अध्याय 31
पिछला सारांश:
कार्तिका इंडस्ट्रीज कंपनी के मालिक कृष्ण राज अपना तीसरा असाइनमेंट धनंजयन को बताते हैं। इसे उनके पार्टनर चिप्स के द्वारा सुन लेते हैं। इसमें धनंजय के योजना को असफल करने की सोचते हैं।
तीसरा असाइनमेंट कृष्णा राज के बच्चा जो अभी युवा हो गया है उसे ढूंढना, पहले वह यहां पर विज्ञप्ति समाचार पत्र में आई थी वहां जाकर धनंजयन उसे इकट्ठा करता है।
धनंजयन को अपने भौंहों को ऊंचा करके नगर पालिका के अधिकारी ने उन्हें देखा।
धनंजयन, “क्यों सर आप मुझे ऐसे देख रहे हो?”
“नहीं, नल में पानी नहीं आ रहा है, कई सालों से सड़क नहीं बनवाया इस तरह के कंप्लेंट लेकर ही लोग आते हैं। रिटायर हो गए किसी को ढूंढते हुए आने वाले को मैं अब ही देख रहा हूं।”
“ओह …तो वह शंकरलिंगम रिटायर हो गए?”
“यहां के कार्य से ही नहीं संसार से भी रिटायर हो गए।”
अधिकारी के जवाब से धनंजय थोड़ा हिल गया।
एक फाइल को बंद करते हुए, “अच्छा उन्हें आप क्यों ढूंढ रहे हो?” अधिकारी ने पूछा।
पत्र से लेकर सारी बातों को धनंजयन ने बता दिया।
उन्होंने सब बातों को सुनकर व्यंग्य से हंसना शुरू किया।
“क्या बात है सर आप व्यंग्य से हंस रहें हैं ऐसा लगता है?”
“मुझे ‘यंग एज’ में देखें हिंदी पिक्चर की याद आ रहा है। उसी में छोटी उम्र में बच्चों के गुम जाने पर फिर आगे बड़ा आदमी बनकर आ जाते हैं। परिवार का एक गाना होता है उसे गाते हुए सब इकट्ठे मिल जाते हैं।”
“सर यह बहुत ही सीरियस बात है। एक सज्जन ने गलती की वह फिर से अपने को सुधारने की सोच रहा है। उसे एनकरेज ना किया तो भी कोई बात नहीं है। परंतु हिंदी पिक्चर की कहानी को बोलकर डिसकैरेज तो मत कीजिए प्लीज…”
“आई एम सॉरी । मैंने मज़ाक में कहा। हर रोज तो एक बच्चा इस कचरे के पात्र में मिलता ही है। अब इंटरनेट करके एक जो आ गया है उस समय से खराबियां भी शुरू हो गई है।
“मोबाइल फोन को ही ले लीजिएगा। समाचार देने के लिए इसका आविष्कार किया था। आज यह गप्प करने का यंत्र के रूप में बदल गया। इसमें बहुत गलत सूचनाएं तथा सेक्स के बारे में भी है।
“उसको देखकर बिगड़ने वाले तथा गलत रिश्ते बनाने में फंसकर आखिर में वह अपने गर्भवती हो जाती हैं। उसके बाद यह गलत रिश्तों से पैदा हुए बच्चों को बिना किसी हिचकिचाहट के कचरे के पात्र में डाल देते हैं। कल भी कचरे के पात्र से एक बच्चे को निकाल कर चाइल्ड होम में भेजा है उसकी परवरिश के लिए।”
उसे अधिकारी के बात में दम था।
“सर हमें उस दिन उस बच्चे को किस ‘बच्चों के होम’ में भेजा मालूम हो जाए तो बहुत है सर। बाकी बातों को हम देख लेंगे” बीच में कुमार बोला।
“सॉरी सर। मुझे चार्ज लेकर ही सिर्फ 3 साल हो रहे हैं। आप जो बोल रहे हो वह बातें 1997 की है अर्थात 27 साल पहले। वह शंकर लिंगम किस होम में जाकर उस बच्चे को दिया होगा?”
“उनके परिवार से किसी को पूछे तो पता नहीं चलेगा?”
“वह मुझे कैसे पता होगा?”
“हम पूछ कर देखते हैं। उनका घर का पता मिल जाएगा?”
‘उसे मैं रिटायरमेंट लिस्ट को देखकर ढूंढता हूं फिर देता हूं। आप प्रयत्न करके देखिए। चेन्नई कॉरपोरेशन लिमिटेड के अंदर जितने भी चाइल्ड होम्स है उनके बारे में भी मालूम करिए।
“उसमें 27 साल पहले कितने थे उनका फिल्टर करके देखिए तो चार-पांच होंगे! वहां सब जाकर मालूम करिए। दिसंबर 1997 के आखिर हफ्ते के बारे में उनके पास इनफॉरमेशन होगा तो वह रिकॉर्ड में होगा उसको देखकर बताना आसान होगा।
“उस हफ्ते कितने लड़के मिले यह मालूम होना मुश्किल है। उसमें भी आप जिस बच्चे को ढूंढ रहे हैं वह कौन सा है उसमें भी असमंजस की स्थिति आ सकती है।
“नो सर…वैसे दस भी हो तो जींस टेस्ट करके ही फैसला करेंगे।”
“ओ…ऐसा भी एक सहूलियत है ना? फिर क्या है, अच्छी तरह ढूंढिए। आपको शुभकामनाएं।”
“सर, वह पता?”
“आपका फोन नंबर को देख जाइए। मैं ढूंढ कर मालूम कर आपको भेजता हूं।”
“सर हमारे जाने के बाद आप भूल तो नहीं जाओगे?”
“नो नो…आप अलग तरह के, एक अच्छे काम के लिए काम कर रहे हो। उसके लिए आपकी मदद करने में मुझे खुशी होगी।”
उसे बड़े अधिकारी की बातें उसकी मुस्कुराहट पर उन्हें विश्वास हुआ। उनसे हाथ मिलाकर बाहर आकर कुमार ने कार स्टार्ट किया।
कार के अंदर-
“धना, तुम्हें विश्वास है क्या रे?” कुमार ने पूछा।
“शुरू हो गया?”
“क्या शुरू हो गया।’प्रैक्टिकल’ढंग से सोचो रे। वह बड़ा अधिकारी बोला जैसे पता नहीं मुझे तो अपना मैटर एक पिक्चर की स्क्रिप्ट जैसे लगती है।”
“जिंदगी में से ही तो स्क्रिप्ट भी आता है?”
“यह सब बेकार की बातें। जिंदगी में तूने कब डुएट गाया है; नहीं तो किसी को गाते देखा है क्या? उसमें भी साथ में डांस करने के लिए 10 लोग।
“वह 10 लोग नायक, नायिका के कष्ट के समय या कैजुअल रहते समय झांक कर भी नहीं देखते। ठीक डुएट गाते समय सिर्फ आकर मिलिट्री ऑर्डर जैसे डांस करते हैं फिर गायब हो जाते हैं।
“लड़ाई के दृश्य में भी ऐसा ही? दस लोग आते हैं। हीरो को मारने आते समय एक-एक करके आते हैं? उस समय तो भी 10 लोग। आगे पढ़िए…