बैरी पिया.... - 44 Wishing द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बैरी पिया.... - 44


अब तक :

शिविका सोच ही रही थी कि इतने में एक जोर दार धमाके की गूंज उसे सुनाई दी । उसके नीचे की जमीन हिलने लगी । शिविका जल्दी से नीचे बैठ गई और कानों पर हाथ रख दिया ।



अब आगे :


कुछ सेकेंड्स बाद उसे लग रहा था मानो उसके कान में कोई धुन बज रही हो.. । जो धमाके से उसके कान में होने लगी थी । शिविका ने दरवाजे को देखा और फिर खोलकर अंदर जाने लगी । जैसे ही दरवाजा खोला तो अंदर से धुआं बाहर आने लगा । कमरे की दीवारें लाल थी.. । शिविका ने देखा तो आखें हैरानी से फैल गई । कमरे से एक अजीब सी स्माइल भी आ रहीं थी ।


क्या दक्ष ने लोगों को बम से उड़ाया था.. । सोचकर शिविका को चक्कर आने लगा । उसका चेहरा पसीने से भीग गया । वाकई में दक्ष के अंदर कोई दया नही थी.. । वो बेरहमी से किसी को भी मार सकता था... । अतीत की यादें शिविका को भी याद आने लगी ।
वो वहीं बेहोश होकर गिर पड़ी... ।


शाम का वक्त :


शिविका की आखें खुली तो वो संयम के कमरे में थी.... । शिविका घबराकर उठकर बैठ गई । फिर अपने अगल बगल देखने लगी ।


उसकी सांसें तेज़ हो गई थी ।


शिविका उठी और जल्दी से स्टडी रूम में चली गई । शिविका ने दीवार पर लगी फोटोज को देखा तो उनपर सब पर रेड क्रॉस लगाया हुआ था.. सिवाय एक फोटो के.. । जो उन सब फोटो में से सबसे बड़ी थी । शिविका ने ध्यान से देखा तो जिन लाशों को उसने नीचे वाले रूम में देखा था उन के फोटोज भी वहां पर थे और क्रॉस लगे हुए थे ।


शिविका " मतलब.. जिस पर क्रॉस नहीं है... वो अभी जिंदा है... । और ये इंसान अभी जिंदा है.. " ।


बोलते हुए शिविका ने आंखें बंद कर ली । फिर किताब की ओर देखा तो उसका वहां जाने का मन हुआ । पर फिर शिविका ने अपने बढ़ते हुए कदम रोक लिए ।


शिविका " नही शिवि... । चाहे जो भी हो लेकिन वाकई ने संयम तेरे साथ अच्छे है.. । गुस्से में दर्द दिया लेकिन उसकी दवाई की और वो जान बूझकर नही दिया... । उसके अलावा किसी अंजान की मदद करना कोई आम बात नही है... । और हाथ में चोट आने पर खुद से खयाल रखना... । ये कोई बुरा इंसान नही कर सकता... । अब और शक करके तलाशी लेना बंद कर.... " सोचते हुए शिविका वहां बाहर निकल आई ।
शिविका वाशरूम चली गई ।



संयम कमरे में आया और वाशरूम के दरवाजे की ओर देखने लगा । फिर तिरछा मुस्कुरा दिया ।


शिविका बाहर आई तो संयम वॉल से टिककर खड़ा था । उसने झटके के साथ शिविका को अपनी ओर खींच लिया । शिविका के हाथ उसके कंधे पर चले गए ।


संयम ने उसके गाल पर हाथ फेरा तो शिविका ने आंखें बंद कर ली ।


संयम ने उसके गाल पर अपने होंठ रखे और धीरे से kiss कर लिया । शिविका आंखें बंद किए महसूस करने लगी । संयम के साथ उसे प्यार का एहसास होता था । दुनिया में अकेले छूट जाने के बाद शिविका किसी के साथ और प्यार के लिए तरस रही थी । और यही वजह थी कि संयम का जरा सा अच्छा होना भी शिविका को उसके साथ अच्छा रहने के लिए मजबूर कर देता था ।


संयम ने उसके गाल से अपना गाल जोड़ा और बोला " चलो खाना खा लो.. ।। चक्कर खाने से पेट नही भरता ना.. " ।


शिविका ने सिर हिला दिया तो संयम उसे लिए नीचे डाइनिंग एरिया में आ गया । दोनो ने खाना खाया और कमरे में आ गए । शिविका बेड पर लेटी तो संयम भी उसके बगल में आकर लेट गया । शिविका ceiling की और देखने लगी । संयम ने करवट ली और उसके पेट पर हाथ रखकर सो गया.. । शिविका ने अपने पेट पर रखे उसके हाथ पर हाथ रखा और आंखें बंद कर ली ।


तभी संयम ने अपनी एक टांग शिविका की टांगों पर रख दी । शिविका की आंखें खुल गई और संयम के चेहरे को देखने लगी । संयम की आंखें बंद थी । शिविका ने नजरें फेरी तो संयम शिविका के और करीब आ गया और शिविका की गर्दन में चेहरा छुपा लिया । और शिविका को अपने बेहद करीब करके लगभग पूरा ही उसके उपर आ गया ।


कुछ seconds बाद शिविका को महसूस हुआ कि संयम उसकी गर्दन पर kiss करने लगा था । शिविका ने उसकी गर्दन पर हाथ रख दिए । संयम ने उसके हाथों को पकड़ा और बेड से लगा दिया । संयम धीरे धीरे उसकी गर्दन गले और चेहरे को चूमने लगा । संयम ने शिविका के होंठों पर होंठ रख दिए और टाइम के साथ किस गहरी होती चली गई ।


संयम ने धीरे धीरे दोनो के कपड़े उतार दिए । दोनो एक दूसरे के आगोश में चले गए और एक दूसरे को महसूस करने लगे ।


अगली सुबह :



शिविका उठी तो उसके बदन पर चादर लिपटी हुई थी । संयम उसके बगल में नहीं था और वो कमरे में भी कहीं नहीं था । शिविका बेड से उठी और संयम की लोअर और t shirt उठा कर वाशरूम की ओर चल दी ।


वाशरूम से बाहर निकली तो उसका फोन बज उठा । शिविका ने स्क्रीन को देखा तो आयुष लिखा हुआ आ रहा था । शिविका ने गहरी सांस ली ।



उसने फोन नही उठाया और कमरे से बाहर निकल गई । शिविका लिफ्ट से नीचे आई तो कुछ लोगों को हथकड़ी बांधकर अंदर लाया जा रहा था । शिविका ने ध्यान से देखा तो उसकी आंखें बड़ी हो गई । । । । ।



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