हीर... - 30 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हीर... - 30

अपने प्रपोजल के लिये अंकिता से मिले एक्सेप्टेन्स के बाद अंकिता के सामने अपने घुटनों पर बैठे अजीत ने बहुत सॉफ्टली उसका हाथ पकड़ा और उसकी रिंग फिंगर में डायमंड की वो रिंग पहनाने के बाद उसका वही हाथ चूमते हुये उससे बड़े रोमांटिक अंदाज़ में बोला- चलें...?? 

अंकिता को नहीं पता था कि अजीत कहां चलने की बात कर रहा था और वो भी ऑफिस टाइम में... लेकिन उसने अजीत से कोई सवाल जवाब नहीं किया और कुछ सेकेंड्स तक मुस्कुराते हुये उसकी तरफ़ एकटक देखने के बाद उसने बस "हम्म्!!" कहा और कार से उतर कर बाहर आ गयी.... 

अभी तक हल्की हल्की पड़ रही फुहारें अब तेज़ हो गयी थीं और तेज़ हो चुकी उन फुहारों में भीगती अंकिता का यौवन अमृत कलश से छलक रहे अमृत की तरह.. जैसे बार बार उसके अंदर से छलक कर अजीत के मन में एक अजीब सी बेचैनी पैदा कर रहा हो वैसे उसने कार से बाहर आने के बाद अंकिता की कमर में अपना एक हाथ डालकर उसे कसकर पकड़ लिया था और दूसरे हाथ से उसका एक हाथ पकड़े हुये एकटक बस उसकी तरफ़ ही देखे जा रहा था....

अंकिता भी अजीत के इस बदले हुये अंदाज़ में दिख रहे उसके प्यार की खुशबू को महसूस करते हुये मदहोश सी होकर बस उसे ही देखे जा रही थी.. वो दोनों एक दूसरे में इस कदर खो चुके थे कि उन दोनों को ही जैसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि वो दोनों धीरे धीरे तेज़ हो रही बारिश में.. भीग रहे हैं!! 

प्यार भरी नजरों से अंकिता की आंखों में एकटक झांक रहा अजीत जैसे दुनिया से बेखबर हो गया हो वैसे अंकिता की कमर में अटक चुके अपने हाथ को धीरे धीरे करके अपनी तरफ़ समेटने लगा था और अंकिता भी... जैसे उसने अपने मन के साथ साथ अपने शरीर को भी अजीत के भरोसे छोड़ दिया हो वैसे.. बिना किसी हिचक के उसकी तरफ़ धीरे धीरे करके बढ़ती चली जा रही थी...

अंकिता की आंखें.. अजीत की आंखों के अब बिल्कुल पास आ चुकी थीं और उसके होंठ.. अजीत के होंठों से अब बस एक तिनके जितने ही दूर रह गये थे!!

इतने करीब आने के बाद उन दोनों ने बिल्कुल ऐसे.. जैसे एक दूसरे की सांसों की खुशबू को महसूस करते हुये मदमस्त हो रहे हों वैसे.. अपनी आंखें बंद करीं और एक तिनके के बराबर की जो दूरी एक दूसरे के होंठों के बीच रह गयी थी.. उस फासले को भी उन दोनों ने खत्म कर दिया और एक दूसरे के होंठों पर अपने होंठ रखकर इस पूरी दुनिया से बेखबर से होते हुये.. एक दूसरे की बांहों में लिपटकर एक दूसरे को चूमने लगे...!! 

"" तुम मेरी हो और सिर्फ मेरी हो, मैं तुम्हें किसी और के साथ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर सकता यारा..." अंकिता के हाथों को थामकर राजीव ने उससे कहा और अपने बगल में बैठी अंकिता का सिर चूमते हुये उसने उसे एक साइड से अपने सीने से लगा लिया...

राजीव के प्यार को अपने दिल पर महसूस सा करते हुये अंकिता भी उसकी बांहों में सिमट गयी और उसके सीने पर अपना सिर रखे हुये उससे बोली- तुम भी सिर्फ और सिर्फ हमारे हो राजीव, हम भी तुम्हें किसी और के साथ नहीं देख सकते और अगर...!!

अपनी बात राजीव से कहते कहते अंकिता उसके सीने से अलग हुयी और अपनी उंगली उसे दिखाकर धमकी सी देते हुये स्टाइल में बड़ी मासूमियत से उससे बोली- और अगर तुमने हमारे अलावा किसी और के बारे में सोचा भी ना... तो हम तुम पर पुलिस केस कर देंगे, ध्यान रखना...!!

अपनी बात कहकर अंकिता "याद रखना" बोलते हुये फिर से राजीव की बांहों में समा गयी और राजीव उसकी इस बात में उसका प्यार महसूस करते हुये मुस्कुराकर  उसे बस देखता ही रह गया... ""

पूरा दिन बीत चुका था और जहां एक तरफ़ अजीत और अंकिता एक दूसरे के प्यार को अपने अपने मन में महसूस करते हुये दो जिस्मों की लगभग सारी मर्यादाओं को आज लांघ चुके थे वहीं दूसरी तरफ़ अपने कमरे में आंखें बंद किये लेटा राजीव.. अंकिता के साथ बिताये इस पल के बारे में सोचते हुये और उसे हद से जादा मिस करते हुये लगातार इमोशनल हो रहा था, इतना इमोशनल कि उसकी बंद आंखों से निकलकर उसके आंसू बार बार उसकी पलकों पर आकर उन्हें गीला कर रहे थे और राजीव हद से जादा अकेला और खालीपन सा महसूस करते हुये बार बार उन आंसुओं को सुबकियां लेते हुये पोंछे जा रहा था लेकिन आंसू थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे...!!

अंकिता के साथ बिताये हुये पलों को याद करके लगभग रो ही रहा राजीव अपनी आंखे खोलकर सुबकते हुये एक करवट लेकर लेट गया, एक करवट लेकर लेटे राजीव के भारी मन में जैसे कुछ कहतै हुये एक आवाज उठी हो.... 
"आदत मुझे अंधेरों से डरने की डालकर, 
मेरा कोई अपना.. मेरी पूरी ज़िंदगी को रात कर गया!!" 

अपने मन से उठी आवाज़ में ये दो लाइनें सुनने के बाद राजीव बहुत दुख करके रोने लगा और बार बार अपने बालों को कसकर सहलाते हुये बोला- अंकिता प्लीज वापस आ जाओ प्लीज... तुम्हारे बिना नहीं रहा जा रहा मुझसे!! प्लीज वापस आ जाओ.... 

राजीव का वो कमरा दर्द से भरी उसकी सिसकियों से भर गया था लेकिन उसके दिल का दर्द जैसे कम होना ही नहीं चाह रहा था जिसकी वजह से उसके आंसू थे कि थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे!! 

क्रमशः 

इंसान की जान भले ही चली जाये पर किसी का प्यार किसी से अलग ना हो... हैना?