गुलाबी... Harshad Molishree द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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गुलाबी...

गुलाबी

माँ भूक लगी है खाना किधर है अब तक नही बना क्या मुझे बहोत भूक लगी है। हां बेटा बस कुछ देर और बन ही गया है समजो।

नवीन एक साधारण सा लडका जो स्वभाव से बहोत शांत है। नवीन अपनी माँ के साथ मुम्बई मैं अकेला रेहता है। वह जॉब करता है और मुम्मी हॉउस वाइफ है। नवीन ने अपनी पढाई खत्म करते ही जॉब ढूंढ लिया। पिताह के मारने के बाद नविन अपना फ़र्ज़ बखूबी निभाता है।

माँ और कितीनी देर... हां होगया येलो, बेटा इतना बड़ा होगया है तू शादी के लायक फिर भी खाने के लिए आजभी बचो जैसा बर्ताव करता है। माँ तुम भी ना भूक लगने पर बड़ा या बूढ़ा हो या बच्चा हो सब एक जैसा बर्ताव ही करते है। खाना खाने के बाद नवीन और उसकी माँ सोगये, नवीन अपने बेडरूम मैं जाकर सोगया......

आज नवीन सुबह नविन जल्दी ऑफ़िस केलिए निकल गया माँ से मिले बिना ही नहीं उसने नास्ता किया नहीं टिफिन लिया... ऑफिस मैं नविन अपने केबिन मैं बेठा है। फोन रिंग कर रहा है, माँ फोन कर रही है लेकिन नविन फोन नही ले रहा है। वो कही अपनी ही दुनिया मैं खोया है।

उतने मैं केबिन का दरवाजा खुला धीरे से रमेश ऑफिस का पिउन सर आपका फोन रिंग कर रहा है, कबसे ..... हाँ थिक है ओक तुम जाओ.... नवीन ने बहोत ही सरलता से कहा।

नविन ने माँ को फोन लगाया और बात की, माँ बहोत नाराज़ थी नविन से लेकिन ज्यादा देर माँ कभी नविन से नाराज़ नही रहती, माँ से बात कर थोडा अच्छा मेहसूस हुआ, शाम को घर आते ही आज नवीन बेडरूम मैं जाके सोगया ...... बेटा क्या हुआ... कुछ नही माँ सरदर्द है आज थोडा आज खाना नही है मुझे बस अब सो रहा हूँ मुझे आवाज मत देना, माँ ने कहा ठीक है बेटा आराम कर... नवीन सोगया........ रात को करीब 4 बजे नवीन की आँखे खुली वह उठकर कमरे के बहार आया, मुह धोकर आईने मैं अपने आप को देख रहा था। कही से हलकी हलकी मायूसी भरी आवाजे उसे सुनाय देने लगी.....

नवीन ऊँन आवाजो को मेहसूस करने लगा... ऊँन आवाजो को मेहसूस करते हुऐ वह घर से बहार आया। उसे कुछ समझ नही आ रहा था, क्या होरहा है.... बस शांत चलता जा रहा था.... चलते चलते एक रास्ते पर आकर रुका, ये रास्ता समंदर की और जाता है। नवीन को वो आवाजे आनी बंद होगई, वह एक दम से सोचने लगा की मैं यहाँ कैसे आया मैं तोह घर पर था।

नवीन ने सोचा चलो कोई नही इस्सी बहाने जोगिंग भी होगई और अब समंदर किनारे आहि गया हूँ तो चलो बीच पर थोड़ा टेहल लिया जाय जैसे ही नवीन बीच की तरफ चलने लगा, आवाजे उसे फिर सुनाय देने लगी.... कुछ बहोत ही सेहमी सी आवाज जिनके पीछे वह खीचा जा रहा था। उन आवाजो का पिछा करते हुवे नवीन एक कट्टे पर आ पोहचा वहा आकर बेथ गया.... कट्टा समंदर से लग कर था बिल्कुल करीब, आवाजो पर गौर करते हुए अचानक नवीन ने देखा की कही से एक रेश्मी गुलाबी रंग का कपड़ा समंदर किनारे उड़ कर आरहा है। जैसे नवीन उस कपडे को देखने उठा अचानक उसका पाऊँ फिसला और वह समंदर मैं गिर गया, माँ..... और नवीन की आँखे गयीं, उठ कर देखा तोह नवीन अपने कमरे मैं था। नवीन पसीने से लतपत हो चूका था, कैसा सपना था यह नवीन बहोत डर चूका था।उसने कहा की नसीब भगवान का शुक् है की यह सपना ही था।

नवीन उठकर बाथरूम मैं चला गया.... फ्रेश होने के बाद नवीन अपनी माँ को पुकार ने लगा, माँ माँ माँ अरे माँ कहा हो.... माँ नाश्ता दो, ऑफिस जाना है टिफिन रेडी किया या नही माँ.... केहते हुए नवीन कमरे से बहार आया और किचन मैं झांकर देखा माँ यहाँ नही है, अरे शायद माँ बेडरूम मैं होगी।

नवीन आवाज देते हुए नवीन माँ के कमरे मैं जा पोहचा देखा तोह माँ यहाँ भी नही है। नवीन सोचने लगा माँ कहा गयी माँ कभू बिना बताये नही जाती आज सुबह सुबह माँ कहा चली गयी..... तभी घड़ी की घंटी बजी तन-तन... घडी मैं 9 बज रहे थे। अरे यार ऑफिस जाने के लीये लेट होजाऊंगा... नवीन ऑफिस के लिए निकल गया। ऑफिस को जाते हुए नवीन ने समंदर के रास्ते पर देखा वहा बहोत भीड़ जमी थी। वहा पुलिस वैन और एम्बुलेंस कड़ी है, लेकिन समंदर को देखकर नवीन को रात वाला सपना याद आने लगा... नवीन घबरा गया, और कहने लगा की बेहतर है की मैं कुछ दिन समंदर से दूर ही रहू। रोज की तरह नवीन ओफ़ीस पोहचा वहा आकर देखा तो आज ओफ़ीस बंद हैं, वॉचमैन से पूछा तो उसने कोई जवाब नही दिया....

नवीन ग़ुस्से से अपने जेब मै मोबाइल ढूंढने लगा, तब उसका ध्यान गया की वह मोबाइल अपने साथ लाया ही नहीं... शायद घर पर ही रह गया जल्दी जल्दी मैं। यार आज के दिन की शुर्वात ही बहोत खराब हुई है, पहले वो डरावना सपना, और अब मोबाइल भू भूल गया मैं.... अब क्या करू, उदास होकर नवीन घर के लिए निकल पड़ा आते वक़्त उसने समंदर के पास देखा की बहोत भीड़ जमी है। वहा रुकते ही नविन को कही से अजीब सी मायूसी भरी आवाजे सुनाय पडने लगी, कही से बहोत दर्दनाक रोने की आवाज़ आने लगी जैसे कोई रोते हुए उस्से पुकार रहा हो.... नवीन नवीन नवीन .... नवीन घबराते हुए वहा से दौड़ पड़ा और दौड़ते हुड घर पोहचा, वो बहोत दर गया था उसे कुछ समझ नही आरहा था की यह आख़िर हो क्या रहा है।

नवीन दौड़ते हुए घर पोहचा और अपने को अपने कमरे मैं बंद कर लिया... कुछ देर बाद जब नवीन होश मैं आया, शांत हाते ही वह अपनी माँ को ढूंडने लगा... माँ माँ चिलाते हुए पूरे घर मैं ढूंडने लगा मगर माँ कही नही थी। अपने आप से कहने लगा की माँ अब तक नही लोटी, चलो तब तक मोबाइल ढूंडने लगा मगर मोबाइल कही नही मिला...

माँ की राह देखते हुए रात होगई मगर माँ अब तक नह लोटी... वो सोच मैं पड गया बहार निकल के अजु बाजु वालो से पूछने लगा मेरी माँ कहा गयी है आप को कुछ बता के गयी है क्या सुबह से रात होगई मगर अब तक नही लौटी मगर नवीन को कोई कुछ बता नही रहा था, सब शांत थे सब खामोश थे। सबकी खामोशी देख नवीन चिल्ला उठा क्या हो रहा है ये आज का दिन ही पनोती है, पहले तो ओफ़ीस, मोबाइल भी पता नही कहा खोगया, माँ काभी कुछ पता नही सुबह से कहा गयी है.....

नवीन ऐसा सोच ही रहा था की फिरसे उसे वह अजीब डरावनी आवाजे सुनाय देने लगी वह फिर घबरागया आख़िर ये क्या हो रहा है ये आवाजे मुझ से चाहती क्या है आखिर ये आवाजे क्यों सुनाय दे रही है यह किसकी रोने की आवाज है... नवीन दर के मारे दौड़ के अपने कमरे मैं आगया अपने कानो पर हाथ रख कर एक कोने मैं बेथ गया। बैठे बैठे नवीन वही पर सोगया.....

रात के करीब 4 बजे नविन की आँखें खुली, आँखें खुलते ही वह अपनी माँ के बारे मैं सोचने लगा माँ लोटी या नही कहा है माँ... कमरे के बहार आकर देखा तोह कोई नही था। सुबह के 4 बजे है नवीन घर से बहार निकला घर से निकलते ही उसे वह दरावन्नि आवाजे फिर से सुनाय देने लगी वही अजीब सी रोने की आवाजे वही मायूसी भरा माहोल फिर से छागया... नवीन के कानो मैं ये: आवाजे गुजने लगी मगर इस बार नवीन उन् आवाजो से भागा नही उसे मेहसूस हुवा जैसे कोई उसे पुकार रहा हो... एक अजीब सी रोने की आवाज़ उसके कानो मैं गूंज रही थी।

नवीन उन आवाजो का पिछा करते हुए समंदर के पास आ पोहचा.... यहाँ आकर उसने देखा की समंदर किनारे एक कट्टे पर एक नौजवान बेठा है, नवीन उस लड़के को देखते हुए आगे बड ही रहा था की उसकी नजर किनारे की और पड़ी जहा से एक रेशमी गुलाबी रंग का एक कपड़ा हवा मैं उड़ते हुए उस नौजवान लड़के की और आरहा था... नवीन सोच मैं पड गया... यह दृश्य तोह बिलकुल मेरे सपने की तरह है। ऐसा सोचते हुए नवीन आगे बाद ही रहा था तब उसने नजर ऊपर की और देखा की वह नोजवान लड़का उस कपडे को पकड़ने के लिए शयद उठा.. वह उठ कर खड़ा हुआ ही की तभी अचानक उसका पैर फिसला और वह समुंदर मैं गिर गया... नवीन यह देखकर घबरा गया बहोत दर गया यह दृश्य देखते ही वह दौड़ते हुए उस कट्टे पर आ पोहचा और पानी मैं छलांग लागई नवीन समुंदर के

गेहराई से उस नौजवान लड़के को बहार किनारे पर ले आया.....

किनारे पर पोछते ही वह बेहोस होगया... उसने देखा की वह गुलाबी रंग का कपडा उड़ता हुआ उसकी और आ रहा है उस गुलाबी कपडे ने नवीन को अपने आप मैं समेत लिया और चौक कर उसने अपनी आँखें खोली... ऑखे खुलते ही उसने देखा की बहोत भीड़ जमा थी कहीं से

रोने की आवाज़ सुनाय दे राही थी... धुंदला सा सब दिख रहा था, वह उठ खड़ा हुआ और जब मुडकर देखा तोह उसकी माँ वही उसके सामने खडि थी माँ फ़ूट फ़ूट कर रो रही थी। नवीन भाग कर माँ के पास आया.. और माँ से रोते हुए पूछने लगा माँ क्या हुआ तुम रोह क्यों राही हो और ये क्या माँ तुम यहाँ क्या कर रही हो कल सुबह से मैं कितना परेशान हूँ माँ.... माँ सुनो माँ माँ क्या हुआ माँ कुछ तो बोलो माँ.... माँ माँ चिलाते हुए नवीन ने मुडकर देखा तो एक जगह स्ट्रेचर पर एक लाश पडी हुई थी.... जो एक रेशमी गुलाबी कपडे मैं ढकी पड़ी थी।

नवीन उस लाश को देख कफि घबरा गया, वह बहोत दर गया... आखिर ये लाश किसकी है ये सोचते हुए उसके माथे से पसीना बहने लगा... दर के मरे वह काप रहा था तभी आसमान मैं काले बादल छा गए चारो तरफ उदासी सी छागई... बून्द बून्द कर तेज़ी से बारिश गिरने लगी तेज़ हवाएं चलने लगी तभी एक तेज़ हवा का झोका आया और लाश पे ढके उस गुलाबी कपडे को उदा ले गया... जैसे ही कपडा हवा मैं उडा और उसकी नजर उस लाश पर पड़ी... जैसे ही नवीन ने लाश को देखा तो देखता ही रह गया... वो उस लाश को देख हक्का बक्का रेह गया.... नवीन ने स्ट्रेचर पर अपने आप देखा वो लाश... वो लाश नवीन की ही थी। यह कैसे हो सकता है मैं तो यहाँ हूँ ये नही हो सकता मैं कैसे मैं तो यहाँ हूँ ये... ये क्या हो रहा है आख़िर.... तभी नवीन ने देखा की माँ... रो रही है नवीन बेटा नवीन ये क्या होगया तू ऐसे क्यों मुझे छोड़कर चला गया... नवीन, नवीन अपनी माँ के पास आया और कहने लगा की माँ माँ मैं यहाँ हूँ उस्स लाश को मैं ही किनारे लेकर आया हूँ माँ मैं जिन्दा हुं माँ मेरी बात तोह सुनो माँ उस लाश को तो मैं किनारे लाया हूँ माँ... तभी नवीन वही खड़ा होगया चारो जगह एकांत छागया वो सोचने लगा तभी उसे वो सपना याद आया जब वह सपने मैं यहाँ पहली बार आया था दरसल वह सपना नही था... नवीन जब तेहलने के लिये समंदर किनारे आया और जब कट्टे पर आकर बेठा तभी उसे वह गुलाबी रेशमी कपडा उड़ता हुआ नजर आया हवा मैं उस कपडे को पाने की चाह मैं जैसे ही वह उठा उसका पैर फ्हिस्ला और वो समंदर मैं गिर गया और दुब कर उसकी मौत होगई... लेकिन नवीन की आत्मा ये मानने को तैयार नही थी नवीन इसे एक सपना समझ ने लगा और उसकी आत्मा वही रोज मरहा की जिन्दगि जीने लगी... नवीन को जिन लोगो ने पानी मैं गिरते हुए देखा उन लोगों ने पुलिस को खबर की और पुलिस ने नवीन की माँ को... नवीन को पानी मैं गिरते हुए उन्हहीके किसी जान पेहचान वाले ने देखा था जिसे ये साबित हो चूका था की नवीन ही वह नौजवान है जो समन्दर मैं गिर गया है... पूरा दिन और रात खोजने के बावजूद नवीन की लाश मिल नहीं रही थी।

समुंदर के गहरे पानी मैं कही खोचुकी थी। पुलिस ने तो उम्मीद छोड़ दी.. उन्हे लगा की पानी के तेज़्ज़ बहाव मैं आकर लाश बेहगयी... नवीन तो मर गया लेकिन उसकी आत्मा घर वापस आयी.... जो ये समझ रही थी की उससे कुछ हुआ ही नही है। पूरा दिन नवीन न तो किसीको दिख रहा था नही कोई उसे सुन पा रहा था। नवीन की ऐसे अकस्मात् मृत्यु के कारन ओफ़ीस मैं भी छुट्टी दे दी गयी थी नवीन की माँ तो यह खबर सुनके पागल ही होगई थी और ऊपर से न तो लाश कुछ पता था। पूरा दिन और रात यूँही गुजर गयी लेकिन नवीन की माँ वहा से हिलने का नाम नह ले रही थी। अपने बच्चे को एक आख़री बार देखने की आस मैं नविन की माँ हादसे के बादस्से ही वही बैठकर बास रोये जा रही थी। तभी उस्स सुबह नवीन ने वहा जो पहले ही उसके साथ हो चूका था वह दृस्य फिर एक बार देखा अपने आप को ही पानी मैं गिरता हुआ देखा और कोई नौजवान है यह समझ के नवीन अपनी ही लाश को समुंदर की गहराई से बचा कर किनारे पर ले आया। ये बात वह खुद समझ नही पा रहा था पुलिस भी हैरान थी की जो लाश वह लोग दिन रात से ढूंढ रहे थे वह अचानक ही बहाव के साथ किनारे पर कैसे आगई, जैसे ही नवीन अपनी ही लाश को किनारे ले आया उसी गुलाबी रेशमी कपडे से उसकी लाश को पुलिस ने धक दिया जो उस्स कट्टे

पर अटका हुआ था। पानी मैं दुंबने के कारन लाश काफी फूल चुकी थी चेहरा भी देखने लायक न रहा था... ईसी कारन पुलिस ने सबसे पहले लाश को ढक को उस गुलाबी कपडे से ढक दिया... था।

नवीन होश मैं आया उसकी आत्मा को सब पता चल गया... वह जोर जोर से चिलाने लगा रोने लगा... तभी लाश की तरफ देखा कही से अचानक एक चमकदार रौशनी नजर आई और नवीन ने अपनी आँखें बंद करली....

कुछ देर वही शांत खड़ा रहा अपने और अपनी माँ के बारे मैं सोचने लगा.. कुछ देर रुक कर नवीन की आत्मा ने अपनी आँखें खोली और अपनी माँ की और देखने लगा...माँ को देखते हुए वह जाकर स्ट्रेचर पर लेट गया।

नवीन की आत्मा उस चमकदार रोशनी के साथ अपने शरीर मैं प्रवेश कर गई....और हवा से जो कपडा उड़ गया था उस गुलाबी कपडे को लाकर पुलिस ने लाकर फिर लाश पर ढक दिया।

***