तेरी मेरी यारी - 12 (अंतिम भाग) Ashish Kumar Trivedi द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरी मेरी यारी - 12 (अंतिम भाग)


       (12)




मकान पर पहुँच कर संजय ने दरवाज़ा खटखटाया। रॉकी ने पूरी तसल्ली कर दरवाज़ा खोल दिया। संजय के साथ पूरी फुर्ती से इंस्पेक्टर आकाश सब इंस्पेक्टर राशिद और कबीर भी भीतर घुस गए। प्लान के मुताबिक सब इंस्पेक्टर राशिद कबीर और संजय के साथ करन को छुड़ाने के लिए ऊपर कोठरी की तरफ भागे। इंस्पेक्टर आकाश ने नवीन और रॉकी को अपनी रिवॉल्वर के निशाने पर ले लिया।


कबीर तेज़ी से सीढ़ियां चढ़ते हुए सबसे पहले कोठरी में पहुँचा। करन फर्श पर बैठा था। उसके हाथ पांव और मुंह बंधे हुए थे। वह बहुत ही कमज़ोर हो गया था। अपने दोस्त की यह हालत देख कबीर की आँखें भर आईं। 


अचानक कबीर को सामने देख कर करन भी हक्का बक्का रह गया। तभी सब इंस्पेक्टर राशिद ने आगे बढ़ कर उसके बंधन खोल दिए। करन उनके कंधे का सहारा लेकर उठ खड़ा हुआ। कबीर भाग कर उससे लिपट गया। कुछ देर तक दोनों दोस्त आंसू बहाते रहे। सब इंस्पेक्टर राशिद ने उन्हें फौरन नीचे चलने को कहा।


जब वह लोग नीचे आए तो बाज़ी ही पलट चुकी थी। इंस्पेक्टर आकाश को दिनेश ने उनकी ही रिवॉल्वर के निशाने पर ले रखा था।


संजय को इस बात की जानकारी नहीं थी कि दिनेश आज दोपहर में ही आ गया था। इंस्पेक्टर आकाश ने जब नवीन और रॉकी को अपने निशाने पर लिया तो वह रसोई में पानी पी रहा था। मौके की गंभीरता को समझते हुए उसने फौरन पानी का गिलास खींच कर इंस्पेक्टर आकाश के हाथ पर मारा। रिवॉल्वर छिटक कर गिर गया। दिनेश ने लपक कर उसे उठा लिया।


संजय को देख कर दिनेश बोला,


"धोखेबाज़ तू पुलिस को लेकर आ गया। अब देख इनके साथ साथ तेरा क्या अंजाम होता है।"


संजय चुपचाप नज़रें झुकाए खड़ा रहा। 


सब इंस्पेक्टर राशिद को देखकर दिनेश ने कड़क कर कहा,


"अगर इंस्पेक्टर साहब की खैर चाहते हो तो सब वापस कोठरी में चलो।"


संजय सब इंस्पेक्टर राशिद करन और कबीर ऊपर की तरफ बढ़ने लगे। पीछे पीछे नवीन रॉकी और इंस्पेक्टर आकाश को कब्ज़े में लिए दिनेश चल रहा था। कबीर का दिमाग तेज़ी से दौड़ने लगा। अगर इस बार इन लोगों की जीत हो गई तो करन को बचाना मुश्किल होगा। कोठरी में पहँचते ही दिनेश ने रॉकी और नवीन को आदेश दिया कि वो सबको बांध दें। वो दोनों उसके आदेश का पालन करने लगे।


सबसे पहले वो लोग सब इंस्पेक्टर राशिद की तरफ बढ़े। तभी कबीर को कुछ दिखाई दिया। उसने इस्पेक्टर आकाश को इशारा किया।


काँच की एक खाली बोतल गोली की गति से उड़ती हुई आई और दिऩेश के हाथ में लगी। पहले से तैयार इंस्पेक्टर आकाश ने खुद को उसकी गिरफ्त से छुड़ाया और रिवॉल्वर उठा कर दिनेश के सर पर लगा दी। बिना एक पल गंवाए सब इंस्पेक्टर राशिद ने रॉकी को कस कर पकड़ लिया। कबीर ने एक ज़ोरदार लात नवीन के चेहरे पर जड़ दी। उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा गया। 


इंस्पेक्टर आकाश ने अपना मोबाइल निकाल कर फौरन पास के पुलिस स्टेशन से मदद मंगा ली। अब तक करन में भी स्फूर्ति आ गई थी। कबीर के साथ मिलकर उसने नवीन को बांध दिया। संजय और सब इंस्पेक्टर राशिद ने रॉकी को संभाल लिया।


कुछ ही देर में पुलिस की टीम वहाँ पहुँच गई। दिनेश नवीन और रॉकी के साथ संजय को भी हिरासत में ले लिया गया। 



लाल परिवार को जब करन को छुड़ाए जाने की सूचना मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सब भाग कर पुलिस स्टेशन पहुँचे। मिसेज़ लाल ने दौड़ कर करन को सीने से लगा लिया। सोनम भी भाई के लौट आने से फूली नहीं समा रही थी।


सारी कहानी पता चलने पर मि. लाल ने पुलिस का धन्यवाद किया। उन्होंने कबीर को गले लगाते हुए कहा कि आज से वह उनके लिए करन का भाई है।


खबर पाते ही मीडिया वाले भी आ गए। इंस्पेक्टर आकाश ने आज पूरे आत्मविश्वास से उनके सभी सवालों का जवाब दिया। मीडिया में इंस्पेक्टर आकाश व उनके सहयोगी सब इंस्पेक्टर राशिद की खूब तारीफ हो रही थी। लेकिन सबसे बड़ा हीरो बन कर कबीर उभरा था। जिसने अपने दोस्त को बचाने के लिए अपनी जान तक दांव पर लगा दी।


कबीर के मम्मी पापा को जब अपने बेटे की बहादुरी का पता चला तो वो बहुत खुश हुए। उन्होंने कबीर को शाबासी दी।


कोर्ट ने दिनेश नवीन और रॉकी को कड़ी सज़ा सुनाई। संजय सरकारी गवाह बन गया था और उसने पुलिस की मदद भी की थी इसलिए कोर्ट ने उसके साथ नरमी बरती। 


एक सवाल जो अनसुलझा था कि मीडिया को किडनैपिंग की खबर किसने दी वह भी सुलझ गया। दरअसल किडनैप होने के बाद करन जब कई दिनों तक स्कूल नहीं गया तो स्कूल की तरफ से उसके घर नोटिस भेजा गया। मि.लाल ने प्रिंसिपल सर से मिल कर सारी बात बता कर विनती की कि किसी को किडनैपिंग के बारे में ना बताएं। सबसे कह दें कि करन बीमारी के कारण स्कूल नहीं आ पा रहा है। उन लोगों की बात स्कूल के चपरासी ने सुन ली। उसने यह बात करन की क्लास के एक छात्र को बता दी। उस छात्र ने यह सूचना न्यूज़ चैनल में काम करने वाले अपने अंकल को दे दी। इस तरह बात फैल गई।


करन को उस हादसे के सदमे से उबरने में कई महीने लगे। इस काम में कबीर ने उसकी बहुत मदद की। वह हर समय उसे खुश रखने की कोशिश करता रहता था। उसका यह प्रयास रंग लाया। करन के दिल से उस हादसे के निशान बहुत हद तक मिट गए। करन और कबीर का रिश्ता पहले से और अधिक मज़बूत हो गया। 


समय बीतने के साथ दोनों उस हादसे को भुला कर अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ गए। करन एक ऐड ऐजेंसी का मालिक बन गया। कबीर ने फाइन आर्ट्स करने के बाद अपने आप को एक पेंटर के तौर पर स्थापित कर लिया। उसकी पेंटिंग्स की पिछली प्रदर्शनी बहुत सफल रही। सबने उसके काम की तारीफ की। 


एक वर्ष पहले करन ने शादी कर ली। कबीर उसकी शादी पर खूब नाचा। कबीर ने भी अपने लिए लड़की चुन ली थी। जल्द ही वह उससे शादी करने वाला था। 


पिछले पंद्रह सालों में बहुत कुछ बदल गया था। पर एक चीज़ जो नहीं बदली वह थी कबीर और करन की दोस्ती।


आज भी दोनों यह गाना गाते हैं.......


'यारों दोस्ती बड़ी ही हसीन है....


ये ना हो तो क्या फिर बोलो ये ज़िंदगी है.....'