धड़ीचा Harshad Molishree द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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धड़ीचा



सुमेर और रिया रात के वक़्त अपने घर के सामने स्तिथि रास्ते पर टेहैल रहे थे तभी एक लड़की कहिसे भागते हुए आकर रिया से टकराई। वह लडकी काफी डरी हुई थी। रिया से टकराते ही उसने रिया का हाथ ठाम लिया..... रोते रोते कहा दीदी मुझे बचालो, बचालो मुझे।

रिया ने झट से ऊस लडकी को अपने से सटा लिया और सुमेर घुमके यहा वहा देखने लागा मगर दूर दूर टक कोई नही था।

वह लडकी काफी डरी हुई थी, उसने शादी का जोडा पेहना हुआ था, मगर उस्का साज श्रृंगार बिखरा हुआ था।

उसकी ऐसी हालत देख सुमेर और रिया समझ गये की जरूर इसके साथ कुछ गलत हुवा है।

रिया और सुमेर को कुछ समझ नही आरहा था की क्या करें, सुमेर ने सुझाव दिया की पुलिस के पास चलते है पर रिया ने कहा.... नही पहले घर चलो।

वह दोनों उस लड़की को घर ले आये, रिया ने उसे पानी पिलाया और बैठाया, रिया ने सुमेर को बाहर जाने का इशारा किया तथा सुमेर कमरे से बाहर चलागया, रिया उस लड़की के कपडे ठीक करने के लिए आगे बड़ी तो उसने देखा उसके गर्दन पर चोट का निशान था, जैसे ही रिया ने उसके खांदे पर हाथ रखा वह लड़की बोखला उठी.... उसने रिया का हाथ धकेला और रोने लगी।

रिया ने जैसे तैसे उसे शांत किया..... करीब एक घंटा बीत गया वह लड़की ऐसे ही बैठी थी, सुमेर और रिया आपस मे बात कर रहे थे की क्या किया जाए अब।

तभी उस लड़की ने कहा... दीदी भूक लगी है।

यह सुनते ही रिया बोली..... हा, हा खाना है, मैं भूल ही गई रुको, रिया उस लड़की के लिए खाना लेकर आई, उस लड़की को खाना खाते हुए देखकर सुमेर और रिया को अंदाजा आगया की उसने कई दिनों से खाना नही खाया होगा।

खाना खाने के बाद रिया ने उस लड़की को पानी पीलाया और अब वह लड़की थोड़ी संतुष्ट लग रही थी। रिया को भी लगा की अब वह ठीक है।

सुमेर ने रिया को इशारा करते हुए कहा की.... पूछो इससे, रिया ने अपना सर हा मे मिलाया और उस लड़की से काफी धीरे से पूछा

तुम्हारा नाम क्या है.....????

उस लड़की ने कोई जवाब नही दिया.....

रिया ने दोबारा से थोड़े उची आवाज़ मे पूछा तुम्हारा नाम क्या है...?

ताप्ती.... ताप्ती नाम है मेरा

तुम क्या भाग के आई हो अपनी शादी से.....?

ताप्ती ने कोई जवाब नही दिया।

क्या तुम्हारे घरवाले तुम्हारी शादी जबरदस्ती करवाना चाहते है.... रिया ने पूछा

ताप्ती ने एक पल को रिया के सामने देखा। रिया ने कहा तुम हमें बता सकती हो तुम्हारे साथ कुछ गलत हुआ है.... हम तुम्हारी मददत करेंगे।

ताप्ती ने कहा..... शादी से भाग कर नही आई, मेरी शादी हो चुकी है।

रिया ने पूछा तुम्हारे साथ जबदरस्ती हुई.... रिया आगे कुछ बोलती उसके पहले ताप्ती ने कहा....

शादी तो हर बार मर्जी से होती है, जबरदस्ती भी करते है, मगर आज शादी के बाद ४ लोग कमरे में चले आऐ , उनमें से मेरा पति कौन था, मुझे नही मालूम, मगर वह चारो मिलकर मेरे साथ जबरदस्ती करने लगे, मुझे मारने पीटने लगे.... जब मुझसे सहन नही हुआ तो शराब की एक बोतल उन चार मे से एक के सर पर मारी मैंने और अपनी जान बचाकर भाग आई।

ताप्ती की यह बात सुनते ही..... रिया स्तब्ध होकर वही पलंग पर ताप्ती के पास बैठ गई..... सुमेर को अपने कानो पर भरोसा नही हो रहा था.... की उसने ये क्या सुना।

हर बार शादी मतलब..... सुमेर ने पूछा

ताप्ती ने बड़ी सरलता से प्रश्न का उत्तर दिया.... हर बार जैसे होती है।

कैसे होती है..... रिया ने सहमी आवाज़ मैं पूछा

हर साल गांव मे शादी के लिए बाजार लगता है, मे बाबा, माँ और भाई के साथ बाजार जाती हु, वहा कई लोग आते है मुझे देखते है और फिर शादी करके लेकर जाते है फिर कुछ साल महीने कभी २ ३ साल बाद मुझे वापस छोड़ जाते है या फिर भाई और बाबा लेने आते है।

ताप्ती की यह सब बाते सुनकर रिया और सुमेर डंग रह गए..... रिया की आँखें भर आई वही सुमेर के रोंगटे खड़े होगए।

क्या तुम्हारे माता बाबा, तुम्हारी माँ ने कभी कुछ कहा नही।

माँ ने कहा की यह रीत है, गांव में हर औरत को इस रिट को निभाना पड़ता है।

तुम्हारा गांव कहा है..... रिया ने पूछा

शिवपुरी.. ताप्ती ने kaha

कहा पड़ता है ये गांव कैसे जाते है.... यहा सुमेर ने पूछा

पता नही....??? ताप्ती ने कहा

तुम्हारी कितनी बार शादी हुई है..... रिया ने लम्बी सांस भरते हुए, हकलाती आवाज़ मैं ताप्ती से पूछा

पता नही दीदी.... शायद ६ या ७ सात बार, पहली शादी हुई तब मे ७ साथ साल की थी और पहली बार माँ बाबा के साथ बाजार गई थी।

रिया ये सुनकर अपने आंसू को थाम ना सकी..... सुमेर को कुछ समझ नही आ रहा था की अब क्या करें पर फिर रिया और सुमेर दोनों ने निर्णय लिया की ताप्ती को इस दलदल से बाहर निकालेंगे, उन्होंने ये नक्की किया की सुबह जाकर थाने मे रिपोर्ट लिखाएंगे।

रिया ने ताप्ती को अपने कुछ कपडे दिया पहने को और रात उसे अपने साथ सुलाया..... सुमेर ने बाहर सोफे पर रात काटी, हाला की ताप्ती की बाते सुनने के बाद उसकी नींद उड़ चुकी थी।

*******

सुबह रिया ने ताप्ती को बहोत समझाया और मनाया..... तब जाकर ताप्ती थाने चलने को तैयार हुई, दोनों सुमेर और रिया ताप्ती को पुलिस थाने ले आए....

यहा का इंस्पेक्टर सुमेर का काफी अच्छा दोस्त था, सुमेर ने रात ही उससे फोन पर इस पुरे मामले की जानकारी देदी थी।

सुशेन कुमार..... सुमेर का परम मित्र एवं पुलिस इंस्पेक्टर

सुमेर ने सुशेन से हाथ मिलाया और सुशेन ने रिया को नमस्ते कहते हुए बैठनेको कहा.....

ताप्ती रिया का हाथ पकडे हुए उसके पास सटकर बैठी थी..... ताप्ती काफी दरी हुई थी।

सुशेन ने सीधे तापति से पूछा..... बेटा तुम्हारा नाम क्या है।

ताप्ती डरते हुए अपना मुँह छिपाने लगी..... रिया ने उसे अस्वाशन देते हुए कहा..... की डरो नही यह अंकल काफी अच्छे है यहा तुम्हारी मददत करेंगे।

ताप्ती ने सहमी आवाज़ मे अपना नाम बताया।

सुशेन ने फिर पूछा की तुम्हारी उम्र कितनी है..... ताप्ती ने डरते हुए कहा.... १४.. १४ साल

रिया ने ताप्ती को अपने गले लगा लिया और रोने लगी ताप्ती भी डर से काँप रही थी।

जैसे तैसे सुमेर ने रिया को संभाला और रिया ने ताप्ती को।

ताप्ती ने फिर हर बात, सुशेन को बताई जो उसने रिया और सुमेर को कहा था।

ताप्ती की सारी बाते सुनने के बाद और उसके गांव के बारे मे जानने के बाद सुशेन को अंदाजा मिल गया।

सुशेन ने कहा..... धड़ीचा प्रथा

क्या.... सुमेर ने फट से पूछा

हा..... धड़ीचा प्रथा जो भारत के मध्य भाग के छोटे गांव मे पीडियो से चलती आरही है।

ये कैसी प्रथा है..... रिया ने पूछा....???

सुशेन ने विस्तार मे प्रथा के बारे मे कहा.....

धड़ीचा के संदर्भ में, मुख्य रूप से ८ से १५ वर्ष की उम्र की कुंवारी लड़कियों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, और उन्हें विवाहित महिलाओं पर प्राथमिकता दी जाती है। दुल्हन का मूल्यांकन उस अवधि पर आधारित होता है जिसके लिए पुरुष उसे अपनी पत्नी के रूप में रखना चाहता है, चाहे घंटे, दिन, सप्ताह, महीने या वर्ष के आधार पर। जब निर्धारित अवधि समाप्त हो जाती है, तो व्यवस्था को या तो उसी व्यक्ति के साथ नवीनीकृत किया जाता है या किसी अन्य व्यक्ति के साथ एक नया अनुबंध स्थापित किया जाता है, जिससे दुल्हन को किसी अलग व्यक्ति को किराए पर दिया जासके।

आमतौर पर, वित्तीय व्यवस्था लगभग रु. प्रति दुल्हन १५००० से २५००० रु. दुल्हन की उम्र मूल्य निर्धारण को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है, कम उम्र की दुल्हनों को उनके परिवारों द्वारा प्रस्तावित अधिक रकम मिलती है। कभी-कभी, अगर दुल्हन को सुंदर, शारीरिक रूप से आकर्षक और कुंवारी माना जाता है, तो कीमत काफी हद तक बढ़ सकती है, यहां तक ​​कि २ लाख तक भी पहुंच सकती है। गैर-कुंवारी लड़कियों की कीमत रु. १०००० से १५००० उनकी उम्र, त्वचा का रंग और उनके पूर्व संविदा विवाहों की संख्या जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए..... सुशेन को बिच मैं टोकते हुए रिया बोली।

यह सब क्या है..... कैसी घिनौनी और धक्यानुसी प्रथा है। रिया काफी गुस्से मैं थी

यह सब चल रहा है और क्या सरकार कुछ नही कर रही..... सुमेर ने पूछा

सुशेन ने एक लम्बी सांस ली.... और कहा

यह ख़तरा दशकों से बना हुआ है लेकिन अब जाकर सामने आया है। गाँव के लोग अक्सर यह तर्क देते हैं कि यह उनके रीति-रिवाज का हिस्सा है और उनके लिए पैसे का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

भारत में दुल्हनों की तस्करी के खिलाफ कानून हैं। व्यावसायिक यौन शोषण और जबरन श्रम के लिए तस्करी अनैतिक तस्करी रोकथाम अधिनियम, बंधुआ श्रम उन्मूलन अधिनियम, बाल श्रम निषेध अधिनियम, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय है। हालाँकि, शोध से पता चला है कि मानव तस्करी और गुलामी से निपटने के कानून में कई खामियाँ हैं। इससे इसे समझना और पहचानना अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

सुमेर ने बड़ी चिंतजानक आवाज़ मैं कहा.... की अब हम क्या करे इस बच्ची को ऐसी हालत मे तो नही छोड़ सकते..... तुम रिपोर्ट लिखो कुछ तो होगा, ऐसा घिनोना जुर्म दुनियाँ के सामने आना ही चाहिए।

देखो सुमेर तुम बात को समझो मैंने अक्सर देखा है, ऐसे मामलो मे कभी कुछ हाथ नही लगता, ये सारा लेन-देन दस, पचास या सौ रुपये जैसी नाममात्र राशि के साथ स्टांप कागज पर औपचारिक रूप से किए जाते हैं। इस अभ्यास के परिणामस्वरूप हर साल हजारों सौदों को अंतिम रूप दिया जाता है।

तो क्या इतना सबकुछ जानने के बाद भी हम लोग हाथ पर हाथ धर कर बैठे रहे..... ना जाने कितनी मासूम औरतों और बच्चीयों का इस प्रथा के नाम पर सालो से शोषण होता आरहा होगा..... रिया ने काफी गर्म लहजे मैं कहा।

हम लोग कोर्ट जा सकते है, जिन लोगोने यहा सौदा किया वह बेशक़ गैर कानूनी है, ताप्ती के मददत से उन लोगों तक पोहचा जा सकता है। सुमेर ने कहा

देखो मे तुम्हारी भावनाओं की कदर करता हूं..... पर मेरी बात को समझो यह कोई पहला केस नही है, इसके पहले भी २-४ बार ऐसी तक्रार आचुकी है सामने, पर होता क्या है ना कोई सबूत मिलता है ना कोई गवाह अगर कोई गवाह मिले भी तो... मोटी रिश्वत देकर बरी होजाते है लोग और तुम क्या बात करते हो अगर चंद औरतों को छोड़ो तो वहां की कई सारी महिला इसे अपनी प्रथा अपनी रीत अपना धर्म मानती है, कभी किसीने आवाज़ नही उठाई, यह खुद अपनी मर्जी से करते है, यही इनकी कमाई का स्त्रोत है।

काफी देर तक रिया सुमेर और सुशेन की बहसबाज़ी चली, जिसे सुनते हुए ताप्ती मायूस और अंदर से बिलकुल टूट चुकी थी वह अचानक एकदम से फुट फुट कर रोने लगी।

रिया ने ताप्ती को संभाला उसके आंसू पोहचे।

देखो सुमेर तुम मेरे दोस्त हो मैं तुम्हे गलत सलाह नही दूंगा अगर केस करोगे तो हो सकता है की उसके घरवालों को पता चले और वह आकर उसे यहा से जबरन उठा लेजाए या उसकी जान को खतरा भी हो सकता है वह भी दोनों तरफ से एक तरफ उसके घरवाले और दूसरी तरफ वह खरीदार।

सुमेर और रिया गहरे चिंतन मे खो गए..... और हताश होकर सुमेर ने पूछा तो अब क्या करें....???

सुशेन ने जवाब में कहा.... मेरे पहचान की संस्था है जहा ऐसी ही पीड़ित महिला को रखा जाता है उन्हें सिक्षा एवं अपने आगे की ज़िन्दगी के लिया प्रोत्साहित किया जाता है। तुम कहो तो में बात करू।

काफी चर्चा के बाद सुमेर और रिया ने हामी भरदी..... सुशेन ने खुद ताप्ती का दाखिला परिवर्तन महिला संस्था मैं कराया।

रिया ने ताप्ती को गले लगाया और उससे हर इतवार मिलने का वादा किया। बड़े ही दुखी मन से रिया ने ताप्ती से विदाई ली।

**********

देखते ही देखते एक हफ्ता बीत गया.... रिया और सुमेर ताप्ती से मिलने गऐ। वहा पोहचकर रिया डंग रह गई, संस्था मैं उसे पाता चला की ताप्ती को उसके घरवाले आकर ले गए।

रिया संस्था वालो से झगड़ने लगी..... मगर उसका कोई फायदा नही था। सुमेर ने सुशेन को फ़ोन कर वहां बुलाया।

संस्था वालो के मुताबिक ताप्ती खुद अपनी मर्जी से घरवालों के साथ गई थी रजिस्टर मैं उसका अंगूठा लगा हुआ था।

रिया रोते हुए राजीस्टर देखने लगी तभी उसका ध्याना गया की रजिस्टर मैं उसके घर का पत्ता लिखा था, पत्ता पड़ते ही रिया ने पूछा यह पता.....????

संस्था के कर्मचारी ने कहा, ताप्ती को ले जाते वक़्त हमने उनसे उनका नाम पता लिखवा लिया था।

रिया झट से बोली सुमेर हमें वहा जाना चाहिए.... उसकी जान को खतरा हो सकता है सुमेर....

देखो मुझे नही लगता की यहा पता सही होगा हो सकता है की उन्होंने ऐसे ही झूठमुठ कोई पता लिखवा दिया हो.... सुशेन ने कहा।

पर अगर पता सही हुआ तो.... एक बार देखने मैं क्या हर्ज है रिया ने कहा.....

सुमेर ने सुशेन के सामने हाथ जोड़े और सुशेन आगे कुछ ना बोला..... तीनो सुशेन सुमेर और रिया उस पते के मुताबिक ताप्ती के गांव पोहच गए।

गांव मैं यहा वहां थोड़ी पूछ ताच के बाद आखिर उन्हें ताप्ती का घर मिल गया..... किस्मत से पता सही था, यह घर ताप्ती का ही था।

सुशेन सुमेर और रिया एक २ मंजिला घर के सामने आकर खड़े होगए, घर के बरामदे मैं एक खटिये पर एक बूढा इंसान हुकाह पी रहा था। एक कोने मे एक छोटी लड़की बर्तन धो रही थी। एक लड़का कुल्हाड़ी से लकड़ी काट रहा था।

तीनो ने घर के अंदर प्रवेश किया और सुशेन ने पूछा की क्या ये ताप्ती का घर है, हम लोग संस्था से आए है उससे मिलने।

हांजी आओ आओ पधारो.... आने मैं कोई दिक्कत तो नही हुई। ताप्ती के बाबा ने काफी अच्छे से स्वागत करते हुए कहा।

वह लड़का एक खटिया लेकर आया और उन तीनो को बैठने को कहा। ताप्ती के बाबा ने कहा ये बड़ा बेटा है ताप्ती का भाई, वह मेरी छोटी बेटी ( उस लड़की की तरफ इशारा करते हुए कहा जो बर्तन धो रही थी )

ताप्ती के बाबा ने जोर से आवाज़ दी..... अरी ओ पानी चाय कुछ लाव शहर से मेहमान आए है।

रिया से रहा ना गया और उसने एकदम से ताप्ती के बाबा से पूछा ताप्ती कहा है, ठीक है ना वह। रिया को उसकी बात का कोई जवाब नही मिला

ताप्ती के बाबा ने भी उससे अनसुना करदिया।

अंदर से एक औरत, पानी और साथ मैं चाय लेकर आई, यह ताप्ती की माँ थी। चाय को हाथ मैं लेते ही। रिया ने फिर से पूछा ताप्ती....???

रिया कुछ आगे बोलती इसके पहले ही ताप्ती के बाबा ने कहा चाय पियो।

तीनो शांति से चाय पिने लगे, सुशेन को अंदाजा आगया की यहा कुछ तो गड़बड़ है। उसने सुमेर को भी इशारो मैं समझाने की कोशिश की।

तीनो चाय पी रहे थे इतने मैं बरामदे मैं ५ ६ छे लोग लाठी कुल्हाड़ी के साथ जमा होगए। सुशेन समझ गया।

सुशेन ने सुमेर से कहा अब हमें चलना..... हा सही कहा, सुमेर ने हकलाते हुए जवाब दिया डर के कारण। मगर रिया एक दम से बोल पड़ी ऐसे कैसे ताप्ती, ताप्ती कहा.... बुलाओ उसे।

यहा सुनते ही ताप्ती के बाबा जोर जोर से हसने लगे और जोर से चिल्लाए ताप्ती...... चिल्लाहत सुनकर बरामदे मैं खड़े सभी लोग भी जोरो से हसने लगे, साथ ही ताप्ती का भाई भी।

सुमेर ने रिया को शांत रहने के लिए कहा..... मगर रिया कुछ मानने को तैयार नही थी। उसने डोबारा कहा मगर ताप्ती.....

यहा सुनते ही ताप्ती के बाबा जोर से चिल्लाए बस.... बहोत होगया आप लोग कौन हो कहा से आए हो सब पता है हमें। यह हमारा निजी मामला है। इसके आगे कभी यहा इस गांव मैं कदम ना रखना ना ही ताप्ती का नाम अपनी जुबां पे लाना..... नही तो कसम से कहते है की तीनो को काटके इसी मिट्टी मैं दफ़न कर देंगे।

सुशेन सुमेर और रिया यहा सुनकर काफी दहशत मैं थे। घबराहट के मारे सुमेर के पसीने छूट रहे थे। वही रिया भी काफी घबराई हुई थी।

अपने डर पर काबू रखकर रिया ने फिर से एक बार हिम्मत करके पूछा..... पर ताप्ती।

मार दिया.... ताप्ती के बाबाने काफी आवेश और गुस्से मैं कहा।

काट काट के टुकड़े करके फेक दिए, नीच कही ही घर की इज्जत मिट्टी मैं मिलाने चली थी, रिपोर्ट लिखवाएगी हमारे खिलाफ।

रिया यहा सुनते ही फुटकर रोने लगी, क्यों रिया चिल्लाई.... क्या बिगाड़ा था उस मासूम ने तुम लोग का।

ऐ..... आवाज़ नीची, औरत जात होकर हमपे आवाज़ उठाती हो, यह सब तुम्हारे शहर मैं चलता होगा यहा नही, संस्कार रीती रिवाज भी कोई चीज होवें है, पुश्तो से चली आरही प्रथा को क्या ऐसे ही भुलादे।

ऐ नज़र नीची कर नही तो अभी काट के फ़ेंक देंगे....... ताप्ती के बाबाने ने रिया से कहा।

जाओ तुमलोग ज़िंदा जाने देने रहे है। मगर याद रखना मूड के भी देखना नही। सुशेन और सुमेर लाचार थे वे कुछ ना कर सके, हताश होकर तीनो वहां से जाने लगे.... तभी रिया की नज़र उस छोटी लड़की पर पड़ी, जो की मायूसी से रिया को देख रही थी।

रिया रुक कर उसे देखने लगी, एक पल को उसे लगा की ताप्ती खड़ी है। तभी पीछे से आवाज़ आई, नर्मदा चलो.... वह लड़की दौड़ कर अंदर चली गई।

हमारी छोटी बेटी, ६ साल की है अब प्रथा को आगे यह बढ़ाएगी। ताप्ती के बाबाने मूछों पर ताव देते हुए कहा।

रिया ताव मैं आकर बोली, भारत की महान नदियों के नाम पर अपनी बेटियों का नाम रखकर, संस्कार और रीती रिवाज के नाम पर उनसे इतना घिनोना और नीच काम कराते हुए शर्म नही आती तुम्हे..... सुमेर ने डर के मारे रिया का हाथ थमा और उससे चलने को कहा......

नदियों की पूजा करो.... संस्कारो के भजन करो, कभी यह जानने की कोशिश की है की सारी नदियों के नाम स्त्री के नाम पर क्यों है उन्हें माता क्यों कहते है क्यों पूजते है, अपनी बेटियों को पूजने के बजाए धर्म के नाम पर धंदा करा रहे हो तुम लोग।

बस अब तु हमें धर्म कर्म सिखाओगी, ऐ.... आख़री बार कहता हु लेकर जाओ इसे। ताप्ती के बाबा खटिया से उठकर खड़े होगए। साथ ही लोगो ने सुशेन रिया सुमेर को घेर लिया।

सुमेर ने रिया का हाथ कस कर थामा और तीनो जैसे तैसे जान बचाते हुए वहा से जाने लगे।

तभी पीछे से आवाज़ आई.... दोबारा इस घर, गांव इस प्रथा के बारे मैं सोचना तक नही, नही तो अगली बाजार मैं तुम्हे उठवाके के बिठा देंगे..... रिया से ताप्ती के बाबा ने कहा..... और सभी लोग यह सुनकर हसने लगे।

सुशेन ने लाचारी के कारण अपनी आँखें मीचली..... हताश होकर तीनो वहा से निकले। ताप्ती की बातें उसका चेहरा रिया को बार नज़र आरहा था। रिया काफी मायुश और हताश थी।

तीनो शहर वापस लौटे..... सुशेन खुदपर इतना शर्मिंदा था और निराश था की उसने सुमेर से नजरें तक नही मिलाई और बिना एक शब्द कहे वहा से अपने घर के लिए निकल गया। सुमेर रिया को सँभालते हुए घर ले आया।

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए मगर जो कुछ हुवा उसे ना सुशेन भुला पा रहा था नाही सुमेर नाही रिया, रिया के मन मैं यह बात घर कर गई।

रिया ने बहोत सोचा और फिर उसने इस सारी घटना को एक वीडियो के माध्यम से अपने फेसबुक पर डालदिया। देखते ही देखते वीडियो आग की तरह फैलने लगा, लोग लाखों की संख्या मे वीडियो को शेयर करने लगे। ट्विटर पर #justicefortapti तेजी से बढ़ने लगा।

इसके परिणाम स्वरुप लोग हज़ारों की संख्या मैं रास्ते पर उतर पड़े आज की युवा पीढ़ी हाथो मैं मोमबत्ती और बड़े बड़े कटआउट हाथ मैं लेकर नारे बाज़ी करने लगे। मगर कुछ दिन यह चला और फिर सब भूल गए। ताप्ती की आवाज़ प्रशासन तक नही पोहोच पाई।

आज शायद बाजार मैं प्रथा के नाम पर ताप्ती की बहन का सौदा हो रहा होगा और ना नजाने ऐसी कितनी ही ताप्ती को बेचा या ख़रीदा ज़ रहा होगा।

सामाप्त

यह बहोत ही नंदिनीय है की आज के आधुनिक वक़्त मे भी ऐसी धक्यानुसी प्रथा को मना जाता है और उसकी आड़ मे स्त्री जाती पर अत्याचार होता है।

इस कथा के माध्यम से लोगों को जागृत करने का मेरा यह एक छोटासा प्रयास है।

#stopviolenceagainst womens