अध्याय 30
किसी तरह ढूंढ कर उन्हें यह शुरुआत मिल ही गया।
“बहुत-बहुत धन्यवाद सर। हमारे लिए बहुत परेशान होकर आपने इस समाचार पत्र को ढूंढ कर हमें दिया। कहीं नहीं मिले तो ऐसा सोच कर डरते हुए ही हम आए थे।” धनंजयन ने उप संपादक को धन्यवाद दिया।
“बिल्कुल ठीक है साहब। आजकल तो सब कुछ :डिजिटल कापी’ ही होती है। ‘इस तरह के पेपर प्रिंटों’ को दीमक से बचाकर रखने के लिए बहुत ज्यादा परेशानी होती है। इस विषय में सचमुच में आप बहुत भाग्यशाली हैं।”
“हमारा भाग्य इस पेपर के मिलने से नहीं सर। इस समाचार में है की कचरे के डिब्बे में बच्चा अब इस बच्चे के मिलने में ही है।”
“वेरी इंटरेस्टिंग…यह बच्चा ‘आई मीन’निश्चित रूप से युवा बन गया होगा आप लोगों के जैसे, अब क्यों ढूंढ रहे हो जान सकता हूं?”
“वह एक बहुत बड़ी कहानी सर…संक्षिप्त में बता देता हूं। यह बच्चा एक गलत संबंधों से पैदा हुआ था। उस गलती को उस दिन किया वह आदमी आज बदलकर एक अच्छा आदमी हो गया। बच्चे को ढूंढ कर फिर अपने पास रखने की उनकी इच्छा है।”
“बहुत बढ़िया सर…अच्छा कौन है वह? मैं जान सकता हूं?”
“प्लीज सर। इसके आगे कुछ मत पूछिएगा। मैं भी ना बताने के स्थिति में हूं।”
“समझ में आ रहा है…यह एक अच्छी बात है। इसके लिए आपकी मदद करने में मुझे भी खुशी हो रही है। इसके बारे में आगे आपको जो भी मदद चाहिए आप बिना संकोच के बोलिएगा। साधारणतया इस तरह के विषयों पर एक लेख आए तो जनता को जागृत करने का एक उपाय होगा।
“इसलिए यह लड़का मिल जाए तो फिर सब एक साथ हो जाए ! तो मुझे खबर करिएगा। मैं उस पर एक लेख लिखूंगा। उसमें निश्चित तौर पर मैं आप लोगों का नाम नहीं डालूंगा।”
“होने दो सर…. आपकी मदद के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद” कहकर बाहर आकर कार में धनंजय अपने मोबाइल फोन से खींचे फोटो के समाचार को एक बार फिर पढ़ा।
कचरे के डिब्बे में बच्चा!
नुंगंबाकम्, लायला कॉलेज पास जो कचरे का डब्बा उसमें एक महीने के अंदर पैदा हुआ बालक मिला। कचरे को उठाने के लिए नगर पालिका के सफाई कर्मचारी जब वहां शंकर लिंगम नाम के आदमी गए तो वह बच्चे को देखकर उन्हें सदमा लगा। फिर उन्होंने उसे बच्चे को वहां पास में ‘बच्चों के होम’ के सुपुर्द किया।
उस खबर को उसने बार-बार पढ़ा। कार चलाने वाले कुमार को देखकर बोला “कार को कॉरपोरेशन ऑफिस की तरफ ले चलो। कमिश्नर को देखकर उस शंकर लिंगम कौन है इस बात को पहले मालूम करते हैं।”
“क्यों बे, उन्हें पढ़े तो ही वह बच्चों का होम कौन सा है पता चलेगा?”
“एक्जेक्टली”
“ शंकर लिंगम अभी भी सर्विस में होगा? क्या? तुम ऐसा सोचते हो?”
“पक्का उसकी तो उम्र हो गई होगी। रिटायर भी हो गया होगा। हो सकता है कहीं नौकरी में हो तो?”
“क्यों वह मर भी गया होगा?”
“ऐसा नेगेटिव क्यों बात कर रहा है रे?”
“सभी तरफ के कोणों से सोचना चाहिए ना?”
“मैं सिर्फ पॉजिटिव ही सोचता हूं। ‘नेगेटिव थिंकिंग’ किसी भी विषय में नहीं होना चाहिए कुमार।”
“इसे कहना आसान है धना। परंतु सोचना कठिन है। अभी भी देखो इस ट्रैफिक में कोई भी कैसे आकर टकरा जाएगा डरते हुए ही मैं गाड़ी को चला रहा हूं।
“हमारे जैसे कार रखने वाले सभी लोग इस ‘रेडियल बाइक’ लोग ही यम हैं। एक भी युवा सीधे नहीं जाता है। एक भी सीधा नहीं जाता है। उस पर चढ़कर बैठने के बाद सांप जैसे डांस करता है। बिना इधर-उधर घूमे बिना वे लोग गाड़ी नहीं चलाते हैं।”
“तू बकबक के बिना गाड़ी को देखकर चला। वह शंकर लिंगम जिंदा रहना चाहिए ऐसा मैं भगवान से प्रार्थना कर रहा हूं।”
“धना, तुझे तेरे भगवान पर भरोसा है क्या?”
“अभी क्यों रे यह प्रश्न?”
“आजकल यूथ का मतलब दक्षिणपंथी होता है, यही तो ट्रेंड है?”
“सिर्फ यही क्या, सर के बालों को खड़े-खड़े अजीब ढंग से रखते हैं। उसमें भी कानों में बाली पहनते हैं। शर्ट में बटन ही नहीं लगाते हैं। पूरे शरीर में हरे-हरे पुराने जमाने जैसे गुदवाते हैं । ब्रो ब्रो कहकर ही बात करते हैं।”
“येस ब्रो. यू आर करेक्ट?”
“ओ.के. ब्रो, तुम चुपचाप गाड़ी ठीक से चलाओ।”
वे लोग आपस में हंसी मजाक कर हंस रहे थे इसी बीच कॉर्पोरेशन का बिल्डिंग भी पहुंच गए।
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