हीर... - 31 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हीर... - 31

आंखों में आंसू लेकर अंकिता को याद करते करते राजीव की आंख कब लग गयी उसे पता ही नहीं चला...

अगले दिन सुबह के करीब सात बज़े थे और अवध दरवाजे पर आये दूध वाले से दूध ले रहे थे कि तभी एक कार हॉर्न बजाते हुये उनके बिल्कुल पास आकर रुक गयी, अपने पास आकर खड़ी हुयी उस कार को देखकर अवध स्माइल करने लगे कि तभी चारू उस कार से उतरकर बाहर आ गयी और अवध को देखकर अपने दोनों हाथ जोड़ने के बाद सिर झुकाकर बोली- नमस्ते पापा जी.. गुड मॉर्निंग!!

अवध ने भी चारू के सिर पर हाथ रखकर खुश होते हुये कहा- आह्हा... चारू बेटा, गुड मॉर्निंग और हमेशा खुश रहो... सुबह सुबह जब भी मैं तुम्हें देख लेता हूं मेरा दिन बड़ा अच्छा जाता है लग रहा है आज ऑफिस में कुछ गुड न्यूज़ मिलने वाली है। 

अपनी बात कहकर अवध हंसने लगे और चारू के साथ घर के अंदर चले गये... 

घर के अंदर जाने के बाद "मॉम.. मैं आ गयी" कहते हुये चारू किचेन में काम कर रहीं मधु के पास गयी और उनको पीछे से हग करते हुये बिल्कुल ऐसे जैसे उन्हें दुलारने लगी हो वैसे दुलारते हुये हल्का हल्का इधर उधर डुलाने लगी... 

चारू को इतनी सुबह आया देख मधु ने अपना हाथ पीछे करके उसके सिर पर फेरते हुये बुझे बुझे से लहजे में कहा- आज इतनी सुबह कैसे याद आ गयी अपनी मॉम की?

चारू ने वैसे ही मधु को प्यार से हग किये हुये ही उनसे कहा- याद तो मुझे हमेशा आती है मॉम, वो सब छोड़िये.. पहले ये बताइये कि राजीव आ गया और आपने मुझे बताया भी नहीं!! 

चारू की बात सुनकर मधु आगे मुंह किये हुये ही बार बार ठसका सा लेने लगीं तो चारू को कुछ ठीक नहीं लगा इसलिये उसने उनकी चिन पकड़कर उनका मुंह अपनी तरफ़ करने के बाद जब उनकी आंखों में आंसू देखे तब वो चौंकते हुये बोली- मॉम.. आपकी आंखों में आंसू?

मधु अपनी भावुक हो चुकी आवाज़ में चारू की तरफ़ देखते हुये बोलीं- मेरा बेटा कल बहुत रोया है, उसका वो रोता हुआ चेहरा मेरी आंखों के सामने से हट ही नहीं रहा चारू, वो बताता नहीं है लेकिन मैं जानती हूं कि मेरे बेटे की इस हालत की जिम्मेदार वो ल... ल.. लड़..!!

अपनी बात कहते कहते मधु इतनी जादा भावुक हो गयीं कि ठीक से लड़की भी नहीं बोल पायीं और बहुत दुख करके सुबकने लगीं...

चारू भले मधु के सामने अनजान बन रही थी लेकिन उसने तो मधु से पहले ही राजीव को उस हालत में देख लिया था जिसमें अगर वो उसे देख लेतीं तो शायद रो रोकर अपनी तबियत ही खराब कर लेतीं या फिर शायद वो ये झटका... बर्दाश्त ही ना कर पातीं!! 

चारू पहले से ही सब जानती थी इसलिये मधु की तकलीफ़ समझने में उसे जरा भी देर नहीं लगी इसलिये उसने मधु की आंखों में आ रहे आंसुओं को पोंछते हुये कहा- मॉम... आप जानती हैं ना कि राजीव आप दोनों के लिये अपनी जिम्मेदारियों और अपनी जॉब को लेकर कितना सेंसिटिव है और रीज़न चाहे जो हो.. उसकी जॉब तो चली ही गयी ना... तो उसे दुख तो होगा ही लेकिन आप चिंता मत करो, अब हम उसे अकेले दिल्ली में नहीं रहने देंगे... हम्म्!! वो यहीं कानपुर में रहेगा और मैं उसको अपने साथ अपने बैंक में जॉब दिलवा दूंगी.. धीरे धीरे वो नॉर्मल हो जायेगा, उसके लिये भी तो ये एकदम नया शॉक है ना तो उसे भी तो तकलीफ़ हुयी होगी ना लेकिन इस समय में हमें उसकी ताकत बनना है ना कि कमजोरी!! 

अपनी बात कहते कहते चारू ने मधु को अपने गले से लगा लिया और ऐसे जैसे वो मधु की गोद में नहीं बल्कि मधु उसकी गोद में खेली हों वैसे उन्हें अपने सीने से लगाकर उनका सिर सहलाते हुये उन्हें पुचकारने लगी, चारू को ऐसा करते देख मधु आंखों में आंसू लिये हुये ही हंसने लगीं और प्यार से उसके गाल खींचते हुये बोलीं- बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तो कितने समझदार हो जाते हैं!! (गहरी सांस छोड़कर चारू का माथा चूमते हुये मधु ने कहा) अब मुझे रिलैक्स फील हो रहा है... सुबह सुबह तुझसे मिल भी ली और तुझसे बात करके अपना मन भी हल्का कर लिया अब मेरा दिन अच्छा जायेगा!! 

चारू हंसते हुये बोली- पापा जी भी यही कह रहे थे, अच्छा मॉम राजीव कहां है? 

मधु ने कहा- वो अभी सो रहा है.. तू एक काम कर उसे जगा जाकर तब तक मैं चाय लेकर आती हूं और तेरे पापा जी को भी वहीं बुला लूंगी फिर चारों लोग साथ में बैठकर चाय पियेंगे.... 

चारू ने कहा- ठीक है मॉम मैं जाती हूं और हां मैं यहीं से तैयार होकर ऑफिस जाउंगी!! 

मधु ने कहा- ठीक है.. तेरे पापा जी के साथ साथ तेरा भी लंच बना दूंगी!! 

इसके बाद "मैं राजीव को जगा देती हूं!!" कहते हुये चारू किचेन से राजीव के कमरे में जाने लगी और उसे अपने पास से जाते देख मधु खुद से बोलीं- काश... तुझे मैं अपने पास रख पाती, काश... राजीव मेरे मन की बात समझ पाता!! 

मधु.. चारू को जाते देख अपने मन की बात खुद से बोल ही रही थीं कि तभी अवध वहां आ गये और मधु से बोले- चारू के आने से घर में रौनक आ जाती है वरना कल से उदास उदास और भारीपन सा महसूस हो रहा था घर में... काश कि इसे हम अपने साथ रख पाते, हैना मधु?? 

अपने मन की बात अवध के भी मुंह से सुनकर मधु उनकी तरफ़ देखकर मुस्कुराने लगीं और फिर उनसे कहकर कि "सब लोग राजीव के कमरे में साथ बैठकर चाय पियेंगे..".. चाय बनाने लगीं... 

क्रमशः