बैरी पिया.... - 54 Wishing द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बैरी पिया.... - 54


अब तक :


वाणी जी " हर किसी की जिंदगी में कोई एक इंसान ऐसा आता है जो उसे बदलने की ताकत रखता है... । और संयम की जिंदगी में शायद वो इंसान आ गया है... " ।


शिविका कुछ बोलने लगी थी कि इतने में उसे नीचे हॉल से जोरों की आवाज़ें सुनाई दी । शिविका और वाणी जी जल्दी से बाहर आ गई ।


अब आगे :


शिविका ने बाहर आकर देखा तो नीचे हॉल में मोनिका एक लड़के के उपर हाथ उठा रही थी । वो लड़का डरा सहमा सा मोनिका को देख रहा था और अपने हाथ जोड़ रहा था ।


लड़का जमीन पर घुटनों के बल बैठ गया और मोनिका के पैर पकड़ लिए । मोनिका ने जोर से उसके सीने पर लात मारी और उसे दूर झटक दिया ।
शिविका को लगा जैसे किसी ने उसके सीने पर मारा हो । शिविका को वो लड़का बोहोत मासूम सा लग रहा था ।


वो जल्दी से नीचे जाने लगी एस्केलेटर पर चढ़ने के बावजूद वो सीढियां उतरते हुए नीचे जा रही थी ।
मोनिका ने उस लड़के को उठाया और जेड से एक चांटा उसके मुंह पर दे मारा । एक और बार वो उसको मारने लगी पर इतने में शिविका ने आकर उसका हाथ पकड़ लिया ।


संयम भी उसी वक्त अंदर आया जो बाहर फोन कॉल अटेंड करने गया था ।


शिविका ने मोनिका को दूर किया और बोली " आप इस तरह से किसी को कैसे मार सकती हैं... ?? " ।


मोनिका " और तुम कौन होती हो मुझसे ये पूछने वाली.. । मैं चाहे जो करूं तुम अपने काम से काम रखो. समझी.. " बोलते हुए मोनिका उस लड़के की ओर बढ़ी तो लड़का शिविका के पीछे छुप गया । शिविका भी उसके आगे बाहें फैलाए खड़ी हो गई ।
मोनिका " हटो सामने से.. " ।


तभी लड़का उसे कंधों से पकड़ते हुए बोला " नई नई मत हटना.... । ये मुझे बोहोत मारेगी... । " ।


शिविका ने गहरी सांस ली और बोली " हान पर ये आपको मार क्यों रही है... ?? " ।


लड़का " वो मैने इसका जूस का ग्लास पी लिया ना.. तो तो ये हमको मार रही है... " ।


शिविका ने सुना तो बोली " इतनी सी बात पर ऐसे मार रही है... । Don't worry... अब तो मैं बिल्कुल नहीं हटूंगी... " । बोलते हुए शिविका मोनिका को देखने लगी ।


मोनिका ने शिविका को हटाना चाहा पर शिविका ने उसके हाथों को पकड़कर मरोड़ दिया ।


और उसकी पीठ से लगा दिया ।


मोनिका " what are you doing.. । Leave me i will not spare you.. " ।


शिविका " i don't want to be spared... । Do whatever you can do... । " ।


मोनिका " छोड़ो मुझे... " ।


शिविका " ऐसे कैसे छोड़ दूं.... । सिर्फ जूस पी लेने पर आप किसी को ऐसे कैसे मार सकती हैं... " ।


मोनिका " हर चीज में नाक घुसाना अच्छा नही होता शिविका... " ।


शिविका " अपने सामने कुछ गलत होता देखूंगी... तो मैं जरूर बोलूंगी... " । बोलते हुए शिविका ने उसे झटके के साथ छोड़ा... । मोनिका कुछ कदम आगे जाकर लड़खड़ाई.... ।


मोनिका शिविका की ओर बढ़ने लगी तो इतने में वाणी जी बोली " बस... । बोहोत हुआ.. । अब और झगड़े नहीं चाहिए मुझे... " ।


मोनिका " दादी.. जब इसमें मेरा हाथ मरोड़ा तब तो आपने नही कहा कि बोहोत हुआ अब.. तो अब क्यों बोहोत हो गया । इस नई लड़की के आने के बाद आपके लिए मेरी बातें तो जैसे मायने ही नहीं रखती हैं...... " ।


मनीषा ने वहां आते हुए उसकी बात सुन ली थी । मनीषा बुदबुदाते हुए खुद से बोली " वैसे भी कौनसी तुम्हारी बातें मायने रखती थी.. " ।


मोनिका ने संयम को देखा और बोली " संयम.. देखा तुमने... दादी मेरे साथ क्या करने लगी हैं... " ।


संयम ने एक झलक शिविका को देखा और फिर बोला " calm down मोनिका... । आओ तुम्हे घर छोड़ दूं... "। बोलकर संयम बाहर चल दिया ।


मोनिका भी पैर पटकते हुए उसके पीछे चल दी ।


शिविका ने पलटकर लड़के की ओर देखा तो लड़का हंसते हुए भाग गया।


शिविका को समझ में नहीं आया कि आखिर वो हंसा क्यों... ?? अभी तक तो वो डरा सहमा शिविका के पीछे छुपकर रो रहा था और अब अचानक से वो हंसते हुए भाग गया ।


शिविका कन्फ्यूजन से वाणी जी को देखने लगी ।


वाणी जी ने नजरें फेरी और वहां से चली गई ।
शिविका वहीं खड़ी सोचती रही ।


शाम का वक्त :


संयम अभी तक वापिस नहीं आया था । शिविका इंतजार में थी कि वो कब वापिस आएगा.. । शिविका बाहर बने लॉन में घूम ही रही थी कि इतने में एक गाड़ी आकर बाहर रुकी । उसके अंदर से विक्रम बाहर आया ।


गाड़ी से उतरकर विक्रम ने देखा कि शिविका बाहर लॉन में टहल रही है तो वो भी उसकी ओर आ गया ।



विक्रम दिखने में काफी अच्छा था । अच्छीै height , सुडौल बॉडी , और powerful औरा.. । लेकिन उससे कोई नेगेटिव वाइब नही आती थी ।


शिविका के पास आकर विक्रम बोला " hii.. " ।


शिविका का ध्यान उस पर नही था । उसकी आवाज से शिविका ने उसकी ओर देखा और बोली " hello... "।


विक्रम " यहां बाहर क्या कर रही हो... ?? "।


शिविका " बैठी हूं... । अपनी मुंबई की पहली शाम को निहार रही हूं.... " ।


विक्रम " ohk... सिर्फ यही वजह है या.. कोई और वजह भी है... " ।।


शिविका " नही... कोई और क्या वजह होगी... " ।


विक्रम " हो भी सकती हैं... । और भी कई वजह हो सकती हैं... " ।


शिविका " जैसे... " ।


विक्रम " जैसे किसी का इंतजार.. जो अभी तक आया ना हो..... " ।


शिविका ने सुना तो झेंप सी गई । हालांकि वो भी कहीं ना कहीं जानती थी कि वो संयम का इंतजार कर रही थी लेकिन वो किसी को बताना नही चाहती थी ।


विक्रम हल्का मुस्कुरा दिया । और वहां से जाने लगा तो शिविका ने पूछा " एक बात पूछें.. ?? " ।


विक्रम " hmm पूछो... " ।


शिविका " क्या आप और संयम सगे भाई हैं... ?? " ।


विक्रम " hmm हैं तो सही... " ।


शिविका " तो इतने अलग क्यों हैं.. ?? मतलब आप कितने खुश मिजाज लगते हैं और वो एकदम सख्त और बेरुखी दिखाने वाले.. " ।


विक्रम " कुछ ऐसे इंसीडेंट हो जाते हैं जो लोगों को बदल देते हैं... । पर वो अलग भी रहा है.. । गुस्सा बचपन से बोहोत आता है उसे... " ।


शिविका ने सुना तो सिर हिला दिया ।


विक्रम " अंदर चलो.. बाहर रहना सही नहीं है.. " ।


शिविका " क्यों... ?? " ।।


विक्रम " अक्सर यहां से कुछ गुंडों की गाडियां गुजरती हैं.. काले रंग की.. SK mark वाली.... । जिनमे गुंडे घूमते हैं.. । कई बार उन गाड़ियों से फायरिंग भी की गई हैं और बोहोत लोग मारे भी गए हैं... । वो खतरनाक हो सकते हैं... । इसलिए शाम के वक्त बाहर निकलना हम लोगों ने बंद कर रखा है.. । " ।


शिविका को याद आया कि जैसा विक्रम बता रहा था वैसा हुलिया तो संयम की गाड़ियों का था.. । शिविका ने कई बार संयम की सेना को उन गाड़ियों में घूमते देखा था ।


" मतलब इनको नही पता कि वो गाडियां संयम की ही हैं... !! " शिविका ने मन में कहा फिर विक्रम से बोली " क्या उन लोगों ने कभी आप पर शूट किया है.. ?? " ।


विक्रम " नहीं... आज तक तो नही किया... । पर उनका कोई भरोसा नहीं कर सकते.. कभी भी कुछ भी हो सकता है... " ।


शिविका " वो आपको कभी नुकसान नहीं पहुंचाएंगे... " ।


विक्रम " और ऐसा क्यों... ?? " ।


शिविका " बस यूं ही... दिल कह रहा है.. । अपने घर में बंद होकर मत रहिए.. शाम को टहलिए.. लॉन की गुदगुदी घास पर... " बोलते हुए शिविका मुस्कुराई और अंदर चल दी । विक्रम भी अंदर चला आया ।


शिविका को भूख नही थी तो वो अपने कमरे में चली गई । शिविका ने साड़ी चेंज की ओर नाइट सूट पहन लिया । फिर कमरे को घूरने लगी ।


पूरे घर में चमकीली रोशनी और इस कमरे में लाल रोशनी देखकर शिविका को अच्छा नहीं लग रहा था । वो खड़ी हुई और बाहर निकल आई ।


फिर वाणी जी के कमरे में चली गई । वाणी जी के साथ शिविका को एक अपनापन डा महसूस होने लगा था ।


शिविका अंदर आई तो बेड पर बैठी वाणी जी उसे देखने लगी ।


शिविका आकर उनके बेड के पास आकर खड़ी हो गई और बोली " एक बात पूछें दादी... ?? " ।


वाणी जी को अब शिविका के मुंह से दादी सुनना अच्छा लगने लगा था । उन्हें शिविका का बेखौफ स्वभाव भी बोहोत पसंद था । । वो हल्का मुस्कुराई और बोली " पूछो... " ।


शिविका " संगम हमेशा अंधेरे में या लाल रोशनी में ही क्यों रहते हैं.... ?? " ।


वाणी जी ने कुछ सोचा और फिर बोली " क्योंकि उसे लगता है कि काले और लाल के सिवाय और कोई रंग उसके मतलब का ही नही है.. । जिंदगी या तो अंधेरे की तरह काली है या खून की तरह लाल... " ।


शिविका " लेकिन ऐसा क्यों दादी... " ।


वाणी जी " संयम ने अपना सब कुछ खो दिया है शिविका.... । अभी जो लोग उसके परिवार में जिंदा बचे हैं... उन सब से उसे कभी कोई लगाव नहीं रहा.. । और वो लोग उसके लिए मायने भी नहीं रखते... ।

मुझसे वो प्यार करता है और बोहोत फिक्र करता है लेकिन सुनता वो मेरी भी नहीं है.. । अपना सगा भाई है लेकिन उससे भी वो कोई लगाव नहीं दिखाता... " ।


शिविका " लेकिन ऐसा क्यों दादी... ?? संयम के मम्मा पापा नही रहे क्या... ?? "।


वाणी जी ने कुछ याद किया तो उनकी आंखें नम हो आईं । आंखों में नमी लिए उन्होंने कहा " एक साजिश में वो तीनो मारे गए... । संयम की मां.. उसके पापा और उसकी बहन... । संयम की आंखों के सामने तीनो की जान निकल गई और वो कुछ नहीं कर सका... ।


विक्रम उस वक्त विदेश में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा था और हम लोगों को इस साजिश के बारे में कोई खबर नहीं थी... । संयम ने अपनी आंखों के सामने उन सबको दम तोड़ते देखा था । पर वो कुछ नही कर सका । आखिर एक 10 साल का बच्चा कर भी क्या लेता.... । उस दिन के बाद उसकी जिंदगी में सब बदल गया ।


उस दिन हमने उन लोगों को बोहोत ढूंढा पर कोई कहीं नहीं मिला.. बोहोत वक्त बाद हमे संयम मिला... एक लड़के के साथ.... जिसका नाम दक्ष रावल था... ।

तब से दोनो को बोहोत साथ में देखा । उसके साथ भी संयम बोहोत वक्त बिताने लगा था । पूरे परिवार से वो कट सा गया था । कई बातें थीं जो उसके दिल में घर कर गई थी.... । उस के बाद से संयम ने सिर्फ मुझे अपनी जिंदगी में माना है.. । और किसी की कोई जगह उसकी जिंदगी में नही है... " ।


शिविका ने सुना तो उसकी आंखें भी नम हो आई । अपने हंसते खेलते परिवार को याद करके और फिर उनके साथ आखिरी पल को याद कर वो सिसकने लगी । वाणी जी ने उसकी ओर देखा तो शिविका की आंखें पूरी तरह से आंसुओं में डूबी हुई थी ।


शिविका उनके घुटनों के पास बैठकर रोने लगी । वाणी जी उसके पास गई और उसे कंधों से पकड़ कर बोली " क्या हुआ शिविका... ?? " ।


शिविका ने वाणी जी को देखा और बोली " मैं भी बिल्कुल अकेली हूं दादी.... । मेरा भी इस दुनिया में कोई नहीं है... । मेरा भी हर कोई अपना मर चुका है.... । मेरा भी पूरा परिवार मार दिया गया । तरस रही हूं किसी के प्यार और साथ के लिए... " । वाणी जी ने सुना तो शिविका की आंखों से बहते आंसुओं को पोंछा और उसे गले से लगा लिया ।


शिविका काफी देर तक सिसकने रही । वाणी जी ने उसकी पीठ सहला दी । फिर उसे खुद से अलग किया और उसके आंसुओं को पोंछते हुए बोली " किसने कहा तुम अकेली हो.. । मैं हूं ना.. । संयम की दादी तुम्हारी भी दादी है.. । अब से तुम अकेली नहीं हो..... । तुम्हारी फैमिली हम लोग हैं... और संयम है... ।

वो बोहोत अकेला है शिविका और तुम भी.. ।। उसकी जिंदगी में रंग नही है और तुम्हारी जिंदगी की रौनक चली गई है । एक नए रिश्ते में बंधे हो तो एक दूसरे की खुशी की वजह बनो.. । उसके अंधेरे जीवन में तुम ही उजाला कर सकती हो शिविका.... । और बदले में तुम्हे भी वो प्यार की कमी नहीं रखेगा.... ।



जाने वाले लोग दुनिया से चले जाते हैं लेकिन जो पीछे छूट जाते हैं उनके लिए जीना आसान नहीं रहता... लेकिन फिर भी जब तक सांसें हैं तब तक जीना पड़ता है... । जाने वालों का गम जिंदगी भर मनाते रहे तो जिंदगी बिल्कुल सुनसान हो जाएगी... ।

उनके साथ बिताई अच्छी यादों को साथ रखो और आगे बढ़ो.. अपनी जिंदगी में खुशियों को आने दो.... " ।

शिविका ने वाणी जी की आंखों में देखा तो उसे एक अपना पन दिखाई दिया और उनकी बातों पर भी उसे विश्वास था । शिविका ने सिर हिला दिया ।

फिर बोली " आप सही कह रही हैं दादी.. । जिंदगी बोहोत लंबी होती है और किसी के चले जाने से ये रुकती नहीं है.. । इसे जीना ही पड़ता है.. चाहे जैसे भी हो... ।


बीता हुआ कल बोहोत दर्दनाक रहा है.. लेकिन आने वाले कल को अच्छा बनाने की मैं पूरी कोशिश करूंगी.. । " । बोलते हुए शिविका ने वाणी जी के हाथों को आंखों से लगा लिया।


वाणी जी ने उसके सिर पर हाथ फेरा तो शिविका बोली " मैं संयम की जिंदगी में रंग वापिस लाऊंगी दादी... । मैं वादा करती हूं... " ।


शिविका ने कहा और फिर खड़ी होते हुए बोली " अच्छा अभी मैं चलती हूं.. बोहोत काम करने हैं... । शुरुवात कहां से करनी है वो मैने सोच लिया है..... । Good night दादी... " बोलकर शिविका जल्दी से कमरे से बाहर निकल गई ।



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