You Are My Choice - 22 Butterfly द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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You Are My Choice - 22

आकाश हॉस्पिटल के पार्किंग से अपनी कार निकाल ही रहा था की उसे किसका फोन आया। फोन पुलिस स्टेशन से था। सामने से इंस्पेक्टर ने कहा, "मिस्टर अहूजा, जितना जल्दी हो सके प्लीज यहां आ जाइए।"

"में आधे घंटे में आता हु।" इतना कहने के बाद आकाश के चेहरे पर एक मुस्कुराहट थी, मानो जैसे वो जीत गया हो।


पुलिस स्टेशन

जैसे ही आकाश पहुंचा इंस्पेक्टरने उसे उस आदमी की फोटो दिखाई और उससे पूछा की वो उसे जानता है की नही।

"सर, यह वही आदमी है जिसे हमने काव्या का पीछा करने के जुर्म में जेल भेजा था, at that time.. he was minor."

"आपके पास कोई सबूत है की इसने मिस काव्या पे कल रात अटैक किया था।"

इंस्पेक्टर की बातो से हैरत होते हुए उनसे काउंटर क्वेश्चनिंग करते हुए आकाश ने पूछा, "sir, आपके पास एविडेंस है फिर भी आपको ऐसा क्यों लगता है, की उसने अटैक नहीं किया।"

इंस्पेक्टर ने आकाश की तरफ जुकते हुए अपने दोनो हाथ टेबल पे रखते हुए कहा, "आपको ऐसा क्यू लगता है, मिस्टर अहूजा, जैसे हमारे पास इस बात के एविडेंस है की उसने ही कल रात अटैक किया था?"

आकाश को आदित्य की कही बात याद आई की, पुलिस को यह नही पता चलना चाहिए की उसे आकाश ने हायर किया था, कल्प्रिट को पकड़ने में। वरना वो और रॉनित ट्रबल में आ सकते है।

आकाश ने बात संभालते हुए कहा, "CCTV फूटेज में यह आदमी साफ साफ वॉर्ड से बाहर निकलता हुआ दिख रहा है। और आप जय से भी स्टेटमेंट ले चुके है। की वो आदमी।ही अटैकर था।"

"CCTV में इसका चेहरा साफ नजर नहीं आ रहा है। उसने अच्छे से अपना चेहरा छुपाया है।" इंस्पेक्टर ने आकाश को उकसाने की कोशिश करते हुए कहा

"आप इसकी तारीफ कर रहे है? लाइक सीरियसली...।" 

"कम ऑन, मिस्टर अहूजा, मेने आपको जो फोटो दिखाई और CCTV में जो चेहरा है क्या आपको लगता है सेम है?" फोटो में उसका चेहरा बहुत बुरी तरीके से डैमेज दिख रहा था।

"माना की समझना मुश्किल है, पर में इस आदमी का चेहरा कभीं नही भूल सकता। में इसका जला हुआ चेहरा भी पहचान सकता हु। इसकी घटिया आंखे वैसी की वैसी जो है।" आकाश ने गुस्से में कहा।

"ठीक है फिर हम.. डॉक्टर जय को बुला लेते है। देखा तो.. उन्होंने भी है इसे।" इंस्पेक्टर ने आकाश से कहा।

"आप बुला रहे हो या में ही कॉल करू?" आकाश ने अपने चेहरे के एक्सप्रेशन बदले बिना कहा।


तकरीबन एक घंटे के बाद जय पुलिस स्टेशन पहुंचा। इंस्पैक्टर ने उसे फोटो दिखाई। जय उस आदमी को पहचान नहीं पाया। उसका चेहरा बुरी तरह खून से लदा हुआ था। उसे बहुत बुरी तरह से मारा था। जय ने उसकी कंडीशन को देखते हुए कहा, "जिसने भी मारा है.., अपनी पूरी खुन्नस उतारी है। बहुत बेरहम था, जो भी था। पर यह अगर अटेकर है तो अच्छा ही किया है। हा... लेकिन, एक रास्ता है। मुझे उसे देखने दीजिए। मेने उसका पैर तोड़ दिया था जब वो मिस सेहगल के वॉर्ड में था।" आकाश पास बैठा शांति से सब सुन रहा था।

"लेफ्ट लेग? " इंस्पेक्टर ने पूछा।

"No, sir. Right leg. And.. I'm sure about it." Dr. जय ने कॉन्फिडेंस से कहा।

"ठीक है। हमारे पास पूरे सबूत है यह वही आदमी है। लेकिन, "

इंस्पेक्टर की बात को बीच में काटते हुए जय ने पूछा, "लेकिन, क्या?"

"मिस सेहगल को होश आएगा उसके बाद ही कन्फर्म हो सकता है। क्योंकि... मुझे लगता हैं की उनके एक्सीडेंट में भी इसका हाथ हो सकता है। यह कुछ उगल नही रहा है। तो अभी मेरी कोशिश तो यही रहेगी की में अपने ही पुलिस स्टेशन में इसका मुंह खुलवाऊ।"

"मतलब?" जय ने इंस्पेक्टर को बात पे रिएक्ट किया।

कबसे शांत खड़े आकाश को देखके इंस्पेक्टर ने उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा, "वो तो आप खुद ही मिस्टर अहूजा से पूछ लीजिए। कही उन्होंने अपना खुदका इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट तो नहीं खोल लिया।"

आकाश ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा, "देखिए इंस्पेक्टर, आपको एडविडेंस मिले की मेने इसे मारा है, तो बात करेंगे। और अगर आपका खुद से ही एविडेंस बनाने का इरादा हो, तो.. प्लीज मुझे पहले ही बता देना। तो में उसे जान से ही मार सकू। क्या है ना, बिना क्राइम किए जेल जाने वाला शायद बेवकूफ ही होगा, एट लिस्ट मेरी नजर में। और वो में बिलकुल भी नहीं हु। नाही.. में ऐसे आधे अधूरे काम करता हु। अगर यह मुझे आपसे पहले मिला होता तो में इसे जान से ही मार देता।" इतना कहके आकाश बाहर चला गया। 

"I'll take a leave sir." इतना कहके जय भी उसके पीछे चला गया।

वहा खड़े एक हवलदार ने इंस्पेक्टर के पास आते हुए कहा, "सर, आपको लगता है की यह इसने किया है?"

"इसने किया तो नही है, पर करवाया जरूर है। क्योंकि यह काम इस आदित्य वर्मा का है।" इंस्पेक्टर ने गुस्से से आदित्य का नाम लेते हुए कहा। "और आकाश अहूजा कोई छोटी मोटी हस्ती तो है नही। जो चाहे वो कराने की ताकत तो रखता है वो।


Continues in the next episode.....