकर संयम ने हाथ में पकड़ा इंजेक्शन सबको दिखाया तो सारे वार्ड बॉयज उससे दूर चले गए ।


विक्रम सीधा संयम की ओर चल दिया । संयम ने हाथ में पकड़ी हुई इंजेक्शन उसे दिखाते हुए कहा " इधर मत आओ.. दूर जाओ.. " ।


विक्रम ने उसके पास आकर झटके से इंजेक्शन को उससे छीन लिया ।


संयम वहां से जाने लगा तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़कर उसे कसकर सीने से लगा लिया और उसकी पीठ और सिर सहलाने लगा ।


संयम ने देखा कि विक्रम उसे प्यार से ट्रीट कर रहा है तो वो शांत हो गया । विक्रम उसे सीने से लगाए रोने लगा । संयम भी फूटकर रो दिया । विक्रम ने उसके माथे को चूमा और उसका सिर सहला दिया । संयम उसके चेहरे को देखने लगा ।



अपने भाई को प्यार करता देख संयम थोड़ा शांत हो चुका था ।


विक्रम ने वार्ड बॉय को इशारा किया तो उसने धीरे से आकर बेहोशी का इंजेक्शन संयम को लगा दिया ।
संयम बेहोश हो गया तो विक्रम ने उसे बेड पर लेटा दिया ।


वार्ड बॉय ने उसे फिर से drips लगा दी । सब लोग बाहर चले गए ।


विक्रम उसके पास बैठा और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला " i love you sanu... । i am always with you... । तू अकेला नहीं है... । तेरा भाई है तेरे साथ... । तेरी इस मुश्किल में हर कदम पर तेरे साथ हूं... " । बोलकर विक्रम ने उसके हाथ को चूम लिया और उसके बालों को सहलाने लगा ।


कुछ ही पल में बैठे बैठे ही उसे भी नींद आ गई ।

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तो कहानी का ये सीजन यहीं समाप्त होता है । अगर आप लोगों को दूसरा सीजन चाहिए तो कमेंट करें । और साथ ही साथ मेरे इंस्टाग्राम पर भी मुझे फॉलो करें। Instagram I'd " anjuvashii " है

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