बैरी पिया.... - 61 Wishing द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बैरी पिया.... - 61


अब तक :


संयम ने शिविका की ओर देखा और बोला " तुम लोग खा लो... । मैं और मोना बाहर खा लेंगे... " । बोलकर संयम ने शिविका का हाथ अपने बाजू से हटा दिया ।



शिविका स्तबद खड़ी उन दोनों को जाते हुए देखती रही । उसकी आंखें भर आई ।



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अब आगे :


शिविका नम आंखों से उसे जाते हुए देखती रही । मनीषा उसके पास आई और बोली " क्या हुआ शिविका.. तुमने उसे रोका क्यों नही... ?? अरे पति है तुम्हारा... । कुछ तो कहती.... " ।


शिविका कुछ नही बोली और अपने कमरे की ओर चल दी ।


विक्रम ने उसकी ओर देखा तो उससे भी खाना नही खाया गया । वो कुर्सी से उठा और बाहर निकल गया । वाणी जी ने देखा तो खाने को प्रणाम करके वो भी उठ गई ।


शिविका कमरे की बालकनी में आकर खड़ी हो गई । उसकी सांसें गहरी चल रही थी ।


" ऐसा क्यों किया संयम.... । कल आपने प्यार से दिलजानी कहा.... मैने आपको अपना पास्ट बताया और आज आप मोनिका के साथ बाहर खाने चले गए । ऐसा क्या बदल गया एक रात में... ?? " बोलते हुए उसकी आंखें बरस पड़ी ।


शिविका कमरे से बाहर निकली और गाड़ी में बैठकर हॉस्पिटल की ओर निकल गई ।


हॉस्पिटल पहुंचकर शिविका नरेन के वार्ड में चली गई । उसने कांपते हाथों से नरेन का हाथ पकड़ा और बोली " सब धोखा है ना नरेन... । क्या आप कभी ऐसा करते... ?? "। ।


नरेन की आंखें बिल्कुल सीधी थी उनमें कोई मूवमेंट नही थी... । शिविका ने उसके हाथ को माथे से लगाया और फिर चूम लिया । उसके आसूं नरेन के हाथ पर गिरने लगे ।


" क्यों जो हम सोचते हैं वो नहीं होता है... । क्या से क्या बन गए हैं.. ?? । आप एक जिंदा लाश.. और मैं प्यार की भूखी... । जो हर किसी की आंखों में प्यार देखने की कोशिश करती है... " ।


बोलकर शिविका सिसकने लगी । डॉक्टर बाहर से अंदर आए और शिविका को देखा तो बोले " काश तुम्हारा आना कोई सुधार ला पाता.. लेकिन ये वाकई में जिंदा लाश ही है... शिविका.... । डॉक्टरी इलाज से तो हर कोशिश कर ली.. । कोई चांस नहीं है... । दर्द महसूस कर सकता है.. । सुन सकता है.. लेकिन उसके अलावा और कुछ नही कर सकता.. । कोई उम्मीद नही है... । सिर्फ दर्द बाकी है.. " ।


शिविका " क्या कोई सोल्यूशन नही है डॉक्टर.... ?? " ।


डॉक्टर " अगर तुम चाहो तो मैं इसे डेथ इंजेक्शन दे सकता हूं... । कुछ ही पलों में इसकी डेथ हो जायेगी.... । थोड़ा ही दर्द होगा... "।


शिविका " नही... । डेथ इंजेक्शन नही देना... । नरेन जा नही सकते... । मुझे इन्हें इंजेक्शन नही देना... " ।


डॉक्टर " देखिए इमोशनली देखें तो आप ऐसा नही चाहेगी.. लेकिन प्रैक्टिकली... " ।


शिविका " नही डॉक्टर... " बोलकर शिविका वहां से बाहर निकल गई । बाहर आकर वो दीवार से टिककर गहरी सांसें लेने लगी । मानो सीने पर पत्थर रखा हुआ हो ऐसी घुटन उसे महसूस हो रही थी ।


शिविका जल्दी से हॉस्पिटल से बाहर निकल गई ।
शिविका मुंबई की सड़कों पर देर तक घूमती रही । रात में जब शिविका बांग्ला पहुंची तो देखा कि विक्रम बाहर बैठा हुआ था ।


शिविका उसकी ओर बढ़ गई । विक्रम ने उसे देखा तो गहरी सांस ली फिर बेंच पर थोड़ा दूसरी ओर को खिसक गया । शिविका आकर बेंच पर बैठ गई ।
शिविका खामोश बैठी रही तो विक्रम भी कुछ नही बोला ।


शिविका " संयम वापिस आ गए क्या.... ?? "। ।


विक्रम " नहीं.... " ।


शिविका " hmm.... " ।


एक बाद फिर से खामोशी पसर गई ।


विक्रम खामोशी को तोड़ते हुए बोला " कुछ और भी पूछना चाहती हो क्या.. ?? " ।


शिविका ने उसकी ओर देखा और पूछा " संयम ने कल ही प्यार से दिलजानी कहा और आज वो मोनिका के साथ चले गए... । ऐसा क्यों.. ?? " ।


विक्रम " hmm... । उसने सुबह कहा था कि ' जब तक प्यार का इजहार ना हो तब तक प्यार प्यार नहीं होता.. ' यूं तो उसने ये मोनिका को कहा लेकिन शायद ये तुम्हारे लिए भी था.. । अगर तुम उससे प्यार करती हो तो उसके सामने इजहार भी करो... । " ।


शिविका सोच में पड़ गई ।


विक्रम " क्या तुमने उससे इजहार किया है.. ?? " ।


शिविका ने ना में सिर हिला दिया ।


विक्रम " क्या तुम उससे प्यार करती हो... ?? " ।


शिविका ने कोई रिस्पॉन्स नही दिया ।


विक्रम ने देखा कि वो जवाब नही दे रही.. तो उसने आगे कुछ नही पूछा ।


विक्रम खड़ा हुआ और पूछा " कुछ खाया.. ?? " ।


शिविका ने ना में सिर हिला दिया ।


विक्रम ने उसकी ओर हाथ बढ़ाया और बोला " चलो.. अंदर चलो... " ।


शिविका ने उसके हाथ में हाथ दे दिया । विक्रम उसे लेकर अंदर आ गया ।


शिविका ने वक्त देखा तो रात के 11 बज गए थे । विक्रम ने एक प्लेट में खाना निकाला और शिविका के आगे प्लेट रख दी ।


वाणी जी उपली मंजिल में खड़ी होकर उन्हें देखने लगी । फिर सोच में पड़ गई ।।


शिविका खाना खाने लगी । शिविका ने खाया और अपने कमरे की ओर चल दी । उसके जाने के बाद विक्रम ने प्लेट में और खाना निकाला और खुद खाया । फिर वो भी वहां से चला गया ।


वाणी जी ने ये देखा और फिर अपने कमरे में चली गई ।



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अगली सुबह :


शिविका उठी तो देखा कि संयम उसके बगल में ही लेटा हुआ था । शिविका उठी तो संयम ने उसे अपने ऊपर खींच लिया ।


शिविका उसकी आंखों में देखने लगी ।


संयम " good morning DILJANI..... " ।।


दिलजानी सुनकर शिविका का दिल जैसे गदगद सा हो गया । वो नरेन को नही भुला सकती थी । लेकिन अब अपने पति का दूर जाना भी उसे बर्दाश्त नहीं था... ।


संयम ने उसे पलटकर अपने नीचे किया और उसके होंठो पर होंठ टिका दिए ।


शिविका ने आंखें बंद कर ली । संयम संजीदगी से उसे चूमने लगा ।

संयम ने उसके होंठों को छोड़ा और उसकी गर्दन को चूमने लगा ।

शिविका " कुछ पूछूं..... !! " ।

संयम " hmm... " ।

शिविका " मोनिका के साथ क्यों जाते हैं आप... ?? " ।

संयम " उसने कहा था.. । मना कैसे करता... ?? " ।

शिविका " और भी कई रास्ते थे ना संयम... । आप तो मुझे भी साथ ले जा सकते थे... या फिर उसे यहां खाने को भी कह सकते थे... । लेकिन आप खुद ही चले गए... । " ।

संयम " ओह... तो क्या चाहती हो... ?? " ।

शिविका " यही कि आप अब उनके साथ ऐसा कोई रिश्ता ना रखें... । उन्हें इससे आपके करीब आने के लिए बढ़ावा मिलेगा... । "।

संयम " ohk... अब से नहीं होगा... " ।


बोलकर संयम ने शिविका को गोद में उठाया और बाथरूम की ओर चल दिया ।

नहाकर दोनो ने बाथरोब पहने बाहर निकल आए । संयम ने शिविका को बाहों में भरा और उसकी गर्दन में सिर छुपा लिया ।


शिविका ने उसके बालों को पकड़ लिया ।
संयम उससे अलग हुआ और तैयार होकर वहां से बाहर निकल गया ।


शिविका उसके एहसासों में खोई हुई सी रह गई । शिविका ने maxi blue dress पहनी और नीचे आ गई ।


वाणी जी सोफे पर बैठी कोई किताब पढ़ रही थी । शिविका आकर उनके पास बैठ गई ।


वाणी जी ने उसकी ओर देखा और बोली " कुछ पूछना है... ?? " ।


शिविका " hmm... " ।


वाणी जी " पूछो.... " ।


शिविका " दादी... संयम को क्या क्या पसंद है... ?? " ।


वाणी जी " तुम प्यार से जो करना चाहो... उसे पसंद होगा शिविका...... " ।


शिविका " पर.. उनकी पसंद नापसंद तो आप ही बता सकती हैं ना दादी.... " ।


वाणी जी " खाना बनाना तुम्हे आता नही है.. तो क्या पसंद का बनाओगो.. शिविका... " ।


शिविका का चेहरा उतर गया ।


शिविका " तो मैं खाना बनाना सीख लूंगी दादी.... " ।


वाणी जी मुस्कुराई और उसके गाल पर हाथ रखते हुए बोली " ठीक है.. । मैं उसकी पसंद नापसंद सब बता दूंगी.... " ।


शिविका मुस्कुराई और वाणी जी की गोद में सिर रख दिया ।


वाणी जी ने उसके सिर पर हाथ रखा तो रात की बातें उन्हें याद आ गई । वो सोच में पड़ गई ।



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रात का वक्त :


शिविका ने रसोई में सीमा और नेहा के बताए अनुसार खाना बनाया था । सबके लिए टेबल पर खाना लगा दिया गया था ।


सबने आकर खाना खाया... । खाना अच्छा बना था तो प्रशांत ने शिविका की तारीफ की... । वाणी जी ने भी शिविका की कोशिश को सराहा.. ।


शिविका की नजरें दरवाजे की ओर थी क्योंकि संयम अभी तक नही आया था । वहीं विक्रम भी आज नही आया था ।


सबने खाना खाया और वहां से चले गए ।


शिविका रसोई में आई तो उसी वक्त विक्रम अंदर आ गया। उसने देखा डाइनिंग टेबल के पास कोई नहीं बैठा था ।


विक्रम डाइनिंग टेबल के पास आया और अपने बैग से चॉकलेट बॉक्स निकालकर टेबल पर रखकर हाथ मुंह धोने बाथरूम में चला गया ।


उसके जाने के बाद संयम अपना कोट कंधे पर टांगे अंदर आया । उसने देखा कि डाइनिंग टेबल पर एक बॉक्स रखा हुआ है तो संयम ने जाकर उसे उठा लिया ।


शिविका रसोई से बाहर आई तो संयम के पास आ गई । संयम उसकी ओर देखने लगा ।


शिविका ने उसके हाथ में पकड़े बॉक्स को देखा तो बोली " क्या ये मेरे लिए है... ?? " ।


संयम ने सिर हिला दिया । शिविका ने बॉक्स ले लिया ।


विक्रम बाहर आया और दोनो को साथ देखा तो अपनी जगह पर ही ठहर गया । शिविका ने संयम को hug कर लिया । विक्रम ने नजरें झुका ली और अपने कमरे की ओर चला गया ।


संयम में शिविका को बाहों में उठा लिया ।
शिविका " आपने खाना खाया... ?? " ।


संयम " hmm.. मैं खा कर आया हूं.... " ।


शिविका का चेहरा उतर गया ।


शिविका " क्या आपको बिलकुल भी भुख नही है... " ।


संयम " hmm.... तुम्हे खाने की भूख है... " बोलकर संयम उसे लेकर कमरे की ओर चल दिया ।


शिविका ने खाना खाया या नही संयम ने एक बार भी नहीं पूछा । शिविका को भूख लगी थी लेकिन वो कुछ नहीं बोली... ।


संयम उसे लेकर कमरे में आया और बेड पर लेटा दिया । संयम ने उसके हाथ से बॉक्स लिया और नाइट स्टैंड पर रख दिया । फिर कपड़े बदल कर आया और लाइट्स ऑफ करके शिविका के नजदीक आकर लेट गया । और उसे बाहों में भरकर बेहद संजीदगी से चूमने लगा ।


कुछ ही देर में उसने शिविका को अपने आगोश में समा लिया । ।


शिविका को नींद आ गई तो संयम bed से उठ गया और सिगरेट सुलगा कर बालकनी में आ गया ।

फिर आंखों में आग लिए आसमान में देखने लगा ।



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