कविता संग्रह... Harshad Molishree द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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कविता संग्रह...

ऐतराज़...

एक दौर है ये जहाँ तन्हां रात में वक़्त कट्टा नही...
वो भी एक दौर था जहाँ वक़्त की सुईयों को पकड़ू तो वक़्त ठहरता नही...
एक दौर है ये जहाँ नजर अंदाज शौक से कर दिए जाते है...
वो भी एक दौर था... जहाँ चुपके चुपके आँखों मैं मीचे जाते थे...
एक दौर है ये जहाँ आंसू बहते हुए आँखों में सुख जाते है....
वो भी एक दौर था... जहाँ हसी के कारण आंसुओं को थामना मुश्किल था....
एक दौर है ये जहां बातें किस्से कहें इसड बात पे गम करते है...
वो भी एक दौर था जहां बातें करते करते अधूरी न रह जाये इस बात का डर था....
एक दौर था वो एक दौर था... जहाँसिर्फ प्यार नही मगर झगड़े भी होते थे... जहाँ सिर्फ तकरार नही प्यार के मीठे लफ्ज़ भी बोते थे... जहाँ सिर्फ सिसकियाँ नही हसी के तहाँके भी होते थे....
ये दौर भी आज ये दौर है जहां सिसकियों मैं झीनी आँखें है... जहाँ लफ़्ज़ों में अब भी वक़्त की डोर है... जहाँ यादों में अब भी प्यार की मिठास है... जहाँ गम में भी उनके खुश होने का एहसास है... 
जहां सब खोने के बाद भी क्यों जिंदा है इस बात पे ऐतराज़ है....











ज़हर...
सुनी है सदा... आज भी खोया हुवा गम है...
ना तुम खोये ना हम खोये.....
वो भी एक पल था ये भी एक पल है...
रह जाती है धरि... आसुओं में आँखें नाम ये....
कभी तुम रोये कभी हम रोये...
वो भी एक पल था ये भी एक पल है...
अल्फ़ाज़ों में लिपटी शाम दामन में छुपी रात है...
कभी तुम जागे तो कभी हम जागे रात....
वो भी एक पल था ये भी एक पल है....
कहने को था बहोत कुछ... बोल न पाए ये बात और है...
वो भी एक पल था ये भी एक पल है...
लिपटती थी बाहों में अंगडायों की शाम थी...
प्यार के घेरे में बस तेरी मेरी बात थी...
ख़्वाइशों में सजी प्यार की सौगात थी...
आंसुओं में डूब गई ये बारिश... गमों की बात तो और थी...
वो भी एक पल था ये भी एक पल है...
ये पल अजीब है... 
वो पल खुशनसीब था... 
ये पल गमगीन है... 
वो पल हसीन था... 
ये पल वो पल सब लम्हो की दास्तान है... 
जिसमें जिये हम और तुम... 
ये यादें क्या जुदाई से नासाज है....
यही यादें जिंदगी का साज़ है... 
काल लाएगी हसी यह दोनों के चेहरे पे कभी... 
जब गम मैं होगी सदा खुशियों से होगा बेर याद आएंगे ये पल जो आज लगते है ज़हर...

























पल....
पल वो पल जो हर किसी के जिंदगी मैं आता है...
कुछ पल जो सुनहरी यादें बन जाती है, तो वही कुछ पल जिंदगी के अंधेरे साएँ मैं रह जाते है....
ये पल बहोत अजीज है, इस पल में जी रहे है हम.... हम खुशनसीब है
हर पल हमे कुछ सिखाता है...
कभी हराता है, कभी जिताता है....
कभी ये रुलाता है, कभी ये हँसाता है
ये पल वो पल है जो जिंदगी जीना सिखाता है....
हम जिन पलों मैं रहते है, हम जिन यादों में खोए रहते है.... 
हम जिन वक़्त को पीछे छोड़ देते हैं , हम जिस वक़्त के साथ चलते है... 
हम जहा हर लम्हा किसी सोच मैं जीते है,  हम जहा हर लम्हा खामोश रहते है.... 
हम जहा हर लम्हा मुस्कुराते है, हम जहा हर लम्हे मैं रो पड़ते है...
हम जहा हर पल कुछ पुरानी यादें भूल जाते हैं, हम जहा हर पल कोई खुशनुमा यादें बनाते है....
यही होते हैं वो पल.... जो पल हमे जीना सिखाते है
पल हर पल हर लम्हा कुछ खास होता है...
यही वो पल है जो जिंदगी जीने का अंदाज़ होता हैं......









देश...
जहाँ धूप है जहाँ छाव है
जहाँ भूक से आम आदमी बीमार है
जहाँ पैसे का सब खेल है, जहाँ आम आदमी को मुश्किल खरीदना भेल है....
जहाँ मेहंगाई इतनी है, जहा भूक से ज्यादा ऐश आराम की गर्मी है...
जहाँ बीमारी से लोग बेहाल हौ, जहाँ दुख से बुरा हाल है....
जहाँ दो टुकड़े जमीन पर पूरा परिवार सोता है....
जहाँ अपना घर लेना मुश्किल सा होता है...
जहाँ शिक्षा एक धंदा है, जहाँ हर कोई बस्स अपना अपना करता है... 
फिर भी ये देश है... किसी से कम न ज्यादा ऐसा इसका भेष है...
इस देश के लोग भले कैसे भी है, किसी भी हाल मैं है....
हर हाल मैं हर उम्मीद मैं सबके दिल मैं ये बस्ता है...
करो सलाम इस देश को जहाँ सबके दिल में तिरंगा बस्ता है














अनसुनी आवाज़...
कहीं से एक आवाज़ आई...
सब रास्ते अँधेरे मैं थे...
उजालों का दूर दूर तक न था कोई वास्ता...
रोशनी की एक चमक नजर आई...
बन्दे की जान जान मैं जान आई...
रोशनी को खोज वह जब दूर निकल आया...
दूर आके भी उस चमक को कोसो दूर पाया....
अँधेरा मिटने का नाम नही ले रहा था...
रौशनी न थंबने का...
बन्दे की जान अटकी है प्यास मैं...
रौशनी से न कोई वास्ता उसका... 
फिर भी उस्से पाने की आस है...
खोया जा रहा हर घड़ी उसकी ले मैं...
अँधेरे ने एक दिन पूछा...
क्यों चाहता है उस्स रौशनी को जो तुझसे दूर भागा करती है.....
एक चमक दिखा कर तुझे तनहा छोड़ जाया करती है...
मैं भले उन उनजलों से परे पर तेरे करीब हूँ मान ले मुझे बस्स अब मैं ही तेरा रक़ीब हूँ....
बन्दे ने आवाज़ लगायी....
ऐ अँधेरे ये पाने की चाहत नही गम का फ़साना नही....
न तुझसे नफ़रत है न तुझसे से कोई गिला....
मान लिया जो तुझे रक़ीब मिल न पाऊँगा उजालों को कभी....
अँधेरा बोला..??
मुझे ठुकराके जूठी चमक को न आजमा ये छोड़ जायेगी तब मेरे अलावा कोई और ना होगा.....
उस्स रेश्मी चमक ने ये सारे अलफ़ाज़ सुने...
क्यों नही मानता बात अँधेरे की ये सवाल किया...
बन्दे ने जवाब मैं अपने होठ हिलाये जबान लड़खडायि.... 
और बन्दे ने .....???
बन्दे ने कहा...
जमाने मैं आये तोह आँखें बंद करके आये थे...
ज़माने से जाते हुए भी आँखों मैं तुझ चमक को न भर पाऊँगा.... 
आँखें मीचे जहां मैं आया था ऑंखें बंद करके जाऊंगा....
वफ़ा है ये अँधेरा जो साथ था साथ लेकर जायेगा...
बेवफ़ा सही तू उजाले मेरी मौत का पैगाम लायेगा....
फिर भी तेरा साथ चाहूँगा....
काले से बेर नही मगर तुझ से प्यार माँगूँगा.... 
मौत भी आये और तू साथ छोड़ जाएँ...
लेकिन तुझ मैं अपनी याद चीड़ जाऊंगा....
सुन के ये अँधेरा मुस्कुराया....
सुन के ये ऊजाला आँसुओं से खुद मैं दुब गया....
बन्दे को उठाकर अपनी चमक की और ले आया...
फिर भी... 
फिर भी...
पल दो पल की खुशियाँ दे कर एक दिन अँधेरा आया...
दो हाथ फेलाकर साया माँगा....
बन्दे को अपनी और बुलाया....
हँसी ख़ुशी बन्दे ने आँखों ही आँखों मैं चमक को ऐसे देखा
मन ही मन मुस्कुया....
आँखें जो बंद हुई न कभी मुस्कान न कभी उस्स बन्दे की सुबह हुई...
खो गया अंधेरो मैं कही....
याद भी नहीं आज उजालों को कही......................................
........................................................................................... THE END....

‌हर्षद मोलिश्री....