बैरी पिया.... - 45 Wishing द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बैरी पिया.... - 45


शिविका ने देखा तो सामने वही लड़के थे जो उसके परिवार की मौत के जिम्मेदार थे । शिविका हैरान सी वहां खड़ी रही । सामने से गुजर रहे लड़के की नजर जब शिविका पर पड़ी तो वो उसे घूरने लगा और खुद से बोला " शिविका चौधरी... " ।


शिविका की नजरें उससे मिली तो उसने अपनी मुट्ठी कस ली ।

शिविका उसकी ओर आगे बढ़ गई । इस लड़के का नाम पारस था । जो पाखी को छेड़ने वाले लड़कों का हेड कहा जा सकता था । इसी ने उसके कपड़े फाड़े थे और उसके जिस्म पर दांतों से निशान भी डाले थे ।


शिविका का खून खौल उठा... । उसकी आंखों के आगे सबके चेहरे आने लगे । और उसके बाद सबके साथ बिताए आखिरी पल उसकी आंखों के सामने चलने लगे ।


शिविका को याद आया कि उसके पैरेंट्स को मारने के बाद उन लड़कों ने उसका पीछा भी किया था लेकिन वो उनसे बचने में कामयाब हो गई थी । और उसी रात वो उस जगह से निकलकर truk में बैठकर वहां से भाग भी आई थी ।


पारस शिविका को घूर रहा था कि इतने में शिविका ने रसीद कर एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया । पारस दांत पीसते हुए बोला " देख लूंगा... " ।


" No chance... किसी को हक नहीं है कि कोई नजर उठाकर भी देखे... । और तुम तो उस लायक रहोगे भी नही तो... सोचो भी मत... " संयम ने दरवाजे के पास से आते हुए कहा ।


शिविका दरवाजे की ओर देखने लगी । संयम आकर उसके बगल में खड़ा हो गया ।


शिविका ने संयम को देखा तो उसके चेहरे के भाव बिल्कुल सर्द थे ।


गार्ड्स उन लोगों को अंदर लेकर चले गए ।



शिविका ने संयम को देखा और पूछा " आप इतनी जल्दी इन लोगों को पकड़कर कैसे ले आए... ?? " ।


संयम भी जेब में हाथ डाले और बोला " यह मेरे लिए बाएं हाथ का खेल है मैसेज शिविका संयम सानियाल खुराना... " ।


शिविका ने सुना तो एक टक संयम को देखने लगी ।
संयम ने उसके कमर पर हाथ रखा और उसे अपने करीब खींच लिया । शिविका खोए हुए उसके चेहरे को देखने लगी ।


संयम ने उसके गाल पर हाथ रखा और उसके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया । शिविका ने आंखें मुंद ली । दोनों दरवाजे के पास ही खड़े थे ।


बाहर से अंदर आते दक्ष की नजर जब दोनों पर पड़ी तो उसने अपनी नजरें नीचे झुका ली और खुद से बोला " ये SK को हो क्या गया है... ?? इस तरह का रूप तो मैंने उनका पहले कभी भी नहीं देखा । यहां तक कि मोनिका के साथ भी SK कभी इस तरह से नही दिखे... । और यहां अपनी बनाई पत्नी को कहीं पर भी खड़े होकर kiss कर रहे हैं... " ।


दक्ष संयम के बिहेवियर से बोहोत परेशान था । संयम ने शिविका को छोड़ा और फिर गोद में उठाया और डाइनिंग एरिया की ओर चल दिया ।


संयम ने उसे अपनी गोद में बैठाया और खुद खाना खिलाने लगा । शिविका की आंखें नम हो आई । उसने अपना फोन डाइनिंग टेबल पर रखा हुआ था । फोन बजा तो स्क्रीन पर आयुष लिखा हुआ आ रहा था ।


संयम ने देखा तो उसका हाथ खाना खिलाते हुए रुक गया । संयम स्क्रीम को घूरने लगा । शिविका ने फोन उठाया और साइलेंट कर दिया ।


संयम ने शिविका के चेहरे की ओर देखा और बोला " कौन है ये... ?? " ।


शिविका " कोई जरूरी नही है... । बस कुछ काम करता है मेरे लिए... " ।


संयम " क्या तुम सच बोल रही हो... ?? कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम्हारा कहीं और भी अफेयर चल रहा हो... ?? " ।


शिविका ने कुछ सोचा और फिर बोली " फिलहाल मेरा कोई अफेयर नही चल रहा.... । हान बस वो एक... " शिविका ने इतना कहा ही था कि एक और बार फोन बजने लगा ।


शिविका ने फोन उठाया और बोली " जो चाहिए मिल जायेगा... । बार बार फोन करने की जरूरत नहीं है... " ।


फोन काटकर शिविका ने संयम को देखा तो वह अभी भी आंखें बड़ी किए उसे ही देखे जा रहा था ।
संयम नहीं बिल्कुल सपाट लहजे में पूछा " कुछ कह रही थी तुम... ?? " ।।


शिविका " हान वो... मैं कह रही थी कि कोई अफेयर नही है लेकिन एक इंसान है जिसे दिल में बसाया था... । मैने आपसे शादी की है तो मैं धोखा नही दूंगी.. लेकिन जो दिल में है उसे निकालना मेरे लिए मुश्किल है.. " ।


संयम की आंखें यह सुनकर फैल गई । उसने आंखें बंद की और पूछा " कहीं वो वही नरेन तो नहीं... जिसका जिक्र तुमने पहले किया था ?? " ।


शिविका ने सिर हिला दिया । ।।


संयम ने मुट्ठी बनाई और पूछा " अभी वो कहां रहता है.... ?? " ।


शिविका " पता नही... " ।


संयम ने आंखें खोली और शिविका को देखते हुए बोला " are you sure... तुम्हें नहीं पता.... । " ।


शिविका ने कुछ सोचा और फिर बोली " hmm.. मुझे नही पता कि वो किस दुनिया में है... ?? " बोलते हुए शिविका की आंखों से आसूं की बूंद गिर पड़ी । ।


शिविका वहां से उठी और लिफ्ट की ओर चल दी । संयम ने उसे नही रोका बस अपने हाथों की मुट्ठियां बनाए बैठा रहा ।


शिविका लिफ्ट के अंदर आई और उपर का बटन दबा दिया ।


एक पुरानी याद उसकी आंखों के आगे चलने लगी ।



दो साल पहले :



नरेन अपने केबिन में बैठा कुछ फाइल्स देख रहा था.. । नरेन श्रीवास्तव........ अपने एरिया का स्मार्ट डैशिंग और अट्रैक्टिव SI ( sub inspactor ) । हाइट 5 फूट 6 इंच... , काले बाल , हल्का सांवला रंग.. , well shaped little stubble...., हल्की ब्राउन eyes.... , Well shaped Mascular body..... । Over all एक ऐसा बंदा जैसा हर किसी लड़की को पसंद आ जाए.... । जो भी उसकी तरफ देखे तो दुबारा अपने आप को उसे देखने से रोक ना पाए..... ।



अपनी si की ड्रेस पहने वो काम कर ही रहा था कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई.... ।



" कम इन... " नरेन बिना सामने देखे कहा ।



तभी दरवाजे के पास से कोई टक टक करके चलने की आवाज करते हुए अंदर आता है । आवाज आती है " मिस्टर नरेन श्रीवास्तव.. डोंट यू हैव एनी एटिकेट्स... ?? जब कोई सीनियर अंदर आए तो तुम्हे उन्हें खड़े होकर सैल्यूट करना चाहिए... " ।



नरेन फाइल्स के पन्ने पलटते हुए खड़ा हो जाता है । और हल्का सा अपनी पेंट ठीक करके वापिस बैठ जाता है । मानो सामने खड़े इंसान को चिढ़ा रहा हो , लेकिन उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बिल्कुल नॉर्मल बने रहते हैं ।



तभी सामने खड़ा शक्स टेबल पर डंडे से tap करता है... । नरेन नजर उठाकर सामने देखता है तो सामने शिविका अपनी स्कूल ड्रेस पहने अपने लंबे बालों को पोनी टेल में बांधे खड़ी थी... । उसने नरेन की sub inspector की cap अपने सिर पर पहनी हुई थी.. और नरेन की baton को अपने हाथ में पकड़े वो दूसरे हाथ पर उसे tap कर रही थी... ।



नरेन वापिस से फाइल्स में देखने लग जाता है ।

शिविका ओऊहू ओऊहु करके खांसती है पर नरेन उसकी तरफ नहीं देखता । शिविका नरेन के पास आकर उसकी ऑफिस चेयर को अपनी ओर घुमा लेती है ।

नरेन फाइल्स के पन्ने पलटते हुए कहता है " शिविका मैं काम कर रहा हूं... " ‌।


शिविका बेफिक्री से " हां तो करिए ना... किसने रोका है... " । बोलते हुए शिविका नरेन की गोद में बैठ जाती है ।


नरेन कुर्सी को वापिस टेबल की ओर घुमा देता है । टेबल पर रखा लैपटॉप खोल देता है और उसमें कुछ देखने लगता है ।



शिविका अपनी एक कोहनी टेबल पर टिका है पीछे मुड़कर नरेन को देखने लगती है ‌। अपनी सब इंस्पेक्टर की वर्दी में नरेंद्र बहुत ज्यादा हैंडसम स्मार्ट और चार्मिंग नजर आ रहा था.. । जो कि वह हमेशा ही लगता था ।



शिविका को अपनी तरफ ऐसी घूरता पाकर नरेन कहता है " घूरना बंद करो शिविका.. " ‌।



शिविका नरेन की गर्दन में बाहें डालते हुए " आप घूर सकते हैं तो आप भी घूरिए.. । मैं तो नहीं हटने वाली क्योंकि मैं यहां आती ही आपको घूरने हूं... । अब जॉब छोड़ दूं क्या.... ?? " ।



नरेन ने अपने एक हाथ में फाइल पकड़ी हुई थी और दूसरे हाथ से वो लैपटॉप चला रहा था... ।



शिविका नरेन के चेहरे के आगे अपना चेहरा ले आती है । नरेन उसके चेहरे को अपने चेहरे से साइड करते हुए " मैं काम कर रहा हूं शिवि.... । घर जाओ अभी... " ।

शिविका मुंह बनाते हुए " इतनी जल्दी घर कौन जाता है... ?? " ।

नरेन कुछ टाइप करते हुए " 6 बज चुके हैं शिविका... "।

शिविका " हान तो... । आप तो चाहते ही नहीं होंगे ना कि मैं यहां पर आऊं... इसीलिए मुझे भागना चाह रहे हैं... " बोलते हुए शिविका नरेन के हाथ से फाइल लेकर बंद कर देती है । और टेबल पर दूर फेंक देती है ।

नरेन लैपटॉप में कुछ करने लगता है तो शिविका उसे भी बंद कर देती है ।



नरेन अपना सिर पीछे सीट से लगा लेता है । फिर एकदम से चेयर को टेबल के बोहोत करीब ले जाता है । शिविका पूरी तरह से नरेन के गले लग जाती है या यूं कहें कि दोनों के बीच इंच भर की भी दूरी नहीं रहती । शिविका की सांसे गहरी चलने लगती है ।



नरेन शिविका को कसकर अपनी बाहों में भरकर अपने चेहरे को उसके चेहरे के करीब ले जाने लगता है । शिविका अपनी आंखें बंद कर लेती है ।



अपने होठों को शिविका के गालों के करीब ले जाकर नरेन आंखें बंद कर लेता है । शिविका एक आंख खोल कर देखती है तो नरेन की आंखें बंद थी शिविका मौके का फायदा उठा कर अपना स्कूल आईडेंटिटी कार्ड नरेन के होठों के आगे रख देती है ।



नरेन आंखें बंद किए हुए ही अपना चेहरा घुमाकर शिविका के दूसरे गाल पर किस कर देता है ।



हैरानी से शिविका का मुंह खुल जाता है ।



नरेन उसके नाक पर टैप करते हुए कहता है " एरिया का सब इंस्पेक्टर तुम्हें बुद्धू दिखाई देता है हमम.... !! " ।



बोलकर नरेन शिविका की नोज पर किस कर देता है । नरेन शिविका के होठों की ओर बढ़ने लगता है तो शिविका उसके होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहती है " मुझे घर जाना है बहुत देर हो गई है " ।


नरेन एक आईब्रो ऊपर उठाते हुए " अच्छा अभी तो देर नहीं हो रही थी... " ।



शिविका आई रोल करते हुए " हां पर अभी हो रही है । यही परफेक्ट टाइम है जाने का । क्योंकि अगर अभी निकलूंगी तभी आरती के टाइम तक पहुंचगी.. और अगर आरती की टाइम से आगे या पीछे पहुंची ना तो मेरी मां दरवाजे पर झाड़ू लिए खड़ी मिलेगी । अभी आप चलिए... " ।



बोलकर शिविका उसकी गोद से उठ जाती है । और उसकी जीप की चाबी उठाकर अपनी उंगली से गोल-गोल घुमाते हुए केबिन से बाहर निकलने लगती है ।



नरेन टेबल पर से अपना फोन उठाता है और शिविका के पीछे चल देता है । केबिन से बाहर निकलते ही शिविका को सामने दुबे जी खड़े हुए दिखाई दे जाते हैं ।



ये है एरिया के ASI.... जो पिछले कई सालों से एक ही पोस्ट पर है । लेकिन इन्हें प्रमोशन नहीं मिल रहा.. । उम्र 35 साल... , बाहर निकला हुआ पेट बड़ी-बड़ी मूछें और हल्के सफेद पड़ चुके बाल जिन्हें मेहंदी से कलर किया हुआ था ।



दुबे जी शिविका को ऊपर से नीचे तक देखते हुए " क्या बात है आज फिर पुलिस स्टेशन में । कुछ ज्यादा ही छूट मिली हुई है तुम्हें... कहीं ऐसा ना हो कि इस छूट के चलते किसी के साथ अपने घर वालों को छोड़कर भाग ही जाओ । घर में रहना सीखो और घर के काम सीखो..... " ।



नरेन शिविका से थोड़ा दूर पीछे खड़ा होकर जेब में हाथ डालकर उन दोनों को देखने लगता है ।


शिविका अपने हाथों को बांधकर दुबे जी की ओर देखते हुए कहती है " भागना मतलब.... जैसे आपकी बेटी भाग गई थी... !!! पर उसको तो घर के सारे काम आते थे ना...... ( उंगली से अपने फोरहेड के किनारे पर tap करते हुए ) तो फिर वो कैसे भाग गई..... ??? " ।



नरेन अपनी नाक के नीचे उंगली रखकर हंस देता है ।

अपनी बेटी की बात सुनकर दुबे जी की आंखों में गुस्सा उमड़ आता है ।


शिविका दिखावटी मुस्कान दिखाते हुए आगे कहती हैं " अच्छा नहीं लगा ना आपको । लगेगा भी कैसे... बात है भी तो गलत...... । वैसे आपको बता दूं.... शिविका चौधरी भागने वालों में से नहीं है । मुझे बहुत अच्छे से पता है कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं । आप मेरी फिक्र ना ही करें तो अच्छा होगा आपके लिए । " । बोलकर शिविका फिर से चाबी को अपनी उंगली में घुमाते हुए पुलिस स्टेशन से बाहर निकल जाती है ।


नरेन दुबे जी के सामने से गुजरते हुए उनकी ओर देख कर कहता है " क्यों उलझते हैं दुबे जी.... । जानते तो है कि जीत आप उससे कभी पाएंगे नहीं... और हारने मैं उसको दूंगा नहीं... ( कंधा थपथपाते हुए ) इतनी बार मुंह की खा चुके हैं फिर भी क्यों उलझने चले आते हैं । रहने दीजिए ना अपनी धुन में.... । आपका क्या जा रहा है । उसके अपने हैं संभालने के लिए । मैं हूं देखने के लिए आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं है... । " ।



बोलकर नरेन भी बाहर निकाल जाता है ।



दुबे जी उन्हें जाते हुए घूर कर देखते हुए " अलग ही तेवर हैं इसके । किसी को भी मिर्ची लगा दे.... । पर टाइम तो सबके हक में आता है । जब मेरी बारी आएगी तब बताऊंगा कि दीपक दुबे भी जीत सकता है..... शिविका चौधरी..... " ।