बुजुर्गो का आशिष - 10 Ashish द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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बुजुर्गो का आशिष - 10

पटारा फिर खुल गया हैँ, कपड़ो के निचे से कागज़ मिलते रहते हैँ, पढ़ने मैं मज़ा आती हैँ. 

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 *"दोस्त की सीख"

*यह कहानी है एक छोटे से गाँव के दो बच्चों की—राहुल और सोनू। दोनों अच्छे दोस्त थे और साथ में खेलना-कूदना और पढ़ाई करना पसंद करते थे। राहुल पढ़ाई में थोड़ा कमजोर था, जबकि सोनू होशियार था और सभी विषयों में अच्छा करता था।*

*एक दिन राहुल उदास बैठा था। सोनू ने उससे पूछा, "क्या हुआ राहुल? तुम इतने दुखी क्यों हो?"*

*राहुल ने धीरे से कहा, "मुझे लगता है कि मैं कभी भी अच्छे अंक नहीं ला पाऊंगा। मुझे पढ़ाई में बहुत मुश्किल होती है।"*

*सोनू ने राहुल को दिलासा देते हुए कहा, "राहुल, कोई भी काम मुश्किल नहीं है, बस हमें मेहनत करने की जरूरत होती है। अगर तुम हर दिन थोड़ा-थोड़ा करके पढ़ाई करोगे, तो तुम भी अच्छे अंक ला सकते हो। मैं तुम्हारी मदद करूंगा।"*

*उस दिन से सोनू ने राहुल को रोज पढ़ाई में मदद करनी शुरू की। वह उसे कठिन सवालों को समझाने लगा और उसे प्रेरित करता रहा। राहुल ने धीरे-धीरे मेहनत करना शुरू किया और एक दिन आया जब उसने परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए।*

*यह देखकर राहुल के माता-पिता और शिक्षक भी हैरान रह गए। उन्होंने उसे खूब सराहा और उसका आत्मविश्वास बढ़ाया। सोनू और राहुल की दोस्ती और गहरी हो गई, और राहुल को यह बात समझ में आ गई कि मेहनत और दोस्तों की सही मदद से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।*

*कहानी की सीख*

*यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चे दोस्त ही हमारे जीवन के असली साथी होते हैं, जो हमें कठिन समय में सहारा देते हैं। साथ ही, मेहनत से ही हम अपने सपनों को साकार कर सकते हैं, चाहे रास्ता कितना भी मुश्किल क्यों न हो।*

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*बाल दिवस का असली मतलब भी यही है कि हम बच्चों को एक-दूसरे का साथ देना, आत्मविश्वास और मेहनत का महत्व सिखाएं ताकि वे हर कठिनाई का सामना कर सकें और एक अच्छे इंसान बन सकें।*

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आशिष 

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*♨️  *!! चतुर सोनार !!*

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*एक राजा था। राजा बहुत ही बुद्धिमान था। राजा ने अपने मंत्रियों से कहा कि क्या कोई मुझसे चोरी कर सकता है। सभी मंत्रियों ने कहा नही राजा आपसे कोई चोरी नही कर सकता है। तभी एक मंत्री ने कहा राजा जी कुछ सुनार होते है। जो व्यक्तियों के सामने से ही सोना चुराते है। तो राजा ने कहा यह नामुमकिन है मेरे सामने कोई भी सुनार सोना नही चुरा सकता। उसने राज्य के सभी सुनारों को अपने दरबार मे बुलाने का आदेश दिया। आदेश के अनुसार सभी सुनार राज्य में आये।*

*सभी आपस मे चिंतित थे कि राजा किस वजह से एक साथ हमे बुलाये है। तभी राजा दरबार मे आये और उन्होंने कहा कि क्या आप मेरी देख रेख में भी सोने की चोरी कर सकते है। कुछ सोनार ने कहा जी हां हम एक चौथाई सोना निकाल सकते है। कुछ ने कहा कि हम आधा सोना चुरा सकते है। तभी राम नाम के एक सुनार ने कहा कि मैं पूरा सोना आपके सामने रहते हुए भी चुरा सकता है। सभी लोग आश्चर्यजनक हुए की राम तुम यह नही कर सकते पर उसने फिर से कहा नहीं मैं यह कर सकता हूं।*

*राजा ने आदेश दिया कि अगर ऐसा तुम कर पाओगे तो तुम्हारा विवाह मैं अपनी बेटी से करवाऊँगा और अपने राज्य का आधा हिस्सा तुम्हे दे दूँगा। और कहा कि यह पूरा काम मेरी और पहरेदारो को निगरानी में होगा। साथ ही तुम्हें अलग से वस्त्र दिए जाएंगे जिन्हें तुम यहां काम करते वक्त उन्हें ही पहनोगे और जाते वक्त अपने वस्त्र ही पहन कर जाओगे। राम में कहा ठीक है जैसी आप की आज्ञा। राम ने दूसरे दिन से अपना काम आरंभ किया।*

*राजा की देख रेख में एक शिव जी की सोने की मूर्ति उसे बनाने के लिए दी गयी। धीरे धीरे मूर्ति का चलता रहा। वह दिन भर राजा के यहां शिव जी की सोने की मूर्ति बनाता और एक ध्यान देने वाली बात यह थी कि वह रात में शिव जी की पीतल की मूर्ति अपने घर पे बनाता। यह क्रम चलता रहा। लगभग एक हफ्ते बाद मूर्ति बनकर तैयार हुई और राम ने राजा से कहा अब मुझे एक चमकाने के लिए ताजा दही चाहिए शाम का वक्त था इस टाइम ताजा दही मिलना मुश्किल था।*

*पहरेदारों को आदेश दिया गया कि ताजा दही ढूंढ कर लाया जाए। पहरेदार बहुत परेशान हुए पर उन्हें ताजा दही नही मिला। तभी एक अचानक से एक युवती ताजा दही मटके में बेच रही थी। राम ने सोने की मूर्ति उस मटके में डाली और निकाल कर उसे चमका दिया। फिर राजा ने अपने स्वर्ण विशेषज्ञ को बुलाया और मूर्ति की जांच करने को कहा और पूछा कि इस मूर्ति में कितना सोना है। स्वर्ण विशेषज्ञ आश्चर्यजनक हुए की राजा इसमें तो एक भी सोना नही है। यह जानकर राजा भी बहुत हैरान हुआ कि पूरा काम मेरी देख रेख में हुआ है फिर भी ऐसा कैसे हो सकता है।*

*उसे पहरेदार दरबार लेकर आये और राजा ने उस पूरे मटके को खरीद कर राम को दे दिया और युवती को पैसे देकर जाने को कहा। राजा ने राम से पूछा कि तुमने ऐसा कैसे किया। उसने राजा से कहा कि आप सच जानकर मुझे सजा तो नही देंगे। राजा ने वादा किया कि नही ऐसा नही होगा। राम ने बताया कि दही बेचने वाली मेरी बहन थी मैन उस से पीतल की मूर्ति निकाली और सोने की मूर्ति डाल दी थी। राजा उसकी चतुराई से प्रसन्न हुए। उन्होंने वादा किये आनुसार अपनी बेटी का ब्याह उस से कर दिया और आधे राज्य को उसे सौंप दिया।*

*शिक्षा:-*

*इस प्रसंग से हमें यह सीख मिलती है कि इन्सान अपनी चालाकी से कोई भी कार्य कर सकता है।*

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आशिष के आशिष 

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