बैरी पिया.... - 43 Wishing द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बैरी पिया.... - 43


अब तक :


संयम शिविका को गोद में लिए सोफे पर बैठ गया और फोन में फोटोज दिखाते हुए बोला " क्या ये वहीं हैं.. जो तुम्हारी बहन की मौत के जिम्मेदार हैं... ?? " ।


शिविका ने फोटोज देखी और फिर संयम को देखने लगी । शिविका ने सिर हिला दिया ।


संयम " कल सुबह तक ये लोग मेरी इस जेल में शामिल हो जायेंगे... " ।


शिविका की आंखों में नमी भर आई ।


अब आगे :


संयम ने शिविका को उठाया और हाथ में एक सेंसर लेकर उसपे शिविका के हाथ की उंगलियों की छाप ले ली ।


शिविका असमंजस में उसे देखने लगी । संयम ने कुछ सेटिंग की ओर फिर शिविका को गोद से उठाया और उसका हाथ पकड़कर door की ओर चला गया ।


दरवाजे के पास शिविका को ले जाकर संयम उसके पीछे खड़ा हो गया और बोला " सेंसर पर उंगली रखो... । " ।


शिविका ने Door सेंसर पर उंगली लगाई तो दरवाजा खुल गया ।


शिविका हैरानी से संयम को देखने लगी ।


संयम ने उसे पीछे से बाहों में भरा और उसके कंधे पर अपना चेहरा रखकर शिविका की गर्दन पर किस करते हुए बोला " अब से तुम अपनी मर्जी से अंदर बाहर जा सकती हो । लेकिन अपनी मर्जी से विला से बाहर जाने की इजाजत तुम्हें नहीं है । " । बोलकर संयम वहां से बाहर निकल गया । शिविका सोच में पड़ गई । क्या संयम उस पर तरस खाकर यह सब कर रहा था ?? ।


शिविका सोच ही रही थी कि तभी उसका फोन बजा । शिविका ने स्क्रीन की तरफ देखा तो एक अननोन नंबर फ़्लैश हो रहा था ।


शिविका ने फोन उठा लिया और कान से लगाते हुए बोली " क्या काम है.... ?? " ।


सामने से आवाज आई " नहीं काम कुछ नहीं है बस यह बताना था कि मेरे हाथों में खुजली होने लगी है और सुना है कि जब हाथ में खुजली हो तो लक्ष्मी आने के आसार होते हैं और मुझे जरूरत भी है..." ।


शिविका ने सुना तो एक गहरी सांस ली और बोली " काश तुम जैसा लालची इंसान मुझे ना मिला होता और काश मैं.... खुद वहां होती तो शायद तुम पर पैसे लुटाने की नौबत नहीं आती । " ।


" अरे शांत हो जाओ झांसी की रानी... तुम मुझ पर कहां पैसे लुटा रही हो तुम तो मुझसे अपना काम करवा रही हो और उसी काम के बदले मुझे पैसे मिलते हैं.... । और अगर मैं ना होता तो भला तुम्हारा यह काम कौन करता.... । अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर मैं तुम्हारे लिए काम कर रहा हूं । तू जब मांगता हूं और जितना मांगता हूं उतना भेज दिया करो.... । और वैसे भी सारे पैसे तो मैं नहीं लेता ना उनमें से कुछ तुम्हारे काम में भी तो लगते हैं । हह.... बात करती हो " । बोलते हुए लड़का फीका सा हंसा ।


शिविका बेमन से बोली " और कितने चाहिए... ?? " ।
लड़का " यह हुई ना समझदारी वाली बात.... । चलो पिछली बार 5 लाख और 10 लाख ही मांगे थे ना... तो इस बार 15 लाख दे दो मैं उसी में काम चला लूंगा " ।


शिविका ताना कसते हुए बोली " जो लोग खुद कुछ ना कर पाए वह वैसे भी दूसरों के पैसे पर पलने का ही सोचते हैं... । और दूसरों की मजबूरी का नाजायज फायदा कैसे उठाना है यह भी उन्हें अच्छे से आता है और तुम इसका एक जीता जागता उदाहरण हो आयुष मेहरा.... " ।


लड़के ने अपना नाम सुना तो घिनौना सा हंसते हुए बोला " हाय कितना अच्छा लगता है ना तुम्हारे मुंह से मेरा नाम... । लेती रहा करो शिविका चौधरी... । क्या पता‌ तुम्हारे मेरा नाम लेने से कभी ना कभी हम दोनों एक हो ही जाए.... । पर अभी ज्यादा बकवास करने का मेरा मन नहीं है तो बेहतर होगा कि तुम पैसे भिजवा दो... । अरे तुम तो मेरी सोने की अंडे देने वाली मुर्गी हो... गुस्से में भी कमाल लगती हो.. " ।


शिविका ने फोन रख दिया । और बालकनी में आकर शहर को देखते हुए गहरी सांस लेने लगी ।


संयम के ऑफिस में :


संयम ऑफिस पहुंचा तो सीधा अपने केबिन में चला गया ।



संयम अपनी बड़ी सी चेयर पर बैठा पीछे की ओर सिर टिकाए हुए चेयर को गोल गोल घुमाए जा रहा था ।



फिर आंखें खोली और बोला " this is what... Which is needed...... Now let the game begin..... " बोलते हुए उसके चेहरे पर तिरछी स्माइल आ गई ।



मैनेजर ने दरवाजे के पास आकर नॉक किया तो संयम ने उसे अंदर आने का कह दिया ।


मैनेजर " संयम सर... आज फॉरेन के क्लाइंट के साथ मीटिंग है.. । आज दोपहर का टाइम आपके टाइम के अकॉर्डिंग मैने उनको दिया था... क्या आप उस वक्त पर वो मीटिंग करना चाहेंगे... " ।


संयम पेपर वेट को घुमाते हुए कुछ सोचने लगा और फिर बोला " hmm.. schedule it... i will attend... " ।


" Ohk sir.... " कहकर मैनेजर बाहर निकल गया ।
दक्ष का फोन संयम को आया तो उसने पिक करके कान से लगा लिया और अपनी कुर्सी को गोल गोल घुमाने लगा ।


दक्ष " SK... डील करप्ट... कुछ और अपने ही भेदी निकले.... । जो ड्रग सप्लाई का काम हो रह था.. उसपर पुलिस का छापा पड़ गया.. । लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं... और माल भी जप्त हो गया है.... " ।


संयम " तो... इसके लिए तुमने मुझे क्यों कॉल किया दक्ष... ?? क्या तुम्हे नहीं पता कि अब क्या करना है... ?? " ।


दक्ष " पता है SK.. " ।


संयम " then do it... " बोलकर संयम ने कॉल रख दी ।


दोपहर का वक्त :


शिविका कमरे में बोर हो गई थी । तो कमरे से बाहर निकल गई । लिफ्ट से नीचे आई तो इधर उधर देखने लगी । फिर आगे से उपर जाती सीढ़ियों पर चढ़ गई । एक दरवाजे के पास आकर रूकी तो कुछ आवाजें उसे सुनाई दी । शिविका को पिछली बार का मंजर याद आ गया । उसने लड़खड़ाते कदम उस कमरे की ओर बढ़ा दिए । कि इतने में दक्ष कमरे से बाहर निकल आया । दक्ष से उसकी नजरें टकरा गई ।


दक्ष बोला " यहां क्या कर रही हो...?? " ।


शिविका " वो बस घूम रही थी । " ।


दक्ष ने उसे उपर से नीचे तक देखा तो शिविका ने संयम के कपड़े पहने हुए थे । दक्ष को विश्वास तो नही हो रहा था कि किसी लड़की ने संयम के कपड़े पहने हैं और संयम ने कुछ नही किया.. । लेकिन ये ही रहा था तो न मानने का तो सवाल ही नही था ।



दक्ष ने उसे उपर से नीचे तक घूरा और बोला " बच गई.... ?? It's a wonder.... । मुझे तो लगा था कि अब से आपका चेहरा नजर नही आयेगा.. miss शिविका.... " ।


शिविका " आपकी सोच और असलियत बोहोत अलग है मिस्टर दक्ष.. " ।


दक्ष उसके चेहरे को घूरते हुए " hmm सही कहा... । हमारी सोच और आपकी असलियत भी वैसी ही है ना... । पर चाहे जो भी हो आपकी असलियत तो मैं पता लगाकर रहूंगा.. मिस शिविका.... " ।


शिविका " मैं जो हूं सामने हूं... । इसके अलावा मेरी कोई असलियत नही है... । पर आपको शक है तो आप जो चाहे करें.... " ।


दक्ष दांत पीसते हुए " कोई चाल चलने के इरादे छोड़ ही दें तो अच्छा होगा.. । क्योंकि जितना अच्छे से SK आपको treat कर रहे हैं.. उससे कहीं ज्यादा बुरी सजा भी मिल सकती है... । और हां.... मेरी नजरें हैं आपपर.. तो ये मत समझना कि आप फ्री हैं... " ।



बोलकर दक्ष ने उसे उंगलियों से भी नजरें उसपर होने का इशारा कर दिया । और वहां से चला गया ।


दक्ष उसे धमका भी रहा था लेकिन वो भी आप कहकर बोल रहा था । यहीं से शिविका देख सकती थी कि संयम के लोग उसकी पीठ पीछे भी उसके ही हैं... । क्योंकि संयम शिविका के साथ अच्छा था तो दक्ष भी उसे इज्जत दे रहा था ।


लेकिन ये इज्जत दक्ष में क्यों थी ये शिविका को समझ नही आता । अक्सर लोग जिसके लिए भी काम करते हैं वो उनके मुंह पर अच्छे बने रहते है पर पीठ पीछे उन्हें गलत बोलते हैं । लेकिन कुछ धोजेबाजों के अलावा शिविका ने जिनको भी देखा था सब संयम की पीठ पीछे भी उसकी रिस्पेक्ट करते थे । और यही चीज शिविका ने ड्राइवर के लहजे में भी नोटिस की थी... जो अब नही रहा था... ।


शिविका सोच ही रही थी कि इतने में एक जोर दार धमाके की गूंज उसे सुनाई दी । उसके नीचे की जमीन हिलने लगी । शिविका जल्दी से नीचे बैठ गई और कानों पर हाथ रख दिया ।

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