तेरी मेरी यारी - 7 Ashish Kumar Trivedi द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरी मेरी यारी - 7


         (7)




अगले ही दिन सब इंस्पेक्टर राशिद एक हवलदार के साथ माधोपुर के लिए निकल गए।


वहाँ पूछताछ करने पर उनका अंदाज़ ही सही निकला। मि.लाल अपनी एक ज़मीन का सौदा करने के लिए ही माधोपुर गए थे। किंतु इस जानकारी के अतिरिक्त सब इंस्पेक्टर राशिद को कोई और खास जानकारी नहीं मिली। सब इंस्पेक्टर राशिद हवलदार के साथ लौट आया। उसने जो भी ‌जानकारी‌ मिली थी इंस्पेक्टर आकाश को दे दी।


पुलिस इस बात पर नज़र बनाए हुए थी कि किडनैपर और मि.लाल के बीच कोई भी बात हो तो उसे सुन सके। शाम तकरीबन चार बजे इंस्पेक्टर आकाश को सूचना मिली की किडनैपर के नंबर से मि.लाल को फोन किया गया है। उन्होंने दोनों के बीच हुई बातचीत को सुना। किडनैपर मि.लाल से फिरौती की रकम का प्रबंध हुआ या नहीं यह पूछ रहा था। मि.लाल ने उससे कहा कि परसों शाम तक वह रकम जुटा लेंगे। उन्होंने किडनैपर से विनती की कि एक बार वह उसकी बात करन से करवा दे। पहले तो किडनैपर ने कहा कि वह जल्दी फिरौती देकर उसे छुड़ा लें। फिर जितनी चाहें बात करें। अगर और देर हुई या पुलिस के पास गए तो फिर दोबारा कभी अपने बेटे से बात नहीं कर पाओगे। मि.लाल ने कहा कि वह रकम का बंदोबस्त करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन एक बार वह बेटे से बात करना चाहते हैं। उनके बार बार कहने पर किडनैपर मान गया। 


करन ने मि.लाल से जो कुछ कहा वह सुनने में बहुत अजीब था। इंस्पेक्टर आकाश समझ नहीं पा रहे थे कि वह कहना क्या चाहता था। बजाय अपने पिता को अपने हालचाल बताता उसने उन्हें एक अजीब सी तुकबंदी सुना दी। लेकिन उस समय इंस्पेक्टर आकाश ने इस विषय में अधिक ना सोच कर किडनैपर की लोकेशन पता करने का आदेश दिया। फोन लोकेशन के हिसाब से किडनैपर शहर के बाहर लगभग बीस किलोमीटर दूर था। बिना समय खोए इंस्पेक्टर आकाश अपने साथियों के साथ उस इलाके की तरफ चल दिए। 


वहाँ पहुँच कर इंस्पेक्टर आकाश और उनके साथी पूरे इलाके में फैल गए। वहाँ किसी बिल्डर का रेज़िडेंशियल कॉमप्लैक्स निर्माणाधीन था। साइट पर तेज़ी से काम चल रहा था। वहाँ ऐसा कोई स्थान नहीं था जहाँ किसी को किडनैप कर रखा जा सकता हो। उस निर्माणाधीन रेज़िडेंशियल कॉमप्लैक्स के अलावा आसपास केवल मैदान था। वहाँ कोई भी सुराग ना मिलने पर इंस्पेक्टर आकाश अपने साथियों के साथ वापस आ गए।


इंस्पेक्टर आकाश पुलिस स्टेशन में बैठ कर करन के किडनैपिंग केस के बारे में सोच रहे थे। अब तक इस केस में कोई सफलता नहीं मिली थी। वह यह सोच कर गंभीर थे कि जितना समय बीतता जाएगा केस सॉल्व करना उतना ही कठिन हो जाएगा। यदि इस बीच मि.लाल ने फिरौती देकर करन को छुड़ा लिया तो पुलिस की बहुत बदनामी होगी। 


सब इंस्पेक्टर राशिद उन्हें इस तरह गंभीर देख कर उनके पास आकर बोले,


"सर आप करन के किडनैपिंग केस के बारे में सोच रहे हैं।"


इंस्पेक्टर आकाश ने कहा,


"हाँ....अब तक हम इस केस में कोई खास सफलता नहीं जुटा पाए। दिन पर दिन बीत रहे हैं। वो तो शुक्र मनाओ कि अब तक मीडिया को इस केस की भनक नहीं लगी। नहीं तो और मुसीबत हो जाती।"


"हाँ सर....लेकिन मुझे लगता है कि हमें इतना निराश नहीं होना चाहिए। हम किडनैपर और मि.लाल की बात सुनने में सफल हुए। ईंशा अल्लाह हम केस भी सॉल्व कर लेंगे।"


इंस्पेक्टर आकाश बहुत निराश थे। पर सब इंस्पेक्टर राशिद की बात सुन कर उन्हें कुछ तसल्ली मिली। उन्होंने कहा,


"तुम ठीक कह रहे हो राशिद...हम मिल कर इस केस को सॉल्व कर लेंगे।"


सब इंस्पेक्टर राशिद की बात से उत्साहित हो कर इंस्पेक्टर आकाश करन की तुकबंदी के बारे में सोचने लगे। वह एक एक कर करन के शब्दों पर विचार कर रहे थे।


वह शांत दिमाग से उन शब्दों पर विचार कर रहे थे। उन्होंने महसूस किया कि करन ने जो कुछ कहा वह कोई बेकार की तुकबंदी नहीं थी। वह उन शब्दों के ज़रिए अपने पिता को कोई सुराग देना चाह रहा था। 


इंस्पेक्टर आकाश समझ गए कि करन की इस पहेली को सुलझा कर इस केस को सुलझाया जा सकता है। 



मिसेज़ लाल करन की फोटो सीने से लगाए रो रही थीं। सोनम भी उनके साथ बैठी थी। मि. लाल उन्हें तसल्ली दे रहे थे।


"मैं पूरी कोशिश कर रहा हूँ। अब अचानक किडनैपर ने पच्चीस लाख और मांग लिए। पैसे जुटाने में समय लग रहा है। लेकिन जल्दी ही हमारा बेटा हमारे साथ होगा। धैर्य रखो।"


"कैसे धैर्य रखूं....आपने ही तो बताया कि आज आपसे बात करते समय परेशानी में अजीब सी बात कर रहा था। परेशान तो हो ही जाएगा दस दिन से ज्यादा हो गए उसे उन बदमाशों की कैद में। ना जाने कब वह वापस आएगा।" 


सोनम ने भी रोते हुए कहा,


"पापा मुझे भइया की बहुत याद आती है। प्लीज़ पापा आप जल्दी ही करन भइया को उन बदमाशों की कैद से छुड़ा लाइए।"


मि. लाल ने उसे अपने पास बुला कर उसे प्यार से समझाया,


"बेटा पापा भइया को छुड़ाने की जी जान से कोशिश कर रहे हैं। पर हमें थोड़ी सावधानी रखनी पड़ेगी। ज़रा भी चूक होने पर वो बदमाश भइया को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसलिए शांत रहो और मम्मी को भी समझाओ। अभी किसी को कुछ बताने की ज़रूरत नहीं है।"


तभी पवन ने दरवाज़े पर दस्तक देकर कबीर के आने की सूचना दी। मि. लाल बाहर आए तो कबीर ड्रॉइंगरूम में बैठा था। उन्हें देखते ही बोला,


"नमस्ते अंकल....मैं जानता हूँ कि आपको मेरा यहाँ आना पसंद नहीं है। लेकिन करन के बारे में जानने के लिए मेरा मन परेशान रहता है।"


मि. लाल कुछ देर गंभीरता से सोचते रहे। फिर कबीर की तरफ देख कर बोले,


"बेटा ऐसा नहीं है कि मैं तुमसे नाराज़ हूँ या तुम्हें पसंद नहीं करता। मैं समझता हूँ कि करन का सच्चा दोस्त होने के नाते तुम उसे लेकर बहुत परेशान हो। पर इस समय मैं किसी को कुछ नहीं बता सकता हूँ।"


"पर अंकल यह तो बता दीजिए कि आपकी करन से कोई बात हुई कि नहीं।"


"अभी कुछ नहीं बता सकता हूँ। बस यह जान लो कि करन जल्दी ही घर लौट आएगा।"


कबीर ने और अधिक पूछताछ कर उन्हें परेशान करना ठीक नहीं समझा। वह चुपचाप अपने घर चला गया। मि. लाल का कहना कि करन जल्दी लौट आएगा उसे तसल्ली दे रहा था कि अब कुछ अच्छा होने वाला है। उसने सोचा कि एकबार इंस्पेक्टर आकाश से भी केस में हुई प्रोग्रेस के बारे में जानकारी लेगा।